बेटियों की अदला बदली – 2

पिछली बार की घटना(कहानी का पिछला भाग: बेटियों की अदला बदली – 1) के बाद कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। मेरे दिमाग में सोना के साथ खेत में हुआ वो हादसा बार-बार घूम रहा था। उसकी गर्म साँसें, उसकी चूत की नमी, और उसकी गाँड का मेरे लंड से स्पर्श—सब कुछ ऐसा था जैसे कोई सपना हो। लेकिन मैं जानता था कि ये सपना नहीं, हकीकत थी। फिर एक रविवार को सोना ने अंजू को अपने घर बुलाया। मैंने अंजू को जाने के लिए कहा, लेकिन वो अचानक रुक गई और बोली, “पापा, मैं नहीं जाना चाहती।”

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मैंने पूछा, “क्यों बेटी, क्या हुआ? सोना तो तेरी सबसे अच्छी सहेली है।” अंजू ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “पापा, उनका घर बहुत बड़ा है। वो इतने अमीर हैं कि मुझे वहाँ जाने में डर लगता है। मुझे लगता है कि मैं वहाँ फिट नहीं हो पाऊँगी।” मैंने उसे समझाया, “बेटी, दोस्ती में अमीर-गरीब का कोई फर्क नहीं होता। सोना को तू पसंद है, तभी तो उसने तुझे बुलाया है।” लेकिन अंजू ने एक शर्त रख दी। बोली, “पापा, मैं तभी जाऊँगी अगर आप मेरे साथ चलेंगे। सोना ने फोन पर कहा था कि मैं आपको भी साथ लाऊँ।”

मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, मैं वहाँ क्या करूँगा? अपनी मम्मी को ले जा।” लेकिन अंजू नहीं मानी। बोली, “नहीं, पापा, आपको ही चलना होगा।” आखिरकार, मैं उसकी जिद के आगे हार गया और बोला, “चल ठीक है, मेरी माँ।”

हम रविवार सुबह 9 बजे अपनी छोटी-सी अल्टो कार में निकल पड़े। सोना का घर शहर के पॉश इलाके में था। जैसे ही हम उनके घर के गेट पर पहुँचे, मैंने कार उनके विशाल गार्डन के पास खड़ी की। गार्डन इतना बड़ा था कि लगता था जैसे कोई पार्क हो। पीछे एक गैरेज था, जहाँ उनकी चमचमाती लग्जरी कारें खड़ी थीं। सोना हमें रिसीव करने बाहर आई। उसने एक टाइट टी-शर्ट और शॉर्ट स्कर्ट पहनी थी, जो उसके भरे हुए फिगर को और उभार रही थी। उसकी गोरी टाँगें और गहरे गले की टी-शर्ट मेरे लिए ध्यान भटकाने वाली थी, लेकिन मैंने खुद को संभाला।

सोना ने हमें अंदर ले जाकर ड्राइंग रूम में बिठाया। उनका घर किसी महल से कम नहीं था। हर कोने में शानदार सजावट थी—महंगे झाड़-फानूस, सोने जैसे फर्नीचर, और दीवारों पर बड़ी-बड़ी पेंटिंग्स। हमने मिलकर नाश्ता किया। नाश्ते में तरह-तरह की चीजें थीं—जूस, पराठे, शाही पनीर, सब्जी, रोटी, रायता, और न जाने क्या-क्या। मैंने सोना से उसके मम्मी-पापा के बारे में पूछा तो उसने बताया, “अंकल, वो किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हैं। आज शाम तक वापस आ जाएँगे।” उसका लहजा इतना सामान्य था कि लग रहा था जैसे खेत वाली घटना वो भूल चुकी हो। लेकिन उसकी आँखों में एक चमक थी, जो मुझे कुछ और ही इशारा कर रही थी।

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नाश्ते के बाद हमने कुछ देर टीवी देखा। फिर सोना अंजू को अपने कमरे में ले गई और उसे अपना रूम दिखाने लगी। मैं ड्राइंग रूम में अकेला टीवी देख रहा था। तभी कुछ बच्चे वहाँ आए, शायद पड़ोस के थे। सोना और अंजू भी उनके पास आ गईं। बच्चों ने कहा, “चलो, कोई गेम खेलते हैं।” सबने मिलकर तय किया कि छुपन-छुपाई खेलेंगे। मैंने सोचा कि मैं तो अब इस उम्र में बच्चों के साथ क्या खेलूँगा, लेकिन तभी सोना बोली, “अंकल, आप भी हमारे साथ खेलिए ना!” मैंने मना किया, “बेटा, मैं क्या करूँगा तुम्हारे साथ खेलकर?” लेकिन सारे बच्चे जिद करने लगे, और मैं उनकी जिद के आगे हार गया।

खेल शुरू होने से पहले मुझे अहसास हो गया था कि असली खेल तो अब शुरू होने वाला है। सोना का घर इतना बड़ा था कि छुपने की जगहों की कमी नहीं थी। पहली बारी में एक बच्चा सबको ढूँढने वाला बना। हम सब छुप गए। मैं जानबूझकर जल्दी पकड़ा गया ताकि बच्चों का मन लगा रहे। लेकिन सोना हर बार सबसे आखिर में पकड़ी जाती थी। उसे अपने घर की हर कोने की जानकारी थी। मैं बार-बार जानबूझकर पकड़ा जा रहा था, और ये बात सोना ने नोटिस कर ली। उसने बच्चों को इकट्ठा किया और बोली, “अंकल जानबूझकर बार-बार पकड़े जा रहे हैं। अब से वो मेरे साथ छुपेंगे।” बच्चे छोटे थे, तो उन्होंने तुरंत हाँ कर दी। लेकिन अंजू को सोना की बात थोड़ी अजीब लगी। उसने मेरी तरफ देखा, लेकिन कुछ बोली नहीं।

