कहानी का पिछला भाग: बेटियों की अदला बदली-2
पिछली बार की घटना मेरे दिमाग में बार-बार घूम रही थी। सोना का नंगा शरीर, उसकी चूत की गर्मी, और वो सिसकियाँ जो उसने मेरे सामने छोड़ी थीं—सब कुछ ऐसा था जैसे कोई नशा मेरे शरीर में उतर गया हो। उस दिन उसके घर में जो हुआ, वो मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था। लेकिन अंजू की मौजूदगी ने हमें अधूरा छोड़ दिया था। हम अपने घर वापस आ गए, और कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।
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एक दिन अंजू ने मुझे बताया कि सोना इस रविवार को हमारे डेरे पर आने वाली है। उसने ये कहते वक्त एक शरारती मुस्कान बिखेरी और बोली, “पापा, आप अपनी तैयारी कर लो।” उसकी आँखों में एक चमक थी, और उसका लहजा बता रहा था कि उसे मेरे और सोना के बीच की कुछ बातों की भनक लग चुकी है। मैंने ज्यादा सोचा नहीं, लेकिन मेरे मन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई। मुझे अहसास था कि इस बार कुछ बड़ा होने वाला है।
रविवार सुबह 9 बजे सोना हमारे डेरे पर पहुँच गई। आज वो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। उसने एक ढीली-सी सफेद टी-शर्ट और काला लोअर पहना था, जो उसके भरे हुए फिगर को हल्का-सा छुपा रहा था, लेकिन उसकी गोरी त्वचा और उभरे हुए कर्व्स फिर भी साफ नजर आ रहे थे। टी-शर्ट का गला थोड़ा गहरा था, जिससे उसकी ब्रा की झलक बार-बार दिख रही थी। अंजू और सोना दोनों आज कुछ ज्यादा ही खुश थीं। दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा रही थीं, और उनकी आँखों में एक शरारत थी। मुझे पूरा यकीन था कि स्कूल में मेरे बारे में जरूर कोई बात हुई होगी। जो भी था, मेरे लिए तो ये सब मजेदार था।
हमने मिलकर नाश्ता किया। सुनिता ने आज खास तौर पर पूरियाँ, आलू की सब्जी, और दही बनाया था। सोना ने हर चीज की तारीफ की और खूब चाव से खाया। नाश्ते के बाद अंजू ने अचानक कहा, “पापा, चलो जल्दी से खेत चलते हैं।” उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा हैरान हुआ। अंजू आमतौर पर इतनी जल्दी खेत जाने की बात नहीं करती थी। सोना ने भी तुरंत हाँ में हाँ मिलाई और बोली, “हाँ अंकल, चलिए ना, आज खेत में बहुत मजा आएगा।” उनकी बातों और हाव-भाव से मुझे लगा कि दोनों ने मिलकर कुछ प्लान किया है।
हम तीनों खेत की तरफ निकल पड़े। खेत में पहुँचते ही सोना बोली, “मुझे चाय पीनी है।” अंजू ने फौरन जवाब दिया, “ठीक है, मैं घर जाकर चाय बनाकर लाती हूँ। तब तक तुम पापा के साथ खेत में एंजॉय करो।” अंजू की इस बात और उसकी शरारती मुस्कान ने मुझे चौंका दिया। वो हँसते हुए चली गई, और मैं समझ गया कि कुछ तो पक रहा है। अंजू के जाते ही सोना मेरे पास आई। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, और उसकी उंगलियाँ मेरे हाथ को धीरे-धीरे सहलाने लगीं। उसकी आँखों में वही चमक थी जो मैंने उसके घर में देखी थी। वो बोली, “अंकल, आज तो हम खूब मजा करेंगे।”
मैं भी पूरी तरह तैयार था। मैंने उसे खेत के एक कोने में बने छोटे-से कोठे में ले गया। कोठा चारों तरफ गन्नों और सब्जियों की क्यारियों से घिरा था, जो हमें किसी की नजरों से छुपा रहा था। कोठे में एक पुरानी-सी माँजी पड़ी थी, जिस पर कुछ पुराने गट्टे और कपड़े रखे थे। जैसे ही हम अंदर घुसे, सोना ने मेरे पजामे का नाड़ा खींचकर खोल दिया। मेरा 9 इंच का लंड पहले से ही खड़ा था, और उसकी उत्तेजना को देखकर और सख्त हो गया। वो नीचे बैठ गई और मेरे लंड को अपने नरम होंठों से चूमने लगी। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड के सिरे पर धीरे-धीरे घूम रही थी, जैसे वो हर पल का मजा लेना चाहती हो। फिर उसने मेरे लंड को पूरा मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी।
