बच्चों की टीचर चुदगई मुझसे

Bacchon ki teacher ki chudai sex story: मेरा नाम राजेश मिश्रा है, 38 साल का एक साधारण सा आदमी, जो दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में अपने दो बच्चों, 10 साल की रिया और 12 साल के अंश के साथ रहता है। मेरी पत्नी की कुछ साल पहले कैंसर की वजह से मृत्यु हो गई थी, और तब से मैं अकेले ही बच्चों की परवरिश कर रहा हूँ। मेरे लिए बच्चों की पढ़ाई सबसे बड़ी प्राथमिकता थी। मैं लंबे समय से उनके लिए एक अच्छी ट्यूशन टीचर ढूंढ रहा था, जो मेरे बच्चों को मेहनत और लगन से पढ़ाए। एक दिन मेरे पड़ोसी और दोस्त मौर्या जी ने मुझे एक टीचर का नाम सुझाया। उनका कहना था कि वो बहुत मेहनती और पढ़ाने में माहिर है। मैंने तुरंत उससे मिलने का फैसला किया।

जब मैं उस टीचर के घर पहुँचा, तो दरवाजा खुलते ही मेरी नजर एक साधारण, लेकिन बेहद आकर्षक लड़की पर पड़ी। उसका नाम था निशा शर्मा, उम्र करीब 24 साल, गोरा रंग, लंबे काले बाल जो उसकी कमर तक लहराते थे, और एक स्लिम-ट्रिम फिगर। उसने हल्के नीले रंग का सलवार-सूट पहना था, जो उसकी 36-28-34 की फिगर को और भी उभार रहा था। उसकी आँखों में सादगी थी, लेकिन उसका बदन ऐसा था कि जहाँ गोश्त होना चाहिए, वहाँ बिल्कुल परफेक्ट था। उसकी कमर इतनी पतली थी कि लगता था, उसे छूने से टूट जाएगी। मैंने उससे बच्चों की पढ़ाई के बारे में बात की। उसकी आवाज में एक नरमी थी, लेकिन आत्मविश्वास साफ झलकता था। उसने कहा, “मिश्रा जी, मैं आपके बच्चों को पूरी मेहनत से पढ़ाऊँगी।” तय हुआ कि वो रोज शाम 5 बजे मेरे घर आएगी और बच्चों को पढ़ाएगी।

निशा ने पढ़ाना शुरू किया, और सचमुच, वो बहुत मेहनत करती थी। वो एक गरीब परिवार से थी, और शायद इसलिए उसका जज्बा और लगन देखकर मैं प्रभावित हो गया। वो बच्चों को इतने प्यार और धैर्य से पढ़ाती थी कि रिया और अंश उससे बहुत जल्दी घुल-मिल गए। वो हर दिन समय पर आती, बच्चों को होमवर्क देती, और उनकी हर छोटी-बड़ी गलती पर ध्यान देती। मैं देखता कि वो बच्चों के साथ हँसती-खेलती, लेकिन पढ़ाई में कोई ढील नहीं देती। एक साल बाद, जब मेरे दोनों बच्चे अपनी-अपनी क्लास में फर्स्ट आए, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैंने निशा को बुलाया और कहा, “निशा मैडम, ये सब आपकी मेहनत का नतीजा है। मेरे बच्चे फर्स्ट आए, इसके लिए मैं आपका बहुत शुक्रगुजार हूँ।” मैंने उसकी ट्यूशन फीस 1500 से बढ़ाकर 2000 कर दी। उसने मुस्कुराते हुए धन्यवाद कहा, और उसकी वो हल्की सी मुस्कान मेरे दिल को छू गई।

धीरे-धीरे, मैं निशा को नोटिस करने लगा। वो जब पढ़ाने आती, तो मैं खुद उसके लिए चाय बनाता। मैंने देखा कि वो हर दिन अलग-अलग रंग के सलवार-सूट पहनती थी, और हर बार उसका फिगर और भी आकर्षक लगता। उसकी छरहरी कमर, भरे हुए कूल्हे, और वो रसीले दूध मेरे दिमाग में बार-बार घूमने लगे। मैं सोचता कि वो कुंवारी है, उसकी शादी नहीं हुई, लेकिन क्या वो पहले कभी चुदी होगी? ये ख्याल मेरे मन में बार-बार आता। मैं खुद को रोकने की कोशिश करता, लेकिन उसका बदन मुझे बेकाबू कर रहा था। मैंने देखा कि वो भी कभी-कभी मुझे चोरी-छिपे देखती थी, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक होती थी।