अब अंजू की बारी थी सबको ढूँढने की। सोना ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे एक खाली कमरे में ले गई। वहाँ एक दीवार के पास एक बड़ी-सी अलमारी थी। उसने मुझे अलमारी के पास सीढ़ी जैसे कोने में बिठाया और खुद मेरे ऊपर आकर बैठ गई। उसकी गाँड मेरे लंड को छू रही थी, और मेरा शरीर गर्म होने लगा। उसने अलमारी का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। अंदर घुप्प अंधेरा था। सोना मेरे ऊपर पूरी तरह लेट गई। उसकी साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। मैं चुपचाप उस पल का मजा ले रहा था। उसकी गर्मी, उसकी खुशबू, और उसका भारी शरीर मेरे होश उड़ा रहा था।

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मुझे लगा कि वो चाहती थी कि मैं वही करूँ जो खेत में हुआ था। लेकिन मैंने जानबूझकर कुछ नहीं किया। मैं चाहता था कि वो खुद पहल करे। थोड़ी देर बाद बाहर बच्चों की आवाजें आईं, और हम बाहर आ गए। अगली बारी में हम फिर उसी अलमारी में छुपे। इस बार सोना मेरी तरफ मुँह करके बैठी। जैसे ही दरवाजा बंद हुआ, उसने मेरे पजामे में हाथ डाल दिया। मैंने भी अपना नाड़ा खोलकर अपना 9 इंच का लंड बाहर निकाल लिया। सोना ने मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी। उसकी उंगलियाँ मेरे लंड पर जादू कर रही थीं। फिर उसने धीरे से मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। वो किसी पॉर्न स्टार की तरह मेरे लंड को चूस रही थी, कभी जीभ से चाटती, कभी पूरा मुँह में लेती। उसका गर्म मुँह मेरे लंड को और सख्त कर रहा था।

मैंने धीरे से पूछा, “सोना, तुमने पहले कभी किसी का लंड चूसा है?” उसने मेरे लंड को मुँह से निकाला और बोली, “नहीं अंकल, ये सब मैंने पॉर्न मूवीज में देखकर सीखा है।” उसकी बात सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। उसने फिर से मेरा लंड चूसना शुरू किया। मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स को दबाने लगा। उसके बूब्स इतने मुलायम थे कि मेरे हाथों में समा नहीं रहे थे। मैंने उसकी ब्रा को नीचे खींचा और उसके गुलाबी निप्पल को चूसने लगा। वो सिसक रही थी और मेरे लंड को और जोर से चूस रही थी।

तभी बाहर बच्चों की आवाजें फिर से आईं। सोना ने जल्दी से मेरा लंड मुँह से निकाला, अपने कपड़े ठीक किए और बोली, “अंकल, मैं अपनी सील आपसे ही तुड़वाऊँगी।” उसकी बात सुनकर मेरे शरीर में बिजली-सी दौड़ गई। हम बाहर आए तो हमारे चेहरे बदले हुए थे। अंजू ने ये सब नोटिस किया, लेकिन वो चुप रही। दोपहर हो चुकी थी, और सारे बच्चे अपने-अपने घर चले गए।

अब घर में सिर्फ मैं, अंजू, और सोना थे। हम खेलकर थक चुके थे। सोना ने अंजू से कहा, “अंजू, तू नहा ले, फ्रेश हो जा।” अंजू बोली, “नहीं, मैं तो नहाकर ही आई हूँ।” लेकिन सोना ने जिद की, “अरे मेरी बहन, एक बार मेरे बाथटब में नहाकर तो देख। तुझे अलग ही मजा आएगा।” सोना की जिद के आगे अंजू मान गई। सोना ने उसे एक बाथ टॉवेल दिया और कहा, “अंजू, आराम से हर चीज का मजा लेकर नहाना, ठीक है?” अंजू ने हँसकर हाँ कहा और बाथरूम में चली गई।

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जैसे ही अंजू बाथरूम में गई, सोना ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे दूसरे कमरे में ले गई। कमरे में घुसते ही उसने मुझे जोर से किस करना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और वो पूरी तरह उत्तेजित थी। उसने कहा, “अंकल, प्लीज मेरी चूत को चोद दो।” उसने अपनी टी-शर्ट और स्कर्ट उतार दी। उसका नंगा शरीर मेरे सामने था। उसके बूब्स इतने बड़े और गोल थे कि किसी औरत जैसे लग रहे थे। मैंने उसके बूब्स को चूसना शुरू किया। मेरी जीभ उसके निप्पल्स पर घूम रही थी, और वो सिसक रही थी। मैंने कहा, “सोना, आज मैं तुम्हारी चुदाई नहीं कर सकता। इसमें बहुत टाइम लगेगा।”

मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चूत को चूसना शुरू किया। उसकी चूत पूरी तरह क्लीन शेव थी, और उसकी खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत के होंठों को फैलाया और अंदर तक चाटा। उसकी चूत से पानी निकलने लगा। मैंने अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल दीं और जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। सोना जोर से चिल्लाई, “आह… अंकल… और जोर से!” उसका शरीर काँप रहा था, और वो कुछ ही पलों में झड़ गई। उसकी चूत का पानी मेरे मुँह पर था, और मैंने उसे चाट लिया।

तभी दूसरे कमरे से अंजू की आवाज आई। सोना ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और वहाँ चली गई। मैंने भी खुद को ठीक किया। इसके बाद मैं और अंजू अपने घर वापस आ गए। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए।

कहानी का अगला भाग: बेटियों की अदला बदली-3

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