भाभी को बहुत दिनों बाद लंड मिला चुदने के लिए

नमस्ते, मेरा नाम तन्मय सिन्हा है। मेरी उम्र 18 साल है, और मैं एक जवान, हट्टा-कट्टा लड़का हूँ, जिसका लंड हर वक्त चुदाई की तलाश में रहता है। आज मैं आपको अपनी और मेरी पड़ोसन प्रतीक्षा भाभी की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ। प्रतीक्षा भाभी 27 साल की हैं, उनका रंग हल्का गोरा, पतला सा देसी बदन, और 4 फीट 6 इंच की हाइट है। उनकी कमर इतनी पतली है कि बस पकड़कर चोदने का मन करता है। उनकी चुचियाँ, यार, क्या बताऊँ! दो बड़े-बड़े रसीले खरबूजे, जो बिना ब्रा के ब्लाउज़ में लटकते हुए ऐसे लगते हैं जैसे बस अभी फट पड़ेंगे। उनकी गोल-मटोल गाँड देखकर तो लंड पागल हो जाता है, और मन करता है कि दिन-रात उसे चाटता रहूँ, चोदता रहूँ।

शुरुआत में मेरे मन में भाभी के लिए कोई गंदा खयाल नहीं था। मैं तो बस उन्हें एक साधारण पड़ोसन समझता था। लेकिन एक दिन की बात है, वो छत पर कपड़े सुखा रही थीं। उनकी साड़ी का पल्लू अचानक नीचे गिर गया, और मैंने देखा कि उनके टाइट ब्लाउज़ में बिना ब्रा के दो भारी-भरकम खरबूजे लटक रहे थे। उनके निप्पल ब्लाउज़ में साफ दिख रहे थे, जैसे चमकते हुए दो काले अंगूर। प्रतीक्षा भाभी देहाती हैं, और देहाती औरतें अक्सर ब्रा नहीं पहनतीं। ये नज़ारा देखकर मेरा लंड तुरंत सलामी देने लगा। उस पल मेरे दिमाग में शैतान जाग गया। मैं दिन-रात बस भाभी की चुचियों और गाँड के खयाल में मुठ मारने लगा। मेरा सारा माल उनके नाम पर निकल रहा था। उनके गीले चूत के सपने देख-देखकर मैं पागल हो रहा था। तब से मेरे दिल में उनकी चुदाई की आग भड़क उठी।

प्रतीक्षा भाभी शादीशुदा हैं, लेकिन उनके पति, भैया, महीने में सिर्फ दो दिन घर आते हैं। बाकी वक्त वो बाहर काम करते हैं। भाभी के साथ उनकी सास रहती हैं, और उनका एक छोटा बेटा, मुन्ना, भी है। एक दिन मैं उनकी सास को बस स्टैंड छोड़ने गया। मुन्ना भी मेरे साथ था। रास्ते में मैंने सोच लिया कि ये भाभी की चूत और गाँड मारने का सुनहरा मौका है। मैंने दुकान से दो आइसक्रीम लीं—एक मुन्ना के लिए, और दूसरी भाभी के लिए। भाभी वाली आइसक्रीम में मैंने चुपके से वायग्रा टैबलेट मिला दी। मzee मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि अगर भाभी की चुदास दोगुनी हो जाए, तो चुदाई का मज़ा और बढ़ जाएगा।

जब मैं भाभी के घर पहुँचा, तो गेट खुला था। मैंने आवाज़ लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। मैं अंदर चला गया। मुन्ना आइसक्रीम खाकर थक गया था, तो मैंने उसे बाहर सुला दिया। तभी भाभी के कमरे से कुछ अजीब सी आवाज़ें आईं— “आह… उह… ऊई…”। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। मैंने बेडरूम की खिड़की से झाँका, और जो देखा, उसने मेरा लंड पत्थर की तरह सख्त कर दिया। प्रतीक्षा भाभी सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थीं। उनका पेटीकोट कमर तक उठा हुआ था, और वो एक मोटा सा खीरा अपनी गीली चूत में अंदर-बाहर कर रही थीं। उनकी चूत इतनी गीली थी कि खीरा “पच-पच” की आवाज़ के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। वो मदहोशी में डूबी हुई थीं, उनकी आँखें बंद थीं, और वो सिसकारियाँ ले रही थीं— “आह… हाय… और तेज़…”

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मुझसे रहा नहीं गया। मैं सीधा कमरे में घुस गया। भाभी इतनी मस्त थीं कि उन्हें मेरे आने का पता ही नहीं चला। अचानक उनकी नज़र मुझ पर पड़ी। वो घबरा गईं, जल्दी से पेटीकोट नीचे किया और बोलीं, “अरे छोटे भैया, तुम कब आए? तुमने… कुछ तो नहीं देखा?” (मैं भाभी से उम्र में छोटा हूँ, इसलिए वो मुझे छोटे भैया बुलाती हैं।)

