बहन ने माँ की चूत भी दिलवाई मुझे

मेरा नाम जाह्नवी है, उम्र 22 साल, और मैं फैशन डिज़ाइनिंग में ग्रेजुएशन कर रही हूँ। हमारी फैमिली में कुल पाँच लोग हैं—मैं, मम्मी, पापा, मेरा भाई संजय और बड़ी बहन सोनम। सोनम की शादी दो साल पहले हो चुकी है, और वो अपने पति के साथ ज़्यूरिख में रहती है। संजय 26 साल का है, एक तंदुरुस्त गबरू जवान, जिसका 8 इंच का लंड हमेशा चूत, गांड और मुँह को सलामी देने के लिए तैयार रहता है। पिताजी पुणे में अपना बिज़नेस चलाते हैं और वहीं रहते हैं, सिर्फ़ छुट्टियों पर घर आते हैं। घर में ज़्यादातर मैं, संजय और मम्मी ही रहते हैं।

मम्मी का नाम गरिमा है, और वो अपने फिगर का पूरा ख्याल रखती हैं। वो अपनी असली उम्र से 5 साल छोटी दिखती हैं। लंबे काले बाल उनकी गांड तक जाते हैं, बड़ी-बड़ी गोरी चूचियाँ और मस्त गांड—जब वो चलती हैं तो उनकी गांड देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। मम्मी घर में मॉडर्न कपड़े पहनती हैं, लेकिन बाहर साड़ी में नज़र आती हैं। संजय को मैंने एक बार चोदा था, और फिर ये सिलसिला रोज़ का हो गया। हर रात मम्मी के सोने के बाद मैं उसके रूम में जाती, 2-3 बार चुदाई के मज़े लेती, फिर अपने कमरे में सोने चली जाती।

संजय को चोदते-चोदते मुझे करीब 3 महीने हो गए थे। अब हम एक-दूसरे से कुछ नहीं छुपाते। मैंने उसे बताया था कि कैसे दो साल पहले मैं अपने बॉयफ्रेंड के घर गई और उससे अपनी सील तुड़वाई। चुदाई के दौरान हम अब खूब मज़े लेने लगे थे। संजय के लैपटॉप पर मुझे पॉर्न मूवी देखना बहुत पसंद था। एक दिन मैंने खुद एक मूवी चलाई, जिसमें एक अंग्रेज़ कपल के साथ एक नीग्रो सेक्स कर रहा था। पहले अंग्रेज़ मर्द ने नीग्रो का लंड चूसा, फिर अपनी बीवी की चूत में खुद पकड़कर डाला।

मैंने संजय से पूछा, “भैया, क्या मर्दों को भी लंड चूसना अच्छा लगता है?”
उसने जवाब दिया, “हाँ, क्यों नहीं? मर्दों के मुँह भी तो तुम्हारे जैसे ही होते हैं। बल्कि एक लड़का तो और बेहतर जानता है कि लंड पर कहाँ ज़्यादा फील होता है।”
मैंने फिर पूछा, “हाँ, वो तो है, और तुम्हें क्या अच्छा लगता है?”
वो बोला, “मेरा मन है कि मैं एक साथ दो औरतों को चोदूं और चोदते-चोदते किसी आदमी का लंड भी चूसूं। आजकल मैं एक कपल से नेट पर बात कर रहा हूँ। देखो, अगर अगले हफ्ते बात बन गई तो…”
मैंने कहा, “अकेले-अकेले ही जाओगे? अपनी बहन को भूल जाओगे क्या?”
वो हँसा, “अरे, ऐसा कैसे हो सकता है मेरी जान? तुम भी चलना और मज़े करना।”
फिर मैंने पूछा, “तुम्हें मेरे अलावा घर में कोई और पसंद है क्या?”
संजय बोला, “ये संजय की बात है, फिर कभी…”
मैंने ज़िद की, “बताओ ना प्लीज़, तुम्हें मेरी कसम!”
वो थोड़ा हिचकिचाया, फिर बोला, “मैंने माँ को कई बार नहाते हुए देखा है। उसकी बॉडी देखते ही मेरा लंड पागल हो जाता है।”
मैंने मज़ाक में कहा, “माँ को बता दूँ क्या? कि उसका बेटा…”
वो हड़बड़ा गया, “अच्छा जी, 100 चूहे खा के बिल्ली चली हज को?”
मैं हँस पड़ी, “हहहहहहा, मज़ाक कर रही थी।”

