मेरा नाम आँचल है। आज मैं तुम्हें अपनी वो कहानी सुनाने जा रही हूँ जो मेरे दिल के सबसे गहरे राज को खोलती है। ये मेरे सगे भाई रोहन के साथ मेरी चुदाई की कहानी है, जिसने मुझे न सिर्फ सुख दिया बल्कि माँ बनने का सौभाग्य भी दिया। मैं बताऊँगी कैसे मैंने अपने भाई से अपनी चूत चटवाई, गांड मरवाई, चूचियों को चुसवाया, और कैसे उसने मुझे रात-रात भर चोदकर मेरे गर्भ में अपना बीज बोया।
मैं २४ साल की हूँ। मेरी सुंदरता ऐसी है कि लोग मुझे देखकर ठहर जाते हैं। मेरा बदन भरा हुआ है, चूचियाँ इतनी बड़ी कि ब्लाउज में मुश्किल से समाती हैं, और मेरे कूल्हे साड़ी में ऐसे लहराते हैं कि हर मर्द की नजर उन पर अटक जाती है। मेरे माँ-बाप ने मुझे बड़े प्यार से पाला, अच्छी तालीम दी, और उनकी ख्वाहिश थी कि मेरी शादी किसी बड़े घर में हो। तीन साल पहले मेरी शादी जयपुर के एक रईस परिवार में हुई। मेरा पति देखने में बहुत खूबसूरत था, गठीला बदन, और वो मुझे राजकुमारी की तरह रखता था। हवेली में ठाठ-बाट की कोई कमी नहीं थी। मैंने सोचा था कि मेरी जिंदगी अब सपनों जैसी होगी।
पर शादी के सिर्फ पांच दिन बाद मेरी दुनिया उजड़ गई। मेरे पति को अचानक दौरा पड़ा, और वो पागलपन की हालत में बेकाबू हो गए। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी दिमागी हालत शायद कभी ठीक नहीं होगी। सबसे बड़ा झटका ये था कि उनका लंड अब खड़ा ही नहीं होता था। मेरे लिए सेक्स मेरी जवानी का सबसे बड़ा सुख था। मैं हर रात उनके साथ बिस्तर पर लेटती, उनके मर्दाना बदन को छूती, उनकी छाती पर हाथ फेरती, उनके लंड को मुँह में लेकर चूसने की कोशिश करती। मैं खुद को पूरी नंगी कर लेती, अपनी चूचियों को उनके मुँह पर रगड़ती, अपनी चूत को उनकी उंगलियों से सहलवाने की कोशिश करती। पर कुछ नहीं होता। मेरी चूत गीली हो जाती, मेरे निप्पल कड़े हो जाते, मेरी आँखें नशीली हो जातीं, पर मेरी प्यास बुझाने वाला कोई नहीं था। मैं चुपके से रोते हुए सो जाती। हर रात मेरा दिल टूटता, और मेरी चूत की आग बुझने का नाम नहीं लेती थी।
कई महीनों तक इलाज चला, पर कोई सुधार नहीं हुआ। एक दिन मेरी सास ने मुझे बुलाया और पूछा, “बेटी, रात को सोने में कोई दिक्कत तो नहीं?” मैं समझ गई कि वो मेरे और उनके बेटे के शारीरिक रिश्ते के बारे में पूछ रही थीं। मैंने झूठ बोला, “नहीं माँ जी, सब ठीक है।” वो खुश हो गईं और बोलीं, “शुक्र है, अब इस हवेली को एक वारिस मिलेगा। बेटी, जल्दी से एक बच्चा कर लो, इस घर को एक चिराग चाहिए।” मैं सुनकर सन्न रह गई। बच्चा? वो भी ऐसे पति से जो मुझे छू भी नहीं सकता? पर मैं ये भी जानती थी कि अगर मैंने इस हवेली का वारिस नहीं दिया, तो मेरी ये रानी जैसी जिंदगी छिन सकती है।
मैंने कई रातें जागकर सोचा कि अब क्या करूँ। मुझे कोई रास्ता चाहिए था। तभी मेरा सगा भाई रोहन, जो बेंगलुरु में जॉब करता है, मेरे पति की हालत देखने जयपुर आया। रोहन २६ साल का है, लंबा, चौड़ी छाती वाला, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक जो मुझे हमेशा बेचैन कर देती थी। उस दिन मेरे सास-ससुर मेरे पति को चेकअप के लिए जयपुर ले गए थे। घर में सिर्फ मैं और रोहन थे। ससुर जी का फोन आया कि वो अगले दिन लौटेंगे। हमने साथ में खाना खाया, और फिर हवेली की छत पर टहलने चले गए।
