Sasur Bahu chudai – कहानी का पिछला भाग: बहकती बहू-29
दोनों मीठी-मीठी रोमांटिक बातें करते रहे। तब तक सन्नी एक बार फिर तैयार हो गया। इस बार उसने काम्या को अपने ऊपर कर लिया। काम्या कुछ देर सन्नी के ऊपर उठक-बैठक करती रही, लेकिन लगातार खुद चुदाई करने से वो थक गई।
काम्या: भैया, आप ऊपर आकर करो। मैं थक गई हूँ!
सन्नी: अरे जान, कर ना। रोज़ तो मैं ही करता हूँ, तू भी तो राइड कर।
काम्या: नहीं, भैया, मुझे राइड करना अच्छा नहीं लगता। ये काम मर्दों का होता है, औरतों का नहीं। मुझे तो मज़े से नीचे लेटे रहना अच्छा लगता है। आइ डोंट वॉन्ट टू फक, आइ लाइक टू फील बीइंग फक्ड बाय यू! कम एंड बैंग मी!
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सन्नी: ओके, डार्लिंग, लेट्स डू समथिंग न्यू!
सन्नी ख़ुद बैठ गया और काम्या को अपनी गोद में बिठाकर उसकी बुर में लंड डाल दिया। इस आसन में दोनों के बदन एक-दूसरे के करीब आ गए। काम्या के बूब्स सन्नी की चौड़ी छाती से रगड़ने लगे। सन्नी ने उसके होंठ अपने होंठों में फँसा लिए और ज़ोर-ज़ोर से किस करने लगा। उसके दोनों हाथ काम्या की गांड के नीचे से उसे उछाल रहे थे, जिससे उसकी बुर में लंड अंदर-बाहर हो रहा था।
काम्या के लिए ये पोज़ एकदम नया था। इस पोज़ में वो सन्नी के साथ गहरी इंटिमेसी फील कर रही थी। सेक्स के दौरान दोनों के जिस्मों का इतने पास रगड़ खाना उसे बहुत हॉर्नी बना रहा था। सन्नी कभी उसके मम्मों को चूसता, तो कभी उसके नाज़ुक, सेक्सी कंधों को काटने लगता। चंद पलों में काम्या बेखुदी में पहुँच गई। वो ज़ोर-ज़ोर से साँसें लेने लगी। उसकी आँखें आनंद की अधिकता से बोझिल हो रही थीं।
काम्या: भैया, दिस इज़ रियली ऑसम! आइ लव द वे यू आर फकिंग मी!
सन्नी अब नीचे से तेज़-तेज़ झटके मारने लगा। एक बार फिर “मदनलाल निकेतन” अपनी सेक्सी बहू की मादक सिसकारियों से गूँजने लगा। उस रात सन्नी ने दो घंटे में काम्या को चार बार स्वर्ग दिखा दिया और फिर अपने कमरे में जाकर निढाल होकर सो गया। इधर, काम्या भी सन्नी की जबरदस्त चुदाई से बेहाल थी। वो रूम बंद कर पलंग पर पस्त हो गई।
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सुबह शांति के नहाने-धोने से काम्या की नींद कुछ डिस्टर्ब हो गई। शांति रोज़ मॉर्निंग वॉक पर जाती थी। काम्या की नींद खुलने पर उसे रात की चुदाई याद आई। उसे मालूम था कि मम्मी एक घंटे बाद लौटेंगी। जैसे ही उसे याद आया कि आज सन्नी चला जाएगा, उसका दिल कसक उठा। उसने सोचा, मम्मी चली गई हैं, बाबूजी आठ-नौ बजे तक नहीं उठेंगे, तो एक बार सन्नी का प्यार फिर से ले लेती हूँ। उसने सन्नी को फोन लगाया।
सन्नी: हाँ, डार्लिंग, बोलो!
काम्या: भैया, सो रहे थे क्या?
सन्नी: अरे, मेरी रानी, तुम बोलो, कॉल क्यों की?
काम्या: भैया, मम्मी जॉगिंग चली गई हैं। आप भी आज जा रहे हो, तो मेरा दिल आपके पास आने को कर रहा है।
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सन्नी: अरे, छम्मिया, तो जल्दी आ ना। मैं तो खुद मॉर्निंग वुड से परेशान बैठा हूँ!