एक दिन, ऑफिस से आने के बाद मैंने थोड़ी ज्यादा शराब पी ली। उस दिन निशा जब पढ़ाने आई, तो मैं नशे में था। उसने गुलाबी रंग का सलवार-सूट पहना था, और उसकी चोली इतनी फिट थी कि उसके दूध साफ उभर रहे थे। मैंने हिम्मत जुटाकर उसका हाथ पकड़ लिया। मेरे बच्चे पास में ही पढ़ रहे थे, लेकिन वो छोटे थे, मेरी हरकत को समझ नहीं पाए। मैंने नशे में निशा के गाल पर एक चुम्मी ले ली और धीमे से कहा, “मैडम, कभी प्यार और चुदास की पढ़ाई भी करवा दो, अंदर कमरे में चलकर।” निशा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने मेरी तरफ देखा और जोर से दो-चार थप्पड़ मेरे गाल पर जड़ दिए। “ये क्या बदतमीजी है, मिश्रा जी! मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ!” वो चिल्लाई और तुरंत घर चली गई। उसने अगले दिन से आना बंद कर दिया।

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जब अगले दिन मेरा नशा उतरा, तो मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ। मैंने खुद को कोसा कि मैंने इतनी बड़ी बेवकूफी कैसे कर दी। मैं तुरंत निशा के घर गया। वहाँ वो अपनी माँ के साथ थी। मैंने हाथ जोड़कर माफी माँगी, कहा, “निशा, मैं नशे में था। मुझे माफ कर दो। ऐसा दोबारा नहीं होगा। मेरे बच्चों की पढ़ाई का सवाल है, प्लीज वापस आ जाओ।” बहुत मिन्नतों के बाद वो मानी, लेकिन उसकी आँखों में एक डर और गुस्सा साफ दिख रहा था। फिर भी, वो अगले दिन से दोबारा पढ़ाने आने लगी।

धीरे-धीरे, हमारी बातचीत फिर से शुरू हुई। मैं उससे फोन पर बात करने लगा, और वो भी मुझसे खुलने लगी। मैंने देखा कि वो अब मेरे साथ हँसती-बोलती थी, और उसकी शरम कम हो रही थी। एक शाम, निशा बच्चों को पढ़ा रही थी कि अचानक उसे तेज सिरदर्द होने लगा। उसका चेहरा दर्द से सिकुड़ गया। मैंने तुरंत बच्चों को टीवी रूम में भेजा और मेडिकल स्टोर से सिरदर्द की गोली लाया। मैंने दूध गर्म किया और निशा को गोली दी। उसने गोली खाई और मैंने उसे सोफे पर लेटने को कहा। मैंने धीरे-धीरे उसका सिर दबाना शुरू किया। मेरी उंगलियाँ उसके माथे पर धीरे-धीरे चल रही थीं, और उसका चेहरा धीरे-धीरे शांत होने लगा। कुछ देर बाद उसने मेरी तरफ देखा और मेरे हाथ को चूम लिया। “मिश्रा जी, आप मेरा इतना ख्याल रखते हैं,” उसने धीमी आवाज में कहा और हल्के से मुस्कुराई।

मैंने मौके का फायदा उठाया और उसके हाथ को चूम लिया। उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने धीरे से पूछा, “निशा, तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?” उसने ना में सिर हिलाया और फिर से मुस्कुराई। मैंने हिम्मत करके पूछा, “क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?” उसने कुछ नहीं कहा, बस मेरे हाथ को फिर से चूमा। उसका जवाब मुझे मिल गया था।

अब हमारी बातचीत और गहरी होने लगी। मैं उससे हर दिन फोन पर घंटों बात करता। वो मुझे अपनी जिंदगी के बारे में बताती—कैसे वो अपने परिवार की मदद के लिए पढ़ाती थी, कैसे उसका सपना एक अच्छी जिंदगी जीने का था। उसकी बातों में एक सादगी थी, जो मुझे और करीब लाती थी। एक दिन, जब वो बच्चों को पढ़ाने आई, उसने बच्चों को होमवर्क दे दिया और सीधे मेरे कमरे में चली आई। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी। उसने लाल रंग का सलवार-सूट पहना था, जिसमें उसका फिगर और भी उभर रहा था। उसकी चोली इतनी टाइट थी कि उसके दूध साफ नजर आ रहे थे।

मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों पर चूमना शुरू कर दिया। उसका बदन गर्म था, और वो भी मुझे उसी जोश के साथ चूमने लगी। उसकी साँसें तेज हो रही थीं, और वो हल्के-हल्के सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… मिश्रा जी…” मैंने उसके गाल, गर्दन, और कंधों को चूमा। उसकी सलवार की चोली को मैंने धीरे से ऊपर उठाया और उसकी चिकनी कमर पर हाथ फेरने लगा। उसकी कमर इतनी नाजुक थी कि मेरे हाथों में जैसे पिघल रही थी। मैंने उसके कान के पास धीमे से कहा, “निशा, तुम्हारी चूत देगी ना? मेरा दिल बहुत कर रहा है तुम्हारी रसीली चूत मारने का।” उसने मेरी आँखों में देखा और शरमाते हुए बोली, “कहाँ चोदोगे मुझे, मिश्रा जी?” उसकी आवाज में एक चुदास थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी।

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मैंने कहा, “यहीं बेड पर, तुम्हारी ठुकाई कर देता हूँ।” उसने बच्चों की तरफ इशारा किया, “और बच्चे?” मैंने हँसते हुए कहा, “वो होमवर्क में बिजी हैं, तब तक मैं तुम्हें चोद लूँगा।” मैंने उसे फिर से बाहों में भरा और उसके होंठों को चूसने लगा। उसका लाल सूट मैंने धीरे से ऊपर उठाया, और उसकी काली ब्रा के ऊपर से उसके 36 इंच के रसीले दूध दबाने लगा। वो सिसक रही थी, “आह्ह… ओह्ह… मिश्रा जी… धीरे…” लेकिन उसकी सिसकारियों में मजा साफ झलक रहा था।

मैंने उसकी चोली को पूरा उतार दिया। उसकी काली ब्रा में उसके दूध और भी सेक्सी लग रहे थे। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींचा, और उसकी काली पैंटी के साथ वो भी नीचे सरक गई। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने भी अपनी शर्ट और पैंट उतार दी, और अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। मैंने दरवाजे की कुंडी लगाई, ताकि बच्चे अंदर न आ जाएँ। फिर मैंने निशा को बेड पर लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया। उसका बदन इतना चिकना था कि मेरे हाथ हर जगह फिसल रहे थे। मैंने उसकी ब्रा खोली, और उसके रसीले दूध मेरे सामने थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा।

निशा की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… ओह्ह… मम्मी… उई…” वो बार-बार अपनी गांड उठा रही थी, जैसे मुझसे और चुदास माँग रही हो। मैंने उसके दोनों दूधों को बारी-बारी चूसा, और वो पागल सी हो रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी, और उसकी कुंवारी चूत मेरे सामने थी। उसकी चूत पूरी तरह से बंद थी, और उसकी सील साफ दिख रही थी। मैंने उसकी चूत को हल्के से सहलाया, और वो सिहर उठी। “मिश्रा जी… प्लीज… अब डाल दो… मैं मर जाऊँगी,” उसने कहा।

मैंने उसकी टाँगें खोलीं और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उसकी चूत के दाने को छू रही थी, और वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… मम्मी… सी सी सी… उई…” मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी, और वो बार-बार अपनी गांड उठा रही थी। उसकी चूत का स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैंने उसकी जाँघों को पकड़ा और उसकी चूत को और जोर से चाटने लगा। वो अपने दूध खुद दबा रही थी, और उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं।

मैंने उसकी चूत को तब तक चाटा जब तक वो पूरी तरह से गीली नहीं हो गई। फिर मैंने उसकी जाँघों को और चौड़ा किया और उसकी चूत के छेद को अपनी उंगलियों से सहलाया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी एक उंगली भी मुश्किल से अंदर जा रही थी। मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगली अंदर-बाहर की, और वो सिसक रही थी, “आह्ह… मिश्रा जी… ये क्या कर रहे हो… उई…” मैंने उसकी चूत में दो उंगलियाँ डालीं, और वो जोर से सिहर उठी। उसकी चूत का रस मेरी उंगलियों पर लग रहा था, और मैंने उस रस को चाट लिया।

