मेरा नाम दीपक है। मैं ग्वालियर, मध्य प्रदेश में रहता हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, मेरी हाइट 5 फीट 2 इंच है और मेरा लंड 6.5 इंच का है। मेरे घर में 6 लोग हैं। मेरी मम्मी प्रिया, 42 साल की हैं, उनका फिगर 38-34-42 है। पापा रमेश, 49 साल के हैं। मेरी पत्नी रचना, 19 साल की है, उसका फिगर 32D-28-36 है और हाइट 5 फीट 3 इंच है। मेरी बहन अनीता, 18 साल की है, उसका फिगर 34D-36-42 है और हाइट 5 फीट 3 इंच है। मेरी छोटी बहन पारुल, 18 साल की है, उसका फिगर 28-28-32 है और हाइट 5 फीट 1 इंच है।
अब मैं कहानी पर आता हूँ। मैं 12 साल की उम्र से ही सेक्स की किताबें पढ़ता था। चूत, लंड, गांड, चुदाई—ये सारी बातें मैंने अपने दोस्तों के सर्कल से सीख ली थीं। मेरे रिश्तेदारों में मुझसे बड़ी 5 भाभियाँ थीं, और मैंने एक-एक करके सबको चोदा, उनकी गांड मारी, मुँह में लंड चुसवाया। मेरी इन हरकतों की खबर मम्मी को थी। वो नाराज होती थीं, लेकिन मैं हमेशा मना करता कि मैंने कुछ नहीं किया। फिर भी मैं दिन में दो-तीन बार मुठ मारता था। 15 साल की उम्र में मैंने पहली बार चुदाई की—वो भी अपने एक रिश्तेदार भाई की शादी के दूसरे दिन। नई भाभी गाँव की थीं, अनपढ़ थीं, और आसानी से चुद गईं। उनकी सील तोड़ी, वो भी बिना किसी हिचक के।
धीरे-धीरे मैं इंटरनेट पर जाने लगा। वहाँ मैंने बहुत सारी सेक्स स्टोरीज पढ़ीं। मुझे मॉम-सिस्टर वाली कहानियाँ सबसे ज्यादा पसंद थीं। इन कहानियों ने मेरे दिमाग में मेरी बहन अनीता को चोदने का ख्याल डाल दिया। जब भी मौका मिलता, मैं उसे घूरता। उसकी 34D की चूचियाँ, 42 की भारी गांड—सब कुछ मुझे पागल कर देता था। मेरा एक दोस्त था, रोहित। मैं उससे अपनी सारी बातें शेयर करता था। एक दिन मैंने उससे कहा, “यार, तू कभी किसी रिश्तेदार को चोदने की सोचता है?” उसने कहा, “नहीं यार, ये गलत है।” मैंने हँसते हुए कहा, “रोहित, अगर घर में ही चुदाई हो तो किसे पता चलेगा? मैं तो अपनी बहन को चोदना चाहता हूँ।” वो शॉक हो गया, बोला, “क्या बकवास कर रहा है?” मैंने कहा, “तू ही मेरा भरोसेमंद दोस्त है, इसलिए बता रहा हूँ। वैसे मैं तो तेरी बहन और मम्मी को भी चोदना चाहता हूँ।” वो हँस पड़ा और बोला, “अच्छा, अगर तू मेरी बहन को चोदना चाहता है, तो मैं भी तेरी बहन को चोदना चाहता हूँ।”
रोहित की फैमिली में तीन लोग थे—रोहित, 19 साल का, उसकी मम्मी किरण, 37 साल की, फिगर 34-32-40, और उसकी बहन सोना, 18 साल की, फिगर 34-30-36। उसने कहा, “दीपक, लेकिन ये करेंगे कैसे?” मैंने कहा, “सिंपल है। तू मेरी मदद कर, मैं तेरी।” मैंने उसे प्लान समझाया। मैंने कहा, “रोहित, तू अपनी बहन का नंबर दे, मैं अपनी बहन का नंबर देता हूँ।” हमने नंबर एक्सचेंज किए। मैंने उसकी बहन सोना को फोन पर पटाना शुरू किया, और रोहित ने मेरी बहन अनीता को। धीरे-धीरे हम दोनों अपनी-अपनी बहनों से गंदी-गंदी बातें करने लगे। मैं रोज चुपके से अनीता का मोबाइल चेक करता, रोहित के भेजे हुए मैसेज पढ़ता।