फिर मैंने उसे छेड़ते हुए कहा, “अगर तुम्हारी इच्छा घर में ही पूरी करवा दूँ तो?”
वो चौंका, “क्या मतलब? मैं समझा नहीं।”
मैंने साफ कहा, “इसमें समझने की क्या बात है? मेरे अलावा माँ ही तो घर में दूसरी औरत है।”
वो हैरान होकर बोला, “सच? क्या ये संभव है?”
मैंने शर्त रखी, “पर तुम्हें बदले में मेरे लिए एक नया बड़ा लंड का इंतज़ाम करना पड़ेगा।”
वो बोला, “पर ये सब होगा कैसे?”
मैंने उसे सब सच बताया, “अरे पागल, मैं और माँ एक-दूसरे के सारे राज़ जानते हैं। जब पापा नहीं होते, तो माँ अपने बॉस से अपनी चूत की आग बुझाती हैं। पिछले 4 सालों से मैं ये सब जानती हूँ और उनकी चुदाई देखकर मज़े लेती थी।”

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मैंने आगे बताया, “एक दिन जब मैं पहली बार अपने बॉयफ्रेंड से चुदकर लौटी थी, तो माँ को मेरी चाल से शक हो गया। कई बार पूछने पर मैंने सब सच बता दिया। पहले तो वो गुस्से में डाँटने लगीं, मगर जब मैंने सक्सेना जी—उनके बॉस—वाली बात बताई, तो वो सीधी लाइन पर आ गईं। तब से लेकर आज तक हम एक-दूसरे के राज़ जानते हैं। वो मुझे सेक्सी कपड़े लाकर देती हैं। एक दिन, अभी हफ्ते भर पहले, सक्सेना जी ने चुदाई का एक राउंड पूरा करने के बाद अपना लंड मुझे चुसवाया। वाह, क्या मस्त लंड है उनका! संजय से लंबाई में थोड़ा छोटा, पर मोटाई में उससे भी बड़ा। उस दिन सक्सेना जी की बीवी का फोन न आता, तो मेरी चुदाई का भी इंतज़ाम हो जाता।”

संजय बोला, “तो ये बात है?”
मैंने कहा, “बोलो, फिर कब बनना है मादरचोद?”
वो हँसा, “नेक काम में देरी कैसी?”
मैंने कहा, “ओके, फिर तुम अपने लंड को तैयार रखो। मैं अभी आती हूँ।”
वो बोला, “ये तो माँ के लिए हमेशा तैयार है।”

ये कहकर मैं बिस्तर से उठी और माँ के रूम की ओर चली गई। मैंने सिर्फ़ ऊपर एक टॉप पहना था, नीचे कुछ भी नहीं। करीब 30 मिनट बाद मैं माँ को समझा-बुझाकर संजय के रूम में ले आई।

मैं माँ को संजय के रूम में लेकर आई और कहा, “तुम्हारी खातिर इतनी देर समझाना पड़ा। माँ पहले तो आने को तैयार ही नहीं थीं, जैसे संजय के लंड में काँटे लगे हों। फिर जब मैंने अपनी चुदी हुई चूत दिखाई, तो इनका कुछ मूड बदला।” संजय माँ की तरफ देख रहा था। माँ अभी भी थोड़ा शरमा रही थीं और दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी थीं। उन्होंने काले रंग की सिल्की नाइटी पहनी थी, जिसके नीचे काले रंग की पैंटी और ब्रा साफ़ झलक रही थी। संजय ने माँ का हाथ पकड़ा, तो माँ ने नाटक करते हुए हाथ छुड़ाने की कोशिश की।

