बलात्कार और प्यार

Forcefully Bhabhi Sex Story हाय लखनऊ की भाभियों, आपका आकाश फिर से हाजिर है एक नई मस्तमस्त कहानी के साथ, जो आपकी चूत में कीड़े डालने में पूरी तरह से सक्षम है। इस कहानी को पढ़ने के बाद आपको शायद मेरे लंड की जरूरत महसूस हो, और आपकी सेवा में मेरा लंड हमेशा हाजिर है।

ये बात उन दिनों की है जब मैं इंजीनियरिंग के फाइनल ईयर में था। तब मैं 22 साल का था, जवान, हट्टा-कट्टा, 5 फुट 10 इंच का कद, गेहुंआ रंग और चेहरे पर हल्की दाढ़ी जो लड़कियों को खूब भाती थी। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था, जिसमें चार लड़कियां, दो लड़के और उनके मम्मी-पापा थे। सबसे बड़ी बेटी रचना, 25 साल की, जिसकी शादी हो चुकी थी। दूसरी थी माधवी, 23 साल की, गोल-मटोल चेहरा, काली आंखें और लंबे घने बाल, जो उसे और आकर्षक बनाते थे। तीसरी थी निशा, 20 साल की, सबसे खूबसूरत, गोरी, पतली कमर, मध्यम कद और आंखें ऐसी कि देखने वाला डूब जाए। चौथी थी पूजा, 18 साल की, अभी-अभी जवान हुई, चुलबुली और मासूम, लेकिन उसकी अदाएं किसी को भी दीवाना बना दें। एक भाई मेरी हमउम्र था, 21 साल का, और दूसरा छोटा, करीब 12 साल का। ये कहानी 1990 की है, जब मोबाइल नहीं थे और प्यार खतों और आंखों के इशारों में बयां होता था।

हमारे घरों के बीच अच्छे रिश्ते थे। सब मिलजुल कर बातें करते, हंसी-मजाक चलता। निशा की खूबसूरती की वजह से मेरी और उसकी खूब बनती थी। वो 12वीं में थी, मुझसे चार साल छोटी, और साइंस की स्टूडेंट थी। मैं उससे कभी-कभी अपना होमवर्क करवा लेता, और बदले में उसे पढ़ा देता। यूं ही हमारा सिलसिला चलता रहा। धीरे-धीरे हम करीब आए, और एक दिन हमने एक-दूसरे से प्यार का इजहार कर दिया। हम होमवर्क के बहाने प्यार की बातें करते, एक-दूसरे को बिना देखे रह नहीं पाते थे। उसकी मुस्कान, उसकी वो नशीली आंखें, और उसका वो हंसते हुए गालों पर पड़ने वाला डिंपल, सब मुझे पागल कर देता था।

लेकिन एक दिन निशा के नाना का खत आया कि उनकी सास, यानी निशा की नानी, बहुत बीमार हैं। उन्हें काम में मदद के लिए एक बेटी को भेजना था। रचना की शादी हो चुकी थी, माधवी जाने को तैयार नहीं थी, और पूजा अभी छोटी थी। मजबूरी में निशा को ही जाना पड़ा। हम दोनों खूब रोए, लेकिन क्या कर सकते थे? उसकी मजबूरी थी। हम अलग हो गए। दीवाली का समय था, रंग-बिरंगी रोशनी और मिठाइयों के बीच मेरा दिल उदास था। हमने एक महीने तक खत लिखकर एक-दूसरे का हाल पूछा। फिर मैं लिखता रहा, लेकिन उसका जवाब आना बंद हो गया। मैं परेशान हो गया, समझ नहीं पा रहा था कि उसे वहां क्या हुआ कि उसने जवाब देना बंद कर दिया।

दो महीने बाद निशा वापस आई। मैं खुशी से पागल हो गया, उसे मिलने के लिए बेताब था। लेकिन उसने मुझसे दूरी बनानी शुरू कर दी। मुझे बहुत धक्का लगा। मैंने बहुत कोशिश की कि पता करूं कि वो ऐसा क्यों कर रही है, लेकिन उसने कुछ नहीं बताया। मैंने देखा कि वो अपनी छोटी बहन पूजा से सब कुछ शेयर करने लगी थी। मेरे दिल में आग सी लग गई। मैंने ठान लिया कि मैं इसका बदला लूंगा, और बदला लूंगा उसकी बहन पूजा से।

