मेरा नाम जिया शर्मा है, और मेरी उम्र 25 साल की है। आज मैं तुम्हें अपनी वो गर्मागर्म कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो मेरे और मेरे छोटे भाई के बीच की है। हाँ, तुमने सही सुना, मेरा सगा छोटा भाई, जो मुझसे आठ साल छोटा है, वही मेरे साथ चुदाई के मजे लेता है। ये सब शुरू हुआ था पिछले वेलेंटाइन डे पर, और अब हम दोनों जब भी मौका मिलता है, एक-दूसरे की आग बुझाते हैं। ये कहानी इतनी हॉट और मसालेदार है कि तुम्हें भी पसीने छुड़ा देगी।
बात उस वेलेंटाइन डे की है। मम्मी-पापा शहर से बाहर गए थे, और घर में सिर्फ मैं और मेरा छोटा भाई थे। मैं दिनभर घर पर अकेली थी, अपने पुराने बॉयफ्रेंड की बेवफाई को याद करके मन ही मन गुस्सा हो रही थी। उस हरामी ने मुझे इस्तेमाल किया और फिर छोड़ दिया। उधर, मेरा भाई अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने गया था। रात के करीब नौ बजे वो घर लौटा, तो उसका चेहरा लटका हुआ था। उसकी आँखें लाल थीं, और वो पूरी तरह टूटा हुआ लग रहा था। मैंने उससे पूछा, “क्या हुआ, तू इतना उदास क्यों है?”
वो फूट-फूटकर रोने लगा और बोला, “दीदी, उस रंडी ने मुझे धोखा दे दिया। वो किसी और लड़के के साथ चली गई।” उसने बताया कि उसकी गर्लफ्रेंड ने वादा किया था कि वेलेंटाइन डे पर वो ओयो होटल में उसके साथ चुदाई करेगी। उसने तो कमरा भी बुक कर लिया था, लेकिन उसी होटल में वो अपनी गर्लफ्रेंड को अपने स्कूल के दोस्त अभिनाश के साथ देख लिया। वो बोला, “दीदी, वो रंडी निकली, उसने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?” उसका गुस्सा और दर्द देखकर मेरा दिल पिघल गया।
मैंने उसे अपने पास बुलाया और गले से लगा लिया। वो मेरे सीने से चिपककर रोने लगा। मैंने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, “रो मत, वो रंडी थी, तेरा मन नहीं भरा होगा उसका, इसीलिए किसी और के लंड के पीछे भाग गई। तू उदास मत हो, मैं हूँ ना तेरे साथ।” वो मेरे गले से और टाइट लिपट गया। मैंने उसे और प्यार से सहलाया, और वो धीरे-धीरे शांत होने लगा। लेकिन उस पल में कुछ और ही होने वाला था, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।
वो मेरी पीठ को सहलाने लगा, और मैं भी उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगी। धीरे-धीरे हम दोनों के बीच का माहौल गर्म होने लगा। मेरी साँसें तेज हो गईं, और मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड मेरी जांघ पर सट रहा है। वो धीरे-धीरे टाइट हो रहा था, और उसकी गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी। मेरे बदन में भी एक अजीब सी सिहरन दौड़ने लगी। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन उसने अचानक मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं उसे रोक नहीं पाई। मेरे अंदर की आग भड़क उठी, और मैं भी उसके होंठों को चूसने लगी। हम दोनों ने आँखें बंद कर लीं और एक-दूसरे के होंठों का रस चूसने में खो गए।
वो मेरी चूचियों को सहलाने लगा और बोला, “दीदी, आई लव यू। तुम ही मेरी असली वेलेंटाइन हो।” उसकी बातें सुनकर मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी। वो मेरी गर्दन को चूमने लगा, मेरी गांड को दबाने लगा। मैं पूरी तरह से उसके हवाले हो चुकी थी। लेकिन इस बार मैंने सोचा कि क्यों ना मैं उसे और तड़पाऊँ। मैंने उसे धक्का देकर बेड पर लिटाया और उसकी पैंट के ऊपर से उसके लंड को सहलाने लगी। वो सिसक उठा, “दीदी, ये क्या कर रही हो… आह…” मैंने उसकी पैंट खोल दी और उसका मोटा, लंबा लंड बाहर निकाल लिया। उसका लंड लोहे की तरह टाइट था, और उसकी नसें फूली हुई थीं।
मैंने अपने हाथों से उसके लंड को पकड़ा और धीरे-धीरे फेटना शुरू किया। मेरी उंगलियाँ उसके लंड के सुपारे पर घूम रही थीं, और मैं जानबूझकर उसे तड़पा रही थी। वो कराह रहा था, “दीदी… ओह्ह… और जोर से… आह… मत रोक…” मैंने उसकी आँखों में देखा और हँसते हुए कहा, “अभी तो शुरुआत है, तुझे और तड़पाना है।” मैंने अपने हाथों की स्पीड बढ़ाई, कभी उसके लंड को टाइट पकड़कर फेटा, तो कभी हल्के से सहलाया। उसका लंड मेरे हाथों में और सख्त हो रहा था, और वो बेड पर छटपटा रहा था। मैंने अपने होंठों से उसके लंड के सुपारे को हल्का सा चूमा, और वो चिल्ला उठा, “दीदी… प्लीज… अब बर्दाश्त नहीं हो रहा…”
उसकी ये हालत देखकर मेरी चूत और गीली हो गई। मैंने उसे और तड़पाने के लिए अपने हाथों से उसके लंड को जोर-जोर से फेटा, और साथ में उसकी गोटियों को हल्के से दबाया। वो पागल हो रहा था, और मैं उसकी सिसकियों का मजा ले रही थी। फिर मैंने उसे छोड़ा और हँसते हुए कहा, “अब तू बता, क्या चाहता है?” वो तुरंत उठा और मुझे बेड पर लिटा दिया। उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए, और मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, पहले बाहर का दरवाजा तो बंद कर ले, कहीं कोई देख न ले।” वो हड़बड़ी में भागा, मेन दरवाजा लॉक किया, और वापस आते ही मुझे बेड पर लिटा दिया।
