मेरी बहनों की मस्त चुदाई

पात्रों का परिचय

मैं राज, 24 साल का, दिल्ली में एक टेक स्टार्टअप में जॉब करता हूँ। मेरा कद 5’10”, गठीला बदन, और चेहरा ऐसा कि लड़कियाँ बार-बार पलटकर देखती हैं। मेरा स्वभाव बिंदास है, और मैं हर मौके पर मस्ती का मूड बना लेता हूँ। मेरी बड़ी बहन सविता, 26 साल की, कोलकाता में मार्केटिंग मैनेजर है। वो 5’6” की, गोरी, भरे हुए बदन वाली माल है—उसकी 36D चूचियाँ और मटकती गोल गाण्ड किसी का भी लंड खड़ा कर दे। बाहर से गंभीर दिखती है, लेकिन अंदर से वो रसीली और चुदक्कड़ है। मेरी छोटी बहन बबिता, 22 साल की, भोपाल में कॉलेज की फाइनल ईयर स्टूडेंट है। वो 5’4” की, पतली कमर, 34C चूचियों, और टाइट गाण्ड वाली जवान लौंडिया है। उसका खिलंदड़ा अंदाज़ और गंदी बातें करने की आदत उसे और हॉट बनाती है। हम तीनों बचपन से करीबी रहे, लेकिन पिछले दो सालों में हमारा रिश्ता एक गुप्त, नाजायज़, और चुदाई से भरे रिश्ते में बदल गया। मैं दोनों को चोद चुका हूँ, लेकिन हमेशा अलग-अलग। ये कहानी उस दिन की है जब हम तीनों ने एक साथ ऐसी मस्ती की कि मेरा लंड आज भी फनफनाता है।

गर्मी की चुदास भरी दोपहर

7 अगस्त 2024, दिल्ली में गर्मी पसीने छुड़ा रही थी। मैं और बबिता घर पर अकेले थे। माँ-पापा ऑफिस गए थे, और सविता, जो कोलकाता से छुट्टी लेकर आ रही थी, शाम 6 बजे की ट्रेन से पहुँचने वाली थी। मैं बबिता के कमरे में था। वो एक स्किम्पी ब्लैक क्रॉप टॉप और टाइट शॉर्ट्स में बिस्तर पर लेटी थी, इंस्टा रील्स देख रही थी। शॉर्ट्स इतनी छोटी थी कि उसकी गाण्ड का आधा हिस्सा बाहर झाँक रहा था, और टॉप से उसकी चूचियाँ उभरी हुई थीं। मैं बिस्तर के किनारे बैठा उसकी मुलायम जाँघों को सहला रहा था।

बबिता, फोन पर आँखें गड़ाए, “राज, ये क्या तमाशा है? सुबह से मेरे पीछे पड़ा है।”
मैं, उसकी जाँघ पर उंगलियाँ फेरते हुए, “क्या करूँ, तेरी गाण्ड देखकर लंड कंट्रोल में नहीं रहता।”
वो हँसी, और फोन साइड में रख दिया, “हमेशा यही बकवास। कुछ नया कर ना।”
मैंने उसका टॉप ऊपर खींचा और उसकी ब्रा के ऊपर से चूचियाँ दबाईं, “नया चाहिए? तो आज तेरी चूत को ऐसे चोदूँगा कि तू चीखेगी।”

वो सिहर उठी, और मेरी ओर देखकर बोली, “बातें तो बड़ी करता है, दिखा ज़रा।” मैंने उसकी ब्रा ऊपर सरकाई। उसकी गुलाबी निप्पल सख्त थे। मैंने एक को मुँह में लिया और ज़ोर से चूसा। “आह…” बबिता की सिसकारी निकली। मैंने दूसरी चूची को उंगलियों से मसला। वो मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी, “हाँ… ऐसे ही… चूस ज़ोर से।”