मैंने शांत होकर कहा, “नहीं भाभी, कोई बात नहीं। मैं समझ सकता हूँ। मैं अब जवान हो गया हूँ। आपकी अंदर की आग, आपकी चुदास, सब समझता हूँ। भैया तो महीने में दो दिन ही आते हैं। ये लीजिए, मैं आपके लिए आइसक्रीम लाया हूँ। मुन्ना को सुला दिया है।”

वो शरमाते हुए बोलीं, “थैंक यू, छोटे भैया।” फिर वो आइसक्रीम चाटने लगीं। मैंने बातें शुरू कीं, ताकि वायग्रा का नशा चढ़ने का वक्त मिल जाए। मैंने सोचा, अगर भाभी की चूत और गाँड का मज़ा लेना है, तो पहले उन्हें गर्म करना होगा।

बातों-बातों में मैंने पूछा, “भाभी, बुरा न मानें, लेकिन आपकी सेक्स लाइफ कैसी है? भैया तो आते ही होंगे आपके ऊपर टूट पड़ते?”

भाभी की आँखें भर आईं। वो बोलीं, “अरे छोटे भैया, कहाँ? तुम्हें तो पता है, वो दो दिन आते हैं। एक दिन आराम करते हैं, और दूसरा दिन मुन्ना के साथ खेलते हैं। चुदाई का तो सवाल ही नहीं उठता।”

मैंने हैरानी से कहा, “क्या? तो आप अपनी चूत की आग कैसे बुझाती हैं?”

वो रोते हुए बोलीं, “तुझे अपना समझकर बता रही हूँ। मुन्ना के बाद हमने आखिरी बार सेक्स किया था, यानी तीन साल पहले। उसके बाद भैया को टाइम ही नहीं मिलता।”

मैंने चौंककर कहा, “तीन साल पहले? भाभी, आप बिना लंड के जिंदा कैसे हैं?”

वो शरमाते हुए बोलीं, “मायके में एक-दो बार अपने चचेरे भाई के साथ चुदाई की थी। बाकी… ये खीरा ही मेरा साथी है।”

मैंने देखा कि वायग्रा का नशा चढ़ रहा था। भाभी की आँखें लाल हो रही थीं, उनकी साँसें तेज़ चल रही थीं, और उनका ब्लाउज़ उनके सख्त निप्पलों को छुपा नहीं पा रहा था। मैंने मौका देखकर उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा, “भाभी, क्या आप मुझे एक ग्लास दूध दे सकती हैं? घर पर कोई नहीं है, और मुझे दूध पीने का टाइम हो गया है।”

वो बोलीं, “हाँ, ज़रूर।” और दूध लेने चली गईं। मैंने मौके का फायदा उठाया और अपना 6 इंच का मोटा लंड बाहर निकालकर सहलाने लगा। मेरा लंड इतना सख्त था कि बस भाभी की चूत में घुसने को बेताब था। जब भाभी दूध लेकर आईं, तो मेरे लंड को देखकर उनकी आँखें फट गईं। वो चौंककर बोलीं, “छोटे भैया, ये क्या?”

मैंने हँसते हुए कहा, “भाभी, बुरा न मानें, लेकिन क्या मैं ऐसे ही दूध पी लूँ? प्लीज़?” और उनका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।

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वो शरमाने लगीं, लेकिन उनकी आँखें मेरे लंड से हट नहीं रही थीं। चुदास उनके चेहरे पर साफ दिख रही थी। वो धीरे-धीरे मेरे लंड को सहलाने लगीं। फिर अचानक झटके से मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। यार, क्या बताऊँ, वो किसी पक्की रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थीं। बीच-बीच में रुककर मेरी तरफ देखतीं, फिर और ज़ोर से चूसने लगतीं। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर ऐसे घूम रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप चाट रही हो। मुझे ऐसा मज़ा आ रहा था कि मैं सातवें आसमान पर था।

मैंने मज़ाक में कहा, “भाभी, मेरे काले लंड को अपनी गाँड की तरह गोरा करके ही मानोगी?”

वो ज़ोर से हँस पड़ीं और बोलीं, “भोसड़ीके, तेरा लंड तो पहले ही चमक रहा है! अब मेरी बारी है, छोटे भैया। तू तो बस देखता जा!”

बस, फिर क्या था! भाभी अचानक पूरी रंडी बन गईं। उन्होंने अपना काला पेटीकोट मेरी तरफ बढ़ाया और बोलीं, “उतार दे इसे, और दिखा तेरा कमाल!” मैंने उनका पेटीकोट खींचकर उतारा, तो देखा कि उनकी देसी चड्डी चूत के रस से गीली हो रही थी। उनकी चूत के घने बाल जंगल की तरह थे, और उसकी महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने मज़ाक में कहा, “भाभी, इस गार्डन की खुशबू में जंगल के पेड़ कहाँ से आए?”