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रात का माहौल था। चाँद की रोशनी छत पर बिखरी हुई थी, और हल्की ठंडी हवा मेरे बदन को छू रही थी। मैं अचानक रोने लगी। रोहन ने मुझे गले लगाया और बोला, “क्यों रो रही है, आँचल? मैं हूँ ना, सब ठीक कर दूंगा।” मैं उसके सीने से चिपक गई। उसकी गर्म साँसें मेरे गले को छू रही थीं। रोहन ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया। उस पल में मुझे एक अजीब सा एहसास हुआ। मैंने महसूस किया कि रोहन का लंड खड़ा हो रहा था और मेरी जांघों से टकरा रहा था। मेरी चूचियाँ उसकी छाती से दब रही थीं। रोहन ने धीरे-धीरे मेरी पीठ सहलानी शुरू की। मैंने भी उसकी पीठ पर हाथ फेरा। मेरी साँसें तेज हो गईं, और मेरी चूत में एक सनसनी सी होने लगी। लेकिन मैंने खुद को अचानक अलग किया, और हम दोनों नीचे कमरे में आ गए।
कमरे में सोफे पर बैठे हम दोनों चुप थे। रोहन ने आखिरकार चुप्पी तोड़ी, “जीजा जी ठीक होंगे ना?” मैंने गहरी साँस ली और बोली, “कुछ नहीं पता, रोहन। और ऊपर से सास को पोता चाहिए। मैं क्या करूँ? वो तो कुछ कर ही नहीं सकते।” रोहन ने मेरी बात ध्यान से सुनी। मैंने आगे कहा, “मैंने सास से झूठ बोला कि सब ठीक है, लेकिन सच तो ये है कि मैं अकेले बच्चा कैसे दूँ? काश एक बच्चा हो जाता, तो मैं इस हवेली की रानी बनकर राज करती।” रोहन चुप रहा, फिर धीरे से बोला, “आँचल, अगर तुझे कोई रास्ता चाहिए, तो मैं हूँ। तुझे बच्चा चाहिए, सास को वारिस चाहिए, और ये बात किसी को पता भी नहीं चलेगी।” मैं चौंक गई। मैं अपने भाई का मुँह देखने लगी। रोहन ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, “सोच ले, मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूँ।”
मेरा दिमाग सुन्न था, लेकिन मेरा शरीर गरम हो रहा था। रोहन धीरे-धीरे करीब आया। उसने मेरे बालों को सहलाया, फिर मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। मैंने विरोध नहीं किया। मैं उसकी बाहों में खो गई। रोहन ने मुझे गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए। मेरी चूचियाँ, जो ब्रा में कैद थीं, अब आजाद हो गईं। रोहन ने मेरी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। उसका दूसरा हाथ मेरी दूसरी चूची को जोर-जोर से मसल रहा था। मैं सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… रोहन… और जोर से चूस…” मेरा निप्पल कड़ा हो गया था। रोहन ने मेरी साड़ी खींच दी, और अब मैं सिर्फ पैंटी में थी। उसने मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाया। मेरी चूत पहले से गीली थी। रोहन ने मेरी पैंटी उतारी और मेरी चूत की झांटों को सहलाने लगा। फिर उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली। मैं चीख पड़ी, “उफ्फ… रोहन… कितना अच्छा लग रहा है…”