मेरे पास एक अलग कमरा था, जहाँ मैं सीडी और टीवी पर XXX मूवीज देखता था। एक रात मैंने एक सीडी लगाई और सो गया। सुबह जब उठा, तो देखा अनीता मेरे कमरे में थी। वो वही सीडी चला रही थी। मैंने चुपके से आँखें बंद कर लीं और चादर ओढ़ ली, लेकिन कोने से देख रहा था कि वो क्या करती है। अनीता ने मूवी चालू की। उसमें ग्रुप चुदाई थी—दो लड़के, दो लड़कियाँ। धीरे-धीरे सब नंगे हो गए। लड़कों ने लंड निकाले, लड़कियों ने चूसना शुरू किया। फिर लड़कियाँ बदलीं और दोबारा चूसने लगीं। अनीता उस वक्त स्कर्ट और शर्ट में थी। उसने धीरे से अपनी शर्ट के बटन खोले। मैं चुपके से देख रहा था। उसने पिंक कलर की ब्रा पहनी थी। मूवी में अब लड़के लड़कियों की चूत चाट रहे थे। तभी एक उम्रदराज औरत आई, जो उनमें से एक लड़के की मम्मी थी। वो चिल्लाने लगी। मूवी इंग्लिश में थी, लेकिन इतना समझ आया कि वो सबको डाँट रही थी। फिर उसका दोस्त आगे बढ़ा और उस औरत की चूचियाँ दबाने लगा, जो 42 से कम नहीं थीं। उसका बेटा आया और उसकी एक चूची मुँह में ले ली। दूसरी औरत उसकी चूत चाटने लगी।
मैंने चुपके से अपनी चड्डी से लंड निकाला और चादर हटाई, ताकि सिर्फ मेरा लंड दिखे। अनीता ने अपनी स्कर्ट में हाथ डाला, पैंटी उतारी और अपनी चूत सहलाने लगी। मेरे घरवालों को पता था कि मैं गहरी नींद में सोता हूँ, लेकिन उस वक्त मैं जाग रहा था। अनीता ने मुझे देखा, उसे लगा मैं सो रहा हूँ। उसने मेरी चादर हटाई और मेरे लंड को देखने लगी। फिर उसने मुझे आवाज दी, “भैया!” मैं चुप रहा। उसने अपनी ब्रा उतारी और मेरे लंड को पकड़ लिया। मैं सन्न रह गया। वो बोली, “कितना प्यारा लंड है भैया का!” उसने अपनी एक चूची मेरे मुँह पर रगड़ी। मैं सोने की एक्टिंग करता रहा। उसने कहा, “भैया, तुम कितने अच्छे हो। दो साल से इतनी अच्छी मूवीज दिखाते हो, और आज लंड भी दिखा दिया, जिसके लिए मैं बेकरार थी।” फिर उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। तभी मम्मी ने नीचे से आवाज दी। अनीता ने फटाफट कपड़े ठीक किए और नीचे चली गई। मैंने उसे जाने दिया।
