हाय दोस्तों, मेरा नाम सैम है, और मैं मुम्बई में अपनी फैमिली के साथ रहता हूँ। हम लोग दक्षिण मुम्बई में एक छोटे से फ्लैट में रहते हैं, जहाँ जगह कम है, लेकिन प्यार और खुली सोच की कोई कमी नहीं। मेरी फैमिली में मेरी माँ (41 साल), पिताजी (48 साल), और मेरी दो बड़ी दीदी हैं। बड़ी दीदी का नाम पूनम है, और उनसे छोटी दीदी रोशनी। अब दोनों की शादी हो चुकी है। पिताजी एक सरकारी विभाग में अफसर हैं, और हमारा घर हमेशा से खुले विचारों वाला रहा है।
ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 19 साल का था, कॉलेज के दूसरे साल में था, और पत्राचार से पढ़ाई कर रहा था। मेरी दोनों दीदियों की शादी हो चुकी थी—रोशनी दीदी अमेरिका में सेटल थीं, और पूनम दीदी बैंगलोर में। उनकी शादी के बाद घर सूना-सूना लगने लगा था। पहले हम तीनों भाई-बहन एक ही बेडरूम शेयर करते थे, लेकिन अब वो कमरा मेरा हो गया था। उस कमरे में मैं अब अकेला रहता था, और इसका फायदा ये था कि मैं रात को चुपके से पोर्न मूवीज देख सकता था। मैं अक्सर मनोहर कहानियाँ और ढेर सारी अडल्ट मैगज़ीन्स लाकर अपने बेड के नीचे छुपाता था। रात को अंधेरे में, टॉर्च की रोशनी में उनको पढ़ते हुए मैं मुठ मारता था, और उसका मज़ा ही कुछ और था।
कुछ समय बाद पिताजी ने मुझे एक अकाउंटेंट की जॉब पर लगवा दिया। मैंने कॉमर्स में कोर्स किया था, तो जॉब आसानी से मिल गई। अब मैं सुबह ऑफिस जाता और शाम को थककर घर लौटता। एक दिन जब मैं जॉब से वापस आया, तो मम्मी-पापा हॉल में सो रहे थे। मैं अपने रूम में गया, तो देखा कि पूनम दीदी वहाँ पहले से बैठी थीं। मैं चौंक गया और बोला, “दीदी, आप कब आईं?”
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “आज सुबह ही आई थी, सैम। तू तो तब तक ऑफिस जा चुका था।”
पूनम दीदी बैंगलोर से मुम्बई आई थीं, और ये उनका अचानक आना मेरे लिए सरप्राइज़ था। मेरी नज़र उनके बदन पर गई। उन्होंने एक पतली, पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जिसमें से उनकी काली ब्रा और पैंटी साफ़ झलक रही थी। उनका गोरा बदन उस नाइटी में और भी चमक रहा था। जैसे ही मैं उनके पास गया, उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। मैं भी उनके गले लगा, और उनके मुलायम चूचे मेरे सीने से टकराए। उस पल में मुझे एक अजीब सा करंट-सा लगा। मैंने उन्हें और कसकर बाँहों में भरा, और मेरा लंड उनकी चूत वाले हिस्से पर, पैंटी के ऊपर से, सट गया। कुछ ही सेकंड में मेरा लंड पूरा तन गया, और मुझे लग रहा था कि वो इसे ज़रूर महसूस कर रही थीं।
फिर उन्होंने मुझे छोड़ा और बोलीं, “क्या बात है, सैम? आज बहुत लेट हो गया तू?”
