भाभी के साथ अफेयर-5

Terrace xxx sex story – Rooftop naked sex story – Khule me chudai sex story: दोपहर की लंबी चुदाई के बाद जब शाम को बच्चा घर लौटा तो मैं कपड़े पहनकर बाहर निकला और उसके साथ खेलने-मस्ती करने लगा। रात आठ बजे भैया भी ऑफिस से आ गए। हम तीनों सोफे पर बैठे बातें कर रहे थे, भैया मुझसे पूछ रहे थे कि दिन भर क्या किया, कहीं घूमने गया या नहीं, भाभी की कोई मदद की या नहीं। मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था क्योंकि दिन भर तो भाभी को ही “मदद” करता रहा था।

कहानी का पिछला भाग: भाभी के साथ अफेयर-4

इतने में भाभी अंदर के कमरे में झाड़ू-पोंछा लगा रही थीं। जब वो झुकतीं तो उनका ढीला-सा टॉप नीचे लटक जाता और गहरा क्लिवेज साफ नज़र आता। भाभी को पता चल गया कि मैं चुपके-चुपके देख रहा हूँ, तो वो जानबूझकर और शरारत करने लगीं – कभी अपने निप्पल्स पर खुद ही चुटकी काटतीं, कभी बूब्स को हल्के से दबाकर मुझे तड़पातीं, कभी आँख मारतीं, कभी हवा में फ्लाइंग किस भेजतीं। सोफे पर बैठे-बैठे मेरा लण्ड पत्थर सा हो गया।

जैसे ही भैया टॉयलेट गए, मैं फुर्ती से उठा और भाभी के पीछे पहुँच गया। उन्हें पीछे से कसके जकड़ लिया, खड़ा लण्ड उनकी गांड की दरार में दबा दिया, दोनों हाथ आगे से उनके बूब्स मसलने लगे और गर्दन पर किस करने लगा। बालकनी का दरवाज़ा खुला था, मुझे ख्याल ही नहीं रहा। भाभी ने घबराकर मुझे धक्का दिया और फुसफुसाईं, “पागल हो गए हो? भैया ने देख लिया तो दोनों को घर से निकाल देंगे।” मैंने कहा, “सब तुम्हारी गलती है, तुमने ही मुझे उकसाया।” वो हँस पड़ीं, सॉरी बोला और एक लंबा, गीला किस कर दिया। मैं फिर से गांड दबाने ही वाला था कि फ्लश की आवाज़ आई, मैं तुरंत भाग गया।

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रात का खाना खाकर मैंने भैया से कहा, “भैया, मैं भाभी को वॉक पर ले जाऊँ?” भैया ने बिना सोचे कहा, “जाओ, चाबी लेते जाना, मैं सोने जा रहा हूँ।” मेरी तो लॉटरी लग गई। भाभी सब समझ गईं, शरमाते हुए बोलीं, “ठीक है, मैं दो मिनट में तैयार होकर आती हूँ।” दो मिनट बाद वो वही नाइटी में निकलीं। भैया ने हैरानी से पूछा, “इसी में तैयार हुई?” भाभी ने मुझे आँख मारी और बोलीं, “बस हल्का-सा मेकअप किया था।” हम दोनों हँसते हुए घर से निकल पड़े।

सीढ़ियाँ उतरते वक्त भाभी मेरे कान में फुसफुसाईं, “तुम्हारा इरादा समझ गई हूँ, पर तुम नहीं समझे कि मैं तैयार होने क्यों गई थी।” मैंने नाइटी पीछे से उठाई तो दिल की धड़कन रुक गई – ना पैंटी, ना ब्रा, बिल्कुल नंगी थीं नीचे। भाभी ने हँसते हुए दो बटन खोलकर अपने भारी बूब्स भी दिखा दिए। मैंने धीमी आवाज़ में कहा, “बेहेंचोद, संस्कारी भाभी से सीधी रंडी बन गई हो।” वो शरमाते हुए बोलीं, “सब तेरी वजह से है बदमाश, तूने ही मुझे फिर से जवान और हवसी बना दिया।” मैंने कहा, “नीचे नहीं जाते, सीधे छत पर चलते हैं।” भाभी की आँखें चमक उठीं, वो तुरंत राज़ी हो गईं।

