दोस्त की भाभी की गोरी गांड फाड़ दी

हेल्लो दोस्तों, मैं आज आपसे अपनी जिंदगी की एक सच्ची और गर्मागर्म घटना शेयर करने जा रहा हूँ। ये कहानी मेरे और मेरे दोस्त की बीवी संगीता के बीच की है, जिसमें मैंने उसकी मोटी, रसीली गांड की जमकर चुदाई की और उसे वो मजा दिया जो वो बरसों से तरस रही थी। मेरा नाम महेश है, उम्र 32 साल, ठीक-ठाक कद-काठी, और लंड 6 इंच का, मोटा और तगड़ा, जो किसी भी औरत को खुश कर सकता है। अनिल, मेरा दोस्त, 34 साल का है, सांवला, मेहनती, और अपनी फैक्ट्री में इतना डूबा रहता है कि घर को वक्त ही नहीं दे पाता। संगीता, उसकी बीवी, 30 साल की है, गोरी, मध्यम कद, चेहरा साधारण लेकिन उसकी गांड? उफ्फ! गोल, मोटी, और बाहर निकली हुई, जो चलते वक्त ऊपर-नीचे उछलती है। उसकी गांड को देखकर मेरा लंड हर बार सलामी देने लगता है। मेरी बीवी कुसुम, 29 साल की, खूबसूरत है, लेकिन गांड मारने में उसका मन कम ही लगता है, जिससे मेरी ये भूख और बढ़ जाती है।

अनिल और मैं बचपन के दोस्त हैं। हमारे घरों में आना-जाना लगा रहता है। अनिल की फैक्ट्री का काम उसे दिन-रात उलझाए रखता है। कई बार वो हफ्तों घर नहीं आता। एक रविवार की रात को मैं और कुसुम अनिल के घर गए। हम चारों गप्पें मार रहे थे, हंसी-मजाक चल रहा था। रात गहराने लगी थी। संगीता अचानक उठी और बोली, “महेश भैया, आप लोग बैठो, मैं चाय बनाकर लाती हूँ।” उसकी साड़ी में उसकी गांड का उभार देखकर मेरा लंड फिर तन गया। वो रसोई की तरफ चली गई, और उसकी गांड का हर कदम पर लचकना मुझे पागल कर रहा था। अनिल भी थोड़ी देर बाद बाथरूम चला गया।

रसोई से संगीता की आवाज आई, “अनिल, जरा अंदर आकर ऊपर से शक्कर का डब्बा उतार दो!” लेकिन अनिल बाथरूम में था, तो मैंने सोचा मौका अच्छा है। मैं रसोई में चला गया। संगीता एक स्टूल पर चढ़कर अलमारी की ऊपरी शेल्फ तक पहुंचने की कोशिश कर रही थी। उसकी साड़ी थोड़ी ऊपर उठी थी, और उसकी गोरी, चिकनी जांघें साफ दिख रही थीं। वो मुझे देखकर हल्का सा मुस्कुराई। मैंने कहा, “रहने दो भाभी, मैं उतार देता हूँ।” मैंने स्टूल पर चढ़कर डब्बा उतारने की कोशिश की, लेकिन तभी संगीता का पैर फिसला। वो एकदम मेरी बाहों में आ गिरी।

उसके नरम, भारी बूब्स मेरे सीने से टकराए, और उसकी मोटी गांड मेरे लंड से जा लगी। मेरा लंड तो पहले ही तना हुआ था, अब और सख्त हो गया। मैंने मौका देखकर उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांड पर हाथ फेरा और एक उंगली उसकी गांड की दरार में डाल दी। वो चौंकी, लेकिन फिर हंसते हुए बोली, “अरे महेश भैया, अगर उंगली ही डालनी है तो ढंग से डालो ना, मजा तो आए!” मैं हैरान रह गया। उसने साड़ी को और ऊपर उठाया और अपनी गांड मेरे सामने कर दी।

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मैंने बिना वक्त गंवाए उसकी गांड में एक उंगली धीरे से डाली। वो सिसकारी, “उईईई… आह्ह्ह… थोड़ा धीरे!” लेकिन उसकी आंखों में शरारत थी। मैंने उंगली को और अंदर-बाहर किया, और वो “आह्ह… ओह्ह…” करके सिसकने लगी। तभी अनिल की बाथरूम से आने की आहट हुई। हम दोनों जल्दी से अलग हुए। संगीता ने साड़ी ठीक की, और मैं बाहर आकर चाय पीने लगा। हम एक-दूसरे को देखकर चुपके से मुस्कुरा रहे थे। मुझे समझ आ गया था कि संगीता तैयार है।

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दो महीने बाद, मेरी किस्मत ने साथ दिया। कुसुम सर्दियों की छुट्टियों में कोटा अपनी मायके चली गई। मेरी मम्मी भी कुछ दिन के लिए रिश्तेदारों के यहाँ गई थीं। उसी दिन अनिल का फोन आया, “यार महेश, आज रात अंडाकरी खाते हैं। संगीता शाम को तेरे घर सब्जी बना देगी। तू ऑफिस जाने से पहले चाबी उसे दे दे।” मैंने हामी भर दी।

शाम चार बजे संगीता मेरे घर आई। उसने नीली साड़ी पहनी थी, जो उसके गोरे बदन पर चमक रही थी। मैं 4:15 बजे ऑफिस से लौटा। उसे देखकर वो फिर मुस्कुराई। उसकी मुस्कान में कुछ नशा था। उसने कहा, “अनिल का फोन आया था। वो आज देर से आएगा। बोला कि तुम और मैं खाना खा लें, उसका इंतजार न करें।” मैंने मन ही मन सोचा, आज तो मौका है। संगीता के बच्चे भी छुट्टियों में नानी के घर गए थे। वो बोली, “महेश भैया, मैं नहाकर खाना बनाती हूँ। तुम्हारा बाथरूम इस्तेमाल कर लूं?” मैंने हाँ कहा।

