बुआ को चोदकर आई लव यू कहा

मैं जतिन, अहमदाबाद से, अपनी बुआ की चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, और मैं एक कॉल सेंटर में जॉब करता हूँ। ये कहानी दो साल पुरानी है, जब मैं एम.कॉम की पढ़ाई कर रहा था। मेरी बुआ एक सुशील, खूबसूरत और विधवा औरत हैं। उनका फिगर 34-30-36, गोरा बदन, और उम्र करीब 45 साल। पांच साल पहले फूफाजी का देहांत हो गया था, और उनका परिवार बड़ा होने की वजह से बुआ को काफी सहारा मिला। वो मध्यप्रदेश के कटनी शहर में रहती हैं।

जब दो साल पहले बुआ हमारे घर अहमदाबाद आईं, तो मेरा दिल खुशी से झूम उठा। मुझे बुआ हमेशा से बहुत अच्छी लगती थीं। मैं उनका बहुत आदर करता था, और वो भी मुझे बेहद प्यार करती थीं। बचपन से मैं उनके साथ वक्त बिताता था, उनके गले लगता, और उनकी गोद में सर रखकर सोता था। मेरे दिल में कभी उनके लिए गलत ख्याल नहीं आए, बस एक गहरा प्यार था। मेरे परिवार में माँ-पापा और दादी हैं। हमारा घर छोटा-सा है, लेकिन प्यार से भरा हुआ।

उस रात, डिनर के बाद सब सोने चले गए। मैं हमेशा की तरह बुआ के साथ सोने गया। बचपन की आदत थी, और बुआ भी मुझे मना नहीं करती थीं। हम दोनों एक ही बिस्तर पर लेट गए, एक-दूसरे की ओर मुँह करके। चांदनी रात थी, और खिड़की से हल्की रोशनी कमरे में बिखर रही थी। बुआ ने एक पतला, हल्का गुलाबी नाइट गाउन पहना था, जो उनके बदन पर ऐसा चिपका था कि उनकी हर वक्र रेखा साफ दिख रही थी। मैंने पजामा और टी-शर्ट पहनी थी।

आधी रात को मेरी नींद खुली। मेरा हाथ अनजाने में बुआ के पेट पर था। उनका नाइट गाउन इतना मुलायम था कि मुझे मखमल सा अहसास हुआ। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं, और उनकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैं गर्म होने लगा। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई, और एक अजीब सी मस्ती मेरे जिस्म में दौड़ने लगी। मैंने धीरे से अपना हाथ उनके पेट से ऊपर की ओर बढ़ाया, उनके उभारों की ओर। बुआ गहरी नींद में थीं, उन्हें कुछ पता नहीं था। मैंने हल्के से उनके स्तन पर हाथ रखा। हाय… क्या मुलायम और गुदगुदा स्पर्श था। मेरे लंड में हलचल शुरू हो गई, और वो धीरे-धीरे कड़क होने लगा।

मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने धीरे से उनका गाउन ऊपर सरकाया और ब्रा के ऊपर से उनके स्तन को छुआ। उनकी ब्रा इतनी टाइट थी कि उनके चूचे बाहर निकलने को बेताब थे। मैंने ब्रा को थोड़ा ऊपर खिसकाया और उनके नंगे स्तन को छू लिया। यार, क्या बताऊँ, उनके चूचे इतने नरम थे, जैसे रूई के गोल गोल तकिए। मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, और मेरे पजामे में तंबू बन गया था। मैंने हल्के से उनके एक चूचे को दबाया, और मेरा लंड उनकी जांघ से टकराने लगा। तभी बुआ की नींद खुल गई।

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वो चौंक पड़ीं और बोलीं, “ये क्या है जतिन… तुझे ये सब करते हुए शर्म नहीं आई?” उनकी आवाज में गुस्सा था, लेकिन कहीं न कहीं एक अजीब सी घबराहट भी थी। मैं डर गया, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “बुआ, आय लव यू… मैं आपका दीवाना हूँ… आपको तो पता है ना!”

वो बोलीं, “हाँ, पर ये सब नाजायज है, जतिन। ये गलत है।”

मैंने उनकी बात काटते हुए कहा, “बुआ, प्लीज… मुझे करने दीजिए। वरना मैं कहीं बाहर किसी गैर औरत के साथ ये सब करूँगा, तो वो और गलत होगा।”

बुआ ने आँखें तरेरीं और बोलीं, “ओहो जतिन, ये क्या हो गया है तुझे? ऐसी बातें क्यों कर रहा है?”

