मनाली की बर्फीली वादियां हमेशा से ही सैलानियों को अपनी ओर खींचती रही हैं। ठंडी हवाएं, पहाड़ों पर पसरी सफेद चादर और चारों ओर का शांत माहौल किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देता है। दिसंबर का महीना था, और पूरे शहर में सर्दी चरम पर थी।
राजीव और नेहा, पिता और बेटी की यह जोड़ी, कुछ दिनों की छुट्टी पर मनाली घूमने आए थे। नेहा का कॉलेज बंद था और राजीव को भी ऑफिस से छुट्टी मिल गई थी। दोनों ने सोचा कि क्यों न इस बार कहीं दूर जाकर बर्फ का आनंद लिया जाए।
नेहा 21 साल की थी, लंबे बाल, सांवला मगर चमकता हुआ चेहरा और एक आकर्षक कद-काठी। उसका शरीर अब पूरी तरह जवान हो चुका था। वह उन लड़कियों में से थी जो मासूम तो लगती थी लेकिन जिनके अंदर एक अलग तरह की कशिश होती है।
राजीव 47 साल का था, ऊंचे कद का और हल्की दाढ़ी-मूंछ के साथ काफी मजबूत दिखने वाला। उम्र के इस पड़ाव पर भी वह आकर्षक और फिट था।
सफर की शुरुआत में सबकुछ सामान्य था। दोनों अपनी छह-सीटर SUV कार में थे, जो पूरी तरह से सफर के लिए तैयार थी। रास्ते में नेहा खिड़की से बाहर देखते हुए बर्फ के गिरते फाहों का आनंद ले रही थी।
“पापा, देखिए! कितना सुंदर लग रहा है न सब कुछ?” नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हां बेटा, मनाली का नजारा हमेशा से ही शानदार रहा है,” राजीव ने जवाब दिया।
कार में हल्का संगीत बज रहा था और दोनों के बीच हल्की-फुल्की बातें चल रही थीं।
लेकिन जैसे-जैसे शाम ढलने लगी, मौसम ने अचानक करवट ली। ठंडी हवाएं तेज हो गईं और बर्फबारी बढ़ने लगी। रास्ते में दूर-दूर तक कोई नहीं था।
“पापा, यह रास्ता थोड़ा सुनसान नहीं है?” नेहा ने खिड़की के बाहर झांकते हुए पूछा।
“हां, लेकिन यह रास्ता हमें जल्दी होटल पहुंचा देगा,” राजीव ने भरोसा दिलाते हुए कहा।
कुछ ही देर बाद, तेज बर्फबारी के बीच कार की बैटरी ने जवाब दे दिया। कार की लाइट्स मंद पड़ गईं और धीरे-धीरे इंजन भी ठंडा होने लगा।
“शिट…” राजीव ने धीरे से कहा और कार को किनारे लगाया।
“क्या हुआ, पापा?” नेहा ने चिंता भरी आवाज में पूछा।
“कार की बैटरी डाउन हो गई है। लगता है ठंड की वजह से फ्रीज हो गई है।”
नेहा ने इधर-उधर देखा लेकिन चारों ओर घना अंधेरा और गिरती हुई बर्फ के अलावा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था।
“पापा, अब क्या करेंगे? आसपास तो कोई होटल भी नहीं है।”
“कोई बात नहीं बेटा, हमारे पास कंबल हैं और खाना भी। हम पूरी रात कार में आराम से गुजार सकते हैं। सुबह तक शायद मौसम ठीक हो जाए और कार भी चालू हो जाए।”
नेहा ने सिर हिलाया लेकिन उसकी आंखों में हल्की चिंता झलक रही थी।
रात गहराने लगी थी। कार के अंदर हल्की ठंड घुस रही थी, लेकिन राजीव ने हीटर के बदले कंबल का सहारा लिया। नेहा ने दो कंबल ओढ़ लिए और खुद को कार की सीट पर समेट लिया।
“पापा, आप सो जाओ। मैं ठीक हूं,” नेहा ने कहा।
“नहीं बेटा, पहले तुम सो जाओ। मैं जाग रहा हूं,” राजीव ने जवाब दिया।
नेहा हल्के से मुस्कुराई और अपनी आंखें बंद कर लीं।
बाहर बर्फ गिरती रही और कार के शीशे धीरे-धीरे सफेद होते गए।
