हाय फ्रेंड्स, मेरा नाम है रोहन, कद 5’10″, बॉडी से एकदम मजबूत और फिट। बात तब की है जब मैं स्कूल में पढ़ता था, उम्र होगी यही कोई 18 साल, तब तक मुझे इन सब चीजों का इतना पता नहीं था। मैं पंजाब के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूँ। एक दिन मुझे किसी काम से अपने पड़ोस में जाना पड़ा। जब मैं उनकी सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ ऊपर पहुँचा तो मैंने उन्हें पुकारा पर कोई आवाज नहीं आई, घर काफी बड़ा था। मैं अंदर चला गया कि शायद अंदर कोई होगा। Desi Big Ass Bhabhi
अंदर गया तो देखा कि एक खिड़की से कुछ अजीब ही नजारा देखने को मिला। कमरे में भाभी घोड़ी बनी हुई थी और उनका पति अपने 6″ के लोडे से उन्हें धीरे-धीरे चोद रहा था। ये दोपहर की बात है, टाइम होगा कोई 2:15 का, मैंने ये काम पहली बार देखा था। मैं वहाँ से चलने को हुआ पर मन किया एक बार और देख लूँ। मैं खिड़की के पास खड़ा होकर देखने लगा। भाभी ही बहुत सुंदर हैं और उनका शरीर तो ऐसा है कि देखने वाला एक मिनट में पानी छोड़ दे।
जब वो पानी लेने या किसी और काम से घर से बाहर निकलती हैं तो गली के सभी लड़के और आदमी उसी को देखते हैं। उनकी विशेषता उनके चूतड़ हैं, उनकी चूचियाँ न तो ज्यादा मोटी हैं और न ही ज्यादा छोटी हैं। तो मैंने देखा कि भैया ने लंड बाहर निकाल लिया था और कुछ बोल रहे थे। मैंने ध्यान से सुना, भाभी कह रही थीं, “मैंने आपको इतनी बार कह लिया, आप सुन लिया करो कभी।”
तो भैया बोले कि नहीं, वो मुझसे नहीं होगा और वो गलत भी है। भाभी को गुस्सा आ गया, बोलीं, “इसमें क्या गलत है, मैं क्या किसी और से कह रही हूँ कि अपना ये लोडा मेरे चूतड़ों में भी डाल दिया कर। जब मेरा मन करता है गांड में लंड डलवाने का तो मैं तो तेरे ते ही कहूँगी न।” भैया को भी गुस्सा आ गया और उन्होंने बिना पानी छोड़े ही कपड़े पहन लिए। मुझे लगा अब मुझे कुछ आवाज करनी चाहिए ताकि उन्हें लगे कि मैं अभी आया हूँ।
मैं वापस गेट पर गया और आवाज लगाई, “भाभी जी!” अंदर से आवाज आई, “अभी आती हूँ।” भाभी ने काला सूट पहना हुआ था और पटियाला सलवार में उनकी गांड अलग ही दिख रही थी। मेरा मन किया कि अभी उन्हें घोड़ी बनाकर उनकी इच्छा पूरी कर दूँ। मैं उन्हें बताना चाहता था कि मैं उनकी गांड का ही दीवाना हूँ। मैंने उन्हें वो काम बताया जो मम्मी ने मुझे बोला था और मैं चला गया।
उसके बाद पूरा दिन मेरी आँखों के सामने हरप्रीत भाभी के गोरे-गोरे बड़े चूतड़ घूम रहे थे। मेरा लंड इस बात को सोचकर ही खड़ा हो जाता था कि उन्हें गांड मरवानी है और कोई मार नहीं रहा है। मैंने सोच लिया कि मैं ट्राई जरूर करूँगा और मैं तलाश में रहने लगा कि कब मौका मिले। संयोग से उसी दिन रात को करीब 1:00 बजे मैं पेशाब के लिए उठा। उनका पूरा आँगन हमारे घर की छत से साफ-साफ दिखता है। मैंने देखा वो सीढ़ियों से नीचे आ रही हैं, मैं चुपकर देखने लगा।
