मेरा नाम करण सिंह है और मैं एक जमींदार हूँ। मेरे पास छह एकड़ जमीन है और हम गाँव के बाहर एक डेरे में रहते हैं। मेरा परिवार छोटा-सा है, मेरी बीवी सुनिता, जो 38 साल की है, मेरी इकलौती बेटी अंजू, जो 20 साल की है, और मेरा छोटा बेटा तरुण, जो 8 साल का है। मैं 40 साल का हूँ, और ये कहानी मेरी बेटी अंजू और उसकी सहेली सोना के बारे में है, जो स्कूल में उसके साथ पढ़ती थी। इस कहानी का पूरा मजा लेने के लिए थोड़ा पीछे जाना जरूरी है।
कहानी सुने(ऑडियो सेक्स कहानी/Audio Sex Story)
बात दो साल पहले की है। अंजू ने दसवीं में 95 प्रतिशत नंबर लाए थे, और मैंने उसे गाँव के सरकारी स्कूल से निकालकर शहर के एक प्राइवेट स्कूल में दाखिल करवाया था ताकि वो साइंस स्ट्रीम से बारहवीं कर सके। मेरी बीवी सुनिता एक साधारण औरत है, उसे पढ़ाई-लिखाई का ज्यादा ज्ञान नहीं, लेकिन मैं अपनी बेटी को बेहतरीन शिक्षा देना चाहता था। इसीलिए मैंने उसे शहर के एक अच्छे स्कूल में भर्ती करवाया। अंजू को भी ये बदलाव पसंद आया, और वो स्कूल में बहुत खुश थी।
वहाँ उसकी दोस्ती सोना नाम की एक लड़की से हुई, जो बहुत अमीर घराने से थी। सोना थोड़ी घमंडी थी, जैसा कि अमीर लोग अक्सर होते हैं, लेकिन दोस्ती के मामले में वो ठीक थी। वो दिखने में बहुत खूबसूरत थी, और उसका शरीर भी अपनी उम्र की दूसरी लड़कियों से ज्यादा भरा हुआ था। उसके पिता, केके, एक बड़े बिजनेसमैन थे। अंजू हमेशा सोना के घर की तारीफ करती, और घर आकर उसकी हर बात हमसे शेयर करती। यहाँ तक कि वो ये भी बताती कि जो लड़के स्कूल में उनसे शरारत करते, सोना उनकी बैंड बजा देती थी।
चूंकि अंजू गाँव में पली-बढ़ी थी, उसे शहर के माहौल में ढलने में थोड़ी मुश्किल होती थी। लेकिन सोना उसकी हर समस्या का हल थी। वो अंजू को स्कूल की हर चीज में मदद करती। मैं भी खुश था कि कम से कम मेरी बेटी को कोई परेशानी तो नहीं हो रही।
असली कहानी तब शुरू हुई जब सोना बारहवीं क्लास में हमारे डेरे पर आने लगी। पहली बार वो एक रविवार को सुबह 10 बजे के आसपास हमारे घर आई। उनका एक नौकर उसे कार में छोड़कर गया था, और वो शाम तक अंजू के साथ रुकने वाली थी। उस दिन सोना ने नीली जींस और कॉटन का टॉप पहना था। उसका शरीर इतना आकर्षक था कि नजर हटाना मुश्किल था। उसकी त्वचा गोरी थी, और चेहरा ऐसा कि किसी को भी पहली नजर में पसंद आ जाए। उसका फिगर इतना भरा हुआ था कि जींस और टॉप में वो और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।
सुबह हम सबने मिलकर नाश्ता किया। सुनिता और अंजू ने सोना की खातिरदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी। सोना हमारी सादगी और मेहमाननवाजी से बहुत खुश हुई। मैं उस वक्त घर पर ही भैंसों के तबेले में कुछ काम कर रहा था। तभी अंजू और सोना वहाँ आ गईं। अंजू ने कहा, “पापा, सोना को हमारे खेत देखने हैं।” मैंने उन्हें बताया कि हमारे खेतों में हमने कई तरह की सब्जियाँ और गन्ने उगाए हैं। मैंने कहा, “थोड़ी देर रुको, मैं काम खत्म करके तुम्हें खेत दिखाने ले चलता हूँ।”