मैंने माँ को चिढ़ाते हुए कहा, “माँ, अभी तो आप हाथ छुड़ा रही हो। जब लंड देखोगी, तो अपने बेटे की दीवानी हो जाओगी।”
संजय बोला, “माँ, अब तो आपकी और जाह्नवी की खुशियों की ज़िम्मेदारी मेरी है। मेरा लंड आपकी खूब सेवा करेगा।”
माँ ने थोड़ा संकोच के साथ कहा, “देखते हैं बेटा। अगर ये सब करना ही है, तो चलो हमारे बेडरूम में चलते हैं।”
संजय ने अपनी शर्त रखी, “वो तो ठीक है, पर मेरी एक इच्छा और है। आज की रात के लिए मैं चाहता हूँ कि चुदाई से पहले आप शादी की ड्रेस पहनकर आओ। तब तक जाह्नवी हमारे बेडरूम को सजाए, और सुहागरात शुरू करने से पहले मुझे सदा मादरचोद-बहनचोद बने रहने का वरदान मिले।”
मैं हँस पड़ी और बोली, “साले, तू तो बहुत बड़ा कमीना निकला।”
माँ ने कहा, “शादी का जोड़ा तो मैं पहनूँगी, लेकिन तुम्हें मेरे साथ अग्नि के सात फेरे भी लेने होंगे और मेरी माँग में सिंदूर भी भरना होगा।”
संजय ने तुरंत जवाब दिया, “तुमने तो मेरे मन की बात छीन ली। पहले सिंदूर से तुम्हारी माँग भरूँगा, फिर अपने वीर्य से तुम्हारी माँग भरूँगा।”

फिर मैं माँ के साथ उनके रूम में चली गई। माँ की चाल में एक उतावलापन साफ़ दिख रहा था। उधर संजय नहाने चला गया। जब वो नहाकर लौटा, तो सिर्फ़ टॉवल में था। मैं खड़ी थी, अभी भी बस एक ढीला टॉप पहने हुए, नीचे कुछ भी नहीं। मैंने संजय से कहा, “भैया, तुम्हारे लिए पापा की अलमारी से उनकी शादी की शेरवानी लाई हूँ। मैं खुद तुम्हें तैयार करूँगी।” ये सुनते ही उसका लंड खड़ा होने लगा। मैं उसके पास गई, उसका टॉवल उतार दिया और उसके पप्पू को हाथ में ले लिया। अब तो उसका लंड पूरे ठुमके लगाने लगा। मैंने नीचे बैठकर उसके लंड पर एक जोरदार किस किया और बोली, “जा मेरे शेर, अपनी पैदा करने वाली चूत में तूफ़ान मचा दे।”

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फिर मैंने उसे सबसे पहले अंडरवियर पहनाया और मज़ाक में कहा, “रोज़ तो इसे उतारती हूँ, और आज पहनाना पड़ रहा है।” इसके बाद मैंने उसे सारे कपड़े पहनाए—शेरवानी, पगड़ी, सब कुछ। बीच-बीच में मैं उसकी बॉडी पर किस भी करती रही। आखिर में सेहरा पहनाया और उसका हाथ पकड़कर माँ के रूम की तरफ़ ले चली। माँ लाल जोड़े में पहले से तैयार बैठी थीं। मैंने एक मोमबत्ती जलाई और कहा, “अब तुम दोनों मुझे साक्षी मानकर इस अग्नि के सात फेरे लो।”

फेरों के बाद मैंने संजय से कई वचन दिलवाए—कि जब भी माँ को उसके लंड की ज़रूरत होगी, वो मना नहीं करेगा, और उसके लंड पर पहला हक़ हमेशा माँ का रहेगा। फिर संजय ने माँ की माँग में सिंदूर भरा। माँ ने उसके पैर छुए, तो उसने आशीर्वाद दिया, “मेरी जान, तुम्हारी चूत और गांड हमेशा लंड से भरी रहें।” ये सुनकर मैं हँसने लगी। मैं इस पूरे प्रोग्राम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर रही थी।