फिर मैंने अपना 8 इंच का लंड निकाला, जो पहले से ही खड़ा था। मैंने उसे मुठ मारकर और सख्त किया, और उसकी चूत के छेद पर रखा। मैंने धीरे से एक धक्का मारा, और मेरा लंड 3 इंच अंदर चला गया। उसकी चूत की सील टूट गई, और खून निकलने लगा। निशा चिल्लाई, “उई… माँ… बहुत दर्द हो रहा है…” मैं रुक गया, और उसके होंठों को चूमने लगा ताकि उसका दर्द कम हो। मैंने उसके गाल, गर्दन, और दूधों को चूमा, और धीरे-धीरे उसका दर्द कम होने लगा।

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कुछ देर बाद मैंने फिर से धक्का मारा, और इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो जोर से चिल्लाई, “हाय रे… मम्मी…” मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में रगड़ खा रहा था। मैंने उसकी चूत में थूक लगाया, ताकि लंड आसानी से अंदर-बाहर हो सके। अब चट-चट की आवाज कमरे में गूँज रही थी। निशा का दर्द धीरे-धीरे मजे में बदल रहा था। वो मेरे कंधों को पकड़कर मुझे चूम रही थी।

मैंने उसकी एक टाँग उठाई और साइड से चोदना शुरू किया। हर धक्के के साथ उसकी चूत और रसीली हो रही थी। मैंने कहा, “निशा, तेरी चूत तो बहुत टाइट है… कितना मजा आ रहा है…” उसने शरमाते हुए कहा, “मिश्रा जी… आपका लंड इतना मोटा है… आह्ह… धीरे करो…” मैंने उसकी बात अनसुनी की और और जोर से धक्के मारने लगा। चट-चट की आवाज के साथ उसकी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “आह्ह… ओह्ह… मम्मी… उई…”

कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी गोल-गोल गांड मेरे सामने थी, और मैंने उसकी गांड को सहलाते हुए अपना लंड फिर से उसकी चूत में डाला। अब मैं जोर-जोर से धक्के मार रहा था, और चट-चट की आवाज के साथ निशा की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “आह्ह… मिश्रा जी… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…” मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे और तेजी से चोदा। उसकी चूत अब पूरी तरह से गीली थी, और मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था।

फिर मैंने उसे अपनी गोद में बिठाया। मैं बेड के सिरहाने पर तकिए लगाकर लेट गया, और निशा मेरे ऊपर बैठ गई। उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में डाला। वो धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगी। उसकी अनाड़ीपन साफ दिख रहा था, लेकिन वो जल्दी सीख गई। अब वो अपनी गांड उठा-उठाकर चुदवाने लगी, और मैं उसके दूध दबा रहा था। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… उई… मम्मी… कितना मजा आ रहा है…” मैंने उसके निप्पल्स को चुटकी में लिया, और वो सिहर उठी।

लगभग 25 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा। कभी उसे बेड पर लिटाकर, कभी घोड़ी बनाकर, और कभी अपनी गोद में बिठाकर। बीच-बीच में मैं उसके दूध चूसता, उसकी चूत को सहलाता, और उसे चूमता। वो बार-बार मेरे सीने को चूम रही थी, और उसकी साँसें इतनी गर्म थीं कि मैं और उत्तेजित हो रहा था। आखिर में मैंने उसकी चूत में ही पानी छोड़ दिया। वो मेरे ऊपर गिर पड़ी और मेरे सीने को चूमने लगी। मैंने उसके माथे को चूमा और कहा, “निशा, आज हमारी सुहागरात हो गई।” उसने शरमाते हुए मेरी तरफ देखा और मेरे गाल पर एक चुम्मी दे दी।

हम दोनों कुछ देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे। फिर उसने अपनी पैंटी, ब्रा, और सलवार-सूट पहना। मैंने भी अपने कपड़े पहने और उसे देखकर मुस्कुराया। वो बच्चों को देखने चली गई, और मैं सोचने लगा कि ये तो बस शुरुआत है।

दोस्तों, आपको मेरी और निशा की ये चुदाई की कहानी कैसी लगी? क्या आप चाहेंगे कि मैं अगली कहानी में और क्या बताऊँ? कमेंट में जरूर बताएँ।

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