रात का सन्नाटा गहराता जा रहा था। कार के शीशों पर जमी बर्फ ने बाहर की दुनिया को पूरी तरह ढक लिया था। चारों ओर घना अंधेरा था और केवल बर्फ गिरने की आवाज़ सुनाई दे रही थी। राजीव कार की ड्राइवर सीट पर बैठे थे, उनकी निगाहें बीच-बीच में नेहा की ओर उठ जातीं।
नेहा पीछे की सीट पर एक कंबल में लिपटी हुई थी। उसकी सांसें हल्की-हल्की चल रही थीं और वह ठंड से खुद को बचाने के लिए और ज्यादा सिकुड़ गई थी।
राजीव ने धीरे से उसकी ओर देखा। उसकी बेटी की मासूमियत में एक अलग तरह की चमक थी। ठंड से उसके गाल लाल हो गए थे और हल्के कांपते होंठ राजीव को बेचैन कर रहे थे।
“नेहा, ठंड लग रही है?” राजीव ने धीरे से पूछा।
नेहा ने आंखें खोलकर कहा, “थोड़ी सी… लेकिन मैं ठीक हूं, पापा।”
“अगर ज्यादा ठंड लगे तो बता देना। हमारे पास एक और कंबल है,” राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा।
नेहा ने सिर हिलाया और आंखें बंद कर लीं।
कुछ घंटे बीत चुके थे। बाहर बर्फबारी और तेज हो चुकी थी। कार के भीतर की हवा धीरे-धीरे ठंडी होती जा रही थी।
नेहा करवट बदल रही थी। कंबल के बावजूद उसके पैर ठंड से अकड़ रहे थे।
“पापा…” नेहा ने धीमी आवाज़ में कहा।
राजीव ने तुरंत उसकी ओर देखा।
“क्या हुआ, बेटा?”
नेहा ने थोड़ा संकोच करते हुए कहा, “मुझे टॉयलेट जाना है।”
राजीव थोड़ा असहज हो गए लेकिन परिस्थिति को समझते हुए बोले, “ठीक है बेटा, लेकिन ज्यादा दूर मत जाना। बाहर अंधेरा है और ठंड भी बहुत है। मैं यहीं खड़ा रहूंगा।”
नेहा ने धीरे-धीरे कंबल हटाया और कार का दरवाजा खोला। ठंडी हवा के झोंके ने उसका स्वागत किया, जिससे वह कांप उठी।
राजीव भी कार से बाहर निकले और चारों ओर देखा, चारों तरफ घना अंधेरा था।
नेहा कुछ कदम दूर जाकर झुकी।
राजीव ने दूसरी ओर देख लिया, लेकिन गिरती बर्फ के बीच सुनाई देने वाली बेटी की पेशाब की धार की हल्की आवाजें उसके कानों में गूंज रही थीं।
नेहा ने जल्दी से काम निपटाया और वापस आई। उसके गाल हल्के लाल हो रहे थे।
“पापा, अब आप भी पेशाब कर लो। मैं यहीं खड़ी हूं, बार बार बहार निकलने से गाड़ी में ठण्ड बढ़ेगी” नेहा ने हिचकिचाते हुए कहा।
राजीव ने थोड़ा असहज होते हुए कहा, “ठीक है बेटा। ”
वह थोड़ा और आगे गए, लेकिन ज्यादा दूर नहीं।
अंधेरे की वजह से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन नेहा को अपने पापा के पेशाब को तेज़ धार बर्फ की चादर से टकराती हुए साफ़ सुनाई दे रही थी।
दोनों वापस कार में आए और दरवाजे अच्छे से बंद कर लिए। राजीव ने कंबल नेहा पर डाल दिया।
“अब आराम करो बेटा,” राजीव ने कहा।
नेहा ने सिर हिलाया और खुद को कंबल में समेट लिया।
कार के भीतर ठंड अब असहनीय हो चुकी थी। नेहा के कांपते हुए हाथ और नीले पड़ते होठ राजीव को बेचैन कर रहे थे। कार के अंदर भले ही कंबल थे, लेकिन इतनी सर्दी में वे नाकाफी साबित हो रहे थे।
नेहा ने कंबल के अंदर खुद को लपेट रखा था, लेकिन उसकी हल्की-हल्की सिसकियों से साफ था कि वह अब और नहीं झेल पा रही थी।
“पापा, बहुत ठंड लग रही है,” नेहा की आवाज़ हल्की और कांपती हुई थी।
राजीव ने उसके सिर पर हाथ रखा – वह हल्का गरम था। “तुम्हें बुखार हो रहा है, नेहा।”
नेहा ने धीरे से सिर हिलाया, “पापा… क्या करें अब?”
