Bete aur Mummy ka sex story: हेलो दोस्तों, मैं नील, आपकी पसंदीदा माँ-बहन की चुदाई की कहानी का तीसरा हिस्सा लेकर हाज़िर हूँ। आपने पिछले भाग में पढ़ा कि कैसे मैं और नेहा दीदी मम्मी को अपने चुदाई के खेल में शामिल करने का प्लान बना रहे थे। मम्मी का अकेलापन हमें उनके और करीब ला रहा था। मैंने मम्मी के फोन में माँ-बेटे और भाई-बहन की चुदाई की कहानियाँ डाल दी थीं, और अब कहानी में नया तड़का लगने वाला है।
कहानी का पिछला भाग: बेटे ने मम्मी को अपना अगला शिकार बनाया-2
मैं कॉलेज जाने से पहले मम्मी के फोन में कुछ हॉट देसी चुदाई की कहानियाँ डाल गया था। माँ-बेटे, भाई-बहन, और माँ-बेटी की कहानियाँ, जो मम्मी के मन में आग लगा दें। कॉलेज से लौटते ही मैंने मम्मी को किचन में जाकर पीछे से गले लगाया। मेरा 7 इंच का लंड लोअर में तना हुआ था और उनकी गाँड से सट रहा था। मैंने उनके गाल पर एक गर्म सा चुम्मा लिया और बोला, “मम्मी, आज आप कितनी प्यारी लग रही हैं।”
मम्मी ने हल्का सा शरमाते हुए कहा, “नील, तू भी ना, आजकल बड़ा प्यार जता रहा है। कुछ चाहिए क्या?” उनकी आवाज़ में शरारत थी।
मैंने मासूमियत से कहा, “नहीं मम्मी, बस आपको देखकर मन करता है कि आपको और प्यार दूँ। पापा तो अब घर पर कम रहते हैं, तो आपकी खुशी का ख्याल तो मुझे ही रखना है।” मम्मी ने मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा और अपना काम करने लगीं। मैंने चुपके से उनके फोन को चेक किया। मेरे होश उड़ गए—मम्मी ने सारी कहानियाँ पढ़ ली थीं! मेरे चेहरे पर शरारती मुस्कान आ गई।
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शाम को नेहा दीदी कॉलेज से लौटीं। मैंने उन्हें ये बात बताई। दीदी की आँखें चमक उठीं। “नील, हमारा प्लान तो धमाल मचा रहा है!” दीदी ने जोश में कहा। हम दोनों मम्मी को किचन में काम करते देख रहे थे। दीदी ने मुझे पास बुलाया और मेरे होंठों पर एक लंबा, गीला चुम्मा जड़ दिया। हम पाँच मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। दीदी की साँसें तेज हो रही थीं, और मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
दीदी ने मेरे कान में फुसफुसाया, “अब हमें और आगे बढ़ना है। मैं फ्रेश होकर आती हूँ। रात को तुझे दो बातें बताऊँगी।” मैं सोच में पड़ गया कि दीदी क्या बताने वाली हैं, लेकिन मैंने अपना प्लान चालू रखा।
शाम को मम्मी और दीदी किचन में खाना बना रही थीं। मैं वहाँ गया और मम्मी को फिर से पीछे से गले लगाया। मेरा लंड उनकी गाँड पर रगड़ रहा था। दीदी ने ये देखकर मज़ाक में कहा, “अरे वाह, नील! मम्मी पर तो तेरा पूरा ध्यान है आजकल।”
मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ दी, पापा तो अब घर पर रहते नहीं। मम्मी को प्यार देना तो मेरा काम है।”
दीदी ने शरारती अंदाज़ में कहा, “फिर तो मम्मी से पूछ लो, उन्हें ये प्यार चाहिए कि नहीं।”
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मैंने मम्मी की तरफ देखा और बोला, “मम्मी, मैंने तो पहले ही कह दिया था। अब पापा की जगह हम दोनों आपको ढेर सारा प्यार देंगे।”