छत पर घुप्प अंधेरा था, सिर्फ दूर की सड़क की हल्की लाइटें दिख रही थीं। हमने एक चक्कर लगाकर पक्का कर लिया कि कोई नहीं है। जैसे ही पक्का हुआ, भाभी मुझसे लिपट गईं और पागलों की तरह किस करने लगीं। कुछ ही पलों में उनका हाथ मेरे शॉर्ट्स में घुस गया, लण्ड पकड़कर हिलाते हुए बोलीं, “इसी इरादे से लाए थे ना मुझे यहाँ?” मैंने कहा, “इरादा तो अभी बहुत कुछ है।” वो हँसकर बोलीं, “सब मिलेगा मेरी जान।”

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मैंने शॉर्ट्स नीचे सरका दी और भाभी को घुटनों पर बिठाकर लण्ड उनके मुँह में ठूँस दिया। इस बार वो पूरा गले तक लेने की कोशिश कर रही थीं। मैंने बाल पकड़े और धीरे-धीरे उनका मुँह चोदने लगा। उनका थूक लण्ड पर लटक रहा था। फिर वो नीचे झुकीं और गोटे चूसने लगीं। कल तक जो भाभी लण्ड चूसकर मुँह धो लेती थीं, आज वो मेरे गोटे चाट रही थीं – मैं हैरान और खुश दोनों था।

मैंने उन्हें खड़ा किया तो वो मुझे दीवार से सटा कर अपना थूक-भरा मुँह मेरे मुँह पर रख दिया। मैंने उन्हें गोद में उठाया, गांड पर ज़ोरदार थप्पड़ मारा और बोला, “आज तुम्हारी चूत भी चाटूँगा।” वो बोलीं, “चाट ना, आज तो नदी बहा दूँगी।” मैं उन्हें गोद में लिए ही छत के किनारे ले गया और दीवार पर टिका दिया। भाभी घबरा कर बोलीं, “कोई देख लेगा!” मैंने कहा, “आज यहीं चाटूँगा।” नाइटी के नीचे से घुसकर चूत चाटने लगा। ठंडी हवा चल रही थी, भाभी नीचे सड़क देखते हुए सिसकियाँ ले रही थीं और मैं पीछे से गांड मसलते हुए चूत चाट रहा था। दस मिनट में भाभी दो बार मेरे मुँह पर झड़ गईं – पूरा रस मेरे होंठों-ठुड्डी पर।

फिर मैं बाहर निकला और एक झटके में उनकी नाइटी उतार दी। भाभी पूरी नंगी, घबराकर बोलीं, “पागल हो गए हो? कोई देख लेगा!” मैंने हँसकर कहा, “तुम्हें तो किनारे पर ही ज़्यादा मज़ा आया ना, दो बार झड़ीं?” वो शरमाते हुए वो नंगी ही छत के बीच में भागीं। मैं उनकी नाइटी लेकर पीछे-पीछे गया। वहाँ पहुँचते ही भाभी ने मेरी टी-शर्ट उतारी और मुझे कसके लिपटा लिया। अब हम दोनों खुले आसमान के नीचे, ठंडी हवा में पूरी तरह नंगे थे।

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थोड़ी देर और किस करने के बाद मैंने नाइटी ज़मीन पर बिछाई, जेब से कंडोम निकाला और लण्ड पर चढ़ा लिया। भाभी नाइटी पर लेटकर तांगे फैलाए तैयार थीं। मैंने उनकी तांगे कंधों पर रखीं, लण्ड को चूत पर रगड़ा और एक झटके में पूरा अंदर धकेल दिया। भाभी की चीख निकलते ही मैंने होंठों पर होंठ रख दिए ताकि आवाज़ दब जाए। दस मिनट ज़ोरदार धक्कों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैं उनके बदन पर गिर पड़ा, पसीने और ठंडी हवा में दोनों मिलकर काँप रहे थे।

फिर कंडोम उतारा, भाभी ने उसे ले लिया। हमने जल्दी से कपड़े पहने, घर से थोड़ी दूर जाकर कंडोम कचरे में फेंका और लौट आए। घर पहुँचकर भाभी ने मुझे आखिरी लंबा, गीला किस दिया और बिना मुँह धोए, मेरे थूक और अपने रस से भरा मुँह लिए भैया के बगल में जा सोईं।

अगली कहानी अगले पार्ट में।

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