मैंने उसकी शॉर्ट्स और पैंटी एक झटके में उतार दी। उसकी चूत चमक रही थी, पहले से गीली। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत की फाँकों पर फेरी। वो काँप उठी, “उफ्फ… राज, तू तो मार डालेगा।” मैंने उसकी चूत को चाटते हुए दो उंगलियाँ अंदर डाल दीं। वो चीखी, “आह… धीरे, कमीने!” मैंने उंगलियाँ तेजी से अंदर-बाहर की, और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। “आआह…” वो थरथराते हुए झड़ गई।

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मैंने अपनी जींस और अंडरवियर उतारा। मेरा 7 इंच का लंड फनफनाता हुआ बाहर आया। बबिता ने उसे पकड़ा और सहलाया, “कितना मोटा है, साला। मेरे लिए?” वो नीचे झुकी और लंड को मुँह में ले लिया। “उम्म…” वो उसे चूस रही थी, और उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर नाच रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और लंड उसके गले तक ठेल दिया। वो गोंगों करने लगी, “उम्म… ग्लक…”

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया, उसकी टाँगें फैलाईं, और लंड उसकी चूत में पेल दिया। “घप…” वो सिस्कारी, “आह… धीरे, दुखता है।” मैंने धीरे-धीरे झटके मारे, फिर स्पीड बढ़ा दी। “घप… घप…” वो चीख रही थी, “हाँ… राज, चोद… मेरी चूत फाड़ दे!” कमरे में चुदाई की आवाज़ें और उसकी सिसकारियाँ गूँज रही थीं। मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और ज़ोर-ज़ोर से पेलता रहा। वो फिर झड़ गई, “आआह…” और मैंने भी उसकी चूत में अपना माल छोड़ दिया।

हम हाँफते हुए लेट गए। तभी बबिता का फोन बजा। उसने स्क्रीन देखी, “सविता दीदी का मैसेज। वो 4 बजे पहुँच रही है।” मैंने उसकी गाण्ड पर चपत मारी, “तो क्या? अभी तो तू मेरी रंडी है।” वो हँसी, “लेकिन दीदी के आने बाद क्या करेंगे?” मैंने कहा, “वही जो हम करते हैं।” वो शरमाई, “दीदी के सामने? तू पागल है!” मैंने हँसकर कहा, “कौन सा मैंने उसे नहीं चोदा? वो भी मेरे लंड की प्यासी है।”

बबिता, चौंककर, “सच? तूने दीदी को भी चोदा?” मैंने कहा, “हाँ, कई बार। लेकिन तुझसे अलग।” वो बोली, “मुझे तो शरम आएगी उनके सामने।” मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए कहा, “शरम छोड़, मज़ा ले।” बबिता, “लेकिन तू किसे चोदेगा, मुझे या दीदी को?” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा, “दोनों को एक साथ।” वो हँस पड़ी, “कमीना, ऐसा भी होता है?” मैंने कहा, “होता है। सोच ले, दोनों बहनों की चूत एक साथ मारने का मज़ा।” वो बोली, “सोचूँगी। अब चल, स्टेशन चलते हैं।”

स्टेशन पर चुदास भरी मुलाकात

हम तैयार होकर स्टेशन पहुँचे। बबिता ने टाइट ब्लैक जींस और रेड टॉप पहना था, जिसमें उसकी गाण्ड हर कदम पर मटक रही थी। मैं उसकी कमर पर हाथ रखे चल रहा था। ट्रेन में अभी 20 मिनट थे। हम प्लेटफॉर्म पर खड़े थे।

बबिता, मेरी ओर देखकर, “राज, ये सब ठीक है ना? हम भाई-बहन हैं।” मैंने कहा, “बबिता, मज़ा आ रहा है ना? फिर टेंशन मत ले।” वो बोली, “लेकिन अगर किसी को पता चल गया?” मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा, “किसे पता चलेगा? बस हम तीनों का राज़ है।” वो हल्के से मुस्कुराई, लेकिन उसकी आँखों में झिझक थी।

तभी ट्रेन आई। सविता उतरी। उसने एक टाइट क्रीम कुर्ता और ब्लैक लेगिंग्स पहनी थी, जिसमें उसकी चूचियाँ और गाण्ड का शेप साफ था। वो हर कदम पर मटक रही थी। मेरा लंड जींस में तंबू बना रहा था।

बबिता, “वो देख, दीदी!” मैंने कहा, “क्या माल है, यार!” बबिता ने मेरी बाँह पर चिकोटी काटी, “बस कर, वो तेरी बहन है।” मैंने हँसकर कहा, “और तू क्या है?”

