बहकती बहू-28

Nind ki goli dekr chudai – कहानी का पिछला भाग: बहकती बहू-27

रात को डिनर के बाद शांति और सन्नी अपने-अपने कमरे में चले गए। तब काम्या ने मदनलाल को दूध दिया, जिसमें उसने एक की बजाय दो नींद की गोलियाँ डाल दीं। फिर किचन का काम निपटाकर वो उनके पास हॉल में बैठ गई। मदनलाल उसे चिपकाकर उसके बूब्स दबाने लगा, लेकिन दवा का असर शुरू हो चुका था। उसकी पलकें भारी होने लगीं।

मदनलाल: बहू, मैं सोने जा रहा हूँ। आज ज़रा नींद आ रही है।

काम्या: ठीक है, बाबूजी। लगता है कल की थकावट अभी भी है।

काम्या मुस्कुराई। वो उनके साथ बिस्तर तक गई, उन्हें लिटाकर चली आई। शांति पहले ही खर्राटे मार रही थी। मदनलाल के सोने के बाद काम्या आधे घंटे तक अपने कमरे में रही। वो पूरी तरह आश्वस्त होना चाहती थी, लेकिन सन्नी बार-बार कॉल करके बेसब्र हो रहा था। आखिरकार उसे जाना पड़ा। उसने सेक्सी नाइटी पहनी और सन्नी के कमरे में पहुँच गई।

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सन्नी सिर्फ़ शॉर्ट्स में उसका इंतज़ार कर रहा था। काम्या के आते ही वो भूखे बंगाली टाइगर की तरह उस पर टूट पड़ा। उसने उसके शरीर को चारों तरफ़ से नोचना शुरू कर दिया। काम्या भी उसकी हरकतों और पिछली रात की भक्कम चुदाई को याद कर गर्म हो गई। उसने शॉर्ट्स के ऊपर से ही सन्नी के मूसल को मुठियाना शुरू कर दिया। जब सन्नी ने उसकी नाइटी उतारी, तो देखा कि काम्या ने अंदर कुछ नहीं पहना था।

सन्नी: क्या बात है, दीदी, बिल्कुल तैयार होकर आई हो?

काम्या: चुप कर! मैं रोज़ ऐसे ही सोती हूँ!

सन्नी ने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी दोनों टाँगें चौड़ी कर दीं। काम्या ने शर्म से आँखें बंद कर लीं। उसकी हसीन चूत सन्नी के सामने चमकने लगी। सन्नी ने आज की प्लानिंग पहले से कर रखी थी। आज वो काम्या का शहद पीना चाहता था। वैसे तो सन्नी कम ही औरतों की चूत चाटता था। बाज़ारू औरतों के साथ तो बिल्कुल नहीं, सिर्फ़ एक-दो साफ़-सुथरी भाभी टाइप की थीं, जिन्हें वो कभी-कभार चाटता था। लेकिन काम्या जैसी तराशी हुई, घर की हाइजेनिक चूत को कैसे छोड़ सकता था? वो कल ही चाटना चाहता था, लेकिन मदनलाल का लंड वहाँ घुसता देख उसका मन नहीं हुआ। आज काम्या एकदम फ्रेश थी। सन्नी ने अपना मुँह उसकी चिकनी, मांसल जाँघों के बीच डाल दिया।

चूत पर सन्नी की जीभ लगते ही काम्या सिसक पड़ी।

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काम्या: भैया, नहीं! प्लीज़ वहाँ मत करो! वो गंदी जगह है।

सन्नी: जान, गंदी नहीं, मेरे लिए तो ये अमृत कुंड है!

सन्नी ने पूरी चूत को अपनी खुरदरी, गर्म जीभ से चाटना शुरू कर दिया। काम्या का बुरा हाल होने लगा। सन्नी हर चीज़ में बाबूजी से तेज़ था। उसमें धीरज जैसी कोई चीज़ थी ही नहीं। काम्या के अंदर उबाल आने लगा। उसने सन्नी के शॉर्ट्स में हाथ डाला और उसके हथियार को पकड़ लिया। सन्नी बड़ी लगन से उसकी गुड़िया की सेवा कर रहा था। ऐसी चूत उसे पहली बार चाटने को मिली थी। वो चूत के दोनों वर्टिकल लिप्स फैलाकर गहराई तक जीभ पहुँचा रहा था। काम्या मदहोश हो रही थी।

सन्नी: रानी, तुम भी चूसो ना।

काम्या: मैं कैसे करूँ? तू जो कर रहा है!