माँ बोलीं, “बेटा, अब जल्दी कर। इन कपड़ों में गर्मी लगने लगी है।”
संजय ने कहा, “थोड़ा इंतज़ार का मज़ा लो मेरी जान। आज से ये तुम्हारा बेटा ही तुम्हारा पति है।”
माँ ने शरमाते हुए कहा, “हे पतिदेव, मैं दूध का ग्लास लिए आपका बेड पर इंतज़ार कर रही हूँ।”

ये कहकर माँ अपने बेडरूम में चली गईं। मैंने संजय का हाथ पकड़ा और उसे बेड पर बिठाया। फिर दूध का ग्लास ले आई। माँ—अब संजय की नई नवेली दुल्हन—ने उसे दूध पिलाया। दूध पीने के बाद संजय ने धीरे से माँ का घूँघट उठाया, तो माँ ने शरमाकर मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया। मैं ये सब वीडियो में रिकॉर्ड कर रही थी।

फिर एक कोने में बैठकर संजय ने अपने होंठ माँ—यानी गरिमा, उसकी नई पत्नी—के लिप्स पर रख दिए। उनकी टाँगें आपस में उलझने लगीं। माँ ने संजय का चेहरा अपनी बाहों में भर लिया। धीरे-धीरे दोनों ने एक-दूसरे के सारे कपड़े उतार दिए। अब वो दोनों नंगे थे। माँ का दूधिया बदन जन्नत जैसा लग रहा था। उनके गोल-गोल बड़े बूब्स संजय को दूध पीने का निमंत्रण दे रहे थे। वो तुरंत उनके बूब्स पर टूट पड़ा।

मैंने चिल्लाकर कहा, “वाह मेरे शेर, चोद दे अपनी माँ को! दिखा दे अपने लंड का जलवा!” मेरा ध्यान अब सिर्फ़ उन दोनों पर था। माँ भी अब पूरी गर्म हो चुकी थीं। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो अपने आप को रोक न सकी। मैंने अपना टॉप उतार दिया और पूरी नंगी हो गई। एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी, दूसरे हाथ से कैमरा पकड़े हुए थी।

संजय ने मुझे देखकर कहा, “ऐसे क्या देख रही है? पहली बार नंगी देखा है क्या मुझे?”
मैंने जवाब दिया, “तुम दोनों मज़े करो और मैं कुछ न करूँ, ये कैसे हो सकता है?”
माँ ने संजय के लंड को हाथ में लेकर सहलाते हुए कहा, “जाह्नवी, ये मस्त लंड आज मुझे तेरे कारण ही मिला है।”
मैंने मज़ाक में कहा, “ओये-ओये, मेरे भाई की नई दुल्हन! आज से तो तुझे भाभी कहूँगी।”
माँ बोलीं, “बेटा, मुँह मीठा तो करा दे अपनी बहन का।”
संजय बोला, “वो कैसे? यहाँ तो कोई मीठा नहीं है।”
माँ हँस पड़ीं और मैं भी मुस्कुरा रही थी। फिर मैंने संजय के लंड को मुँह में लिया और ज़ोरदार किस किया। इसके बाद माँ की चूत को भी एक किस दी। फिर वापस जाकर कैमरा उठाया और वीडियो बनाने लगी। माँ की चूत बिल्कुल चिकनी थी, आज ही शेव की हुई लग रही थी।

माँ ने बताया, “आज मेरा सक्सेना जी के साथ चुदाई का प्रोग्राम था, लेकिन उन्हें कहीं जाना पड़ गया, वो नहीं आ सके।”
संजय बोला, “तुम चिंता क्यों करती हो? मैं तुम्हें सक्सेना से भी मस्त चोदूँगा।” ये कहकर उसने अपने लिप्स माँ की चूत पर रख दिए।