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सविता पास आई। मैंने उसे गले लगाया और चुपके से उसकी गाण्ड दबा दी। वो चौंकी, “कमीने, कोई देख लेगा!” मैंने जल्दी छोड़ा। बबिता ने उसे गले लगाया। हम गाड़ी की ओर बढ़े। मैं और सविता आगे बैठे, बबिता पीछे।

रास्ते में सविता बोली, “घर में सब ठीक?” मैंने कहा, “हाँ, सब मस्त। तू कैसी है?” वो बोली, “बस, ऑफिस की चुदमचुद। अब छुट्टी लेकर आई हूँ, तो खूब मस्ती करेंगे।” बबिता, पीछे से, “हाँ, राज तो मस्ती का बादशाह है।” सविता हँसी, “हाँ, इसका टैलेंट मुझे पता है।”

मैंने सविता की जाँघ पर हाथ रखा। वो बोली, “ड्राइविंग कर, नालायक।” लेकिन उसने मेरा हाथ नहीं हटाया। मैं समझ गया कि उसकी चूत भी गीली हो रही है।

घर पर चूत की तड़प

घर पहुँचकर सविता माँ-पापा के साथ बैठ गई। मैं बेचैन था। उसकी मटकती गाण्ड और भरी चूचियाँ मेरे दिमाग में घूम रही थीं। मैंने बबिता को इशारा किया। वो मेरे पास आई।

मैं, “क्या करूँ? दीदी तो अकेली हो ही नहीं रही।” बबिता, “तो मेरी चूत मार ले।” मैंने कहा, “तुझे तो रोज पेलता हूँ। आज दीदी की चूत की बारी है।” वो बोली, “ठीक है, माँ-पापा को ऑफिस जाने दे। तू दीदी को चोद, और मैं देखूँगी।” मैंने हँसकर कहा, “क्या? तुझे दीदी की चुदाई देखनी है?” वो शरमाई, “हाँ, सोच कितना हॉट होगा।”

सविता रसोई में खाना बनाने गई। मैं पीछे गया और उसे पीछे से पकड़ लिया। उसकी गाण्ड पर मेरा लंड रगड़ने लगा।

सविता, “अरे, क्या कर रहा है? माँ-पापा देख लेंगे!” मैंने कहा, “कोई नहीं है। तेरी गाण्ड देखकर लंड तड़प रहा है।” वो बोली, “कंट्रोल कर, बाद में।” मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा, “ये कंट्रोल नहीं कर रहा।” वो हँसी, और मेरे लंड को दबाया, “साला, हमेशा खड़ा रहता है।” मैंने कहा, “तेरी चूत कब मिलेगी?” वो बोली, “रात को।” मैंने कहा, “इतना वेट नहीं होगा। माँ-पापा के जाने बाद।” वो बोली, “बबिता होगी तो?” मैंने कहा, “उसे बाहर भेज दूँगा।” वो बोली, “ठीक है, अब निकल यहाँ से।”

मैंने उसकी चूचियों की ओर इशारा किया, “बिना चूचियाँ चूसे नहीं जाऊँगा।” वो हँसी, “लालची है तू।” मैंने कहा, “जल्दी कर।” उसने कुर्ता ऊपर किया, और मैंने उसकी चूचियाँ चूसीं। “आह…” वो सिस्कारी। मैंने कहा, “दोपहर को तेरी चूत फाड़ दूँगा।” वो बोली, “जा अब।”

