मेरा नाम काजल है। मैं 19 साल की हूँ, गोरी, लंबी, और मेरी बॉडी ऐसी कि लोग घूरते रह जाते हैं। मेरी कमर पतली है, चूचियाँ भारी और गोल, और गाँड इतनी उभरी हुई कि टाइट जीन्स में हर कदम पर लचकती है। मैं कॉलेज में पढ़ती हूँ, और मुझे फैशन का शौक है—छोटे टॉप, टाइट लेगिंग्स, और रंग-बिरंगे दुपट्टे मेरी पसंद हैं। बाहर से मैं सीधी-सादी दिखती हूँ, पर अंदर से मैं उतनी ही गर्म और शरारती हूँ जितना कोई सोच भी नहीं सकता। मेरा भाई पवन 20 साल का है। वो लंबा, गठीला, और थोड़ा सांवला है, लेकिन उसकी मुस्कान और आँखों की चमक लड़कियों को दीवाना बना देती है। वो जिम जाता है, तो उसका बदन कसा हुआ है, और वो हमेशा टाइट टी-शर्ट पहनता है जिसमें उसकी छाती और बाइसेप्स उभरकर दिखते हैं। पवन की सबसे बड़ी खासियत उसका बेशर्म और शरारती स्वभाव है। वो हर बात को मजाक में लेता है, और उसकी गंदी बातें सुनकर कोई भी लड़की शरमा जाए। हमारे मम्मी-पापा, रमेश और सुनीता, दोनों मिडिल-क्लास नौकरीपेशा लोग हैं। मम्मी 42 की हैं, साड़ी में हमेशा सजी-धजी रहती हैं, और पापा 45 के, थोड़े गंभीर लेकिन पवन की हरकतों को हँसकर टाल देते हैं। वो दोनों इतने बिजी रहते हैं कि हमें ज्यादा टाइम नहीं देते, और शायद इसीलिए पवन की हरकतें उनके सामने भी चलती रहती थीं।
पवन बचपन से ही मेरे साथ गंदी हरकतें करता था। कभी मेरी गाँड पर चुपके से थप्पड़ मार देता, तो कभी खेल-खेल में मेरी चूचियों को छू लेता। मैं चिल्लाती, गुस्सा करती, लेकिन वो बस हँस देता। मम्मी-पापा के सामने वो बेशर्मी से कहता, “काजल, तू मेरी बीवी बनेगी न?” और वो दोनों हँसकर बात टाल देते। मैं शिकायत करती, “मम्मी, देखो न, ये क्या बोलता है!” तो वो कहते, “अरे, वो तो मजाक कर रहा है, तू क्यों गुस्सा करती है?” मुझे लगता था कि वो पवन को डाँटेंगे, लेकिन उनकी ये बेपरवाही मुझे और चिढ़ाती थी।
जैसे-जैसे हम बड़े हुए, पवन की हरकतें और गंदी हो गईं। जब मम्मी-पापा घर पर नहीं होते, वो मेरे पास आकर कहता, “काजल, तू तो बड़ी मस्त माल बन गई है। तेरी चूचियाँ देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है।” मैं गुस्से में जवाब देती, “हरामखोर, चुप कर! ऐसी गंदी बातें मत बोल!” लेकिन सच कहूँ, उसकी ये बातें मुझे अंदर से गुदगुदाती थीं। मेरी चूत में हल्की-सी सनसनी होने लगती थी, पर मैं ऊपर से गुस्सा दिखाती थी।
हम दोनों अब पूरी तरह जवान थे। पवन की बॉडी और मर्दानगी देखकर मेरे कॉलेज की लड़कियाँ उस पर लट्टू थीं, और मैं? मेरी जवानी की तारीफ कॉलेज के लड़के करते नहीं थकते थे। लेकिन पवन की हरकतें अब भी वैसी ही थीं। मम्मी-पापा के न होने पर वो मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारता, या मेरे पास से गुजरते हुए मेरी चूचियों को कोहनी से छू लेता। एक दिन मुझसे रहा नहीं गया। मैंने गुस्से में चिल्लाकर कहा, “साले, तू एक नंबर का बहनचोद है! इतनी गर्मी है तेरे लंड में, तो चोद ना मुझे, कमीने! वरना मैं तेरे दोस्तों को बता दूँगी कि तू कितना बड़ा हरामी है!”