मैंने जवाब दिया, “हाँ दीदी, आज ऑफिस में एक टैक्स रिटर्न फाइल करनी थी, इसलिए थोड़ा टाइम लग गया।”
वो बोलीं, “ठीक है, तू जा, नहा ले। मैं तब तक तेरे लिए खाना लगा देती हूँ।”
मैं नहाने चला गया, लेकिन मेरे दिमाग में दीदी का वो सेक्सी बदन घूम रहा था। उनकी नाइटी में से झलकती ब्रा और पैंटी, उनका गोरा बदन, और वो मुलायम चूचे—सब कुछ मेरे सामने बार-बार आ रहा था। बाथरूम में मैंने दीदी को सोचकर मुठ मारनी शुरू की। उनका चेहरा, उनकी चूचियों का उभार, और वो पैंटी में छुपी चूत—मेरे लंड को और सख्त कर रहे थे। मैंने अपने लंड को ज़ोर-ज़ोर से हिलाना शुरू किया, लेकिन तभी दीदी ने बाहर से आवाज़ दी, “क्या बात है, सैम? इतना टाइम कब से लगने लगा तुझे नहाने में?”
मैंने जल्दी से जवाब दिया, “बस, आ रहा हूँ, दीदी!” मुठ पूरी नहीं हुई, और मैं बिना माल निकाले नहाकर बाहर आ गया।
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मुझे आदत थी कि रात को शॉवर के बाद मैं अंडरवियर नहीं पहनता। मैंने सिर्फ़ एक पतली कॉटन की ट्रैक पैंट पहनी और बाहर आ गया। मेरा लंड अभी भी तना हुआ था, और ट्रैक पैंट में उसका उभार साफ़ दिख रहा था। मुझे डर था कि दीदी देख लेंगी, इसलिए मैं जल्दी से डाइनिंग टेबल पर बैठ गया। दीदी वहाँ पहले से मेरा इंतज़ार कर रही थीं।
जब वो खाना परोसने लगीं, तो उनकी नाइटी के ऊपर के दो बटन खुले थे। उनकी गहरी क्लीवेज और चूचियों के बड़े-बड़े उभार साफ़ दिख रहे थे। मैं उनकी चूचियों को घूरने लगा, और मेरा लंड फिर से बेकाबू होने लगा। दीदी ने मेरे लंड के उभार को देख लिया था, लेकिन उन्होंने कोई रिएक्शन नहीं दिया। वो मेरे सामने बैठ गईं और बोलीं, “तुझे और कुछ चाहिए?”
मैंने कहा, “हाँ, दीदी, एक गिलास पानी दे दो।”
वो पानी लेने गईं, और जब गिलास रखने झुकीं, तो उनकी चूचियों की क्लीवेज और साफ़ दिखी। मैं तो पागल हो रहा था। मेरी नज़र उनकी चूचियों पर थी, और मेरा एक हाथ मेरे लंड पर चला गया। दीदी ने ये देख लिया, लेकिन फिर भी चुप रहीं। कुछ देर बाद वो बोलीं, “और कुछ चाहिए?”
मैंने कहा, “नहीं, दीदी। बस।”
वो बोलीं, “क्या बात है? आजकल तू खाना भी कम खाने लगा है।”
मैंने बहाना बनाया, “नहीं, दीदी। रात को पढ़ना होता है, इसलिए इस टाइम कम खाता हूँ।”
वो बोलीं, “ठीक है, मैं तेरा बचा हुआ खाना फ्रिज में रख देती हूँ।” वो उठीं और खाना रखकर हमारे रूम में चली गईं।
हमारे घर में सिर्फ़ एक बेडरूम था। मम्मी-पापा हॉल में सोते थे, और पहले हम तीनों भाई-बहन उस बेडरूम में सोते थे। शादी के बाद मैं उस रूम में अकेला रहता था, लेकिन जब दीदी या कोई और आता, तो उसी रूम में सोना पड़ता। आज दीदी को भी मेरे साथ उसी रूम में सोना था।
मैंने खाना खत्म किया, हाथ धोए, और अपनी किताब उठाकर किचन में पढ़ने बैठ गया। दीदी रूम में पहले से लेट चुकी थीं। मैंने सोचा, उन्हें डिस्टर्ब न करूँ। रात के 12 बज गए, और मुझे नींद आने लगी। मैंने किचन की लाइट बंद की और चुपके से रूम में गया। मैं नहीं चाहता था कि दीदी जाग जाएँ, इसलिए धीरे से दरवाज़ा खोला।