राजीव ने गहरी सांस ली। उनके पास अब ज्यादा विकल्प नहीं थे।
“नेहा, तुम्हें मेरी बात माननी होगी,” राजीव ने गंभीरता से कहा।
“क्या?” नेहा ने असहज होकर उसकी ओर देखा।
“अगर तुम्हें इस ठंड से बचाना है तो हमें शरीर की गर्मी साझा करनी होगी।”
नेहा ने कुछ पल सोचा, लेकिन ठंड ने उसे सोचने का ज्यादा मौका नहीं दिया।
“पापा… अगर इससे मैं ठीक रह सकती हूं तो मैं तैयार हूं।”
राजीव ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “तुम बिल्कुल सुरक्षित हो। मैं तुम्हारा पापा हूं, तुम्हें कोई दिक्कत नहीं होगी।”
नेहा ने हल्की मुस्कान दी, “मुझे आप पर भरोसा है, पापा।”
राजीव ने धीरे से अपनी जैकेट उतारी और फिर स्वेटर। नेहा भी धीरे-धीरे अपनी जैकेट उतारने लगी। हल्का शर्म महसूस करते हुए उसने खुद को कंबल में ढक लिया और नीचे देखा।
“तुम्हें ज्यादा ठंड लग रही है, बेटा। अपनी थर्मल भी उतार दो ताकि बॉडी हीट ठीक से पहुंच सके,” राजीव ने संकोच के साथ कहा।
नेहा ने कुछ पल के लिए उसकी आंखों में देखा। वहां बस चिंता थी – एक पिता की अपने बच्चे के प्रति चिंता।
नेहा ने धीरे-धीरे थर्मल और ऊपरी कपड़े उतारे और कंबल में खुद को छिपा लिया।
राजीव भी अब केवल लोअर में था। उसने नेहा के करीब बैठकर उसे अपनी बांहों में ले लिया।
जैसे ही नेहा का ठंडा बदन राजीव के गर्म शरीर से टकराया, उसने एक लंबी सांस ली।
“पापा, यह काफी अच्छा लग रहा है,” नेहा ने उसकी छाती पर सिर टिकाते हुए कहा।
“अब आराम करो, बेटा। मैं यहां हूं,” राजीव ने उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहा।
नेहा अब धीरे-धीरे शांत हो रही थी। उसकी सांसें अब सामान्य होने लगी थीं, लेकिन वह राजीव के और करीब सिमट गई थी।
“आप बहुत अच्छे पापा हैं,” नेहा ने फुसफुसाते हुए कहा।
राजीव हल्के से मुस्कुराए, “तुम मेरी बेटी हो, तुम्हारी देखभाल करना मेरी जिम्मेदारी है।”
नेहा ने उसकी छाती पर हाथ रखा और आंखें बंद कर लीं।
रात गहराती जा रही थी, लेकिन नेहा अब सुरक्षित महसूस कर रही थी। राजीव ने उसे धीरे-धीरे अपने साथ लपेट लिया ताकि उसकी बेटी पूरी तरह गर्म रहे।
“पापा, मैं आपको बहुत प्यार करती हूं।”
राजीव ने उसके सिर पर किस करते हुए कहा, “मैं भी, बेटा। तुम मेरी जान हो।”
अब बाप के अंदर का मर्द और बेटी के अंदर की औरत भी जग चुकी थी, बेटी को पापा के गोदी में निचे से खड़ा लण्ड साफ़ पता चल रहा था, और उसकी चुत भी शॉर्ट्स के अंदर से पैंटी को गीली कर रही थी।
अब बारी था दोनों के पुरे नंगे होने के, राजीव बोला “बेटी अगर हमे आराम से सोना है तो हमे शर्म को त्याग कर बुद्धि से काम लेना होगा”
नेहा भी अब आगे क्या होने वाला था खूब समझ रही थी, उसकी फ्रेंड्स ने उसे पोर्न दिखा कर पहले से ही तैयार कर रखा है, लेकिन आज तक कोई लड़का उसे नहीं मिला था, आज खुद के पापा उसे प्यार करने की कोशिश कर रहे है और मौका भी ऐसा है, तो टाला कैसे जा सकता है। उसने पूछा “क्या करें पापा?”