काम्या: मॉर्निंग वुड? भैया, ये क्या होता है?
सन्नी: तू बस जल्दी आ, तुझे सब यहीं पता चल जाएगा।
काम्या ने जल्दी से सेक्सी ढंग से ड्रेस अप किया और सन्नी के कमरे में पहुँच गई। सन्नी उसे इस रूप में देखता रह गया। सुबह से वो अपने कोबरा से परेशान था, और अब काम्या को देखकर उसके कोबरा ने हाहाकार मचा दिया। वो तेज़ी से लपका और काम्या पर टूट पड़ा। वो उसे चूमने, नोचने लगा। चंद पलों में काम्या टॉपलेस हो गई। अपने को ऊपर से नंगी देखकर काम्या शरमा गई।
काम्या: भैया, दरवाज़ा तो बंद कर दो कम से कम!
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सन्नी ने लपककर दरवाज़ा बंद किया और पलटते ही काम्या की अधनंगी जवानी देखकर उसकी आँखें फैल गईं। जब वो उससे लिपटा था, तो उसका मादक बदन पूरी तरह देख नहीं पा रहा था, लेकिन अब पूरा पैनोरमिक व्यू देखकर भौंचक रह गया। बिना ब्लाउस की काम्या बेहद कामुक और सेक्सी लग रही थी। जब एक अमृत कलश ने देवासुर संग्राम करा दिया था, तो यहाँ दो-दो अमृत कलश थे। काम युद्ध तो होना ही था!
गोरी, चिकनी काम्या के बदन पर सिर्फ़ साड़ी पड़ी थी। उसके बड़े-बड़े संतरे इतने लुभावने थे, मानो कह रहे हों, “आओ ना, चूसो हमें!” सन्नी के लिए अब सब्र करना मुश्किल था। उसने तुरंत आगे बढ़कर अपना मुँह उन अमृत कलशों में लगा दिया। चूची की घुंडी पर सन्नी के होंठ लगते ही काम्या सनसना गई। उसके पूरे शरीर में बिजली कौंध गई। सन्नी ने उसके कच्चे कैरियों का रस पीते-पीते उसे बिस्तर पर गिरा दिया और जबरदस्त तरीके से उसके स्तन चूसने लगा। सन्नी का लंड काम्या की बुर के ऊपर टच हो रहा था, जिससे वो पल-पल गर्म होती जा रही थी। अचानक काम्या पूछ बैठी,
काम्या: भैया, ये मॉर्निंग वुड क्या होता है, जो आप कह रहे थे?
सन्नी ने उसका हाथ पकड़कर अपने फन फैलाए कोबरा पर रख दिया।
सन्नी: जान, इसे कहते हैं मॉर्निंग वुड। सुबह-सुबह ये लकड़ी की तरह कड़ा हो जाता है और बहुत परेशान करता है। अब तू आ गई है, तो इसकी परेशानी दूर हो गई।
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काम्या: भैया, मैं तो हमेशा आपको खुश देखना चाहती हूँ। अगर मैं आपके काम आ सकी, तो ये मेरी खुशकिस्मती है।
सन्नी: बस, मेरी रानी, तू इसी काम आया कर। मुझे तुझसे कुछ नहीं चाहिए।
सन्नी फिर उस पर टूट पड़ा। दोनों प्रेमी कामक्रीड़ा में मस्त हो गए। सन्नी ने सूर्योदय के साथ ही काम्या को अपना जल चढ़ा दिया, जिसे उसने तत्परता से ग्रहण कर लिया।