उन्होंने आँगन में आकर इधर-उधर देखा और अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर पेशाब करने बैठ गईं। मेरा लोडा तो बेकाबू हो रहा था, मैं चाहता था कि वो एक बार मुझे देख लें। मैं उसे देखता रहा, तभी मैं जानबूझकर रोशनी में आ गया ताकि उसे पता चल जाए कि मैं उसके नंगे चूतड़ देख रहा हूँ। उसने मुझे देखा और जल्दी से उठ गई, नाड़ा बाँधते हुए उसने मेरी तरफ देखा।
और एक बार ऊपर देखकर फिर मुझे देखने लगी। मैंने ऐसा शो किया जैसे मेरा ध्यान उसकी तरफ नहीं है, मेरा लंड 9″ का और 3″ मोटा हो गया था। मैंने जानबूझकर खड़े-खड़े ही लंड बाहर निकाला और पेशाब करने की एक्टिंग करने लगा। मैं लाइट में खड़ा था और मुझे पता था कि वो मेरा लोडा देख रही है। मैं उसे कनखियों से देख रहा था, फिर उसने दूसरी तरफ मुँह करके और गांड मेरी तरफ करके दोबारा नाड़ा खोल दिया और हल्के से खाँसते हुए बैठ गई।
मैं ध्यान से उसे देखने लगा, उसके चूतड़ों की चौड़ाई देखकर मैं वहीं खड़ा-खड़ा मुठ मारने लगा। मेरे बदन में आग लगी हुई थी, मैं जोर-जोर से मुठ मार रहा था। तभी वो आगे की ओर झुकती हुई खड़ी हो गई, अभी तक उसकी सलवार नीचे ही थी। मैं मस्ती में लंड को आगे-पीछे कर रहा था। अचानक उसने मुझे देख लिया और ऐसा नाटक किया कि उसने मुझे अभी देखा है। तब उसने इत्मीनान से अपनी सलवार का नाड़ा बाँध लिया।
आँगन को पार करके एक कमरा है जिसमें उनका जानवरों का कुछ भूसा और अनाज रखा रहता है। उस कमरे के दरवाजे पर पहुँचकर वो खड़ी हो गई और मेरी ओर देखने लगी। अबकी बार मैं भी उसी को देख रहा था, मेरा मन वहाँ जाने को कर रहा था पर हिम्मत नहीं हो रही थी। वो अंदर चली गई, मैं वहीं खड़ा रहा, उसने अंदर का बल्ब बंद कर दिया। मैंने सोचा, अभी नहीं गया तो फिर कभी नहीं जा पाऊँगा और मैं नीचे आ गया।
अब मुझे उनके और अपने घर की दीवार फाँदनी थी, मैंने इधर-उधर देखा और दीवार पे चढ़कर उनकी साइड में धीरे से उतर गया। मैं बड़ी सावधानी से चलता हुआ कमरे तक पहुँचा, फिर हिम्मत करके अंदर घुस गया। वो दरवाजे के पास ही खड़ी थी, मेरे अंदर जाते ही उसने दरवाजा धीरे से अंदर से बंद कर लिया। फिर उसने मुझे पकड़ लिया और तेज-तेज साँसें लेते हुए धीरे से कहा कि “क्या देख रहे थे?” मैंने हिम्मत करके जवाब दिया, “आप दुनिया की सबसे सेक्सी औरत हो।”
जिसे मैंने देखा, अंधेरा होने के कारण वो बिना किसी झिझक के बोल रही थी, “क्यों, मुझमें ऐसा क्या है?” मैंने कहा, “आप की पिछली साइड ने मुझे दीवाना बना दिया है, जब आप चलती हो तो मन करता है कि मैं…” कहते-कहते रुक गया। उसने कहा, “रुको मत और न ही शरमाओ, साफ-साफ कहो क्या कह रहे थे तुम।” मैंने कहा, “मुझे आपकी गांड बहुत अच्छी लगती है।” वो बोली, “अब तो तुमने इसे नंगा देख लिया है, अब क्या चाहते हो?”