अजय: हमे अपने सारे कपडे उतारने होने बेटी
नेहा झट से मान गयी और अपना टॉप उतार कर ब्रा खोलने लगी और फिर खड़ी होकर अपनी शार्ट और पैंटी दोनों एक साथ उतार दी।
अब अजय भी अपना लोअर और अंडरवियर उतार दिया और बोला बेटी अब आ जाओ पापा के गोदी में।
नेहा बिना हिचक के पापा की गोद में जाकर बैठ गई। उसकी नंगी जांघें पापा की जांघों से सट गईं, और उसका बदन हल्के से कांप रहा था। राजीव ने उसे कंबल के अंदर कसकर लपेट लिया।
नेहा का बदन पापा के चौड़े सीने से सटकर गर्म हो रहा था, लेकिन उसकी नंगी पीठ पर पापा के हाथों का हल्का स्पर्श उसे अंदर तक सिहरा रहा था। पापा की सांसें उसके गले पर लग रही थीं, और नेहा ने पापा के सीने पर अपना हाथ रखा।
राजीव ने धीरे-धीरे अपनी बेटी की कमर पर हाथ फेरा और उसके शरीर को करीब खींच लिया। नेहा पापा की गोद में हल्का सरक गई, और उसके उभार पापा के सीने से चिपक गए।
“पापा, बहुत अच्छा लग रहा है…,” नेहा ने धीमे स्वर में कहा, उसकी आवाज कांप रही थी।
राजीव ने मुस्कुराते हुए उसके बालों में हाथ फेरा और फुसफुसाया, “तुम मेरी बेटी हो, नेहा… लेकिन आज मैं तुम्हें एक औरत की तरह महसूस कर रहा हूं।”
नेहा ने पापा के गालों को हल्के से छुआ और अपने होंठ उनके कान के पास ले जाकर धीरे से कहा, “पापा, मुझे भी कुछ अजीब सा लग रहा है… लेकिन अच्छा लग रहा है।”
राजीव ने हल्के से नेहा का चेहरा अपनी ओर घुमाया और उसके होंठों को चूम लिया। नेहा ने अपनी आंखें बंद कर लीं और पापा के चुंबन का जवाब देने लगी।
राजीव ने धीरे से उसकी जांघों पर हाथ फेरा और उसे और करीब खींच लिया।
कंबल के नीचे पापा का लंड अब नेहा की नंगी जांघों से टकरा रहा था। नेहा ने पापा के लंड को अपनी हथेलियों में पकड़ लिया और हल्के-हल्के सहलाने लगी।
“बेटा…,” राजीव ने उसकी गर्दन पर हल्का चुंबन लेते हुए कहा, “तुम बहुत प्यारी हो।”
नेहा ने मुस्कुराते हुए पापा के लंड को और जोर से पकड़ लिया और अपने पैरों को थोड़ा और फैला दिया।
राजीव ने धीरे से अपनी उंगली उसकी चूत पर फिराई, जो अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। नेहा ने हल्की सिसकी ली और पापा की गोद में और सिमट गई।
“पापा, और करो न…,” नेहा ने फुसफुसाते हुए कहा।
राजीव ने उसकी चूत में धीरे-धीरे उंगली डाल दी और नेहा हल्की-हल्की कांपने लगी। उसके नाखून पापा की पीठ पर गड़ने लगे थे।
“तुम्हारी चूत बहुत गर्म है, नेहा…,” राजीव ने धीरे से कहा, “लगता है आज रात हम दोनों एक-दूसरे को पूरा महसूस करेंगे।”
नेहा ने पापा के लंड को और कसकर पकड़ लिया और हल्के-हल्के ऊपर-नीचे करने लगी।
“पापा, और अंदर डालो न…,” नेहा ने धीरे से कहा।
राजीव ने मुस्कुराते हुए उसकी उंगली और गहरी कर दी, और नेहा की सांसें तेज हो गईं।
अब अजय अपनी बेटी की दोनों चूचियों को दोनों साथ से मसल रहा था और नेहा अपने पापा के गोद में बैठ कर उनका लण्ड अपने हाथों से फेट रही थी, लण्ड पर निकलने वाला प्रिकम और नेहा की चुत से निकलने वाली कामरस पुरे कार को सुगन्धित कर रहे थे।
अजय ने बड़े प्यार से पूछा “बेटी यह पहली बार है या फिर?”