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माँ बोलीं, “चाट मेरे राजा, खा जा इसे अपनी समझकर। आज इस चूत की आग मिटा दे।” एक हाथ से माँ संजय के लंड को सहला रही थीं। संजय अपने हाथ से उनके बूब्स दबा रहा था। इधर मैं अपनी चूत में दो उंगलियाँ डालकर मज़े ले रही थी। करीब 10 मिनट तक संजय ने माँ की चूत चाटी। फिर उसने अपना लंड माँ की चूत पर रखा और एक ही धक्के में आधा अंदर कर दिया। माँ के मुँह से “आह्ह्ह” निकल गया। मैंने मज़ाक में कहा, “देखो, कैसे नाटक कर रही हैं, जैसे आज ही सील टूट रही हो।” माँ बोलीं, “सुहागरात तो पूरे ढंग से मनानी चाहिए।”

मैं हँसते हुए बोली, “जी भाभी!” अब मेरी भी चूत की खुजली बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उधर संजय ने अपना पूरा लंड माँ की चूत में डाल दिया और धक्के लगाने शुरू कर दिए। माँ चिल्लाईं, “चोद मेरे राजा, स्पीड बढ़ा और मचा दे इस चूत में खलबली। घुसा दे अपना पूरा लंड इसमें।” अब वो भी उछल-उछलकर उसका लंड अंदर ले रही थीं। 15 मिनट की भयानक चुदाई के बाद संजय झड़ गया। अगले 5 मिनट तक उसका लंड माँ की चूत में ही पड़ा रहा। माँ इस दौरान 3 बार झड़ चुकी थीं। मैं भी अब झड़ गई थी। जैसे ही संजय का लंड बाहर आया, कुछ वीर्य माँ की चूत से बाहर आने लगा। मैंने उस पर कैमरा फोकस किया और संजय को कैमरा पकड़ने का इशारा किया।

संजय ने कैमरा संभाला, तो मैंने माँ की चूत चाटना शुरू कर दिया। अब मैं रिकॉर्डिंग की जगह मज़े ले रही थी। मैंने सारा वीर्य अपने मुँह में भर लिया। फिर माँ के बराबर में लेटकर उन्हें किस करते हुए वो वीर्य उन्हें पिलाने लगी। उस रात हमने सुबह 4 बजे तक चुदाई का अलग-अलग स्टाइल में मज़ा लिया।

संजय को चोदते हुए मुझे अब महीनों हो गए थे, लेकिन माँ को उसकी चूत दिलवाने का आइडिया मेरा ही था। वो कपल वाली बात जो संजय ने बताई थी, उसे मैंने घर में ही पूरा कर दिया। माँ और मैं पहले से एक-दूसरे के राज़ जानते थे, और अब संजय भी इस खेल का हिस्सा बन गया था। सक्सेना जी का लंड चूसने का मज़ा तो मुझे पहले ही मिल चुका था, लेकिन अब संजय का लंड माँ की चूत में देखकर मुझे एक अलग ही सुकून मिला।

ये सब करने के बाद भी हमारा मन नहीं भरा। संजय ने माँ को अपनी दुल्हन बना लिया था, और मैं उनकी सुहागरात की साक्षी बनी। वो सात फेरे, सिंदूर भरना, और फिर चुदाई का वो तूफ़ान—सब मेरे सामने हुआ। माँ की वो शादी की ड्रेस, संजय की शेरवानी, और मेरी वीडियो रिकॉर्डिंग—ये रात हम तीनों के लिए यादगार बन गई।

अब तो संजय का लंड माँ और मेरे लिए हमेशा तैयार रहता है। माँ ने उसे वचन दिलवाया था कि उसका पहला हक़ हमेशा उनका रहेगा, और मैंने ये सुनिश्चित किया कि संजय वो वचन निभाए। उस रात जब संजय माँ को चोद रहा था, मैं अपनी चूत सहलाते हुए सोच रही थी कि आगे भी ऐसे मौके बनते रहें।

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