मैंने थोड़ा अटकते हुए कहा, “मैं इसे छूना चाहता हूँ।” उसने झट से मेरा हाथ पकड़कर अपने पीछे लगा लिया, तब मुझे पता चला उसने अंधेरे में सलवार उतार दी थी। और उसका बदन बहुत ज्यादा गर्म लग रहा था। मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था, अब तो उसे काबू करना मेरे बस से बाहर हो गया। उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया और उसे जोर से मसलते हुए बोली, “मुझे गांड मरवाना बहुत ज्यादा पसंद है पर तुम्हारा लंड देखकर अब मुझसे रहा नहीं जा रहा।”
वो नीचे बैठ गई और मेरा 9″ का लंड मुँह में लेकर चूसने लगी, फिर उसने थोड़ा रुकते हुए बताया कि शादी से पहले कैसे उसके चाचा ने केवल उसकी गांड की चुदाई ही इतनी बार की है कि तब से उसे केवल गांड मरवाने का ही मन करता रहता है, पर ये तो उनकी सुनते ही नहीं हैं। हरप्रीत भाभी मेरा लंड चूस रही थी, मैंने कहा, “लाइट जला देता हूँ।” उसने पहले तो मना किया पर फिर कुछ सोचते हुए खुद ही लाइट जला दी, उसका बदन लाइट से जगमगा उठा था।
उसका मुँह दीवार की तरफ था और गांड बाहर की तरफ निकली हुई मुझे बुला रही थी। मैं तो एकदम बावला हो गया, मैंने कहा, “तेरे चूतड़ देखकर तो मेरा लंड ऐसे ही पानी छोड़ने वाला है। जल्दी से कुछ लगाने का दे।” उसने पास की अलमारी से सरसों का थोड़ा तेल मेरे लंड पे और थोड़ा अपनी गांड पे लगा लिया।
अब रास्ता साफ था, मैंने उससे एक बार अपनी उस मस्त चाल में चलने को कहा। वो मेरे सामने अपनी कमर को मटकाती हुई चलने लगी, अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने दौड़कर उसे पकड़ लिया और अपना लंड उसके चूतड़ों के बीच में रगड़ने लगा, वो आहें भरने लगी।
मैंने उसे आगे झुका दिया और घोड़ी बनने को कहा। जैसे ही वो झुकी, उसकी चूत बाहर को निकल गई, उसके इस पोज को देखकर तो प्रोफेशनल रंडी भी शरमा जाए। अब रुकना मुश्किल था, मैंने अपना लंड उसके पीछे अड़ा दिया, तेल में चिकना होने के कारण लंड फिसलकर उसकी चूत में घुस गया। मुझे इतना अच्छा लगा कि जैसे स्वर्ग मिल गया हो।
उसने कहा, “बाहर निकालो और पहले मेरी गांड की खुजली मिटाओ, फिर चाहे जो कर लेना।” उसने मेरा लंड पकड़कर बाहर निकाला और अपने चूतड़ों के ठीक बीच में डाल लिया। अब उसने अपना सारा वजन लंड पे डाल दिया, जिससे मेरा लंबा लंड उसकी गांड में पूरा चला गया।
वो हाँफने लगी और बोली, “इतना मजा उसे कभी भी नहीं आया था।” अब उसने मुझसे कहा कि मैं उसे जितनी बुरी तरह से चोदना चाहूँ, चोद सकता हूँ। मैंने धक्के लगाने शुरू किए, फच-फच की आवाज आने लगी। मैं पूरा लंड निकालता, फिर अंदर डाल देता, मुझे ऐसा करने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था।
उसने अपनी आँखें बंद की हुई थीं और मजे में बड़बड़ा रही थी, “आज मेरे गोरे चूतड़ अपने लंड के पानी से पूरा ठोक दे हो मेरे देवर।” मैंने कहा, “भाभी, तेरे चूतड़ों में सारा माल छोड़ दूँगा।” उसने कहा, “जोर से चोद डाल, आज अपनी भूख मिटा ले, अब से रोज रात को मेरी गांड मार लिया कर।” अब मुझे लगा मेरा पानी निकलने वाला है, मैंने मशीन की तरह से चोदना शुरू कर दिया। उसने कहा, “अंदर ही भर दे।” मैंने उसे औंधे मुँह लेटा लिया और उसके ऊपर लेट गया।
मैंने उसे 20 मिनट तक जोर-जोर से चोदा, उसकी चूत से पानी बह रहा था। मेरा लंड जब पानी छोड़ने लगा तो मैंने उसे अंदर तक डाल दिया। जब मैं कुछ शांत हुआ तो मैंने लंड बाहर निकालना चाहा। उसने अपने चूतड़ों को भींच लिया और कहा कि “वादा करो, इतना ही मजा मुझे रोज या जब भी मैं कहूँगी, दोगे।” मैंने कहा, “हरप्रीत भाभी, मेरी तो लॉटरी निकल गई आपकी गांड मार के।”
