जीजू दीदी को पति वाला सुख नहीं दे पाए- 2

दोस्तो, मैं सैम, और मैं आपको अपनी और मेरी पूनम दीदी की चुदाई की कहानी का दूसरा हिस्सा बता रहा हूँ। पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे दीदी बैंगलोर से मायके आईं और रात को मैंने उन्हें चूत में उंगली करते देख लिया। उस रात हम दोनों की हवस ने हमें एक-दूसरे के करीब ला दिया। हमने एक-दूसरे के गुप्तांगों को चूसा, रस पिया, और फिर से गर्म हो गए।

कहानी का पिछला भाग: जीजू दीदी को पति वाला सुख नहीं दे पाए- 1

अब आगे की कहानी…

मैं अब दीदी की चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार था। मेरे लंड में इतनी गर्मी थी कि वो फटने को तैयार था। मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसे अच्छे से मल लिया ताकि दीदी की चूत में आसानी से घुस सके। फिर मैंने थोड़ा और थूक लिया और दीदी की चूत के होंठों पर लगाया। उनकी चूत पहले से ही गीली थी, लेकिन मैं चाहता था कि वो और स्लिपरी हो जाए। दीदी बेड पर लेटी हुई थीं, उनकी टाँगें खुली हुई थीं, और उनकी आँखों में हवस की चमक साफ दिख रही थी। वो भी चुदाई के लिए बेकरार थीं।

मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा और धीरे-धीरे रगड़ना शुरू किया। दीदी की साँसें तेज हो गई थीं, और वो अपनी गांड को हल्के-हल्के हिलाकर मेरे लंड को और पास लाने की कोशिश कर रही थीं। मैं उनके ऊपर लेट गया, उनके गुलाबी होंठों को चूसते हुए मैंने एक जोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया। दीदी की आँखें फट गईं, और उनके मुँह से एक दर्द भरी सिसकारी निकली, “आह्ह… सैम!” उनकी आँखों में आँसू आ गए थे। मैंने देखा कि उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड मुश्किल से अंदर जा रहा था।

मैंने कुछ देर तक वैसे ही रुककर उनके ऊपर लेटा रहा, उनके होंठों को चूसता रहा, और उनकी चूचियों को अपने सीने से सटाए रखा। दीदी की गर्म साँसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं, और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। कुछ पल बाद मैंने उनके होंठों से अपने होंठ हटाए। दीदी ने हाँफते हुए कहा, “सैम, बहुत दर्द हो रहा है… तेरा लंड बाहर निकाल दे!”

मैंने उनकी बात अनसुनी कर दी और उनकी गर्दन पर चूमना शुरू किया। मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उनकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू किया। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड अब आसानी से स्लिप करने लगा था। दीदी की सिसकारियाँ धीरे-धीरे दर्द से सुख में बदलने लगीं। मैंने फिर से उनके होंठों को चूसना शुरू किया और अब जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मेरा 7 इंच का लंड अब उनकी चूत में पूरा का पूरा घुस गया था। मुझे लग रहा था कि मेरा लंड उनकी बच्चेदानी को छू रहा है।

दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया और अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट दीं। वो अब दर्द को सहते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में सेट करने की कोशिश कर रही थीं। मैंने कुछ देर रुककर उन्हें साँस लेने का मौका दिया, फिर धीरे-धीरे लंड को फिर से अंदर-बाहर करना शुरू किया। अब दीदी भी अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी थीं। हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे, एक-दूसरे की बाँहों में जकड़े हुए थे, और धीरे-धीरे एक-दूसरे में समा रहे थे।

मेरी स्पीड अब अपने आप बढ़ने लगी थी। चुदाई अब पूरे जोरों पर थी। दीदी अपनी चूत को मेरे लंड की तरफ धकेल रही थीं, और मैं उनकी चूत में गचागच धक्के मार रहा था। उनकी चूत की गर्मी और टाइटनेस मुझे पागल कर रही थी। तभी मुझे अचानक एक आहट सी सुनाई दी। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो रूम का दरवाज़ा हल्का सा खुला था। मुझे शक हुआ कि कोई हमें छुपकर देख रहा है। लेकिन जब मैंने ध्यान से देखा, तो वहाँ कोई नहीं था। मैंने इस बारे में दीदी से कुछ नहीं कहा और उनकी चुदाई में डूब गया।

अब मैं तेजी से उनकी चूत में लंड पेल रहा था। दीदी भी पूरे जोश में थीं और अपनी टाँगें और चौड़ी करके मेरे लंड को पूरा अंदर ले रही थीं। मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उनके निप्पल कड़क हो गए थे। मैंने हल्के से उनके निप्पल को दाँतों से काटा, तो दीदी जोर से सिसकारी, “आह्ह… सैम… क्या कर रहा है… तेज चोद… मेरी चूचियों को पी जा… जोर-जोर से चूसते हुए चोद, भाई!” उनकी बातें सुनकर मेरा जोश दोगुना हो गया। मैं उनकी चूचियों को चूसते हुए और तेजी से चोदने लगा।