अपनी प्यास बुझते ही काम्या अपने रूम में चली गई, और सन्नी फिर खर्राटे लेने लगा। सुबह नौ बजे सन्नी की नींद खुली। वो अलसाया-सा हॉल में गया, तो देखा काम्या कल रात वाली साड़ी में बेहद सेक्सी अंदाज़ में बैठी थी। ब्लाउस से उसकी चूचियाँ आधी से ज़्यादा बाहर दिख रही थीं। उसकी क्लीवेज देखकर सन्नी का लंड फिर खड़ा होने लगा। मदनलाल बार-बार उसी को देखे जा रहा था। काम्या के मम्मे देखकर उसकी लार टपक रही थी। सन्नी सोचने लगा, “कितनी सीधी-सादी थी मेरी बहन, लेकिन एक मज़बूत लंड की चाहत ने उसे कितना चालाक और तिकड़मबाज़ बना दिया। जो लड़की लड़कों की तरफ़ देखती भी नहीं थी, वो आज रातभर मुझसे चुदवाकर अब अपने ससुर को लाइन मार रही है, ताकि सब स्मूद चले।”
सन्नी काम्या का गेम प्लान समझ गया। वो जानबूझकर बाबूजी को ये सब दिखा रही थी, ताकि मदनलाल ख्वाब में भी न सोचे कि वो रातभर अपने भाई से चुदवा रही है। जिस तरह वो मदनलाल को सिड्यूस कर रही थी, उससे बेचारा बूढ़ा यही समझ रहा होगा कि बहू उसी की दीवानी है।
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काम्या: भैया, आप उठ गए? मैं आपके लिए चाय लाती हूँ।
वो सन्नी को चाय लाकर दी और बोली, काम्या: भैया, मैं नहाकर आती हूँ। फिर आप भी नहा लेना। तब तक मैं नाश्ता लगा दूँगी।
सन्नी नहाकर अपने कमरे में जा रहा था, तभी उसने देखा कि काम्या नए सलवार सूट में हॉल में सबके साथ बैठी थी। वो अपने कमरे में गया, बैग पैक किया और हॉल में आ गया। सन्नी को बैग लेकर आया देख काम्या बोली, काम्या: सन्नी, ये क्या है? ये बैग क्यों ले आए?
सन्नी: दीदी, अब मैं चलूँगा। वैसे ही आपने बहुत रोक लिया।
काम्या: अरे, सन्नी, तू पहली बार आया है। एक-दो दिन और रुक जा ना।
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सन्नी: नहीं, दीदी, अब जाने दीजिए। मुझे दुकान में भी बैठना पड़ता है और खेत का काम भी देखना पड़ता है। पापा अकेले परेशान हो रहे होंगे।
काम्या: ठीक है, लेकिन थोड़ा रुक जा। लंच करके जाना। बिना खाना खाए घर से निकलना अपशकुन होता है।
सन्नी: दीदी, नाश्ता तो कर रहा हूँ ना।
काम्या: चुप कर। नाश्ता खाना नहीं होता। खाना खाकर ही जाएगा। दैट्स फाइनल!
दोनों भाई-बहन की नोंकझोंक देख शांति भी बोल पड़ी, शांति: बेटा, बहू बिल्कुल सही बोल रही है। खाना खाकर ही जाना। अभी तैयार हो जाएगा, बारह बजे तक।
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फिर मदनलाल की तरफ़ देखकर बोली, शांति: सुनिए जी! बच्चा पहली बार घर आया है। खाली हाथ जाएगा, तो आपके समधी जी क्या सोचेंगे कि मैं तो मेजर साहब को हमेशा बढ़िया वाली पिलाता था, और उन्होंने मेरे बच्चे को खाली हाथ लौटा दिया!
मदनलाल: हाँ, तो बोलो, क्या करना है? एक बोतल इसके हाथ भिजवा दूँ क्या नेता जी के लिए?
शांति: हे भगवान! आपको तो शर्म नाम की चीज़ नहीं? बच्चे के हाथ बाप को शराब भिजवाओगे?
मदनलाल: हाँ, तो फिर तुम्हीं बताओ, क्या करना है?