अंजू तो घर वापस चली गई अपनी मम्मी के पास, लेकिन सोना वहीं मेरे पास रुक गई। वो मुझसे खेती के बारे में ढेर सारे सवाल पूछने लगी। मैं एक-एक करके उसके सवालों के जवाब दे रहा था। सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन तभी मैंने गौर किया कि गर्मी की वजह से सोना का टॉप पसीने से भीग गया था। उसका टॉप इतना गीला था कि उसकी सफेद ब्रा साफ दिख रही थी। मैंने कहा, “सोना, तुम अंदर चली जाओ, यहाँ गर्मी में पसीना आ रहा है। मैं तुम्हें बुला लूँगा जब खेत चलेंगे।”
उसने कहा, “नहीं अंकल, मैं ठीक हूँ।” मुझे उसके स्वभाव के बारे में ज्यादा पता नहीं था, और चूंकि वो मुझसे पहली बार मिल रही थी, मैंने चुप रहना ही बेहतर समझा। लेकिन तभी उसने कुछ ऐसा किया कि मैं दंग रह गया। उसने अपने टॉप को पीछे से थोड़ा ढीला कर लिया। टॉप पहले से ही टाइट था, और जैसे ही उसने ऐसा किया, मुझे उसकी सफेद ब्रा और पैंटी साफ दिख गई। उसकी ब्रा इतनी पतली थी कि उसके शरीर का आकार और भी साफ नजर आ रहा था। हमारे गाँव में औरतें ज्यादातर सलवार-सूट पहनती थीं, तो ये सब मेरे लिए नया और चौंकाने वाला था। लेकिन सोना के चेहरे से लग रहा था कि उसके लिए ये सब सामान्य है।
मैंने उससे कहा, “सोना, तुम जाओ और अंजू को बुला लो, हम खेत चलते हैं।” मैं ट्रैक्टर निकालने चला गया। अंजू और सोना गेट पर तैयार खड़ी थीं। अंजू तो आसानी से ट्रैक्टर पर चढ़ गई और मेरे बगल में बैठ गई, लेकिन सोना को जींस की वजह से थोड़ी दिक्कत हो रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे ऊपर खींचा। जैसे ही वो झुकी, उसके टॉप के गले से उसकी ब्रा और उसका भरा हुआ फिगर साफ दिख गया। मेरे शरीर में जैसे करंट-सा दौड़ गया।
खेत घर के पास ही था, तो हम जल्दी पहुँच गए। वहाँ पहुँचते ही अंजू बोली, “मम्मी ने मुझे सब्जियाँ लाने को कहा है,” और वो सब्जियों की क्यारी की तरफ चली गई। सोना ने कहा, “मैं अंकल के साथ खेत देख लूँगी।” मैंने उसे गन्नों की तरफ ले जाना शुरू किया, क्योंकि वो गन्ने खाना चाहती थी।
गन्नों के खेत में पहुँचकर मैंने सोचा कि कुछ गन्ने घर के लिए भी काट लेता हूँ। मैंने सोना को बाहर रुकने को कहा और खुद थोड़ा अंदर चला गया। वहाँ मैंने सोचा कि पहले हल्का हो लूँ। मैंने पजामे का नाड़ा खोला और बाथरूम करने बैठ गया। जैसे ही मैं उठा और नाड़ा बाँधने लगा, मैंने देखा कि सोना मेरे सामने खड़ी थी। उसने मेरा 9 इंच का लंड देख लिया और तुरंत बोली, “सॉरी अंकल,” और उसने चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। मैंने भी जल्दी से नाड़ा बाँध लिया।
मैं गन्ने काटने लगा। तभी सोना बोली, “अंकल, मुझे भी बाथरूम करना है।” मैंने कहा, “यहाँ साइड में कर लो।” वो थोड़ा दूर गई और अपनी जींस उतारने लगी। मुझे उसकी गोल-मटोल गाँड हल्की-सी दिखी, और मेरा मन डोल गया। तभी उसने मुझे चौंकते हुए आवाज दी। मैं जल्दी से उसके पास गया तो देखा कि वो चुपचाप बैठी थी और मुझे इशारा कर रही थी। मैंने साइड में देखा तो उसके पास एक साँप था। मैंने फौरन साँप को उठाकर फेंक दिया और सोना की तरफ बढ़ा। वो डर के मारे काँप रही थी, उसके चेहरे पर पसीना था।