मैं सोच में पड़ गया। मैं तो सोचता था कि मैं उसे चोदना चाहता हूँ, लेकिन वो तो मुझसे चुदना चाहती थी! कुछ देर बाद मैंने अनीता की याद में मुठ मारी और नीचे गया। वो किचन में थी। मैं उसे उसी हालत में सोच रहा था, जैसी वो आधे घंटे पहले थी। मैंने रोहित को फोन किया और सारी बात बताई। मैंने कहा, “तू भी मेरी तरह ट्राई कर।” तभी मम्मी आईं और बोलीं, “बेटा, मुझे तेरी मौसी के घर जाना है। मुझे छोड़ आ।” मैंने मम्मी को अपनी पल्सर बाइक पर बिठाया। मौसी का घर हमारे घर से 35 किलोमीटर दूर मुरैना में था। मैं जानबूझकर बार-बार ब्रेक लगाता। मम्मी डर रही थीं, बोलीं, “बेटा, धीरे चला।” लेकिन मैं अनीता के बारे में सोचकर गर्म हो रहा था। मेरा लंड टाइट था। मैंने मम्मी से कहा, “मम्मी, मेरी कमर पकड़ लो।” उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया। मैं बार-बार ब्रेक लगाता, जिससे उनकी चूचियाँ मेरी पीठ पर दब रही थीं। उनका हाथ मेरे पेट से सरककर मेरे पैंट के ऊपर आ गया। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड को छूने लगीं। उन्होंने हाथ नहीं हटाया। मैं जोश में आ रहा था। मम्मी ने धीरे से मेरी जिप खोलने की कोशिश की। मैंने महसूस नहीं होने दिया कि मुझे पता है। उन्होंने जिप आधी खोलकर अपना हाथ अंदर डाला और मेरा लंड पकड़ लिया। मैंने गाड़ी रोक दी। उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्यूँ बेटा, गाड़ी क्यूँ रोकी?” मैंने कहा, “कुछ नहीं।” मैंने गाड़ी फिर चालू की।
अप्रैल का महीना था। सड़क खाली थी, गर्मी थी, दोपहर का 1 बज रहा था। मैंने गाड़ी धीमी कर दी। मम्मी बोलीं, “बेटा, अब धीरे क्यों चला रहा है?” मैंने कहा, “मम्मी, रेस वायर तो आपने पकड़ रखा है।” उन्होंने मेरे गले पर चूम लिया। मैंने क्लच छोड़कर एक हाथ पीछे ले जाकर उनकी चूची छुई। कितनी मुलायम थीं! उन्होंने कुछ नहीं कहा। मैं उनकी चूचियाँ दबाता रहा, और वो मेरा लंड मसलती रहीं। मैंने कहा, “प्रिया डार्लिंग, अच्छा लग रहा है।” उन्होंने मेरी पीठ पर काटा और बोलीं, “बेटा, इतनी जल्दी मम्मी से डार्लिंग?” मैंने कहा, “हाँ मेरी रानी।” वो मेरा लंड हिलाती रहीं, मैं उनकी चूचियाँ दबाता रहा। फिर हम मौसी के घर पहुँच गए। मैंने जिप बंद कर ली और मम्मी को वहाँ छोड़कर घर वापस आ गया।
शाम के 4 बज रहे थे। छोटी बहन पारुल स्कूल से आ चुकी थी। मैंने पूछा, “अनीता कहाँ है?” उसने कहा, “तेरे कमरे में।” वो मम्मी के कमरे में चली गई। मैं चुपके से अपने कमरे में गया। अनीता वही मूवी देख रही थी, और इस बार वो पूरी नंगी थी। उसने सोचा होगा कि मैं मम्मी के साथ गया हूँ, शायद कल आऊँगा। वो अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी और बोल रही थी, “भैया, चाटो मेरी चूत! दीपक डार्लिंग, चोदो अपनी बहन की चूत! मुझे रंडी बना दो, बस चोद दो! मेरी चूत की आग शांत कर दो!” मैं मन ही मन खुश हो गया। एक ही दिन में मम्मी और बहन, दोनों मेरे बस में!