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दो साल बीत गए। मैंने इंजीनियरिंग पूरी कर ली थी, और पूजा अब 18 साल की होकर 12वीं में थी। मैंने पूजा को एग्जाम में मदद करने का ऑफर दिया। वो और उसके पापा मान गए। वो रोज मेरे पास एक-दो घंटे पढ़ने आती। धीरे-धीरे मैंने उसे अपने जाल में फंसाया। वो मेरी दीवानी हो गई। पढ़ाई के बाद मैंने उससे निशा के बारे में पूछा। तब पता चला कि निशा को अपने नाना के घर प्रमोद नाम के एक लड़के से प्यार हो गया था, जो उसके मामा का साला था। वो उसी वक्त वहां आया था, और साथ रहते-रहते दोनों में प्यार हो गया। ये सुनकर मैं बहुत रोया, लेकिन फिर मन साफ किया और पूजा के पीछे लग गया।

एक साल बाद माधवी और निशा की एक साथ शादी हो गई। अब उनके घर में उनके मम्मी-पापा, दो भाभियां और पूजा रह गए थे। पूजा इस बीच मेरी इतनी दीवानी हो गई थी कि मेरे बिना रह नहीं पाती थी। उसने मेहंदी का कोर्स किया और दो महीने में उसमें माहिर हो गई। वो शादी के ऑर्डर लेने लगी। मैं हर सात दिन में उससे बाहर मिलता। हम तीन घंटे साथ बिताते और वापस आ जाते। एक दिन मैंने उससे पूछा, “तुम मुझे क्या दे सकती हो?” उसने कहा, “मैं आपके लिए अपनी जान भी दे दूंगी, बोलो क्या चाहिए?” मैंने कहा, “मुझे तेरी जान नहीं, कुछ और चाहिए।” वो बोली, “मैं पूरी आपकी हो गई हूं, आप जो चाहें बिना पूछे ले सकते हैं।” मैंने कहा, “ठीक है, हम होटल जाएंगे।”

वो बोली, “जैसी आपकी मर्जी।” मैंने कहा, “ठीक है, अभी नहीं, दो दिन बाद हम होटल जाएंगे। तुम तैयार होकर आना।” उसने कहा, “ठीक है।” दो दिन बाद उसने अपने पापा से कहा कि उसे मेहंदी का बड़ा ऑर्डर मिला है, देर हो सकती है, रात निकल जाए तो परेशान मत होना, वो आ जाएगी। हम एक अच्छे होटल में मिले। पूजा क्या खूब सज-संवर कर आई थी, मानो उसकी शादी हो। उसने लाल चोली और लहंगा पहना था, जिसमें उसका गोरा बदन और भी चमक रहा था। उसकी कमर पतली, पेट चपटा और उसकी चोली से झांकते उसके छोटे-छोटे उभरे हुए स्तन मुझे पागल कर रहे थे। मैं उसे देखते ही मन में चोदने लगा। मुझे खुशी थी कि आज मैं निशा का पूरा बदला लूंगा।

होटल के कमरे में घुसते ही मैंने उसे अपनी बाहों में दबोच लिया। उसे उठाकर बेड पर लिटाया। उसका सीना मेरे सीने से सट गया था। मैंने उसे इतना जोर से दबाया कि वो चिल्लाई, “उई मां! डार्लिंग, छोड़ो, दम घुट रहा है!” मैंने नहीं छोड़ा। वो फिर चिल्लाई, तब मैंने उसे छोड़ दिया। उसे बेड पर लिटाया और उसकी चुनरी हटा दी। अब वो सिर्फ चोली और लहंगे में थी। मैंने उसे किस करना शुरू किया। वो आंखें बंद करके आनंद लेने लगी। धीरे-धीरे मैंने उसकी चोली खोल दी, उसका लहंगा उतार दिया। वो पूरी नंगी थी। मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए।