फिर मैं उठा और सावधानी से बाहर निकल गया। ये सिलसिला कई दिनों तक चला और जितनी बार मैं उसे चोदता, उतना ही मेरा मन उसकी गांड मारने को करता था। तब मैं ढूंढता था कि कैसे उसकी नरम और गर्म गांड में अपना लंड डालकर हिलाऊँ और अपना उबलता हुआ पानी कैसे उसके चूतड़ों में उडेल दूँ। मेरे दिमाग पे वो ही छाई रहती थी। एक दिन उसने बताया कि वो लोग शहर में शिफ्ट हो रहे हैं।
और उसने कहा कि वो मुझे बहुत मिस करेगी, उसने कहा कि उसने आज तक मेरे लोडे जैसा लंड नहीं देखा है और उसने ये भी बताया कि जितना मन मेरा उसे चोदने का करता है, उससे कहीं ज्यादा उसका मन मुझसे चुदने का करता है। उस दिन उसने मुझसे अपनी चूत की भी खूब चुदाई कराई। अगले दिन वो लोग चले गए और मैं अकेला गांव में रह गया।
एक महीना बीत गया, एक दिन भैया गांव आए हुए थे। उन्होंने बताया कि सबको हमारे एक रिश्तेदार के यहाँ शादी में जाना पड़ेगा। और उसने मुझसे ट्रेन की टिकट कराने को कहा, मैंने इंटरनेट पे चेक किया और उन्हें फोन पे बताया कि एक भी टिकट नहीं मिल रही है। अब क्या किया जा सकता था, जानतो जरूरी है और लंबा सफर है।
उन्होंने कहा कि देखी जाएगी, हम सब जनरल डब्बे में ही चलेंगे और स्टेशन से ही टिकट ले लेंगे। जब मुझे पता चला हरप्रीत भी आ रही है तो मेरा मन खिल उठा। दो दिन बाद सब लोग स्टेशन पे पहुँच गए, 10 मिनट बाद ट्रेन आती हुई दिखाई दी। ट्रेन में इतनी भीड़ थी कि लोग छत पे भी बैठे हुए थे, भीड़ को देखकर सब घबराने लगे।
जब ट्रेन रुकी तो भैया ने कहा, “जिसको जहाँ जगह मिलती है, चढ़ जाए, अंदर जाकर सब एडजस्ट हो जाएंगे।” मैं इसी मौके की तलाश में था, जिस खिड़की से सब घरवाले चढ़ रहे थे, मैं और हरप्रीत उससे पिछले दरवाजे की तरफ चल पड़े और चढ़ने की कोशिश करने लगे। कई दिन से मैंने किसी को चोदा नहीं था और भाभी के एकदम पीछे सटकर खड़ा होने की वजह से मेरा लंड एकदम टाइट हो चुका था। उस खिड़की में कई औरतें भाभी से पहले चढ़ रही थीं।
किसी तरह हम भी चढ़ गए, भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हम से सीधा खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। हम अपने हाथ तक नीचे नहीं कर सकते थे। सर्दियों के दिन थे और मैं हरप्रीत भाभी से एकदम सटकर खड़ा था। मेरा लंड हरप्रीत के चूतड़ों की दरार में फंसा हुआ था, मुझे बहुत मीठी-मीठी गुदगुदी हो रही थी। और ये ट्रेन भी एक्सप्रेस थी, यहाँ से चलने के बाद दो घंटे तक कोई स्टेशन नहीं था। मेरा लंड पैंट में आगे की तरफ अड़ा होने की वजह से दुखने लगा था।
मैंने धीरे से हरप्रीत से कहा कि लंड दुखने लगा है, उसने हल्के से मेरे कान में कहा कि “मेरा सूट थोड़ा ऊपर करोगे तो रास्ता मिल सकता है।” मैं समझ गया कि वो क्या कह रही है, मैंने किसी तरह से अपना एक हाथ नीचे किया और अपनी पैंट की जिप खोलकर लंड बाहर निकाल दिया। मैंने चारों तरफ देखा तो सब अपने में मगन थे, किसी का ध्यान भी हमारी तरफ नहीं था।
अब मैंने हरप्रीत का सूट थोड़ा सा ऊपर किया और लंड चूतड़ों के बीच में डालकर खड़ा हो गया। जब मुझे ऐसे ही खड़े-खड़े 10 मिनट हो गए तो भाभी ने कहा, “सलवार नीचे से थोड़ी फटी हुई है, मैंने जानबूझकर फाड़ी थी और गांड में तेल भी लगा है, जल्दी से अंदर डाल दे, अब तड़पा मत अपनी गोरी गांड को।”