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सन्नी: तुम पलटकर मेरे ऊपर आ जाओ।

दोनों 69 पोज़िशन में आ गए। दोनों बेहद कामुक तरीके से एक-दूसरे के अंगों को चूस रहे थे। फिर सन्नी 69 में ही ऊपर आ गया और काम्या को नीचे कर दिया। इससे उसे ज़्यादा कंट्रोल मिल रहा था। उसकी नज़र अब काम्या की पड़ोसन (गांड) पर ठहर गई। उसने अपना अँगूठा काम्या की चूत में डालकर लुब्रिकेट किया और उसकी गांड में घुसेड़ दिया।

गांड में अँगूठा घुसते ही काम्या दर्द से भर गई।

काम्या: भैया, क्या कर रहे हो? प्लीज़ वहाँ से हटाओ! वहाँ मत डालो, प्लीज़!

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अँगूठे पर गांड की टाइट ग्रिप से सन्नी समझ गया कि पीछे का माल अभी कोरा है। कुँवारी गांड की कल्पना से उसका लंड काम्या के मुँह में हिनहिनाने लगा। सन्नी: काम्या, कुछ नहीं होगा! क्यों चिंता कर रही हो? उँगली ही तो डाली है, वो थोड़े डाल दिया!

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काम्या: नहीं, निकाल दो, प्लीज़! तुम्हारा अँगूठा भी क्या उससे कम है? मुझे दर्द दे रहा है!

सन्नी: जान, शुरू में थोड़ा दर्द तो होगा ही। बाद में नहीं होता।

सन्नी ने अँगूठा निकाला और चूत में डालकर गीला करने लगा। काम्या फिर लंड चूसने में मशगूल हो गई। सन्नी ने फिर अँगूठा गांड में डाल दिया। अब उसका अँगूठा गांड में था और बीच की दो उंगलियाँ चूत में। ये दोहरा हमला काम्या के लिए नया अनुभव था। उसकी गांड अब अँगूठे की आदी हो गई थी। दोहरी मार ने उसके तन-बदन में आग लगा दी। एक छेद इतना सुख देता था, तो अब वो दोनों हाथों से सुख बटोर रही थी। इस डबल मज़े का इनाम उसने सन्नी के लंड को दिया। वो उस पर घायल शेरनी की तरह टूट पड़ी। सन्नी वासना के मारे कमर उठाने लगा। उसकी हालत देख काम्या समझ गई कि भैया अब ज़्यादा देर नहीं रुक पाएँगे।

काम्या: भैया, मेरे ऊपर आ जाओ! मुझे पानी अपने अंदर चाहिए।

सन्नी को भी लग रहा था कि पहली किश्त चुकाने का समय आ गया है। उसने काम्या को नीचे किया और उसके ऊपर चढ़ बैठा। उसका लंड अंदर जाते ही काम्या का मुँह खुला रह गया। इतना बड़ा सहना सबके बस की बात नहीं थी।

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एक बार फिर “मदनलाल निकेतन” अपनी सेक्सी बहू की सिसकारियों से गूँजने लगा।

काम्या: आह… आहह… भैया, धीरे करो ना! ज़ोर से दर्द देता है।

सन्नी: रानी, दर्द में ही तो असली मज़ा है! इस दर्द के लिए तो लड़कियाँ तड़पती हैं!

सन्नी ने कमरे में भूकंप ला दिया। भाई के हाथों बहन की चीखें बता रही थीं कि “देश में असहिष्णुता बढ़ रही है”! अगले तीन मिनट तक वो काम्या की बेरहम चुदाई करता रहा और अंत में उस पर पसरकर उसकी चूत का जलाभिषेक कर दिया।

दोनों एक-दूसरे से चिपके सुस्ताने लगे। सन्नी बीच-बीच में उसके नाज़ुक अंगों से खेल रहा था। 15-20 मिनट बाद जब सन्नी का खूँटा फिर तैयार हुआ, उसने काम्या को घोड़ी बनने को कहा।

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सन्नी: जान, चल, पीछे घूम! पीछे से करूँगा।

काम्या: अरे यार, सामने से ही कर लो ना। सन्नी: चल, तू पलट तो! घोड़ी बन जा!

सन्नी ने बलपूर्वक उसे घुमाकर घोड़ी बना दिया। उसने कहीं पढ़ा था कि बेडरूम में डॉमिनेंट और रफ मर्द लड़कियों को इंप्रेस करते हैं। वही वो कर रहा था। उसने पीछे से काम्या में डाल दिया और शुरू हो गया। कमरे में लोहे की चारपाई वैसे ही चूं-चूं करती थी। इस घुड़दौड़ से वो ज़ोर-ज़ोर से चरमराने लगी। उसकी आवाज़ सुनकर काम्या डर गई। वो आगे सरककर हट गई।

काम्या: भैया, ये खटिया इतनी आवाज़ करेगी, तो पूरा मोहल्ला बाहर इकट्ठा हो जाएगा!