वाह, क्या मस्त लग रही थी! उसके छोटे-छोटे गोल स्तन, गुलाबी निप्पल, और उसकी चिकनी, साफ की हुई चूत। उसने आज ही अपनी चूत को चिकना किया था, शायद चुदवाने के इरादे से ही आई थी। उसकी गुलाबी, नरम, उभरी हुई चूत देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया। मैं बदले की भावना में उस पर भूखे शेर की तरह टूट पड़ा। वो चिल्लाई, “उई मां! ऐसे कोई छलांग लगाता है क्या?” मैंने कहा, “ये तो कुछ नहीं, आगे-आगे देख होता है क्या।” वो घबरा गई, “तुम क्या करोगे? प्लीज कुछ मत करो!” मैंने कहा, “तूने तो कहा था कि तू सब कुछ देगी, इतने में डर गई?” वो बोली, “आप जो चाहें ले लो, लेकिन प्यार से लो, मुझे भी मजा दो।”

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मैंने उसके गाल पर जोर से काटा, दांतों के निशान पड़ गए। वो अपने गाल सहलाने लगी। फिर मैं उसके स्तनों पर टूट पड़ा। मैंने दोनों हाथों से उसके छोटे-छोटे स्तनों को इतना जोर से मसला कि उसकी आंखों से आंसू निकल आए। वो चिल्लाई, “आह्ह! ऊऊऊ! मां! मर गई, छोड़ दो!” मैंने कहा, “तूने कुछ नहीं बिगाड़ा, लेकिन तेरी बड़ी बहन ने मेरा बहुत कुछ बिगाड़ा है। उसकी सजा तुझे मिलेगी।” वो बोली, “मेरी बहन ने क्या बिगाड़ा?” मैंने कहा, “मुझसे प्यार करके मुझे छोड़ दिया।” वो बोली, “इसमें मेरा क्या कसूर? मैं तो आपको जी-जान से चाहती हूं। मैं आपको कभी नहीं छोड़ूंगी।”

मैंने कहा, “लेकिन मैं तुझे नहीं चाहता, मैं सिर्फ बदला लेना चाहता हूं।” वो और घबरा गई, “नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते। मैं आपको सब कुछ दूंगी, लेकिन प्यार से लीजिए।” मैंने कहा, “चुप! बहुत बोल चुकी, अब सह तेरी बहन की बेवफाई की सजा।” मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर जोर से चूसा और काटा। वो कुछ कर नहीं पा रही थी, बस सह रही थी। मैं उसके होंठ चाटता रहा। आधे घंटे बाद जब मैंने उसके होंठ छोड़े, तो वो सूजकर फूल गए थे।

फिर मैंने उसके स्तनों को चाटना और काटना शुरू किया। वो चिल्लाई, “ओह डार्लिंग! मर ही डालोगे क्या? मेरी जान निकल रही है!” मैंने कोई ध्यान नहीं दिया। उसके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। फिर मैंने उसके पूरे बदन को चाटा, फिर उसकी चूत पर आया। जैसे ही मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की, उसे मजा आने लगा। वो सिसकारियां लेने लगी, “आह्ह! मम्मा! मजा आ रहा है!” मैंने बिना कुछ कहे उसकी चूत को जोर से काट लिया। वो चिल्लाई, “उई मां! मर डाला!” वो रोने लगी। आधे घंटे तक उसकी चूत चाटने के बाद वो शांत हो गई।

फिर मैंने अपना 7.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड उसके मुंह के पास रखा और चाटने को कहा। वो मना करने लगी, लेकिन मैंने जबरदस्ती की। उसने मेरे लंड को चाटना शुरू किया। जैसे ही उसने थोड़ा मुंह खोला, मैंने लंड जोर से उसके मुंह में डाल दिया। वो “उउउउ” करके चिल्लाने लगी, लेकिन मैंने लंड बाहर नहीं निकाला। उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। वो रो रही थी। फिर मैंने थोड़ा रहम खाकर लंड निकाला। वो अपना मुंह पकड़कर बैठ गई, कुछ बोल नहीं पा रही थी।