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जब मैंने अंदर झाँका, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। दीदी की नाइटी उनके चेहरे पर पड़ी थी, और वो अपनी चूत में दो उंगलियाँ डालकर ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर कर रही थीं। उनकी 36 साइज़ की गोरी चूचियाँ बल्ब की रोशनी में चमक रही थीं। उनकी चूत गीली थी, और वो अपने चूत के दाने को रगड़ते हुए सिसकारियाँ भर रही थीं। उनकी आँखें नाइटी से ढकी थीं, इसलिए उन्हें नहीं पता था कि मैं देख रहा हूँ।
ये नज़ारा देखकर मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। मैं वहीं दरवाज़े पर रुक गया और अपने लंड को ट्रैक पैंट के ऊपर से मसलने लगा। मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल था—काश मैं अपना लंड दीदी की चूत में डाल दूँ और उनकी इस प्यास को बुझा दूँ। लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं बस खड़ा रहा और अपने लंड को मसलता रहा।
दीदी तेज़ी से अपनी चूत में उंगली कर रही थीं। उनकी सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं, और वो अपने चूत के दाने को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थीं। अचानक उनकी चूत से पानी निकला, और एक लंबी “आह्ह…” के साथ वो शांत हो गईं। जैसे ही उन्होंने नाइटी हटाई और आँखें खोलीं, तो मुझे सामने देखकर चौंक गईं। वो शर्म से लाल हो गईं और चुपके से बाथरूम की ओर चल दीं। लेकिन जाते-जाते उनकी नज़र मेरे तने हुए लंड पर थी, और वो उसे घूर रही थीं।
दीदी बाथरूम में चली गईं, और मैं बेड पर लेट गया। मेरे अंदर हवस की आग भड़क रही थी। जो नज़ारा मैंने देखा था, उसने मेरे लंड को और बेकाबू कर दिया। बीस मिनट बीत गए, लेकिन दीदी बाहर नहीं आईं। मैं बाथरूम के दरवाज़े की ओर देखता रहा। आखिरकार वो बाहर निकलीं और बोलीं, “क्या सैम, तू अभी तक सोया नहीं?”
मैंने कहा, “नींद नहीं आ रही, दीदी।”
वो बोलीं, “कल ऑफिस नहीं जाना क्या?”
मैंने जवाब दिया, “नहीं, कल छुट्टी है।”
वो बोलीं, “तो क्या पढ़ रहा था अभी तक?”
मैंने कहा, “इकोनॉमिक्स की किताब। दीदी, एक बात पूछूँ?”
वो बोलीं, “हाँ, पूछ।”
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मैंने हिम्मत करके पूछा, “अभी जो आप कर रही थीं, वो क्या था?”
दीदी थोड़ा शरमाईं और बोलीं, “वो मैं तुझे बाद में बताऊँगी।”
मैंने ज़िद की, “अभी क्यों नहीं बता सकतीं?”
वो हँसते हुए बोलीं, “अरे, तू भी तो जवान हो गया है। तेरी भी तो गर्लफ्रेंड होगी। तुझे भी तो ये सब पता होगा!”
मैंने कहा, “हाँ, एक गर्लफ्रेंड है, लेकिन मैंने उसे कभी ऐसा करते नहीं देखा।”
दीदी ने मज़ाक में पूछा, “कितनी गर्लफ्रेंड्स हैं तेरी?”
मैंने कहा, “बस एक ही।”
वो बोलीं, “कभी उसके साथ कुछ किया?”
मैंने खुलकर बताया, “उसके साथ तो कुछ नहीं किया, लेकिन ऑफिस में एक सहकर्मी है, उसके साथ मैंने ऑफिस में चुदाई की है।”
दीदी चौंकीं और बोलीं, “वाह! गर्लफ्रेंड के साथ तो कुछ नहीं किया, और ऑफिस की लड़की के साथ चुदाई कर ली!”
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मैंने कहा, “दीदी, उसका पति मर्चेंट नेवी में है। वो उसे टाइम नहीं दे पाता।”
वो बोलीं, “अच्छा।”
मैंने हिम्मत करके कहा, “दीदी, एक बात बोलूँ?”