सन्नी: ठीक है, चल, नीचे आ जा। फ्लोर पर करते हैं।

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काम्या: नहीं, फ्लोर पर मेरे घुटने छिल जाएँगे।

सन्नी: अरे, आ यार! मुझे आज तुझे ऐसे ही चोदना है।

काम्या सन्नी के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर अचरज में आ गई।

काम्या: अगर ऐसे ही करना है, तो मेरे रूम में चलो। वहाँ डबल बेड है।

सन्नी: क्या, जीजाजी के रूम में?

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काम्या: तो क्या हुआ? जब जीजाजी की बीवी इस्तेमाल कर सकता है, तो उनका बेड नहीं?

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काम्या मैक्सी पहनने लगी, लेकिन सन्नी ने उसे रोक दिया। उसने मैक्सी उसके हाथ में पकड़ाई और उसे नंगी ही गोद में उठाकर चल दिया। काम्या ने उसके कंधे थाम लिए। उसे मधु की बात याद आई, जिसने बताया था कि उसका ससुर उसे नंगी गोद में उठाकर ले जाता है।

काम्या का बेड डनलप का गद्देदार था। सन्नी ने देखते ही कहा,

सन्नी: हाँ, इसमें आएगा असली मज़ा।

काम्या: चुप कर, जैसे अभी तक तुझे मज़ा नहीं आ रहा था!

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सन्नी ने काम्या को घोड़ी बनाया और उस पर सवारी गांठ ली। उसके हर धक्के काम्या के पूरे बदन को हिला दे रहे थे। काम्या भी पूरी ताकत से उसका साथ दे रही थी। उसे सन्नी का रफ यूज़ करना पसंद आ रहा था।

सन्नी: जान, इसलिए दूल्हा बारात में घोड़ी पर आता है, ताकि दुल्हन जाने कि उसे भी ऐसे घोड़ी बनना पड़ेगा!

काम्या: चल, बदमाश! तेरा दिमाग उल्टा-सीधा बहुत चलता है!

सेकंड राउंड के बाद दोनों लिपटकर प्यार करने लगे। तभी सन्नी को उसका मिशन इम्पॉसिबल याद आया। उसने अँगूठा काम्या के रस में भिगोया और फिर से उसकी गांड में घुसेड़ दिया।

काम्या: उई माँ, भैया, निकालो वहाँ से!

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हालाँकि उसे अब खास दर्द नहीं हो रहा था।

सन्नी: क्या हुआ? इतना हाय-तौबा क्यों मचाती हो?

काम्या: अरे, वहाँ क्यों करते हो?

सन्नी: तो क्या हुआ, वहाँ भी तो करते हैं!

काम्या: चुप रह, वहाँ कोई नहीं करता! तुझे किसने कहा कि वहाँ करते हैं?

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सन्नी: मेरे कई दोस्तों की शादी हो गई है। वो वहाँ भी करते हैं।

काम्या: लेकिन वहाँ बहुत दर्द देता है।

सन्नी: तुम्हें कैसे पता कि वहाँ दर्द देता है?

काम्या चौंक गई और टालते हुए बोली,

काम्या: पता है बस, तुझे क्या करना?

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सन्नी: पता है, तो बता ना, कैसे पता है?

काम्या: तुझे हर बात बताना ज़रूरी है?

सन्नी: अरे यार, तुम फिर नाटक करती हो! सीधे बता ना।

काम्या: सन्नी, तू हर बात में अपनी चलाता है! मेरी दो सहेलियाँ बता रही थीं। उन्हें बहुत दर्द हुआ था, जब उनके हसबैंड ने वहाँ किया था। सन्नी: कौन सहेलियाँ?

काम्या: तुझे क्या मतलब?

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सन्नी: ठीक है, मत बता। अपने को ज़्यादा समझती हो।

काम्या: अब मुँह क्यों फूला रहा है? तू जानता है, मधु और पिंकी। सन्नी: ओह, पिंकी, जिसे तुम डिफॉल्टर बोलती थी? काम्या: हाँ, वही। दोनों बता रही थीं कि उनके हसबैंड पीछे भी करते हैं। उन्हें बहुत दर्द हुआ था। सन्नी: अब भी वहाँ करवाती हैं? काम्या: हाँ, अब तो होता रहता है।

सन्नी: जब इतना दर्द देता है, तो क्यों करवाती हैं?

काम्या जवाब नहीं दे पाई। सन्नी बोला, सन्नी: दीदी, मेरे दोस्त कहते थे, सिर्फ़ पहली बार दर्द होता है। फिर वो ज़्यादा एंजॉय करती हैं। काम्या: मुझे तो दोनों कह रही थीं कि बहुत दर्द हुआ था। दूसरे दिन उन्हें चलने में तकलीफ़ हो रही थी।

सन्नी: हाँ, पहली बार तो होता है। आगे भी तो पहली बार दर्द होता है। चलो ना, पीछे करते हैं।

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काम्या: नो, सन्नी! कल सुबह अगर मैं लँगड़ाकर चलने लगी, तो घर में क्या जवाब दूँगी?