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लगभग 10-12 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने के करीब था। मैंने हाँफते हुए दीदी के कान में कहा, “दीदी, मेरा निकलने वाला है!” वो बोलीं, “अंदर ही निकाल दे, सैम!” ये सुनकर मैंने अपनी पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू किए। दीदी की चूत अब और टाइट हो रही थी। मुझे लगा कि वो भी झड़ने वाली हैं। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और कुछ ही पलों में दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया। उनकी नाखून मेरी पीठ में गड़ने लगे, और उनकी चूत से गर्म रस बहने लगा। उसी वक्त मेरा लंड भी फट पड़ा, और मैं उनकी चूत में झड़ गया। हम दोनों साथ-साथ झड़कर शांत हो गए।

झड़ने के बाद हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे रहे। दीदी की साँसें तेज थीं, और उनका बदन पसीने से गीला था। कुछ देर बाद हम अलग हुए। दीदी ने मेरी टी-शर्ट से अपनी चूत साफ की और फिर मेरे लंड को भी साफ कर दिया। वो बाथरूम चली गईं, और मैंने जल्दी से रूम का दरवाज़ा बंद कर दिया, क्योंकि मुझे याद आया कि वो हल्का खुला था। थोड़ी देर बाद दीदी बाथरूम से लौटीं और अपनी नाइटी पहन ली। मैंने भी अपने शॉर्ट्स पहन लिए। हम दोनों थक चुके थे और बेड पर लेट गए।

अगली सुबह मेरी छुट्टी थी, तो मैं देर तक सोता रहा। दीदी भी रात की चुदाई से थककर देर तक सोईं। सुबह 8:30 बजे मेरी आँख खुली, और मैंने देखा कि दीदी अभी भी सो रही थीं। उनकी नाइटी उनके पेट तक चढ़ी हुई थी, और नीचे उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी। उनकी चूत साफ दिख रही थी, जो रात की चुदाई के बाद हल्की सूजी हुई थी। ये देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैं उनके पास गया और उनकी चूत पर एक हल्का सा किस कर दिया। फिर मैंने उनकी चूत पर जीभ फेरनी शुरू की।

दीदी नींद में थीं, लेकिन मेरी जीभ के स्पर्श से उनकी टाँगें अपने आप खुल गईं। मैं उनकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा। उनकी चूत का रस फिर से बहने लगा, और मैं उसे चाट-चाटकर साफ कर रहा था। तभी दीदी की नींद खुल गई। उन्होंने मेरे सिर को पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाने लगीं। वो सिसकारते हुए बोलीं, “आह्ह… सैम… और चाट… मेरी चूत को खा जा!” मैं उनकी चूत को और जोर से चाटने लगा।

फिर दीदी उठीं और मेरे शॉर्ट्स में हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ लिया। मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था। वो मुस्कराईं और मेरे लंड को सहलाने लगीं। उनकी आँखों में फिर से वही हवस थी। उन्होंने मेरे कान में फुसफुसाया, “अब मेरे ऊपर आ जा, सैम!” मैंने उनकी नाइटी को और ऊपर उठाया, जिससे उनकी चूचियाँ नंगी हो गईं। रात से ही उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने अपने शॉर्ट्स उतार दिए।

दीदी ने मेरे लंड को सहलाया, उसकी चमड़ी पीछे खींचकर सुपारा बाहर निकाला, और फिर झुककर उसे चूम लिया। अचानक उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। उनके गर्म मुँह में मेरा लंड ऐसा लगा जैसे स्वर्ग में हो। मैं आनंद से आँखें बंद करके उनके मुँह का मज़ा लेने लगा। कुछ देर चूसने के बाद दीदी लेट गईं और अपनी चूत में लंड डालने का इशारा किया। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया और एक ही धक्के में जड़ तक घुसा दिया।

दीदी के मुँह से “आह्ह…” निकला, लेकिन उन्होंने आवाज़ दबा ली। मैं उनके ऊपर लेट गया और तेजी से धक्के मारने लगा। दीदी ने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं और मेरा साथ देने लगीं। मैं उनकी चूचियों को चूसते हुए उन्हें पागलों की तरह चोद रहा था। दीदी सिसकार रही थीं, और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। 15-20 मिनट की चुदाई के बाद दीदी झड़ गईं। मैंने भी कुछ देर बाद उनकी चूत में ही अपना माल छोड़ दिया। हम दोनों हाँफते हुए शांत हो गए।

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जब मैं नहाकर बाहर आया, तो दीदी अभी भी बेड पर लेटी थीं, उनकी चूत फैली हुई थी। मैंने उन्हें हल्के से हिलाया, तो वो उठीं और नंगी ही बाथरूम चली गईं। मैंने कपड़े पहने और बाहर आ गया। मम्मी किचन में काम कर रही थीं। मुझे देखकर वो बोलीं, “उठ गया, बेटा? आज बहुत देर तक सोया? रात को देर से सोया था क्या?”

