मेरा नाम राहुल है, और ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 20 साल का था, जवान, गर्मखखों से भरा हुआ। मेरी चाची, जिनका नाम रीता है, उनकी खूबसूरती ऐसी कि मानो कोई बॉलीवुड मॉडल हो। ऊपरवाले ने उन्हें ऐसी पर्सनालिटी दी है कि कोई भी उनकी एक झलक देखे बिना रह ही नहीं सकता। उनकी उमर होगी कोई 32-33 साल, लेकिन लगती थीं जैसे 25 की हों। उनका फिगर—उफ्फ, क्या बताऊँ! भरे हुए बूब्स, पतली कमर, और वो मोटी, गोल गांड—सब कुछ इतना परफेक्ट कि मेरा लंड उन्हें देखते ही सलामी देने लगता था। उनकी हंसी, उनकी चाल, वो शरारती नजरें—हर चीज में एक अजीब सा नशा था।
पहले-पहल मेरी और चाची की ज्यादा बातचीत नहीं होती थी। मैं उनसे थोड़ा शरमाता था, शायद इसलिए कि उनकी सेक्सी अदाएं मेरे होश उड़ा देती थीं। लेकिन एक बार मेरे मम्मी-पापा को पापा के बिजनेस के सिलसिले में कुछ हफ्तों के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा। घर खाली न छोड़ने की वजह से मुझे चाची के घर रुकना पड़ा। चाची के पति, यानी मेरे चाचा, अक्सर देर रात तक ऑफिस में रहते थे, और घर में बस चाची, उनकी दो साल की बेटी, और अब मैं था। मुझे क्या पता था कि ये कुछ दिन मेरी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देंगे।
चाची का घर बड़ा और आलीशान था, लेकिन उसमें एक अजीब सी गर्मी थी—शायद इसलिए कि चाची हर वक्त ऐसी साड़ियां या ब्लाउज पहनती थीं, जिनमें उनके बूब्स का उभार साफ दिखता। वो गहरे गले वाले ढीले-ढाले ब्लाउज पहनती थीं, और जब वो झुकतीं, तो उनकी गुलाबी निप्पल्स तक झलक जाती थीं। उनकी गांड इतनी भारी थी कि जब वो चलती थीं, तो साड़ी उनके कूल्हों से चिपककर उनकी हर हरकत को और सेक्सी बना देती थी। मैं हमेशा सोचता था कि काश मैं उन्हें छू पाऊं, उनके जिस्म को महसूस कर पाऊं। मेरे पास उनकी एक फोटो थी, जो मैंने चुपके से तब ली थी जब वो बाथरूम में नहा रही थीं। उस फोटो में वो पूरी नंगी थीं—उनके गीले बाल, चिकनी चूत, और भारी बूब्स देखकर मैं हर रात मुठ मारता था।
पहले दिन सब नॉर्मल था। चाची सुबह जल्दी उठकर घर के काम में लग जाती थीं। मैं उनके पीछे-पीछे घूमता, कभी उनकी मदद के बहाने, कभी बस उन्हें देखने के लिए। एक दोपहर, जब उनकी बेटी सो रही थी, चाची किचन में थीं। मैंने मौका देखकर कहा, “चाची, मेरे लिए खाना ले आओ ना।”
वो हंसते हुए बोलीं, “अरे, अभी लाती हूँ, थोड़ा रुक जा।” उनकी आवाज में एक अजीब सी मिठास थी, जो मेरे दिल को गुदगुदा गई।
मैं काफी देर तक इंतजार करता रहा। फिर बोर होकर बाहर गया। तभी मुझे कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं—आह… आह… जैसे कोई सिसक रहा हो। मैं उस तरफ गया। आवाज बाथरूम से आ रही थी। दरवाजा बंद था, लेकिन कीहोल से मैंने देखा—चाची फर्श पर बैठी थीं, उनकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी, और वो अपनी चूत में उंगलियां डाल रही थीं। उनका चेहरा लाल था, आंखें बंद थीं, और वो धीरे-धीरे सिसकारियां ले रही थीं, “आह्ह… उह्ह… हाय…” उनकी उंगलियां उनकी गीली चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं, और उनका जिस्म हल्के-हल्के कांप रहा था। मेरा लंड तुरंत पत्थर जैसा सख्त हो गया। मैं वहां से हट गया, लेकिन मेरा दिमाग उसी नजारे में अटक गया।
शाम को उनकी बेटी सोकर उठी और रोने लगी। चाची दौड़कर आईं, उसे गोद में लिया, और अपना ब्लाउज थोड़ा ऊपर उठाया। उनका एक बूब बाहर आ गया—गोरा, भरा हुआ, और उसकी गुलाबी निप्पल सख्त थी। बच्ची दूध पीने लगी, और मैं बार-बार उनकी तरफ देख रहा था। मेरी नजरें उनके बूब पर टिकी थीं। चाची ने मुझे देख लिया। वो बोलीं, “क्या घूर रहा है, राहुल?”