सन्नी: तो कोई और जुगाड़ नहीं है? यू शुड ऑल्सो एक्सपीरियन्स दिस न्यू प्लेजर।

काम्या: रहने दे, अभी नहीं। फिर कभी देखेंगे।

सन्नी: तो फिर कब?

काम्या: अभी छोड़ ना यार, बस एक ही चीज़ की रट लगा रहा है! कभी घर में कोई नहीं होगा, तो सोचेंगे। मैं रिस्क नहीं ले सकती।

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काम्या अब गांड में अँगूठे से बहकने लगी थी।

काम्या: इधर-उधर की मत सोच, अभी जो मिल रहा है, उसे तो खाले?

काम्या का इशारा सुन सन्नी फिर उस पर चढ़ बैठा। उस रात दो घंटे में सन्नी ने चार बार काम्या का बाजा बजा दिया। काम्या का एक-एक पोर दर्द दे रहा था। वो पूरी तरह पस्त थी, लेकिन एक अजीब आनंद महसूस कर रही थी। सन्नी के जाने के बाद वो लड़खड़ाते हुए दरवाज़ा बंद करने गई और नंगी ही बेड पर पसर गई।

सुबह शांति पाँच बजे उठकर नहा-धोकर आ रही थी। अचानक खिड़की से उसकी नज़र नंगी सोती काम्या पर पड़ी। जिस तरह वो अचेत पड़ी थी, लग रहा था कि पूरी रात बेरहमी से चुदाई हुई होगी। शांति के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान आ गई। खिड़की का पल्ला बंद करते हुए वो बुदबुदाई, शांति: बेवकूफ़, खिड़की खोलकर नंगी सो रही है। पगली को ये भी होश नहीं कि घर में जवान भाई आया है।

वो अपने रूम में पहुँची। मदनलाल दवा के असर से मुर्दे की तरह सो रहा था। उसकी लुंगी खुली थी, और उसका थुल्लु बाहर लटक रहा था। शांति ने लुंगी ठीक की और बुदबुदाई, शांति: इनकी तो शुरू से यही आदत है। ज़रा-सा थकते हैं, तो घोड़े बेचकर सोते हैं।

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बेचारी शांति क्या जानती थी कि असली घोड़ा कोई और था!

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद मदनलाल बाज़ार चला गया, और शांति पूजा करने। काम्या अपने कमरे में साड़ी पहनने लगी। अभी एक बटन ही लगाया था कि सन्नी आ गया। उसने उसे पकड़ लिया और बूब्स दबाने लगा।

काम्या: सन्नी, ये क्या कर रहा है? कोई आ जाएगा! जा यहाँ से।

सन्नी: दीदी, कोई नहीं आएगा। अंकल बाज़ार गए हैं।

काम्या: अरे पगले, मम्मी तो हैं। जा!

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सन्नी: मम्मी पूजा में बैठ गई हैं। मैंने कल देखा, वो पौन घंटा पूजा करती हैं। बस थोड़ा-सा करने दो ना।

काम्या: क्यों, रातभर इतना परेशान किया, दिल नहीं भरा?

सन्नी: जान, तुमसे कभी दिल भर सकता है?

सन्नी फिर उसके बूब्स दबाने लगा। काम्या की साँसें उखड़ने लगीं।

काम्या: नहीं, सन्नी, जा! दिन में ये सब नहीं करने दूँगी। मुझे डर लग रहा है।

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सन्नी: अच्छा, ठीक है। केवल दूध पी लेने दो।

काम्या: अरे यार, रात को कितना पिया तूने। पूरे निशान बना दिए। अभी भी मन नहीं भरा?

सन्नी: दीदी, इनको तो मैं चौबीस घंटे पी सकता हूँ। पता नहीं जीजाजी तुम्हें छोड़कर कैसे रह लेते हैं?

काम्या: वो तेरे जैसे बेसबरे नहीं। उनके और काम भी हैं।

सन्नी ने काम्या का ब्लाउस उतार दिया।

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सन्नी: क्या खाक काम? इससे ज़रूरी काम दुनिया में कोई नहीं।

काम्या: चुप, बदमाश! सब तेरे जैसे लफंगे नहीं होते।

सन्नी संतरों में मुँह मार चुका था। अगले आधे घंटे तक वो बारी-बारी से काम्या के दोनों संतरों का रस निचोड़ता रहा। काम्या सिर्फ़ सिसकियाँ लेती रही। इस दौरान सन्नी के हाथ कहाँ-कहाँ गए, ये दोनों भी नहीं जान सके।

कहानी का अगला भाग: बहकती बहू-29

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