शांति: एक काम करो। बाज़ार जाओ और बच्चे के लिए एक जोड़ी पैंट-शर्ट का कपड़ा ले आओ। तब तक मैं पूजा-पाठ से निपट जाती हूँ।
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शांति पूजन कक्ष में चली गई। सन्नी बार-बार “बच्चा” सुनकर अंदर ही अंदर मुस्करा रहा था। “ये लोग मुझे बच्चा समझ रहे हैं। बेचारों को नहीं मालूम कि यही बच्चा तीन रात से उनकी बहू चोद रहा है, और अब मदनलाल अपनी बहू चोदने का इनाम देने बाज़ार जा रहे हैं।”
मदनलाल: ठीक है, बहू, मैं बाज़ार जा रहा हूँ। अपने एक-दो काम निपटाकर बारह बजे तक आ जाऊँगा।
बाबूजी के बाहर जाते ही सन्नी उठकर बाहर गया। जब बाबूजी अपनी एक्टिवा से काफी दूर निकल गए, तो वो अंदर आया, चिटकनी लगाई और काम्या के पास पहुँच गया। काम्या ने देखा कि सन्नी की आँखों में फिर वासना की लाली छा चुकी थी।
काम्या: सन्नी, ये दरवाज़ा क्यों बंद कर दिया?
सन्नी: ताकि बाहर से कोई डिस्टर्ब न कर सके।
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काम्या: लेकिन दरवाज़ा बंद करने की क्या ज़रूरत आ गई?
सन्नी: जान, तुम्हें प्यार जो करना है।
काम्या: पागल हो? मम्मी पूजा के कमरे में हैं।
सन्नी: उसकी छोड़, यार। वो तो कल भी थी। बुढ़िया अब घंटा-भर नहीं निकलने वाली।
सन्नी ने उसे बाहों में भर लिया। काम्या ना-ना कहती रही, लेकिन सन्नी के हाथ उसके मम्मों और जाँघों पर जम गए। शांति के डर से वो ज़ोर से बोल भी नहीं सकती थी। सन्नी ने उसकी कुरती उतारनी शुरू कर दी।
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काम्या: प्लीज़, कपड़े मत उतारो। ऊपर से ही कर लो। मम्मी आ सकती हैं।
सन्नी ने काम्या का कुरता ऊपर किया और उसके दूध निकालकर पीने लगा। खुले हॉल में दूध चुसवाने का थ्रिल ऐसा था कि काम्या के पूरे बदन में करेंट दौड़ने लगा। वो सोच रही थी कि शायद इतने से बच जाएगी, लेकिन सन्नी का इरादा आज कुछ और था। वो हॉल में ही काम्या को चोदने के मूड में था। वो फिर उसकी कुरती उतारने लगा।
काम्या: प्लीज़, भैया, कपड़े मत उतारो। मम्मी आ सकती हैं।
सन्नी: फिर मम्मी-मम्मी कर रही हो? बच्ची हो क्या, जो हमेशा मम्मी को याद करती हो?
सन्नी का बूब्स मसलना जारी था।
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काम्या: भैया, प्लीज़ समझो, मम्मी आ सकती हैं।
सन्नी: यार, तू ज़्यादा डरा मत। कल मम्मी आई थी क्या, जब मैंने तेरा दूध पिया था? वैसे भी, आने से पहले वो दस मिनट तक घंटी बजाती है। फिर क्यों टेंशन लेती है? आने से दस मिनट पहले घंटी बजाकर सूचना देने वाली सास कहीं मिलेगी क्या?
सन्नी ने काम्या की कुरती उतार दी। अब वो केवल ब्रा और पजामी में सोफे पर बैठी थी। काम्या बहुत डरी हुई थी। इस तरह अर्धनग्न ड्रॉइंग रूम में बैठना उसे डरावना लग रहा था। सन्नी भी वहीं बैठ गया और उसे अपनी गोद में बिठाकर उसके जिस्म से खेलने लगा। काम्या के जिस्म में फिर गर्मी भरने लगी और वो बहकने लगी। सन्नी ने काफी देर तक उसे गर्म किया और फिर उसकी पजामी का नाड़ा पकड़कर एक झटके में खींच दिया। जैसे ही वो पजामी उतारने लगा, काम्या को होश आया कि उसका नाड़ा खुल चुका है। उसने तुरंत पजामी पकड़ ली।
काम्या: भैया, ये आप क्या कर रहे हो? मुझे मरवाओगे क्या?
सन्नी: जान, तुझे मरवाऊँगा नहीं, बल्कि तेरी मारूँगा!
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काम्या: नहीं, प्लीज़, मेरी पजामी छोड़िए। मैं अभी ये नहीं कर सकती। मम्मी आ सकती हैं।
सन्नी: अरे यार, कोई नहीं आने वाला। चल, तू खड़ी हो और सोफे को पकड़कर झुक जा। बस पाँच मिनट का ही तो काम है।
काम्या: नहीं, मैं नहीं करूँगी!