उसका चूसना इतना उत्तेजक था कि मेरे शरीर में करंट-सा दौड़ गया। वो कभी मेरे लंड को जीभ से चाटती, कभी उसे गहरे तक मुँह में लेती, और कभी अपने होंठों से उसके सिरे को हल्के-हल्के दबाती। मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और उसके बालों में उंगलियाँ फेरने लगा। उसकी साँसें तेज थीं, और उसका गर्म मुँह मेरे लंड को और सख्त कर रहा था। मैंने धीरे से कहा, “सोना, जल्दी कर लेते हैं, कहीं अंजू आ न जाए।” उसने मेरे लंड को मुँह से निकाला, मेरी तरफ देखा, और एक शरारती मुस्कान के साथ बोली, “नहीं अंकल, आज आराम से करेंगे। मैंने अंजू से कह रखा है कि वो देर से आएगी।”
उसकी बात सुनकर मेरा जोश दोगुना हो गया। मैंने उसे खड़ा किया और उसकी टी-शर्ट उतार दी। उसने सफेद ब्रा पहनी थी, जो उसके भरे हुए बूब्स को मुश्किल से संभाल रही थी। मैंने उसका लोअर भी नीचे खींच दिया। उसकी सफेद पैंटी उसकी गोरी त्वचा पर चमक रही थी। मैंने उसकी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब वो मेरे सामने पूरी तरह नंगी थी। उसका शरीर किसी पॉर्न स्टार से कम नहीं था—गोरे, भरे हुए बूब्स, गुलाबी निप्पल्स, पतली कमर, और गोल-मटोल गाँड। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो उसे और भी आकर्षक बना रहे थे।
मैंने उसे माँजी पर लिटाया और उसके शरीर को चूमना शुरू किया। मैंने उसके निप्पल्स को मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसने लगा। उसकी सिसकियाँ शुरू हो गईं, “आह… अंकल…” मैंने अपने हाथ से उसके दूसरे बूब्स को दबाना शुरू किया, और वो मेरे स्पर्श से काँप रही थी। फिर मैं नीचे की तरफ बढ़ा और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत पहले से ही गीली थी, और उसकी रसीली खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत के होंठों को फैलाया और अंदर तक चाटा। उसका स्वाद इतना नशीला था कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था। मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल दीं और जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। वो चिल्ला रही थी, “अंकल… और जोर से… मेरी चूत को चाट लो!” उसकी आवाज में इतनी उत्तेजना थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया।
मैंने उसकी चूत को और तेजी से चाटा, और कुछ ही पलों में वो झड़ गई। उसकी चूत का पानी मेरे मुँह पर था, और मैंने उसे पूरा चाट लिया। उसका शरीर अभी भी काँप रहा था, और उसकी साँसें तेज चल रही थीं। मैंने और देर नहीं की। मैंने अपना 9 इंच का लंड उसकी चूत पर रखा। मैंने पहले ही उसकी चूत को चाट-चाटकर पूरी तरह गीली कर दी थी, तो वो लंड लेने के लिए तैयार थी। मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में घुसाया, लेकिन उसकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड आसानी से अंदर नहीं जा रहा था। सोना थोड़ी घबराई और बोली, “अंकल, आराम से करो, ये मेरी पहली बार है।” मैंने उसकी बात मानी और धीरे-धीरे लंड को अंदर धकेला। लेकिन उसकी सील अभी टूटी नहीं थी।