दोपहर की रसीली चुदाई

माँ-पापा ऑफिस चले गए। मैंने बबिता को कहा, “बाहर जा, और पीछे के दरवाजे से छिपकर आ।” बबिता ने सविता से कहा, “मैं सहेली के पास जा रही हूँ।” सविता, “ठीक है, जल्दी आना।”

मैं सविता के कमरे में गया। वो एक टाइट मैक्सी में थी, जिसमें उसकी चूचियाँ और गाण्ड उभर रही थीं। मुझे देखकर बोली, “क्या चाहिए, कमीने?” मैंने कहा, “तेरी चूत।” वो हँसी, “दरवाजा बंद कर।” मैंने बंद किया। बबिता पीछे से आ चुकी थी। मैं सविता से लिपट गया। हम चूमने लगे। मैंने उसकी मैक्सी उतारी। वो सिर्फ लाल ब्रा और पैंटी में थी। मैंने ब्रा खोली, और उसकी भारी चूचियाँ बाहर उछलीं। मैंने एक निप्पल चूसा। “आह…” वो सिस्कारी।

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वो मेरी जींस खोलने लगी। मेरा लंड बाहर आया। उसने पकड़ा, “कितना मोटा हो गया, साला।” वो उसे चूसने लगी, “उम्म…” मैंने उसके बाल पकड़े। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और पैंटी उतारी। उसकी चूत गीली थी। मैंने चाटना शुरू किया। “आह… राज… और चाट…” वो सिस्कार रही थी। बबिता छिपकर देख रही थी। मैंने सविता को गोद में उठाया और हॉल में लिटाया।

मैंने उसकी चूत में लंड डाला। “घप…” वो चीखी, “आह… धीरे, कमीने!” मैंने झटके मारे। “घप… घप…” वो बोली, “हाँ… और ज़ोर से… चोद मुझे!” बबिता ने इशारा किया कि सविता को पूरा नंगा कर। मैंने सविता की ब्रा फाड़ दी। उसकी गाण्ड मेरे सामने थी। मैंने सहलाया।

सविता मेरा लंड चूसने लगी। तभी बबिता पास आ गई। सविता ने उसे देखकर चादर ओढ़ ली। मैं नंगा खड़ा था। मैंने बबिता को गोद में बिठाया। सविता, “ये क्या चक्कर है?” बबिता, “वही जो आप कर रही थीं।” सविता, “चादर हटा।”

हमने सब बता दिया। सविता, “तू तो पूरा बहनचोद है!” मैंने कहा, “तेरी चूत और बबिता की चूत, दोनों मेरी हैं।” सविता, “बबिता, कपड़े उतार। आज इसकी लंड की गत बनाते हैं।”

बबिता ने कपड़े उतारे। उसकी चूचियाँ हिल रही थीं। मैंने सविता को चोदा। “घप… आह…” बबिता मेरी चूचियाँ चूस रही थी। दोनों मेरे लंड को चूसने लगीं। “उम्म…” मैंने उनकी चूत में उंगलियाँ डाली। “आह…” हम झड़ गए।

दिल्ली की रंडीखाना मस्ती

मैंने कहा, “दिल्ली चलते हैं। मेरा फ्लैट है।” दोनों तैयार हो गईं। दिल्ली में मैं सो गया। सुहा देखा, दोनों बिकिनी में थीं। सविता और बबिता चूम रही थीं। मैं अंदर गया। दोनों ने पैंटियाँ उतारीं। मैं सविता की चूत चाटने लगा। “आह…” बबिता सविता की चूचियाँ चूस रही थी। मैंने सविता को चोदा। “घप… आह…” फिर बबिता को।

रात को बबिता ने रबर के लंड निकाले। मैंने सविता की चूत और बबिता ने उसकी गाण्ड मारी।। अगले दिन हमने फ्लैट में शादी की।। मैंने दोनों की माँग भरी। सुहागरात में सविता की चूत चाटी। “आह…” और चोदा। “घप…” फिर बबिता को।

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