मैंने उनके हाथ को अपने हाथ में लिया और कहा, “बुआ, आपका स्पर्श इतना मस्त था कि मैं दीवाना हो गया हूँ। आप सबसे हसीन और खूबसूरत हो। कौन आप पर फिदा नहीं होगा?”

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बुआ ने हल्का सा मुस्कुराया और बोलीं, “चल पगले, ऐसा क्या है मुझमें?”

मैंने कहा, “बुआ, आप तो किसी अप्सरा से कम नहीं। आपका ये गोरा बदन, ये मुलायम चूचे, ये कयामत ढाती कमर… हाय, मैं तो मर ही गया।”

मैंने बहुत मनुहार की। बुआ थोड़ा शरमाईं, लेकिन आखिरकार मान गईं। मैंने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने उनके माथे पर एक प्यार भरा चुम्मा लिया, फिर धीरे-धीरे उनके गालों, ठुड्डी, और आखिरकार उनके रसीले होंठों पर आ गया। उनके होंठ इतने नरम थे कि मैं खो सा गया। मैंने उनके होंठ खोलकर अपनी जीभ अंदर डाली और गहरा स्मूच करने लगा। बुआ भी मेरे होंठों को चूसने लगीं। हम दोनों दस मिनट तक एक-दूसरे के होंठों में खोए रहे। उनकी साँसें गर्म थीं, और मेरे जिस्म में आग लग रही थी।

मैंने उनके गाउन को धीरे-धीरे ऊपर उठाया। उनके गोरे पेट पर चुम्मा लेते हुए मैं उनकी नाभि तक पहुँचा। उनकी नाभि इतनी गहरी और सेक्सी थी कि मैंने अपनी जीभ उसमें डाल दी। बुआ सिसकारियाँ लेने लगीं, “हाय… जतिन… ये क्या कर रहा है…” उनकी आवाज में मादकता थी। मैंने उनका गाउन पूरा ऊपर करके उतार दिया। अब वो सिर्फ सफेद ब्रा और पेंटी में थीं। उनकी ब्रा में उनके चूचे ऐसे कैद थे जैसे जेल में कोई खूबसूरत कैदी। मैंने उनकी ब्रा के ऊपर से उनके चूचों को दबाया, और फिर हुक खोलकर उन्हें आजाद कर दिया। उनके चूचे बाहर निकले, गोल, मुलायम, और भरे हुए। मैंने उनके एक चूचे को मुँह में लिया और चूसने लगा, जैसे कोई बच्चा माँ का दूध पीता है। बुआ मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “आह… जतिन… हाय… कितना मजा आ रहा है।”

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मैंने उनकी पेंटी की ओर ध्यान दिया। उनकी पेंटी इतनी छोटी थी कि उनकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। मैंने धीरे से उनकी पेंटी को नीचे खिसकाया। उनकी गोरी जांघें और चूत का उभार देखकर मेरा लंड और कड़क हो गया। मैंने उनकी जांघों को चूमा, चाटा, और फिर उनकी चूत के पास पहुँचा। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो चुदाई की मस्ती में और सेक्सी लग रहे थे। मैंने उनकी चूत को सूंघा, और उसकी मादक खुशबू ने मुझे पागल कर दिया। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत की दरार में डाली और चाटने लगा। बुआ की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, “हाय… जतिन… मेरी चूत… आह… चाट ले इसे… कितने सालों बाद कोई छू रहा है।”

मैंने उनकी चूत को जीभ से चोदा, उनकी क्लिट को चूसा, और उनकी चूत का रस चखा। उनका रस इतना स्वादिष्ट था कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था। बुआ अपनी कमर उठा-उठाकर मेरे मुँह में अपनी चूत घुसा रही थीं। मैंने उनकी चूत में एक उंगली डाली, फिर दो, और उसे अंदर-बाहर करने लगा। बुआ की चूत गीली हो चुकी थी, और उनका बदन अकड़ रहा था। वो बोलीं, “जतिन… अब रहा नहीं जाता… डाल दे अपना लंड… चोद दे मुझे… हाय… मेरी चूत तड़प रही है।”

मैंने अपना पजामा और कच्छा उतार दिया। मेरा 6 इंच का लंड स्प्रिंग की तरह बाहर निकला। बुआ ने उसे देखा और बोलीं, “वाह जतिन… इतना प्यारा लंड… कैसे छुपा रखा था तूने?”