उनके सवाल से मैं थोड़ा घबरा गया। मुझे याद आया कि रात को मुझे शक हुआ था कि कोई हमें देख रहा था। कहीं मम्मी ने तो नहीं देख लिया? मैंने घबराते हुए कहा, “हाँ, मम्मी, रात को देर तक पढ़ाई कर रहा था।”

वो बोलीं, “ठीक है। तुझे भूख लगी होगी। नाश्त一面

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System: ता है। नाश्ते में क्या दूँ?”

मैंने कहा, “मम्मी, बस कुछ भी चलेगा।”

मम्मी ने मुझे एक बड़ा गिलास दूध दिया, एक अंडे का ऑमलेट और दो पराठे। बोलीं, “आज तू इतनी मेहनत कर रहा है, जॉब भी, पढ़ाई भी। ये ले, ताकत मिलेगी।”

मैंने हँसकर कहा, “थैंक्स, मम्मी!”

थोड़ी देर बाद दीदी खाने की मेज पर आईं। उन्होंने एक टाइट, गहरे गले का टॉप और छोटी सी स्कर्ट पहनी थी, जिसमें उनकी गोरी टाँगें और गांड साफ़ झलक रही थी। मेरे लंड में फिर से हलचल होने लगी। मैंने चुपके से अपने लंड को सहलाया, और दीदी ने मुझे देखकर मुस्करा दिया। तभी मम्मी दीदी के लिए नाश्ता ले आईं।

मम्मी ने दीदी से कहा, “तू भी आज देर तक सो रही थी?”

दीदी बोलीं, “हाँ, मम्मी, रात को गहरी नींद आई।”

मम्मी ने मुस्कराते हुए कहा, “हाँ, तू आज फ्रेश लग रही है।”

दीदी ने कहा, “कल रात मैंने बहुत सुंदर सपना देखा।”

मम्मी बोलीं, “भगवान तेरे सपने पूरे करे।”

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दीदी ने मेरी तरफ देखकर कहा, “हाँ, मम्मी, बस आपका आशीर्वाद चाहिए।”

मम्मी किचन में चली गईं और मुझसे बोलीं, “नाश्ता करने के बाद बाज़ार से कुछ सब्ज़ी और नॉनवेज ले आ।”

मैंने कहा, “क्या बात है, मम्मी, आज नॉनवेज?”

वो बोलीं, “हाँ, तुझे प्रोटीन चाहिए। इतनी मेहनत करता है।”

उनकी बातों से मैं सोच में पड़ गया। वो आज कुछ ज़्यादा ही मेरे बारे में सोच रही थीं। मैंने कहा, “मम्मी, पैसे दे दो, मैं बाज़ार जा रहा हूँ।”

मम्मी ने अपने ब्लाउज़ से एक चाबी निकाली और बोलीं, “अलमारी से ले ले।”

मैंने अलमारी से दो हज़ार रुपये लिए और कुछ जेब खर्च के लिए रख लिए। बाज़ार से सामान लेकर जब मैं वापस आया, तो मम्मी और दीदी हॉल में बैठकर बातें कर रही थीं। मैंने सामान किचन में रखा और फ्रिज से ठंडा पानी निकाला।

मम्मी बोलीं, “सैम, अपनी बहन को बाइक पर कहीं घुमा ला। ये बोर हो रही है।”

मैंने कहा, “मम्मी, बाहर बहुत गर्मी है। शाम को चलेंगे, कोई अच्छी मूवी देख आएँगे।”

दीदी बोलीं, “हाँ, भाई, मूवी देखे हुए तीन महीने हो गए। आज मूवी देखने चलेंगे।”

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मैंने कहा, “ठीक है।” फिर मैं अपने रूम में जाकर बेड पर लेट गया।

थोड़ी देर बाद दीदी रूम में आईं। उनकी स्कर्ट इतनी छोटी थी कि उनकी गांड साफ़ दिख रही थी। ये देखकर मेरा लंड फिर से तन गया। मैंने उनके सामने अपने लंड को सहलाना शुरू किया। दीदी ने मुझे देखा और मुस्कराईं। मैं उनके पास गया और उन्हें दीवार से सटा दिया। मैंने उनकी स्कर्ट में हाथ डाला और पैंटी को नीचे खींच दिया। फिर उनके पैरों के बीच बैठकर उनकी चूत चाटने लगा।

दीदी की सिसकारियाँ निकलने लगीं। घर में सिर्फ़ मैं, दीदी, और मम्मी थे, क्योंकि पापा सुबह ऑफिस चले गए थे। मैं उनकी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चाट रहा था, और वो सिसकारते हुए बोलीं, “सैम, थोड़ा धीरे… मम्मी सुन लेंगी!”

