भाभी के साथ अफेयर-7

Balcony risky sex story – Cum on face sex story: दोपहर की बिना कंडोम वाली चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही लिपटकर लेटे थे। भाभी मेरी छाती पर सिर रखे फुसफुसाईं, “यार, इतने साल बाद किसी का गर्म माल अपनी चूत के अंदर महसूस किया है… आज फिर से औरत होने का एहसास हुआ।” मैंने हँसते हुए कहा, “मैं तो पहले से कह रहा था बिना कंडोम के ही करते हैं, तुम ही डरती थीं।” वो शरमाते हुए बोलीं, “अब नहीं डरूँगी… जो होगा सो होगा, पर अब चुदाई सिर्फ़ नंगा लण्ड ही लेगी।”

कहानी का पिछला भाग: भाभी के साथ अफेयर-6

थोड़ी देर बाद मैं वॉशरूम जा रहा था तो भाभी ने मेरी पीठ पर अपने नाखूनों के लाल-लाल निशान देखे। वो पीछे-पीछे आईं, मुझे कसके गले लगाया और उन निशानों पर किस करने लगीं। फिर बोलीं, “तुमने रोका क्यों नहीं? बहुत जोर से खरोंच दिए मैंने।” मैंने मुस्कुराकर कहा, “औरत को इस तरह चीखते-झड़ते देखकर मर्द अपना दर्द भूल जाता है… ये निशान मेरे लिए मेडल हैं।”

भाभी ने हँसकर मुझे किस किया, अपनी चूत अच्छे से धोई और हमने कपड़े पहन लिए। मैं नीचे वॉक पर गया, एक सिगरेट का पैकेट लिया और दो सिगरेट फूँककर लौटा। भाभी को मुँह से स्मेल आई तो पहले तो डाँटा, फिर मैंने समझाया कि रोज नहीं पीता, बस कभी-कभी थकान में। वो मान गईं।

फिर हम बालकनी में बैठकर चाय पीने लगे। चाय खत्म हुई तो मैं कप रखने किचन गया। लौटा तो देखा भाभी ने मेरी ही सिगरेट जला ली थी और पहला कश लेकर खाँस रही थीं। मैंने हँसते हुए पानी पिलाया और पीठ थपथपाई। वो बोलीं, “बस ट्राई करना था… मैं भी तो थक गई हूँ ना।” मैंने उन्हें गोद में खींचा और होंठ चूसते हुए कहा, “यहाँ नहीं करना तो अंदर चल।” वो बोलीं, “नहीं यार, कोई देख लेगा।”

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मैंने हाथ पकड़ा, ज़मीन पर बैठ गया और उन्हें अपनी गोद में बिठा लिया। बोला, “अब कोई नहीं देख सकता।” फिर शुरू हो गया – लंबा स्मूच, एक हाथ से बूब्स मसल रहा था, दूसरा गांड के अंदर घुसा हुआ था। भाभी ने मेरी टी-शर्ट उछालकर बेडरूम में फेंक दी। मैंने उनकी नाइटी ऊपर से खींचकर उतार दी – अंदर कुछ नहीं था, बिल्कुल नंगी। वो मेरी गोद में नंगी बैठी थीं, मैं उनके बूब्स चूस रहा था और वो अपनी गांड मेरे लण्ड पर रगड़ रही थीं।

फिर भाभी ने नाइटी मेरे पैरों के बीच बिछाई, घुटनों पर बैठीं और मेरी शॉर्ट्स-अंडरवियर नीचे खींच दी। अब मैं बालकनी की दीवार से टेक लगाकर ज़मीन पर नंगा बैठा था और भाभी मेरे पैरों के बीच नंगी बैठकर लण्ड चूस रही थीं। मैंने बाल पकड़े और उनका मुँह चोदने लगा – ग्ग्ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग्ग्ग… गी… गी… उनका थूक लण्ड से टपक रहा था।

कुछ देर बाद मैंने बालों से खींचकर ऊपर किया और बोला, “अब बैठो।” भाभी ने चूत को लण्ड पर रगड़ी और धीरे से बैठ गईं। पूरा लण्ड एक झटके में अंदर। वो मेरे बाल पकड़कर मुझे चूमने लगीं। मैंने उनकी कमर पकड़कर गोद में ही उछालना शुरू कर दिया। नीचे गली में लोग आ-जा रहे थे, किसी ने ऊपर देखा तो हम पकड़े जाते, पर हमें परवाह नहीं थी। दस मिनट बाद मैं झड़ने वाला था तो उन्हें नीचे लिटाया और चेहरे, होंठों, गालों पर अपना पूरा माल उड़ेल दिया।

भाभी पहली बार अपने चेहरे पर गर्म वीर्य महसूस कर रही थीं। वो हैरान-खुश मुस्कुराते हुए बोलीं, “ये क्या था?” मैंने कहा, “तुम मेरे माल से सनी हुई कितनी प्यारी लग रही हो।” वो हँसकर उठने लगीं कि मुँह धोने जाएँगी। मैंने उंगलियों से चेहरा साफ किया और उंगलियाँ उनके मुँह में दे दी। पहले मना किया, फिर मैंने कहा, “आज मेरा आखिरी दिन है, इतना भी नहीं करोगी?”

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भाभी ने मेरी आँखों में देखा और चुपचाप सारी उंगलियाँ चाटकर मेरा पूरा माल निगल गईं। फिर मैंने उन्हें कसके किस किया और गांड पर थप्पड़ मारकर बोला, “गंदी साली… कुछ दिन पहले तक सोच भी नहीं सकता था कि तुम ऐसा करोगी।” वो मुझे धक्का देकर लिटा कर ऊपर चढ़ गईं, होंठ काटते हुए बोलीं, “हाँ बेटा, ये सब तेरी ही करामात है… तूने ही मुझे ये गंदी-गंदी बातें सिखाई हैं।”

शाम को भैया आए तो बताया कि आज रात उन्हें नाइट शिफ्ट पर जाना है। मैं और भाभी मन ही मन मुस्कुरा दिए – पूरी रात हमारे पास थी।

अगली कहानी अगले पार्ट में – जब भैया के जाते ही भाभी ने मुझे बेड पर बाँधकर सारी रात चुदवाती रहीं।

कहानी का अगला भाग: भाभी के साथ अफेयर-8

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