मैं घबराकर बोला, “क… कुछ नहीं, चाची।” मेरी आवाज कांप रही थी।
वो हल्के से मुस्कुराईं और बोलीं, “अभी ये सब देखने की तेरी उमर नहीं है।” उनकी आवाज में एक शरारत थी, जो मुझे और उकसा रही थी।
उस रात मैं अपने कमरे में लेटा था। चाची मेरे बेड के पास आईं और मेरा ब्लैंकेट ठीक करने लगीं। मैं जाग रहा था, लेकिन चुप रहा। उन्होंने लाल रंग की पतली सी नाइटी पहनी थी, जो उनके जिस्म से चिपकी हुई थी। अचानक वो मेरे बेड पर बैठ गईं और मुझसे सट गईं। उनका गर्म जिस्म मेरे बदन से टकराया, और मेरा चेहरा उनके भारी बूब्स के बीच दब गया। उनकी खुशबू—उफ्फ, जैसे कोई जादू था। मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनकी गर्मी को महसूस करता रहा। वो शायद सोच रही थीं कि मैं सो गया हूँ।
सुबह जब मेरी आंख खुली, तो कमरा खाली था। चाची वहां खड़ी थीं, कपड़े बदल रही थीं। वो पूरी नंगी थीं। उनकी चिकनी चूत, भारी बूब्स, और गोरा जिस्म देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। वो कपड़े पहन रही थीं, लेकिन उनकी नजर मुझ पर पड़ी। वो मुस्कुराईं और बोलीं, “सो गया था क्या?” मैंने बस हल्का सा सिर हिलाया।
अगले कुछ दिन चाची मेरे और करीब आने लगीं। वो जानबूझकर मेरे सामने झुकतीं, जिससे उनके बूब्स का उभार दिखे। कभी किचन में मेरे पास से सटकर निकलतीं, तो कभी मेरे कंधे पर हाथ रखकर बात करतीं। मेरे दिमाग में हर वक्त उनकी वो बाथरूम वाली तस्वीर घूमती थी। मैं हर रात उनकी फोटो देखकर मुठ मारता।
एक सुबह, जब घर में कोई नहीं था, मैं अपने कमरे में फोन पर पॉर्न वीडियो देख रहा था। स्क्रीन पर एक औरत जोर-जोर से चिल्ला रही थी, “आह्ह… चोद मुझे…” मैं इतना खोया हुआ था कि मुझे पता ही नहीं चला कि चाची कब कमरे में आ गईं। उन्होंने सब देख लिया। मैंने जल्दी से फोन बंद किया, लेकिन मेरी हालत खराब थी। वो बोलीं, “ये क्या चल रहा है, राहुल?”
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मैं हड़बड़ाते हुए बोला, “च… चाची, कुछ नहीं… गलती से खुल गया।”
वो मेरे पास आईं और हंसते हुए बोलीं, “अरे, शरमा मत। जवानी में ये सब तो चलता है।” उनकी आंखों में एक शरारत थी।
मैंने डरते-डरते कहा, “आप मम्मी-पापा को तो नहीं बताएंगी?”