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मैंने कहा, “तो सुनने दे, दीदी। मज़ा तो आ रहा है ना?”

वो हँसकर बोलीं, “हाँ, यार, चाट… बहुत मज़ा आ रहा है।”

मैं उनकी चूत को चाटता रहा, और वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं। उनकी चूत का रस मेरे मुँह में जा रहा था, और मैं उसे चाट-चाटकर साफ़ कर रहा था। दीदी अब बेकरार हो रही थीं। वो बोलीं, “सैम, अब चोद दे मुझे! मेरी चूत को तेरा लंड चाहिए। चोद मुझे!”

मैंने कहा, “दीदी, मेरा लंड तो हमेशा तुम्हारा है।”

हम ज़ोर-ज़ोर से बातें कर रहे थे, और मुझे शक था कि मम्मी ने हमारी आवाज़ सुन ली होगी। मैंने दीदी को बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। उनकी टाँगें ज़मीन पर थीं, और उनकी गांड बेड के किनारे पर थी। मैंने उनकी टाँगें चौड़ी कीं और उनकी चूत को फिर से चाटने लगा। मेरी जीभ उनकी चूत की गहराई में जा रही थी, और दीदी सिसकारते हुए बोलीं, “आह्ह… सैम, चूस… मेरी चूत को खा जा! तेरा जीजू तो मेरी चूत को छूता भी नहीं। तू ही मुझे माँ बना दे। चोदकर मेरे गर्भ में तेरा बीज डाल दे!”

मैं उनकी चूत चाटता रहा। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी लोअर उतारी और अपने लंड को सहलाने लगा। दीदी ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे ज़ोर-ज़ोर से सहलाने लगीं। मैं उनकी चूचियों को दबाने और भींचने लगा। फिर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया, और हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैं उनकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थीं। हमारे मुँह से पूच… पूच… आह्ह… की आवाज़ें आ रही थीं।

हम दोनों एक-दूसरे के गुप्तांगों का रसपान करने में खो गए थे। दीदी बोलीं, “बस कर, सैम! अब मेरी चूत में लंड डाल दे!”

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मैंने कहा, “दीदी, थोड़ा और चाटने दे… बहुत मज़ा आ रहा है। फिर पक्का चोदूँगा।”

वो गुस्से में बोलीं, “नहीं, अब मुझे तेरा लंड चाहिए! इस बार ससुराल जाने से पहले मैं प्रेग्नेंट होना चाहती हूँ।”

मैंने कहा, “चिंता मत करो, दीदी। अगर हमारा ये प्यार ऐसे ही चलता रहा, तो तुम ज़रूर प्रेग्नेंट हो जाओगी।”

वो बोलीं, “बस बातें मत कर, जीजू की तरह। चोद मुझे!”

उनकी बात सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया और एक ही धक्के में आधे से ज़्यादा घुसा दिया। दीदी के मुँह से “आह्ह…” निकला, लेकिन उन्होंने आवाज़ दबा ली। मैं उनके ऊपर लेट गया और एक और धक्का मारकर पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड जकड़ा हुआ महसूस हो रहा था। मैं तेजी से धक्के मारने लगा, और दीदी ने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं।

मैं उन्हें पागलों की तरह चोद रहा था। दीदी सिसकार रही थीं, और उनकी चूत मेरे लंड को और टाइट कर रही थी। थोड़ी देर बाद वो झड़ गईं, और मैंने भी पाँच मिनट बाद उनकी चूत में अपना माल छोड़ दिया। वो बोलीं, “सैम, तेरा बीज मेरे गर्भ में डाल दे। मैं माँ बनना चाहती हूँ।”

मैंने पूरी ताकत से धक्के मारे और उनकी चूत में झड़ गया। हम दोनों हाँफते हुए शांत हो गए।

रात से लेकर दोपहर तक मैंने दीदी को तीन बार चोदा था। मैं थक गया था। दीदी 20 दिन तक हमारे घर रहीं, और हम रोज़ चुदाई करते थे। रविवार को मम्मी-पापा बाहर जाते थे, तो हम दिनभर चुदाई का मज़ा लेते थे। इस तरह मैंने अपनी बहन की चूत की अनगिनत बार चुदाई की।

कहानी का अगला भाग: 1st क्लास ट्रेन में दीदी के साथ सेक्स

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