वो बोलीं, “हाँ, बोल।”
मैंने कहा, “आपकी चूत से बड़ी चूत थी उस ऑफिस वाली की। आपकी चूत में तो दो उंगलियाँ भी मुश्किल से जा रही थीं।”
दीदी ने हँसते हुए कहा, “अच्छा! तो तूने मेरी चूत का साइज़ भी देख लिया?”
मैंने कहा, “हाँ, आप तो दोनों टाँगें खोलकर मेरे सामने उंगली कर रही थीं। सब कुछ साफ़ दिख रहा था।”
वो बोलीं, “सच बता, तूने कितनी लड़कियों के साथ चुदाई की है?”
मैंने कहा, “बस एक के साथ।”
वो बोलीं, “कितनी बार?”
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मैंने कहा, “6-7 बार, दीदी।”
वो बोलीं, “उसके घर में कौन-कौन है?”
मैंने बताया, “वो और उसका पति। वो मर्चेंट नेवी में है, 6 महीने में एक बार आता है।”
दीदी बोलीं, “हम्म… ठीक है।”
मैंने फिर कहा, “दीदी, आपके बूब्स तो बहुत मस्त हैं।”
वो हँसीं और बोलीं, “तूने मेरे बूब्स कब देख लिए?”
मैंने कहा, “जब आप खाना परोस रही थीं, तो झुकते वक्त आपकी चूचियाँ दिख गई थीं।”
वो बोलीं, “तू बहुत बेशर्म हो गया है।”
मैंने कहा, “आप भी तो बहुत खूबसूरत हो गई हो।”
वो बोलीं, “हाँ-हाँ, पता है। तू भी तो जवान हो गया है।”
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मैंने पूछा, “वो कैसे?”
वो हँसते हुए बोलीं, “तेरी पैंट में बना वो टेंट देखकर पता लग जाता है।”
मैंने कहा, “ओह! तो आपने मेरा टेंट देख लिया!”
दीदी बोलीं, “हाँ, तेरे लंड के टेंट को देखकर मेरे जिस्म में आग लग गई थी। मैं यहाँ बेड पर उसी आग को शांत कर रही थी।”
मैंने कहा, “और मेरे अंदर जो आग लगी है, उसका क्या?”
वो मज़ाक में बोलीं, “अपना हाथ जगन्नाथ! बाथरूम में जाकर हिला ले!”
मैंने हिम्मत करके कहा, “दीदी, आप ही अपने हाथ से मेरे लंड को हिला दो ना!”
वो बोलीं, “तेरा दिमाग खराब हो गया है!”
मैंने कहा, “क्यों, दीदी? मेरे लंड को देखकर आप अपनी चूत में उंगली कर सकती हो, लेकिन उसे हाथ में लेकर नहीं हिला सकतीं?”
वो बोलीं, “अगर किसी ने देख लिया, तो बहुत बदनामी होगी। हम भाई-बहन हैं, पति-पत्नी नहीं!”
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मैंने कहा, “मगर पति के साथ तो आप ये सब करती होंगी। मेरे साथ करने में क्या दिक्कत है? वैसे भी यहाँ कौन देखने वाला है? हम अपने घर में हैं, अपने रूम में। कुछ भी कर सकते हैं। आओ ना, दीदी… प्लीज़।”
ये कहते हुए मैंने दीदी का हाथ पकड़ा और अपनी ट्रैक पैंट पर रखवा दिया। दीदी ने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू किया। दो-तीन बार सहलाने के बाद उन्होंने हाथ हटा लिया।
मैंने कहा, “अब क्या हुआ?”
वो शरमाते हुए बोलीं, “मुझे शर्म आ रही है, कुत्ते! तू बहुत बेशर्म हो गया है!”