वो हँसकर बोलीं, “अरे, मुझे अपनी चूत का जंगल पसंद है। अब तू चाटेगा या बस सूँघेगा?”

मैंने उनकी चड्डी को ज़ोर से फाड़ दिया। भाभी चिल्लाईं, “आह! भोसड़ीके, ये क्या किया?”

मैंने कहा, “भाभी, ये तो बस ट्रेलर है। पिक्चर अभी बाकी है!”

वो मुस्कुराकर बोलीं, “तो दिखा ना, कितना दम है तेरे लंड में!”

मैंने उनकी बालों वाली चूत को सहलाना शुरू किया। फिर अपनी जीभ उनकी चूत में डाल दी। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा मुँह रस से भर गया। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया, और वो सिसकारियाँ लेने लगीं— “आह… छोटे भैया… हाय… और ज़ोर से चाट… ऊह… मेरी चूत को चूस ले!” मेरा लंड अब फटने को तैयार था।

मैंने उन्हें कुतिया की तरह झुकाया। उनकी गोल, रसीली गाँड मेरे सामने थी। मैंने उनकी गाँड पर तीन ज़ोरदार थप्पड़ मारे। “थप-थप-थप!” भाभी चिल्लाईं, “आह… हरामी, मेरी गाँड का भोसड़ा बनाएगा क्या?”

मैंने हँसते हुए कहा, “भाभी, अभी तो गाँड की चुदाई बाकी है!” और मैंने अपना मोटा लंड उनकी गाँड में डाल दिया। तीन ज़ोरदार झटकों के बाद मेरा लंड पूरा अंदर चला गया। मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। उनकी गाँड “थप-थप” की आवाज़ के साथ हिल रही थी, और वो चिल्ला रही थीं, “आह… ऊह… भोसड़ीके, और ज़ोर से मार… मेरी गाँड फाड़ दे!”

मैंने उनकी गाँड को चोदते हुए उनके गालों पर भी थप्पड़ मारे। कमरे में उनकी सिसकारियाँ— “आह… ऊह… हाय…”—और चुदाई की “थप-थप” की आवाज़ें गूँज रही थीं। तीन मिनट की गाँड की चुदाई के बाद मैंने लंड निकाला। अब बारी थी उनकी चूत की।

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भाभी ने मुझे ज़ोर से थप्पड़ मारा और बोलीं, “हरामी, अब मेरी चूत की बारी है! चल, लिटा मुझे!” वो मुझे बेड पर लिटाकर मेरे ऊपर चढ़ गईं। मैंने कहा, “वाह प्रतीक्षा रंडी, तू तो बड़ी चुदक्कड़ निकली!”

वो बोलीं, “भोसड़ीके, मैं गाँव में शादी से पहले कई बार चुदी हूँ। तू मेरे सामने बच्चा है! अब चोद अपनी रंडी भाभी को!”

मैंने उनका पेटीकोट पूरा फाड़ दिया और अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड “पच-पच” की आवाज़ के साथ अंदर-बाहर होने लगा। मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। बेड “कच-कच” कर रहा था, उनकी चुचियाँ “दब-दब” उछल रही थीं, और उनकी चूत की “पच-पच” की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। भाभी चिल्ला रही थीं, “आह… छोटे भैया… चोद दे मेरी चूत… फाड़ दे इसे… ऊह… तेरा लंड कितना मोटा है… हाय…”

लगातार 10 मिनट की चुदाई के बाद मैंने लंड निकाला। भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लगीं। वो बोलीं, “तेरा माल मेरे मुँह में चाहिए, हरामी!” मैंने उनके मुँह में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और आखिरकार मेरा सारा माल उनके मुँह में गिर गया। लेकिन मेरा मन अभी भरा नहीं था। मैंने शरारत में अपना लंड उनकी चूत में फिर से डाल दिया और बचा हुआ माल उनकी चूत में छोड़ दिया।

भाभी चिल्लाईं, “भोसड़ीके, तूने मेरी चूत में माल डाल दिया? बदमाश!”

मैंने हँसते हुए कहा, “अरे भाभी, बड़े-बड़े सेक्स में ये सब चलता है।”

वो हँस पड़ीं और बोलीं, “इतने साल बाद लंड मिला, तो मेरी चूत रंडी बन गई। तेरा लंड तो कमाल का है, छोटे भैया!”

हम दोनों हँसने लगे। फिर हमने कपड़े पहने, और मैं घर चला गया। उस दिन के बाद मैंने प्रतीक्षा भाभी को पाँच बार और चोदा, जिसमें दो बार मेरे घर पर। उनकी चूत और गाँड का मज़ा मैं बार-बार लेता हूँ।

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