मैंने हंसते हुए कहा, “बस आपके लिए रखा था, बुआ।”

वो बोलीं, “हाय… तूने तो मुझे बहुत बड़ी खुशी दे दी।”

उन्होंने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और उसे रगड़ने लगीं। फिर उन्होंने मेरे लंड का सुपारा अपने मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। उनकी गर्म जीभ और लार मेरे लंड पर जादू कर रही थी। मैं अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करके उनके मुँह में लंड डाल रहा था। करीब पांच मिनट तक उन्होंने मेरा लंड चूसा, और मैं जन्नत में था।

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अब मैंने बुआ को पलटाया और उनके ऊपर चढ़ गया। मेरा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर था। मैंने उनकी चूत पर लंड रगड़ा, और वो सिसकारियाँ लेने लगीं, “हाय… जतिन… डाल दे… मेरी चूत को चोद दे… कितने सालों से प्यासी है ये।”

मैंने धीरे से अपना लंड उनकी चूत में डाला। उनकी चूत टाइट थी, जैसे पांच साल से कोई लंड अंदर नहीं गया हो। थोड़ा सा लंड अंदर जाते ही बुआ कराह उठीं, “आह… जतिन… धीरे… दर्द हो रहा है।” मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया ताकि उनकी आवाज बाहर न जाए। मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया। उनकी चूत गीली थी, लेकिन फिर भी टाइट। कुछ देर बाद जब दर्द कम हुआ, तो मैंने रफ्तार बढ़ा दी।

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बुआ बोलीं, “शाबाश मेरे सोना… मेरे राजा बेटे… चोद मुझे… और जोर से… हाय… कितने सालों बाद चुदाई का मजा ले रही हूँ… चोद दे अपनी बुआ को… फाड़ दे मेरी चूत।”

मैंने उनकी बात सुनकर और जोश में आ गया। मैं उन्हें धकापेल चोदने लगा। उनकी चूत की गर्मी मेरे लंड को और उत्तेजित कर रही थी। बुआ ने मुझे कसकर गले लगाया और मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए। मुझे दर्द हुआ, लेकिन वो दर्द चुदाई के मजे को और बढ़ा रहा था। मैंने उनके चूचों को मसलते हुए, उनकी चूत में लंड को और गहराई तक पेला। उनकी चूत का रस मेरे लंड को भिगो रहा था।

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद बुआ झड़ गईं। उनकी चूत से गर्म रस निकला, जो मेरे लंड पर लावा सा लगा। मैंने रफ्तार और बढ़ा दी। बुआ सिसकार रही थीं, “हाय… जतिन… मेरी चूत को शांत कर दे… और चोद… आह… कितना मजा आ रहा है।”

दो मिनट बाद मैं भी झड़ने वाला था। मैंने लंड बाहर निकाला और बुआ के हाथ में दे दिया। उन्होंने मेरे लंड को मुठ मारना शुरू किया, और जल्द ही मेरे लंड से पिचकारी निकली, जो उनके पेट और चूचों पर गिरी। मैंने उन्हें एक लंबा चुम्मा दिया और फिर उठकर फ्रेश होने गया।

बुआ भी फ्रेश होकर आईं और मेरे गले लग गईं। वो बोलीं, “राजा, तूने अपनी बुआ की चुदाई करके आज बहुत सुख दिया। मैं ये पल कभी नहीं भूलूँगी।”

मैंने उनके होंठ चूमते हुए कहा, “रानी बुआ, क्या एहसान? मैं तो आपका हूँ न… आय लव यू बुआ।”

वो बोलीं, “लव यू टू, सोना बेटा।”

उस रात के बाद, जब भी बुआ घर आतीं, हम दोनों मौका मिलते ही चुदाई का मजा लेते। हर बार वो पहले से ज्यादा मादक और जोशीली होती थीं। हमारा रिश्ता अब सिर्फ बुआ-भतीजा नहीं, बल्कि दो प्रेमियों जैसा हो गया था।

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