मेरी ये बात सुनकर पवन सहम गया। उसे डर था कि अगर मैंने सचमुच उसके दोस्तों को कुछ बता दिया, तो उसकी बेइज्जती हो जाएगी। उस दिन के बाद वो मेरे साथ थोड़ा नरम और सम्मान से पेश आने लगा। लेकिन दोस्तों, सच कहूँ, मुझे उसका ये नया रवैया बिल्कुल पसंद नहीं आया।
जब वो मेरी चूचियों को छूता था, मेरी गाँड को सहलाता था, तो मेरे शरीर में एक अजीब-सी आग लग जाती थी। मैं ऊपर से गुस्सा दिखाती थी, लेकिन मेरी चूत गीली हो जाती थी। जब उसने ये सब बंद कर दिया, तो मेरी जिंदगी सूनी-सी लगने लगी। मैं सोचती थी कि काश वो फिर से वही पुराना, शरारती पवन बन जाए, जो मेरे साथ गंदी हरकतें करता था।
एक दिन हमारे परिवार ने पिकनिक का प्लान बनाया। हमारे घर के लोग और पड़ोस की शर्मा फैमिली साथ में थी। मेरे घर के पास एक डैम है, जिसके चारों तरफ घना जंगल है। वहाँ का माहौल इतना सुकून भरा है कि हर कोई वहाँ पिकनिक मनाने को उत्सुक रहता है। हम सब सुबह तैयार होकर निकल पड़े। पिकनिक में आग जलाने के लिए लकड़ियाँ चाहिए थीं, जो हम जंगल से ही लाते हैं। इससे मजा दोगुना हो जाता है।
लकड़ियाँ लाने का काम मुझे और पवन को मिला। हम दोनों जंगल में चले गए। चारों तरफ घनी झाड़ियाँ थीं, और सन्नाटा ऐसा कि सिर्फ हवा और पंछियों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। हम लकड़ियाँ चुनने लगे। तभी मैंने पवन से कहा, “सॉरी यार, उस दिन मैंने जो बोला, वो गलत था।”
उसने हैरानी से पूछा, “क्या हुआ? किस बात का सॉरी?” मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “वो जो मैंने कहा था कि तेरे दोस्तों को बता दूँगी। मैंने तुझे गलत समझा।”
पवन ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, तू सही थी। हम भाई-बहन थोड़ा मजाक करते थे, पर तुझे बुरा लगा, तो मैंने सब रोक दिया।” मैंने हल्की-सी हँसी के साथ कहा, “सच कहूँ, मुझे वो सब अच्छा लगता था। मैं बस ऊपर से गुस्सा दिखाती थी, लेकिन तेरी वो गंदी छेड़छाड़ मुझे मजा देती थी।”
वो मुझे गौर से देखने लगा, जैसे मेरी बात पर यकीन न हो रहा हो। मैंने आगे कहा, “हाँ रे, सही कह रही हूँ। मुझे तेरी वो हरकतें याद आती हैं।” मेरी बात सुनकर वो मेरे पास आया, मेरी कमर पकड़ी और मेरे होठों को छूते हुए बोला, “काजल, क्या मैं तेरे इन रसीले होठों को चूस लूँ?”