वो बाथरूम चली गई। मैंने मौका देखकर टीवी पर सीडी प्लेयर में एक ब्लू फिल्म लगा दी। स्क्रीन पर एक औरत जोर-जोर से चुदाई करवा रही थी, और उसकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैं सोफे पर बैठकर फिल्म देखने लगा। मेरा लंड पैंट में तन गया। थोड़ी देर बाद संगीता नहाकर बाहर आई। उसने एक पतला, गुलाबी गाउन पहना था, जो लगभग पारदर्शी था। उसके निप्पल और जांघें साफ दिख रही थीं। वो मेरी तरफ देखकर बोली, “उफ्फ, बड़ी गर्मी है ना? इसलिए ये पहन लिया।”

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मैंने कहा, “भाभी, तुम तो 18 साल की लड़की लग रही हो।” वो हंसी और मेरे पास बैठ गई। स्क्रीन पर फिल्म चल रही थी। वो उसे देखकर बोली, “ये क्या देख रहे हो?” मैंने कहा, “बस, टाइमपास।” वो हंसते हुए बोली, “अच्छा टाइमपास है!” फिर वो मेरे और करीब आई। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी गोद में खींच लिया। वो बोली, “अरे, ये क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “वही जो तू चाहती है।”

मैंने उसका गाउन धीरे-धीरे ऊपर उठाया। उसकी गोरी, चिकनी जांघें मेरे सामने थीं। मैंने उसकी जांघों पर हाथ फेरा, और वो सिसकने लगी, “उम्म… आह्ह…” मैंने उसकी पैंटी नीचे खींची। उसकी चूत गीली थी, और उसकी खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसकी चूत पर जीभ फेरी। वो जोर से सिसकारी, “आह्ह्ह… महेश… उईईई… क्या कर रहे हो!” मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, जीभ को अंदर-बाहर करने लगा। वो पागलों की तरह सिसक रही थी, “ओह्ह… उफ्फ… और करो… आह्ह्ह!”

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मैंने उसे किचन में ले जाकर काउंटर पर बिठाया। उसका गाउन अब पूरी तरह उतर चुका था। मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए। मेरा 6 इंच का लंड तना हुआ था। संगीता ने उसे देखा और बोली, “हाय राम, इतना मोटा! मेरी तो जान निकाल देगा!” मैंने हंसते हुए कहा, “देखते हैं कितनी जान है तुझमें।” मैंने किचन में रखी तेल की बोतल उठाई और अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया। फिर मैंने संगीता को घोड़ी बनाया। उसकी मोटी, गोरी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और अपनी उंगली अंदर डाली। वो चिल्लाई, “उईईई… धीरे… आह्ह!”

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मैंने उसकी गांड को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उसकी गांड की दरार में घूम रही थी। वो सिसक रही थी, “आह्ह… महेश… उफ्फ… ये क्या कर रहे हो!” मैंने उसकी गांड में दो उंगलियां डालीं और अंदर-बाहर करने लगा। वो जोर-जोर से सिसक रही थी, “उईई… ओह्ह… और करो!” मैंने अपना लंड उसकी गांड के मुंह पर रखा। वो बोली, “नहीं, मेरी गांड फट जाएगी!” मैंने कहा, “सब्र कर, मजा आएगा।” मैंने धीरे से धक्का मारा। मेरा लंड का सुपारा उसकी गांड में घुस गया। वो चिल्लाई, “आह्ह्ह… माँ… मर गई!”

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मैंने धीरे-धीरे और धक्के मारे। हर धक्के के साथ मेरा लंड उसकी गांड में और अंदर जाता। वो चिल्ला रही थी, “उईईई… धीरे… मादरचोद… मेरी गांड फाड़ दी!” लेकिन उसकी सिसकारियों में मजा भी था। मैंने पूरा लंड अंदर डाल दिया। “पच… पच…” की आवाजें आने लगीं। मैंने उसकी चूत में भी दो उंगलियां डाल दीं और उसे चोदने लगा। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… ओह्ह… और जोर से… फाड़ दो मेरी गांड!” मैंने स्पीड बढ़ा दी। उसकी गांड हर धक्के के साथ हिल रही थी।

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो बोली, “अब मेरी बारी।” उसने मुझे काउंटर पर बिठाया और मेरे लंड को मुंह में ले लिया। वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी, “चप… चप…” की आवाजें गूंज रही थीं। वो मेरे लंड को गले तक ले जा रही थी। मैं सिसक रहा था, “आह्ह… संगीता… उफ्फ… और चूस!” उसने मेरे टट्टों को भी चाटा। मैंने उसका सिर पकड़कर और जोर से चोदा। आखिरकार मैं झड़ गया। उसने मेरा सारा वीर्य निगल लिया।

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थोड़ी देर बाद वो फिर मेरे लंड को चूसने लगी। मेरा लंड फिर तन गया। इस बार मैंने उसे काउंटर पर लिटाया और उसकी चूत में लंड डाल दिया। वो चिल्लाई, “आह्ह… उईई… कितना मोटा है!” मैंने जोर-जोर से धक्के मारे। “पच… पच…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। वो सिसक रही थी, “आह्ह… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत!” मैंने उसकी चूत को आधे घंटे तक चोदा। आखिरकार हम दोनों एक साथ झड़ गए।

दोस्तों, ये थी मेरी और संगीता भाभी की चुदाई की कहानी। आपको ये कहानी कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताएं।

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