मैंने कहा, “लंड को घूरते वक्त तो आपको शर्म नहीं आई थी।”
मैंने फिर उनका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखवा दिया। इस बार उन्होंने हाथ नहीं हटाया और मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं। उनके मुलायम हाथों का स्पर्श मेरे लंड को और सख्त कर रहा था। मुझे लग रहा था कि मेरा लंड अब फट जाएगा। दीदी मेरे लंड की गर्मी पैंट के ऊपर से महसूस कर रही थीं। कुछ देर तक वो मेरे लंड को सहलाती रहीं, और फिर अचानक उन्होंने अपनी उंगलियाँ मेरी ट्रैक पैंट के अंदर डाल दीं।
मेरा लंड अब उनके नरम हाथों में था। मैंने देखा कि दीदी की आँखें बंद हो गई थीं, और वो मेरे लंड को पकड़कर उसका पूरा मज़ा ले रही थीं। उनकी साँसें तेज़ हो रही थीं, और उनका चेहरा लाल हो गया था। मैंने हिम्मत करके अपना एक हाथ उनकी दायीं चूची पर रखा और हल्के से दबाया। दीदी के मुँह से “आह्ह…” की सिसकारी निकली, और ये सुनकर मेरे अंदर की आग और भड़क गई। मैंने दूसरा हाथ उनकी बायीं चूची पर रखा और दोनों को धीरे-धीरे दबाने लगा। उनकी चूचियाँ इतनी मुलायम थीं कि मेरा लंड और ज़ोर से झटके मारने लगा।
हम दोनों अब एक-दूसरे को गर्म कर रहे थे। मैंने धीरे से उनकी नाइटी उनके सिर से निकाल दी। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थीं। मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला, और उनकी गोरी, भरी हुई चूचियाँ मेरे सामने थीं। उनकी पैंटी भी मैंने उतार दी, और अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थीं। उनका गोरा बदन बल्ब की रोशनी में चमक रहा था। उनकी चूचियाँ गोल और सख्त थीं, और उनकी चूत बिल्कुल साफ़ थी, एक भी बाल नहीं। मैंने अपनी ट्रैक पैंट उतारी और पूरा नंगा होकर दीदी के पास लेट गया।
दीदी मेरे बेड पर नंगी लेटी थीं, और उनका बदन इतना मस्त लग रहा था कि मेरा लंड बार-बार झटके मार रहा था। मैं चाहता था कि दीदी मेरा लंड मुँह में लें और चूसें। ऑफिस वाली लड़की के साथ मैंने कई बार उसका मुँह चोदा था, और मुझे लंड चुसवाने में बहुत मज़ा आता था। मैंने अपना लंड दीदी के मुँह के पास किया, लेकिन वो मना करने लगीं।
मैंने रिक्वेस्ट की, “दीदी, प्लीज़, थोड़ा सा चूस लो ना।”
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वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन मैंने अपने लंड को उनके होंठों पर टच किया। उन्हें अच्छा लगा, और फिर उन्होंने अपना मुँह खोल दिया। मैंने धीरे से अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया। दीदी ने मेरे लंड को ऐसे चूसना शुरू किया जैसे वो बरसों से इसकी प्यासी थीं। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और वो उसे पूरा मुँह में लेकर चूस रही थीं। मुझे लग रहा था कि वो मेरे जीजू का लंड भी ऐसे ही चूसती होंगी।
मेरा एक हाथ अब उनकी चूत पर था। मैं उनकी चूत को सहलाने लगा, और ऊपर वो मेरा लंड चूस रही थीं। उनकी चूत बिल्कुल गीली थी, और उसमें से एक मादक सी खुशबू आ रही थी। मैंने दीदी के बगल में लेटकर उनकी चूत की दोनों फाँकों को उंगलियों से फैलाया और अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उनकी चूत का स्वाद इतना नशीला था कि मैं पागल हो रहा था। जैसे-जैसे मैं उनकी चूत चाटता, वो और गीली होती जा रही थी। मैं बार-बार उनके चूत के रस को चाट रहा था, और वो बार-बार और रस छोड़ रही थीं।
दीदी अब जोश में आ गई थीं। मेरी जीभ उनकी चूत में खलबली मचा रही थी। वो मेरे लंड को और ज़ोर से चूसने लगीं। एक हाथ से वो मेरा लंड पकड़कर चूस रही थीं, और दूसरे हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थीं। मेरी जीभ उनकी चूत के और अंदर तक जा रही थी, और मैं उनकी चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे उसे खा जाऊँ।
कुछ देर बाद दीदी ने मेरे लंड को मुँह से निकाला और हाँफते हुए बोलीं, “सैम, मैं झड़ने वाली हूँ!”