वो मेरे और करीब आईं। उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरक गया था, और उनके बूब्स का उभार साफ दिख रहा था। वो बोलीं, “नहीं बताऊँगी, लेकिन मेरी एक शर्त है।”
मैंने घबराते हुए पूछा, “क… क्या?”
चाची ने मेरी आंखों में देखा और धीरे से बोलीं, “इस पॉर्न को छोड़। असली मजा तो मैं तुझे दे सकती हूँ। मुझे खुश कर, मैं तुझे खुश करूँगी।”
मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये सपना है या हकीकत। उस रात चाचा को देर से आना था। मैं अपने बेड पर लेटा था, लेकिन नींद नहीं आ रही थी। तभी चाची कमरे में आईं। वो पूरी नंगी थीं। उनके हाथ में एक कॉन्डम था। उनके गोरे जिस्म पर कमरे की हल्की रोशनी पड़ रही थी, और वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं। वो मेरे बेड पर बैठ गईं। मैं उन्हें ही देखता रहा। मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था।
चाची ने मेरी टी-शर्ट पकड़ी और उतार दी। फिर मुझे खड़ा किया और मेरी शॉर्ट्स नीचे खींच दी। मेरा लंड उनके सामने था, पूरा सख्त। वो हल्के से हंसीं और बोलीं, “वाह, राहुल… इतना मस्त लंड!” उनकी बात सुनकर मेरी हिम्मत बढ़ी। उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और मेरे गाल पर एक गर्म चुम्मा लिया। मैंने भी हिम्मत करके उनके होंठों पर चूम लिया। उनकी होंठ इतने नरम थे कि मैं खो सा गया। हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उनके मुँह में। “म्म्म… आह्ह…” चाची की सिसकारियां शुरू हो गईं।
चाची ने मेरा कच्छा उतारा और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। “आह्ह… चाची…” मैं सिसक उठा। उनकी गर्म जीभ मेरे लंड पर घूम रही थी। वो उसे चूस रही थीं, जैसे कोई भूखी शेरनी हो। “चप… चप…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मैं बस जन्नत में था। “आह्ह… और चूसो… चाची… उह्ह…” मैं बड़बड़ा रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उनके बूब्स दबाए। उनके निप्पल्स सख्त थे, जैसे कोई किशमिश हो। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… राहुल… और जोर से… चूस मेरे बूब्स…” चाची चिल्ला रही थीं। मैंने उनके दोनों बूब्स को बारी-बारी से चूसा, दबाया, और उनके निप्पल्स को हल्के से काटा। चाची की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “उह्ह… हाय… कितना मजा आ रहा है…”
चाची ने मेरे लंड पर कॉन्डम चढ़ाया और बेड पर लेट गईं। उनकी टांगें फैली हुई थीं, और उनकी चूत गीली और चमक रही थी। वो बोलीं, “आ जा, राहुल… मेरी चूत को चोद… फाड़ दे इसे…” उनकी बात सुनकर मेरा खून और गर्म हो गया। मैं उनकी टांगों के बीच गया। उनकी चूत गर्म और गीली थी। मैंने धीरे से अपना लंड उनकी चूत में डाला। “आह्ह… उई माँ…” चाची जोर से चिल्लाईं। मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड पूरा अंदर जाने में वक्त लगा।
“चप… चप… चप…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। चाची चिल्ला रही थीं, “आह्ह… चोद मुझे… और जोर से… फक मी हार्ड…” मैंने रफ्तार बढ़ाई। उनकी चूत को मैंने इतनी जोर से चोदा कि बेड हिलने लगा। उनके बूब्स उछल रहे थे, और मैं उन्हें दबाते हुए उनके होंठों को चूम रहा था। “आह्ह… उह्ह… और तेज… मेरी चूत को फाड़ दे…” चाची की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