मम्मी ने हल्का सा शरमाते हुए कहा, “हाँ, नेहा, नील ने मुझसे बात कर ली थी। तुम दोनों मेरा इतना ख्याल रखते हो, मुझे कोई शिकायत नहीं। तुम जो चाहो, वो कर सकते हो।” मम्मी की आवाज़ में एक अजीब सी गर्मी थी।
दीदी ने हँसकर कहा, “वाह, मम्मी, आपने तो हरी झंडी दे दी!” फिर दीदी ने भी मम्मी को गले लगाया। मम्मी ने हम दोनों को पलटकर गले लगाया, और उनकी आँखें हल्की नम थीं।
दीदी ने मज़ाक में कहा, “मम्मी, ये नील तो सिर्फ़ आपको प्यार देता है। मुझे तो भूल ही गया।”
मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “अरे दी, मम्मी को तो मैं ज़्यादा प्यार करता हूँ।” ये कहते हुए मैंने मम्मी के गालों पर चुम्मे लेने शुरू कर दिए। मम्मी ने हल्का सा टोका, “नील, ये क्या? नेहा ठीक कह रही है। तुम दोनों को बराबर प्यार करना चाहिए।”
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मैंने हँसकर कहा, “ठीक है, मम्मी।” फिर मैंने दीदी को मम्मी के सामने टाइट गले लगाया और उनके गाल पर चुम्मा लिया। मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था, और अब दीदी की गाँड से रगड़ रहा था।
दीदी ने मज़ाक में कहा, “नहीं, मैं मम्मी को ज़्यादा प्यार करती हूँ!” और वो भी मम्मी के गाल पर चुम्मे लेने लगीं। हम दोनों मम्मी के एक-एक गाल पर चुम्मे दे रहे थे। हमारा प्लान सही चल रहा था। फिर हमने जानबूझकर एक साथ मम्मी के होंठों पर चुम्मा ले लिया।
हम तीनों के होंठ एक पल के लिए टकराए। मैं और दीदी तुरंत पीछे हटे और माफ़ी माँगने लगे। “मम्मी, सॉरी, गलती से हो गया,” मैंने कहा।
मम्मी ने शरमाते हुए कहा, “कोई बात नहीं, बेटा। मैं समझ गई, गलती से हुआ। बस अब आपस में लड़ना बंद करो।” मम्मी की शरमाई हुई मुस्कान और उनकी आँखों में हल्की सी चमक बता रही थी कि वो इस पल को एंजॉय कर रही थीं।
मेरा लंड अभी भी तना हुआ था। मैंने मौके का फायदा उठाया और मम्मी को सामने से गले लगाया। मेरा लंड उनकी चूत पर दब रहा था। मैंने गले लगाते हुए उनके कानों में फुसफुसाया, “मम्मी, आप बहुत प्यारी हैं।” मम्मी ने कुछ नहीं कहा, बस हल्का सा मुस्कुराईं।
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खाना बनने के बाद हम सबने साथ खाया और अपने-अपने रूम में चले गए। रात को दीदी का मैसेज आया। मैं उनके रूम में गया। दीदी ने मुझे देखते ही ज़ोर से गले लगाया और मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्मा जड़ दिया। मैंने भी उनके होंठ चूसने शुरू किए। उनकी साँसें तेज हो रही थीं। मैंने दीदी को दीवार से सटाया और उनके टॉप के ऊपर से उनकी 34 साइज़ की चूचियाँ दबाने लगा। “आह्ह… नील… और ज़ोर से…” दीदी सिसक रही थीं।
मैंने उनका टॉप उतारा और उनकी ब्रा के ऊपर से उनके निप्पल्स को चूमा। दीदी की सिसकारियाँ बढ़ रही थीं। “उम्म… नील… पहले मेरी बात सुन…” दीदी ने कहा।
मैंने उनके निप्पल्स चूसते हुए कहा, “बोलो, दी।”
दीदी ने बताया, “पहली बात, तूने जो कहानियाँ मम्मी के फोन में डाली थीं, वो उन्होंने सारी पढ़ लीं। और जब मैं फ्रेश होने गई थी, तो मैंने देखा कि मम्मी की पैंटी सुख रही थी। वो पूरी गीली थी। इसका मतलब मम्मी ने दिन में ही वो पैंटी धोई, यानी कहानियाँ पढ़ते हुए उनकी चूत गीली हो गई थी।”