मैं शरमाकर सिर झुका लिया। मेरा दुपट्टा नीचे सरक गया, और मेरी तनी हुई चूचियाँ टॉप के ऊपर से साफ दिखने लगीं। मेरी गदराई जवानी को देखकर उसका लंड तन गया, ये मैंने उसके पैंट के उभार से समझ लिया। उसने मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए और एक हाथ मेरी चूचियों पर रखकर दबाने लगा। “क्या मस्त माल है तू, काजल!” वो बुदबुदाया।
हम दोनों गर्म हो गए। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और लिप-लॉक शुरू कर दिया। वो मेरे मुँह में जीभ डालने लगा, मैं भी उसका पूरा साथ देने लगी। वो मेरे होठों को चूसते हुए मेरी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगा। “उफ्फ्फ, पवन, साले, तू क्या कर रहा है!” मैं सिसकारी भरी। मैंने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसका लंड पकड़ लिया, जो अब पत्थर की तरह सख्त था। “साले, तेरा लंड तो पूरा तन्न गया!” मैंने शरारत से कहा।
उसने मेरी गाँड को दोनों हाथों से जोर से दबाया और मुझे अपनी छाती से चिपका लिया। “साली, तेरी गाँड कितनी मुलायम है!” वो गुर्राया। उसने अपना लंड मेरे कपड़ों के ऊपर से मेरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया। मेरी चूत गीली होकर चूने लगी थी, मेरे निप्पल सख्त होकर मेरे टॉप को चीरते हुए बाहर आने को बेताब थे। “उफ्फ्फ, पवन, तू मुझे पागल कर देगा, साले!” मैंने अंगड़ाई लेते हुए कहा।
मैं नीचे बैठ गई। उसने मुझे घास पर लिटा दिया और मेरा नाड़ा खींचकर खोल दिया। मेरी गीली पैंटी को उसने फटाक से उतार फेंका। मेरे पैरों के बीच बैठकर उसने मेरी चूत को पहले बड़े गौर से देखा। “क्या मस्त चूत है तेरी, काजल! एकदम गुलाबी और रसीली!” उसने उंगली से मेरी चूत को सहलाया, फिर जीभ से चाटना शुरू कर दिया। “ओह्ह्ह्हह, पवन, साले, ये क्या कर रहा है!” मैं चीख पड़ी। उसकी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में जा रही थी, मेरे पूरे शरीर में करंट-सा दौड़ रहा था। मैंने उसका सिर पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाने लगी, “चाट साले, और जोर से चाट मेरी चूत!”
मैंने सिसकारते हुए कहा, “पवन, किसी को मत बताना। हम भाई-बहन हैं, लेकिन जब तक शादी नहीं होती, हम एक-दूसरे की आग बुझा सकते हैं।” वो और जोश में आ गया, “साली, तू तो बड़ी रंडी निकली! आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा!”
उसने अपना मोटा, तना हुआ लंड निकाला और मेरी चूत पर सेट किया। “तैयार है, काजल?” उसने शरारती अंदाज में पूछा। मैंने हाँ में सिर हिलाया, “हाँ, साले, पेल दे!” उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। “आह्ह्ह्ह!” मैं चीख पड़ी। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा, मेरी चूचियों को मसलते हुए, “ले साली, ले मेरा लंड! कितनी टाइट है तेरी चूत!”
मैं भी गाँड उठा-उठाकर उसका साथ देने लगी, “हाँ पवन, चोद मुझे! फाड़ दे मेरी चूत, साले हरामी!” गच-गच की आवाज जंगल में गूँज रही थी। उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, मेरी गाँड में सनसनाहट हो रही थी। मेरे होठ सूख गए, मेरी चूचियाँ तनकर और बड़ी हो गईं। “ओह्ह्ह, पवन, मेरी चूत में आग लगा दे!” मैं चिल्लाई।
मेरी आँखें बंद हो गईं, मेरी वासना ने मुझे पागल कर दिया था। “काजल, तू कितनी गर्म रंडी है!” वो गुर्राता हुआ धक्के मार रहा था। हम दोनों एक-दूसरे को रगड़-रगड़कर खुश कर रहे थे। करीब दस मिनट में हम दोनों झड़ गए, क्योंकि हम दोनों अनाड़ी थे। उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में छूट गया। “उफ्फ्फ, काजल, क्या चूत है तेरी!” वो हाँफते हुए बोला। मैंने उसे अपनी तरफ खींचा, अंगड़ाई ली और मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया, “पवन, तूने तो मुझे जन्नत दिखा दी, साले!”
हमने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और लकड़ियाँ लेकर पिकनिक वाली जगह पर लौट गए। उस दिन के बाद, जब भी हम अकेले होते, एक-दूसरे को चूमने लगते, बाहों में झूलते और फिर जमकर चुदाई करते।
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