वो मेरी चूचियों को मसलने लगा, मेरे टाइट निप्पल को देखकर पागल हो गया। मेरी गोरी चूचियाँ, जिनका कथई रंग का निप्पल उसे और उत्तेजित कर रहा था। वो मेरे पूरे बदन को चाटने लगा, मेरी चूचियों को चूसने लगा, और जब उसने मेरे निप्पल को दाँतों से हल्का सा काटा, मैं सिसक उठी। मेरे मुँह से बस “आह… आह… ओह्ह…” की आवाजें निकल रही थीं। मेरी चूत गीली होने लगी थी, और मेरे बदन में एक अजीब सी गर्मी फैल रही थी।
वो धीरे-धीरे नीचे गया, मेरी दोनों टाँगें फैलाईं, और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने पर फिर रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मेरी चूत से पानी निकल रहा था, और वो उसे चाट-चाटकर कह रहा था, “दीदी, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल नमकीन है, मजा आ रहा है।” मैं आँखें बंद करके बस सिसक रही थी, “आआह… ओह्ह… चाट… और चाट…” मेरे होंठ काँप रहे थे, और मैं अपने दाँत पीस रही थी।
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फिर मैंने उसे खींचा और कहा, “अब तू मुझे अपना लंड दे, मुझे भी तो तेरे आइसक्रीम का स्वाद लेना है।” वो तुरंत मेरी छाती पर चढ़ गया और अपना मोटा, लंबा लंड मेरे मुँह में दे दिया। उसका लंड इतना टाइट था कि मेरे मुँह में मुश्किल से समा रहा था। मैंने उसे चूसना शुरू किया, अपने हाथों से उसके लंड को सहलाया, और वो “अअअ… ओह्ह… दीदी… चूसो… और चूसो…” कहकर सिसकने लगा। मैं उसके लंड को अपने गले तक ले जाती, फिर बाहर निकालती। मेरी चूत की गर्मी अब बर्दाश्त से बाहर हो रही थी।
मैंने उससे कहा, “अब और मत तड़पा, मुझे तेरा लंड चाहिए। मेरी चूत जल रही है।” वो तुरंत नीचे गया, मेरी टाँगें और चौड़ी कीं, और अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। उसने मेरी चूत के गीलेपन को अपने लंड पर लगाया, और फिर एक जोरदार धक्का मारा। मैं चीख उठी, “आआह… मर गई…” उसका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। दर्द के साथ-साथ मजा भी इतना था कि मैं जन्नत में थी।
वो धीरे-धीरे अपनी गांड हिलाने लगा, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई में उतरने लगा। मैं अपनी गांड उठा-उठाकर उसका साथ देने लगी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था, मेरे होंठों को चूस रहा था, और कभी-कभी मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल देता। मैं उसके हर धक्के के साथ “आह… ओह्ह… चोद… और जोर से चोद…” चिल्ला रही थी। वो मेरे ऊपर तैर रहा था, और मैं उसकी आँखों में वो जुनून देख रही थी, जो मुझे और गर्म कर रहा था।
हम दोनों भाई-बहन उस पल में सिर्फ एक-दूसरे की चुदाई में खोए हुए थे। वो मेरी चूत को अपने लंड से रगड़ रहा था, और मैं उसकी हरकतों से पागल हो रही थी। करीब 40 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद वो मेरी चूत में ही झड़ गया। उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में गिरा, और मेरी चूत पूरी तरह गीली हो गई। मैं भी दो बार झड़ चुकी थी, और मेरा पूरा बदन थक गया था। वो मेरे बगल में गिर गया, और मैं टाँगें फैलाकर आँखें बंद करके लेट गई।
थोड़ी देर बाद, जब हमारी साँसें सामान्य हुईं, उसने फिर से मेरी चूचियों को सहलाना शुरू किया। मैं हँसते हुए बोली, “क्या बात है, अभी भी मन नहीं भरा?” वो बोला, “दीदी, तुम्हारी चूत का स्वाद ऐसा है कि मन कभी नहीं भरेगा।” और फिर से वो मेरे ऊपर चढ़ गया। इस बार उसने मुझे उल्टा किया, मेरी गांड को ऊपर उठाया, और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया। मैं “आआह… मर गई… धीरे…” चिल्लाई, लेकिन वो रुका नहीं। उसने मेरी गांड पर हल्के-हल्के थप्पड़ मारते हुए मुझे चोदा, और मैं बस “ओह्ह… चोद… और चोद…” कहती रही।
इस बार की चुदाई और भी लंबी चली। वो मेरी चूत को अलग-अलग तरीके से चोदता रहा, कभी मुझे अपने ऊपर बिठाकर, कभी मुझे दीवार के सहारे खड़ा करके। हम दोनों उस रात चुदाई के नशे में डूब गए। सुबह तक हमने तीन बार और चुदाई की, और हर बार पहले से ज्यादा मजा आया।
अब तो ये हमारी आदत बन गई है। जब भी मम्मी-पापा घर से बाहर होते हैं, हम दोनों एक-दूसरे की गर्मी निकालते हैं। मैं अपनी चूत की आग बुझाने के लिए अपने भाई के मोटे लंड पर निर्भर हो गई हूँ, और वो मेरी चूत का दीवाना है। हम दोनों भाई-बहन अब सिर्फ रिश्ते में नहीं, बल्कि चुदाई के पार्टनर बन गए हैं।