मगर सन्नी नहीं माना। उसने काम्या की पजामी घुटनों तक उतार दी। अब वो मजबूर होकर घुटनों तक नंगी सोफे पर बैठी थी। वो सन्नी को रोक रही थी, लेकिन शांति के पास होने के कारण ज़ोर से बोल नहीं पा रही थी। काम्या को और कमज़ोर करने के लिए सन्नी ने अपनी ज़िप खोली और लंड बाहर निकाल दिया, जो उसके मुँह के पास लहराने लगा। ऐसा लग रहा था, जैसे कोई खूंखार कोबरा फुंफकार रहा हो। काम्या उस मोहक लंड को देखकर बहकने लगी। पता नहीं उसके शरीर में कौन-सा केमिकल लोचा था कि मर्द के लंड की गंध नाक पर पड़ते ही वो मदहोश हो जाती थी। इस वक़्त भी उसका यही हाल था। सन्नी का खूँटा उसके संयम की परीक्षा ले रहा था, और वो जानती थी कि इस टेस्ट में वो फेल हो जाएगी। सन्नी ने उसे ब्लो का इशारा किया, और वो सम्मोहित-सी लंड पर झुक गई।
कुछ देर लंड चूसने के बाद सन्नी ने उसे पकड़कर उठाया और सोफे पर औंधा दिया। अब काम्या डॉगी पोज़ में थी। सन्नी उसकी गांड के पास बैठ गया और अपनी दहकती जीभ उसकी चूत पर लगा दी। चूत की पंखुड़ियों पर भाई की जीभ का स्पर्श लगते ही काम्या कसमसा गई, लेकिन विवशता में सिसकारी भी नहीं ले पा रही थी। सन्नी उसकी चूसाई बुरी तरह करने लगा। काम्या के अंदर ज्वालामुखी भड़कने लगा, जो कभी भी फट सकता था। चूत चूसाई उसे बहुत आनंद देती थी, लेकिन असली मज़ा उसे तब आता था, जब कोई मोटा, लंबा खूँटा अंदर जाकर उसकी कुटाई करता था। जब उसके अंदर का लावा दबाव डालने लगा, तो उसने कहा, काम्या: भैया, बस, अब डाल दीजिए।
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सन्नी: क्या डालना है, जान?
काम्या: प्लीज़, सताओ मत। अपना अंदर डाल दीजिए।
सन्नी: क्या डालूँ, बोल ना, मेरी छम्मक छल्लो।
काम्या: अपना वो! अपना लंड डाल दीजिए। अब बर्दाश्त नहीं होता।
सन्नी: कहीं मम्मी आ गई, तो?
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काम्या: नहीं आएगी। आप डालिए ना। बस पाँच मिनट का ही काम है।
सन्नी ने मौके की नज़ाकत समझी। वो जानता था कि ये बहुत दुस्साहस का काम है, इसलिए उसने समय बर्बाद नहीं किया और काम्या की पनियाई बुर में अपना पठानी लंड पेल दिया। हॉल में सैलाब आ गया। काम्या की हालत खराब होने लगी। आनंद के चरम क्षणों में उसे सिसकारियाँ लेने की आदत थी, लेकिन माँजी के डर से वो मुँह बंद किए अंदर ही अंदर इस आनंद को पी रही थी। सन्नी अपने ताबड़तोड़ धक्कों के साथ उसकी गोरी, चिकनी, मांसल गांड को भी सहला रहा था। तभी उसने अचानक अपना अँगूठा काम्या की टाइट गांड में डाल दिया।
काम्या: उई, भैया, नहीं, प्लीज़, वहाँ नहीं! बाद में कभी कर लेना।
सन्नी: चिंता मत कर, रानी, केवल उँगली ही डाल रहा हूँ।
दोनों छेदों में मस्ती का आलम ऐसा था कि काम्या बेसुध-सी अपने प्यारे भैया की असहिष्णुता का मज़ा लेने लगी।
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कहानी का अगला भाग: बहकती बहू-31
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