मैंने उसे गले से लगा लिया ताकि उसका डर कम हो। वो मेरे सीने से चिपक गई। फिर मैंने गौर किया कि उसने डर की वजह से जींस वापस नहीं पहनी थी। उसकी पैंटी साफ दिख रही थी, और उसका टॉप ऊपर खिसक गया था। उस पल में कुछ ऐसा हुआ कि न मैं खुद को रोक पाया, न वो। मैंने उसे उल्टा किया और अपनी बाहों में जकड़ लिया। मैं जमीन पर लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसका चेहरा ऊपर की तरफ था, और उसकी गाँड मेरे लंड को छू रही थी। उसकी गर्मी मेरे शरीर में आग लगा रही थी।
मैंने धीरे से अपना हाथ उसके टॉप के नीचे डाला और उसके भरे हुए, मुलायम बूब्स को सहलाने लगा। वो सिसक रही थी, लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने अपनी टाँगों से उसकी टाँगों को जकड़ लिया। हम दोनों एक-दूसरे से साँप की तरह लिपटे हुए थे। उसका शरीर गर्म था, और उसकी साँसें तेज चल रही थीं। मैंने अपने बाएँ हाथ से उसके दोनों बूब्स को जोर से दबाया और दाएँ हाथ को उसकी चूत पर ले गया। उसकी चूत पर घने बाल थे, और वो पहले से ही गीली थी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा।
उसके मुँह से “आह…” की आवाज निकली। उसकी आँखें बंद थीं, और वो पूरी तरह मेरे हवाले थी। मैंने उसकी चूत को और तेजी से सहलाना शुरू किया। उसकी सिसकियाँ अब और तेज हो गई थीं। मैंने उसकी पैंटी को थोड़ा और नीचे खींचा और अपनी उंगलियों से उसकी चूत के होंठों को फैलाकर और गहराई तक सहलाया। उसका शरीर काँप रहा था, और वो मेरे सीने पर और जोर से चिपक गई। मैंने उसकी चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं, और वो जोर से चिल्लाई, “अंकल… आह…!” उसकी आवाज में दर्द और मजा दोनों थे।
मैंने उसका टॉप ऊपर उठाया और उसकी ब्रा को हल्का-सा खींचकर उसके बूब्स को आजाद कर दिया। उसके गुलाबी निप्पल सख्त हो चुके थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत को रगड़ रहा था। वो अब पूरी तरह बेकाबू थी। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ फिसल रही थीं। मैंने उसे और जोर से अपनी बाहों में जकड़ा और उसकी गाँड को अपने लंड पर रगड़ा। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा था और उसकी गाँड के बीच में दब रहा था।
मैंने उसे पलटने की कोशिश की ताकि उसकी चूत को अपने लंड से चोद सकूँ, लेकिन तभी अंजू की आवाज सुनाई दी। वो हमें ढूँढ रही थी। मैंने फौरन सोना को छोड़ा और अंजू की तरफ बढ़ गया। सोना ने जल्दी से अपनी जींस पहनी और मेरे पीछे-पीछे आ गई। उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वो अभी भी उस पल में खोई हुई थी। उसका चेहरा लाल था, और साँसें तेज चल रही थीं।
अंजू ने सोना से पूछा, “क्या हुआ? तू इतनी डरी हुई क्यों लग रही है?” सोना ने उसे साँप वाली बात बताई कि कैसे वो साँप से डर गई थी और मैंने उसे बचाया। अंजू हँसने लगी और बोली, “अरे सोना, तू साँप से डर गई? स्कूल में तो तू बड़ी हीरोइन बनती है।” दोनों सहेलियाँ आपस में हँसने-मजाक करने लगीं। मैं और सोना चुप थे। मेरे दिमाग में वही पल बार-बार घूम रहे थे, और सोना भी कुछ सोच में डूबी हुई थी।
हम गन्ने और सब्जियाँ लेकर घर वापस आ गए। घर पहुँचकर हमने खाना खाया। सोना ने अपने ड्राइवर को फोन किया और अपने घर चली गई। जाते-जाते उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, और मैं भी खामोश था।
कहानी का अगला भाग: बेटियों की अदला बदली – 2
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