मैंने दीदी की ब्रा उतारी और उनकी चूचियाँ चूसते हुए कहा, “वाह, दी, ये तो कमाल की खबर है। मतलब मम्मी भी अब गरम हो रही हैं।”
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दीदी ने मेरे लंड को लोअर के ऊपर से पकड़ लिया और बोली, “हाँ, और दूसरी बात ये कि जब तूने शाम को मम्मी को गले लगाया था, तो मैंने देखा कि मम्मी का चेहरा लाल हो गया था। वो शरमा रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में एक अलग सी खुशी थी।”
मैंने दीदी की पैंटी उतारी। उनकी चूत पहले से ही गीली थी। मैंने उनकी चूत को सहलाना शुरू किया। “आह्ह… नील… और ज़ोर से…” दीदी सिसक रही थीं। मैंने दीदी को बेड पर लिटाया और उनकी टाँगें फैलाईं। उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी। मैंने अपनी जीभ से उनकी चूत चाटना शुरू किया। “उम्म… नील… कितना मज़ा आ रहा है…” दीदी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
मैंने उनकी चूत के दाने को चूसा और दो उंगलियाँ अंदर डाल दीं। दीदी की चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ आसानी से अंदर-बाहर हो रही थीं। “नील… अब डाल दे… और मत तड़पाओ…” दीदी ने मिन्नत की। मैंने अपना 7 इंच का लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा और धीरे से अंदर धकेला। “आह्ह… नील… कितना मोटा है तेरा लंड…” दीदी चिल्ला उठीं।
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “पच… पच… पच…” की आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं। दीदी की चूचियाँ हर धक्के के साथ हिल रही थीं। “नील… और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” दीदी चिल्ला रही थीं। मैंने स्पीड बढ़ाई और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। फिर मैंने दीदी को घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। “आह्ह… नील… और ज़ोर से… उफ्फ…” दीदी की सिसकारियाँ मुझे और जोश दिला रही थीं।
मैंने उनकी कमर पकड़ी और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। बीच-बीच में मैंने दीदी की गाँड पर हल्का सा थप्पड़ मारा, जिससे वो और सिसक उठीं। “नील… तू तो जंगली हो गया… आह्ह…” दीदी की आवाज़ में मज़ा और शरारत थी। मैंने दीदी को फिर पलटा और उनकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस बार मैंने उनकी चूत को और गहराई तक चोदा। “आह्ह… नील… तेरा लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है…” दीदी चिल्ला रही थीं।
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करीब 25 मिनट की चुदाई के बाद मैंने दीदी की चूत में अपना माल छोड़ दिया। “आह्ह… नील… तेरा माल कितना गर्म है…” दीदी ने सिसकारी भरी। हम दोनों थककर बेड पर लेट गए। दीदी मेरे सीने पर सिर रखकर बोली, “नील, अब मम्मी को भी यही मज़ा देना होगा।”
agla part kb
Delhi se koi mujhe message Karen
Hi am from Delhi
Hello Priyanka jii hm delhi se hai
Hi bhabhi ji
Call kari
Secret sex your privacy is very important
Iam from Delhi priyanka ji
Bro next story upload kro
Next part bhejo
Ha mujhe agali kahani ka intazar hai plz jaldi se dalo
Are Bhai jaldi se dalo agali kahani
Next part
Next part please