मैं खुश हो गया और इधर-उधर देखते हुए लंड को उसकी सलवार के छेद में डालने की कोशिश करने लगा। एक मिनट बाद लंड उसकी नंगी गांड के छेद पे रखा हुआ था। उसने कहा कि “अब डाल भी दे मेरे राजा, इसे मेरे अंदर।”
अब मैं हल्का सा आगे हुआ और वो पीछे धक्का दे रही थी, तेल की चिकनाई के कारण पूरा लोडा उसके चूतड़ों में सरसराते हुए घुस गया। उसने कहा, “मुझे जोर से पकड़कर खड़े हो जाओ, मेरा पानी निकलने वाला है।” मैंने कहा, “थोड़ा कंट्रोल करो मेरी जान।” मेरा पूरा लंड उसकी गांड के अंदर था और उसके नरम-नरम चूतड़ मेरी जांघों को रगड़ रहे थे। उसका इस तरह से चुदना मुझे और गर्म कर रहा था, मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा था।
और मैंने उसे धीरे-धीरे चोदना जारी रखा। तभी एक लड़की, जिसकी उम्र कोई 26 की होगी और उसका फिगर लगभग हरप्रीत जैसा ही था, मेरे पीछे सटकर खड़ी हो गई और धीरे से मेरे कान में बोली, “चोर, बहुत मजे ले रया से।” उसकी चूची मेरी पीठ से लगी थी और वो काफी देर से हमारी चुदाई देख रही थी। उसने कहा, “अब बहुत हुआ, एक बार अपना लंड पूरा बाहर निकाल ले ताकि मैं उसे देख सकूँ।”
उसने ये भी बताया कि हरप्रीत की गांड भी उसकी गांड जैसी ही है और इसके बड़े होने का राज बड़े-बड़े लोडे खाना ही है। उसने मेरे कुछ समझने से पहले ही मेरा लोडा हरप्रीत की गांड से बाहर खींचना चाहा और जगह न होने की वजह से हरप्रीत की गांड भी साथ ही आ रही थी।
उसने कहा, “उसे बहुत चोद चुके हो, अब मुझे चोदो, मेरी चूत और गांड को फाड़ डालो।” मैंने देखा वो बहुत सुंदर और सेक्सी लड़की थी, मैंने कुछ सोचते हुए कहा, “ठीक है, तुम मेरे आगे आ जाओ।” और मैंने हरप्रीत से कहा कि वो थोड़ी देर मेरी साइड में आने की कोशिश करे, तो वो मान गई।
और काफी मशक्कत के बाद वो अजनबी लड़की, जिसका मैं नाम तक नहीं जानता था, मेरे आगे आकर खड़ी हो गई। मैंने अपना लंड, जो अभी भी तेल के कारण चिकना था, उसके चूतड़ों में डालने की कोशिश शुरू कर दी। उसने कहा, “सलवार को थोड़ा सा फाड़ना पड़ेगा।” साथ ही खड़ी हरप्रीत ने ये काम कर दिया।
दो मिनट बाद मेरा लंड पूरा उसकी गांड में था। उसने बताया कि उसकी सारी थकान मिट गई है और उसका मन जोर-जोर से चुदने का हो रहा था। संयोग से वो भी वहीं जा रही थी जहाँ हम जा रहे थे, उसने अपना नाम पम्मी बताया और आगे-पीछे होने लगी।
थोड़ी देर बाद उसने कहा कि “मेरी चूत को अगर चोद दो तो मजा आ जाए।” मैंने कहा, “लंड तुम्हारे ही एक छेद में है, उसे खुद दूसरे में डाल लो।” उसने करने की कोशिश की पर उसकी हाइट मुझसे कम होने के कारण लंड चूत में जा नहीं रहा था।
उसकी इस रगड़ाई के कारण मेरा पानी छूटने वाला था, मैंने उसे कहा कि “अपनी गांड में जल्दी से डाल लो, मैं छोड़ने वाला हूँ।” उसने अपने नरम हाथ से मेरी मुठ मारी और जब निकलने लगा तो अपनी गांड में अंदर डाल लिया। मेरा बहुत ज्यादा माल निकला और उसके चूतड़ों से होता हुआ सलवार को गीला करने लगा। उसने कहा, “मैं ये सारा माल अपनी चूत में चाहती हूँ।” मैंने उसका फोन नंबर लिया और अपना उसे दे दिया।
तब तक स्टेशन आ गया था, भाभी ने अपने कपड़े ठीक किए और हम उतरने लगे। बार-बार मेरा लंड हरप्रीत को छू रहा था, फिर से खड़ा हो गया। हम किसी तरह शादी में पहुँचे और प्रोग्राम अटेंड किया। उस रात मैंने भाभी को उसी की खाट पर तीन बार बुरी तरह से चोदा और तीनों बार पानी उसकी चूत में छोड़ा।
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