हमने अलग-अलग पोजीशन्स में चुदाई की। चाची मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे लंड पर उछलने लगीं। “आह्ह… कितना गहरा जा रहा है… उह्ह…” वो चिल्ला रही थीं। उनके बूब्स मेरे चेहरे के सामने हिल रहे थे। मैंने उनके निप्पल्स को फिर से चूसा। फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। “चप… चप… चप…” की आवाजें और तेज हो गईं। “आह्ह… और जोर से… मेरी चूत को रगड़ दे…” चाची चिल्ला रही थीं।
थोड़ी देर बाद मैंने उनकी चूत चूसना शुरू किया। उनकी चूत की खुशबू और स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत में डाली और चाटने लगा। “आह्ह… राहुल… और चाट… मेरी चूत को खा जा…” चाची की सिसकारियाँ और तेज हो गईं। मैंने उनकी चूत को इतना चूसा कि वो झड़ गईं। उनका रस मेरे मुँह में था, और मैंने उसे चाट लिया।
फिर मैंने दोबारा उनकी चुदाई शुरू की। “चप… चप… चप…” की आवाजें फिर से गूँजने लगीं। मैंने इतनी जोर से चोदा कि चाची दर्द और मजा दोनों में डूबी हुई थीं। “आह्ह… राहुल… तेरा लंड… कितना मस्त है… उह्ह…” वो बड़बड़ा रही थीं। आखिरकार मैं झड़ गया। चाची ने मेरा लंड फिर से मुँह में लिया और चूसने लगीं। “चप… चप…” की आवाजें फिर से शुरू हो गईं।
सारी रात हम एक-दूसरे से चिपके रहे। मेरा चेहरा उनके बूब्स के बीच था, और मैं ऐसे ही सो गया। सुबह जब आंख खुली, तो चाची मेरे पास ही थीं। वो उठीं और मुस्कुराते हुए बोलीं, “मजा आया, राहुल?”
मैंने कहा, “हाँ, चाची। बहुत मजा आया।”
वो हंसीं और बोलीं, “कोई बात नहीं। अब ये मजा मैं तुझे बार-बार दूँगी।”
मैंने पूछा, “क्या मतलब?”
वो शरारती अंदाज में बोलीं, “अब तू जब चाहे, जहाँ चाहे मुझे टच कर सकता है, मुझे चोद सकता है।”
मैंने डरते हुए कहा, “पर बिना कॉन्डम के तो आप प्रेग्नेंट हो जाएँगी।”
चाची ने हंसकर कहा, “कोई बात नहीं। मेरी गांड चीख दियो।”
उस रात के बाद मैं और चाची बहुत करीब आ गए। जब भी मौका मिलता, हम सेक्स करते। अब तो मैं किचन में भी चुपके से उनके बूब्स दबा देता हूँ। कभी-कभी किसी बहाने उनके कमरे में चला जाता और उनकी चूत या गांड चोद देता। उनकी गांड इतनी चिकनी है कि मेरा लंड आसानी से अंदर चला जाता है। “बूल… बूल… चप… चप…” जब मैं उनकी गांड चोदता हूँ, तो वो चिल्लाती हैं, “आह्ह… और जोर से… मेरी गांड मार… उह्ह…” उनकी सिसकारियां सुनकर मुझे जन्नत का एहसास होता है।
जब वो नहाती हैं, तो मैं चुपके से बाथरूम में घुस जाता हूँ। उनके गीले जिस्म को देखकर मेरा लंड और सख्त हो जाता है। मैं उनके बूब्स दबाता हूँ, उनकी गांड चोदता हूँ, ताकि वो प्रेग्नेंट न हों। “आह्ह… राहुल… तू कितना बदमाश है… उह्ह…” वो हंसते हुए कहती हैं। लेकिन उन्हें भी ये सब उतना ही मजा देता है।
अब हमारा रिश्ता पूरी तरह से सेक्स रिलेशन बन गया है। चाची को मेरे साथ चुदाई में उतना ही मजा आता है, जितना मुझे। उनकी चुदाई करना मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा पल है। हर बार जब मेरा लंड उनकी चूत या गांड में जाता है, तो मुझे लगता है कि मैं जन्नत में हूँ।
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