मैंने चुपके से अपनी पैंट और शर्ट उतारी, सिर्फ चड्डी में रह गया। फिर कमरे में घुसा और अनीता की चूचियाँ पकड़ लीं। वो चौंक गई। मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो नाटक करने लगी, “नहीं, ये गलत है!” मैंने उसका हाथ पकड़कर अपना लंड पकड़ा दिया और कहा, “सुबह जब इस लंड को चूसा था, तब गलत नहीं था?” उसने पूछा, “आप जाग रहे थे?” मैंने कहा, “हाँ मेरी रंडी बहन, जब तू चूस रही थी, मैं जाग रहा था।” उसने कहा, “अच्छा, ये गलत है।” वो कपड़े पहनने का नाटक करने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “ऐसे माफी नहीं मिलेगी। चूस, तब माफ करूँगा।” उसने तुरंत मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। मैंने कहा, “रंडी, कहती थी गला गलत है, अब कैसे चूस रही है?” अनीता बोली, “बहनचोद, तू ही तो बड़ा शरीफ बनता है। कब से मुझे चोदना चाहता था।” मैंने पूछा, “तुझे कैसे पता?” उसने कहा, “तेरे उस गांडू दोस्त ने बताया, जो फोन पर गंदी बातें करता है। तूने मेरा नंबर उसे क्यों दिया? मुझे क्या चांद का माल समझा है कि कोई भी चोदेगा?” मैंने कहा, “क्योंकि मैं उसकी बहन को चोदना चाहता हूँ। और तुझे भी तो ग्रुप चुदाई पसंद है।” अनीता बोली, “तो चुदवा ले उससे भी, लेकिन अभी तू चोद, मादरचोद!” मैंने कहा, “मादरचोद नहीं, बहनचोद हूँ। सिर्फ तुझे चोदूँगा।”
मैंने उसका मुँह पकड़ा और लंड चुसवाया। 5 मिनट तक वो चूसती रही। फिर मैंने उसकी चूत चाटना शुरू किया। अनीता चिल्लाने लगी, “चूसो भैया, चूसो मेरी चूत! आआह्ह्ह… मुुुुुुह्ह्ह… चाटो! मैं कब से जल रही थी! आआआह्ह्ह… बहनचोद, चूसो!” मैंने उसकी गुलाबी चूत की फाँकों को जीभ से चाटा, अंदर तक जीभ डालकर चूसा। फिर मैंने तेल की डिब्बी से तेल लिया, उसकी चूत पर लगाया और अपने लंड पर भी। मैंने धीरे से लंड उसकी चूत में डाला। 1 इंच ही गया था कि वो चिल्लाने लगी, “आआह्ह… निकालो!” मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया और एक और धक्का मारा। आधा लंड अंदर चला गया। वो रोने लगी, “रुको, दर्द हो रहा है!” लेकिन मैं जोश में था। मैंने पूरा लंड अंदर डाल दिया। वो रोती रही, लेकिन मैं धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा। कुछ देर बाद वो शांत हुई। मैंने उसके होंठ छोड़े। उसने कहा, “बहन के लंड, तूने मेरी चूत फाड़ दी! आराम से करता, मैं तेरी बहन हूँ या रंडी?” मैंने कहा, “रंडी!” और जोर-जोर से धक्के मारने लगा।
अब उसे भी मजा आने लगा। वो चिल्लाने लगी, “चोद भैया, चोद! आआआह्ह्ह… म्म्म्मुुुुुह्ह्ह… मेरी चूत की आग शांत कर दो! साली कब से तड़प रही थी! आआआह्ह्ह… पूरा डालो! आआआआह्ह्ह…” मैंने और जोर से धक्के मारे। “पच… पच… पच…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने आधे घंटे तक उसे चोदा। फिर मैंने सारा माल उसकी चूत में डाल दिया। जब लंड निकाला, तो वो खून और माल से गंदा था। अनीता ने उसे चाटना शुरू किया। मैंने रोका, तो उसने कहा, “ये मेरा माल है, मैं जो चाहूँ करूँ।” मैंने उसे चाटने दिया।
रात को पापा आए। खाना खाकर अनीता मेरे कमरे में आई।
आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या अनीता और दीपक का ये रिश्ता और गहरा होगा? अगली कहानी में क्या होगा? अपने विचार कमेंट में बताएँ।