मैंने कहा, “सोना, अब एक झटका मारना पड़ेगा। थोड़ा दर्द होगा, लेकिन फिर मजा आएगा।” वो बोली, “ठीक है अंकल, लेकिन मेरे मुँह पर हाथ रख दो।” मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रखा ताकि उसकी चीख बाहर न जाए। फिर मैंने एक जोरदार झटका मारा, और मेरा पूरा 9 इंच का लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी आँखों में आँसू आ गए, और एक हल्की-सी चीख उसके मुँह से निकली। मैंने उसे चुप कराते हुए कहा, “बस हो गया, अब दर्द नहीं होगा।” मैंने कुछ पल रुककर उसे संभलने का मौका दिया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसमें पूरी तरह जकड़ा हुआ था।
मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू की। हर धक्के के साथ उसकी चूत मेरे लंड को और जोर से जकड़ रही थी। वो अब दर्द से उबर चुकी थी और मजे लेने लगी थी। उसने अपनी गाँड उठा-उठाकर मेरा साथ देना शुरू किया। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और अब हर धक्के के साथ उसकी चूत से “पच-पच” की आवाज आ रही थी। उसके बूब्स जोर-जोर से हिल रहे थे, और मैंने उन्हें अपने हाथों से दबाना शुरू किया। उसके गुलाबी निप्पल्स सख्त थे, और मैंने उन्हें चूसना शुरू किया। वो सिसक रही थी, “आह… अंकल… मेरी चूत फाड़ दो… और जोर से चोदो!” उसकी बातें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं।
मैंने उसे पलटाया और घोड़ी बनाया। उसकी गोल-मटोल गाँड मेरे सामने थी, और मैंने उसे हल्के-हल्के थप्पड़ मारे। वो और जोर से सिसकने लगी, “हाँ अंकल… मारो मेरी गाँड को… चोदो मुझे!” मैंने अपना लंड फिर से उसकी चूत में डाल दिया और इस बार और जोर से धक्के मारे। उसकी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे और जोर से चोदा। उसकी सिसकियाँ कोठे में गूँज रही थीं, और वो बार-बार झड़ रही थी। उसकी चूत का पानी मेरे लंड पर लिपट रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी गाँड मेरे शरीर से टकरा रही थी।
मैंने उसकी गाँड को और जोर से दबाया और अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। उसकी चूत इतनी गर्म और रसीली थी कि मैं अब अपने चरम पर था। मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसका माल उसके पेट और बूब्स पर गिरा दिया। वो हाँफ रही थी, और उसका चेहरा लाल था। मैंने उसे जोर से किस किया, और वो मेरे सीने से चिपक गई। उसका शरीर अभी भी गर्म था, और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। हम कुछ पल तक ऐसे ही लेटे रहे, एक-दूसरे की बाहों में। फिर उसने पास पड़े कपड़े से अपनी चूत और पेट साफ किया। ये उसकी पहली चुदाई थी, और वो बहुत खुश थी। उसने कहा, “अंकल, मुझे इतना मजा कभी नहीं आया। आपने मेरी चूत को स्वर्ग दिखा दिया।”
हमने जल्दी से अपने कपड़े पहने। अंजू अभी तक नहीं आई थी। सोना मेरे पास आई और मुझे कसकर गले लगा लिया। बोली, “अंकल, आप मेरे बेस्ट अंकल हो। मुझे आपसे प्यार हो गया है।” उसने मुझे फिर से किस करना चाहा। मैंने थोड़ा रुककर बाहर देखा कि कहीं कोई तो नहीं आ रहा। लेकिन बाहर कोई नहीं था। मैं वापस आया और सोना को किस करने लगा। उसने कहा, “अंकल, थोड़ा रोमांटिक अंदाज में किस करो।” मैंने हँसकर पूछा, “बताओ, कैसे करूँ?” वो बोली, “पहले आप माँजी पर बैठ जाओ।”
मैं माँजी पर बैठ गया। वो मेरी टाँगों पर मुँह करके बैठ गई और मेरे बालों में हाथ फेरने लगी। उसका स्पर्श इतना प्यार भरा था कि मुझे एक अजीब-सा सुकून मिल रहा था। फिर हम दोनों एक-दूसरे से लिपट गए और गहराई से किस करने लगे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसकी कमर को सहला रहा था। उस पल में ऐसा लग रहा था जैसे समय थम गया हो।
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