नेहा समझ गयी, पापा क्या पूछना चाहते है, उसने शरमाते हुए कहा, “पहली बार है पापा”
अजय ने उसे सहज महसूस करने के लिए कहा “अगर पहले भी कर चुकी हो तो कोई दिक्कत नहीं बेटा, बस मैं इसीलिए पूछ रहा हु की मैं तुम्हारे एक्सपिरेंस के हिसाब से हो करूंगा”
नेहा बोली “सच में पापा पहली बार है, मुझे थोड़ा डर भी लग रहा है, मेरी सहेलियां बोलती है पहली बार में दर्द होता है और खून भी आता है ”
अजय : कोई बात नहीं बेटा, मैं आराम आराम से करूंगा
अब अजय ने उसे कार की साथ पर लिटा दिया और उसके दोनों पैर को फैला कर बिच में आ गया
और लण्ड का सूपड़ा सेट करने लगा चुत में, अजय का लण्ड ऐसा भी नहीं था की बहुत बड़ा हो, करीब 6.5 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था, जो की किसी भी औरत को खुश करने योग्य था।
अब झुक और उसने अपनी प्यारी बेटी को किस किया और चुदाई के लिए तैयार हो गया।
वैसे तो उसने बेटी को शांत रखने के लिए बोला था आराम आराम से करेगा लेकिन उसका प्लान कुछ और ही था, वो लगातार चुदाई करने वाला था जब तक चुत ढीली न हो जाये।
अब वो बेटी के मुँह पर मुँह रखा और निचे हाथ से अपने लौड़े को सही से सेट करके एक धक्का मारा और लौड़ा फिसल कर बाहर आ गया और फिरसे उसने ऐसा ही किया और इस बार सूपड़ा घुस गया।
नेहा को अचानक से दर्द का अनुभव हुआ और वो पापा को अपने ऊपर से हटाने लगी लेकिन अजय अब कहा रुकने वाला था, उसने लगातार धक्के मारने शुरू कर दिया, करीब 5 मीन बेरहम चुदाई के बाद नेहा अपनी गांड उठा उठा कर लण्ड लेने लगी।
तब अजय ने नेहा के मुँह से अपना मुँह हटाया, मुँह खुलते ही नेहा बोली “पापा आप बहुत बेरहम हो, मुझे बोला धीरे करूंगा और अपने मेरी जान ही निकल दी। ”
अजय “बेटी जितना बेरहमी होगी उतना जल्दी तुम्हे मजा आएगा ये बात मुझे पता थी, अब बोलो मजा आ रहा है न?”
नेहा “अह्ह्ह्हह हाँ पापा बहुत मजा आ रहा है, उफ्फ्फ्फ़ ”
अब कार के अंदर गर्मी का नामों निशान नहीं था।
करीब 3 राउंड चुदाई के साथ सुबह हो गयी, और दोनों ने अपने कपडे पहने और अजय बोला “बेटी देखो जो हुआ उसका शुरुआत मजबूरी में हुआ था, लेकिन हम दोनों ने ही इसका मजा लिया है, अगर तुम्हे इसके बाद भी ये करना हो तो मुझे बता देना, किसी अनजान लड़के से बेहतर और सुरक्षित प्यार देगा तुम्हारा पापा”
नेहा कुछ बोली नहीं बस मुस्कुरा कर सर हिला दिया, अजय ने कहा बेटी मुझे ये भी पता है की ये बात तुम्हे कहने में शर्म आएगी तो मैं तुम्हे एक टॉप गिफ्ट करूंगा आज, जब मन हो तुम्हारा बस तुम वो टॉप पहन लेना।
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