मैंने कहा, “दीदी, मेरे मुँह में ही झड़ जाओ।”
उन्होंने फिर से मेरा लंड मुँह में लिया और तेज़ी से चूसने लगीं। मैं भी उनकी चूत को दोगुनी तेज़ी से चाटने लगा। कुछ ही पल में दीदी ने मेरे सिर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबाया, और उनकी चूत से गर्म-गर्म रस निकलने लगा। मैंने उनका सारा रस चाट लिया। उनकी चूत का स्वाद मुझे और कामुक कर रहा था।
दीदी के बदन में झटके लग रहे थे। उन्होंने बहुत सारा रस छोड़ा, और मैंने उनकी चूत को चाट-चाटकर साफ़ कर दिया। अब वो मेरे लंड को धीरे-धीरे चूस रही थीं, और उनका पूरा बदन पसीने से भीग गया था। मैं उठा और उनके मुँह को अपने लंड से चोदने लगा। मेरा माल निकलने वाला था, तो मैंने पूछा, “दीदी, कहाँ निकालूँ?”
उन्होंने लंड मुँह से निकाला और बोलीं, “मेरे मुँह में ही गिरा दो।”
मैंने तेज़ी से उनके मुँह को चोदा, और मेरा माल उनके मुँह में गिरने लगा। मैं झड़कर शांत हो गया। हम दोनों थककर बेड पर लेट गए। दीदी मेरी बायीं तरफ लेटी थीं।
मैंने उनके कान में धीरे से कहा, “दीदी, आप बहुत गर्म हो। आपकी चूत की खुशबू बहुत मस्त है। जीजू तो बहुत लकी हैं, जो उन्हें आपकी चूत रोज़ चाटने को मिलती है।”
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वो मेरी तरफ देखकर बोलीं, “तेरे जीजू को मेरी चूत चाटने में कोई इंटरेस्ट नहीं। उन्होंने कभी मेरी चूत नहीं चाटी। वो 10 मिनट से ज़्यादा कुछ कर ही नहीं पाते। आज तक उन्होंने अपना लंड पूरा मेरी चूत में डाला भी नहीं।”
ये सुनकर मैं हैरान हो गया। दीदी ने मेरी तरफ देखा और मेरे गाल पर एक किस कर दिया। मुझे बहुत अच्छा लगा। मैंने भी उनके गाल पर किस किया, और फिर उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। धीरे-धीरे हम फिर गर्म होने लगे।
मेरा हाथ उनकी चूत पर चला गया, और उनका हाथ मेरे लंड पर। वो मेरे लंड को सहलाने लगीं। मैं उनकी चूचियों को छेड़ते हुए उनकी चूत को सहलाने लगा। दीदी सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने उनकी चूत में एक उंगली डाली और अंदर-बाहर करने लगा। दीदी के मुँह से “आह्ह… सैम, थोड़ा धीरे!” निकला।
मैंने उनकी चूत में उंगलियाँ तेज़ी से चलानी शुरू कीं। उनकी सिसकारियाँ सुनकर मैं और जोश में आ गया। दीदी का हाथ मेरे लंड पर तेज़ी से चल रहा था। जब उनसे रहा नहीं गया, तो वो बोलीं, “आह्ह… सैम… ऊई… अब मेरी चूत में लंड डाल दे। मेरे बदन में आग लगी है। मुझे चोदकर शांत कर दे। मेरी चूत की प्यास बुझा दे।”
मुझे उनकी ये चुदासी हालत देखकर मज़ा आ रहा था। मैं उनकी चूत चोदने के लिए तैयार हो गया। इसके बाद क्या हुआ? वो अगले भाग में!
कहानी का अगला भाग: जीजू दीदी को पति वाला सुख नहीं दे पाए- 2
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