मैंने उसे लिटाया, उसकी गांड के नीचे एक तकिया रखा। मैंने अपने लंड को साफ किया और उसकी चूत पर रखा। वो बोली, “पहली बार ले रही हूं, प्लीज मुझ पर रहम करो, धीरे करो।” मैंने कुछ नहीं सुना और धक्का लगाया, लेकिन लंड फिसलकर बाहर हो गया। फिर मैंने लंड को उसकी चूत पर टिकाया और हल्का सा दबाव देकर थोड़ा सा अंदर डाला। वो मुझे पीछे धकेलने लगी, लेकिन मैंने नहीं निकाला। मैं निशा को चोदने की सोच रहा था। मैंने एक करारा धक्का मारा, मेरा 2 इंच लंड उसकी चूत में घुस गया। वो चिल्लाई, “उई मां! निकालो! मर जाऊंगी!” वो जोर-जोर से रो रही थी। मैंने सब अनदेखा किया और एक और जोर का धक्का मारा। वो “उईईई! मां!” चिल्लाकर खड़ी होने की कोशिश करने लगी, लेकिन हो नहीं पाई। वो बेसुध होकर फड़फड़ाने लगी।

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मुझे भी दर्द हो रहा था, लेकिन बदले की भावना में कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो अभी शांत भी नहीं हुई थी कि मैंने लंड थोड़ा बाहर निकाला और पहले के दोनों धक्कों से दोगुना जोर लगाकर धक्का मारा। मुझे लगा कि अंदर कुछ टूट गया। मेरा पूरा लंड जैसे ही अंदर गया, वो जोर से चीखकर बेहोश हो गई। मुझे कुछ गर्म चीज महसूस हुई। मैंने देखा तो उसकी चूत से खून बह रहा था। मैं डर गया और उसके ऊपर लेट गया। मेरे लंड में भी बहुत दर्द होने लगा। उसकी चूत इतनी टाइट थी, मानो 18 साल की लड़की की हो।

वो बेहोश थी, तो मैंने लंड निकाला और उसे उठाने की कोशिश की। मेरे लंड की टोपी की चमड़ी सूज गई थी, लेकिन थोड़ी देर बाद ठीक हो गई। एक घंटे बाद भी पूजा होश में नहीं आई और ना ही उसकी चूत से खून रुका। मैंने उसे उठाकर बाथरूम में ले गया और शावर के नीचे नहलाया। दस मिनट बाद वो होश में आई। मुझे देखते ही उसने धक्का देना शुरू कर दिया। मैंने उसे फिर से उठाया और बेड पर लाया। मैं फिर से चोदने को तैयार था। वो होश में थी, लेकिन कुछ कर पाने की हालत में नहीं थी। इस बार मैंने दो धक्कों में पूरा लंड डाल दिया। वो रो रही थी, लेकिन बोल नहीं पा रही थी। मैंने दनादन 20 मिनट तक उसे चोदा। फिर वो मुझे बाहों में भरने लगी और मजा लेने लगी। उसे अभी भी दर्द हो रहा था, लेकिन वो दर्द भूलकर मजा लेने लगी।

रात के 8 बज गए थे। फिर मैंने उसे 8:30 तक चोदा। फिर उसे बाथरूम में ले जाकर खूब नहलाया। वो थोड़ा फ्री हो गई, लेकिन चल नहीं पा रही थी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और खाने का ऑर्डर किया। खाना खाकर हम फ्री हो गए। फिर हमने खूब बातें की। फिर मैंने उसे तैयार किया और उसकी चूत पर फिर से हमला बोल दिया। इस बार उसकी चूत से फिर खून निकला, लेकिन उसने भी खूब एंजॉय किया। वो भी खुश हो गई। ऐसे ही सुबह 6 बजे तक मैंने उसे सात बार चोदा। उसकी चूत का भोसड़ा बन गया। सुबह देखा तो उसकी चूत इतनी सूज गई थी, मानो कचौड़ी हो। वो उसे छू भी नहीं पा रही थी।

दो घंटे आराम करने के बाद हम नहाकर अलग-अलग रास्तों से घर पहुंच गए। इसके बाद मैंने उसे कई बार चोदा, लेकिन बहुत प्यार से। और एक दिन उसने निशा को शादी के बाद घर आने पर मुझसे चुदवाया। वो कैसे हुआ, ये मैं अगली बार बताऊंगा। आप दोस्तों को मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताना।

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