रोहन ने अब मेरी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैं उसका सिर अपनी चूत में दबा रही थी, “चाट… और चाट… मेरी चूत को खा जा…” रोHN ने अपनी जीभ को और तेजी से चलाया। मेरा शरीर अकड़ने लगा, और मैं झड़ गई। मेरी चूत से पानी निकल रहा था, जिसे रोहन ने चाट लिया। अब मेरी बारी थी। मैंने रोहन की पैंट उतारी। उसका लंड देखकर मेरा मुँह खुल गया। वो कम से कम ८ इंच लंबा और इतना मोटा था कि मेरे हाथ में मुश्किल से आ रहा था। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। मैं उसके लंड को गले तक ले रही थी, और रोहन की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आँचल… तू तो कमाल है… और चूस…”
हम दोनों अब ६९ की मुद्रा में आ गए। रोहन मेरी चूत चाट रहा था, और मैं उसके लंड को मुँह में ले रही थी। मेरी चूत फिर से गीली हो गई थी। रोहन ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और अपना लंड मेरी चूत पर रखा। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह… रोहन… फाड़ दी मेरी चूत…” रोहन ने धक्के मारने शुरू किए। वो मुझे गालियाँ दे रहा था, “रंडी… ले मेरे लंड का मजा… तेरी चूत को आज फाड़ दूंगा…” मुझे ये गालियाँ और उत्तेजित कर रही थीं। मैं भी चिल्ला रही थी, “चोद… और जोर से चोद… मेरी चूत को रगड़ दे…” रोहन ने अपनी गति बढ़ा दी। उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और कमरे में पच-पच की आवाजें गूँज रही थीं। मैं अपने आप को खो चुकी थी। मेरी हर साँस, हर धड़कन सिर्फ उस पल के लिए थी। रोहन के हर धक्के के साथ मेरी चूत में एक अजीब सी मस्ती भर रही थी। मैं उसके बालों को खींच रही थी, उसके कंधों को नोच रही थी, और चिल्ला रही थी, “और जोर से… मेरी चूत को फाड़ डाल… मुझे अपना बना ले…”
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करीब २५ मिनट की चुदाई के बाद रोहन ने अपना गरम-गरम माल मेरी चूत में छोड़ दिया। मैं काँप रही थी, मेरा बदन अब भी उस एहसास में डूबा हुआ था। पर रोहन रुका नहीं। उसने मुझे पलट दिया और मेरी गांड के छेद पर थूक लगाया। मैं समझ गई कि अब मेरी गांड की बारी है। मैंने डरते हुए कहा, “रोहन… धीरे करना… मेरी गांड अभी कुँवारी है…” रोहन ने हँसकर कहा, “आज तेरी गांड का उद्घाटन कर दूंगा…” उसने अपने लंड पर थूक लगाया और धीरे-धीरे मेरी गांड में डाला। दर्द हुआ, पर मेरी चूत की आग अब भी भड़क रही थी, तो मैंने उस दर्द को भी अपने अंदर समेट लिया। रोहन ने धीरे-धीरे गति बढ़ाई, और अब वो मेरी गांड को जोर-जोर से चोद रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… मेरी गांड… फट गई… और चोद… मुझे पूरा अपना बना ले…” रोहन ने मेरी गांड में भी अपना माल छोड़ दिया।
रात भर हमने अलग-अलग मुद्राओं में चुदाई की। कभी मैं उसके ऊपर बैठकर उसके लंड को अपनी चूत में लेती, कभी वो मुझे दीवार के सहारे खड़ा करके चोदता। उसने मेरी चूत को चाटा, मेरी चूचियों को चूसा, और हर बार मेरी चूत और गांड में अपना माल छोड़ा। मैं एक ऐसी दुनिया में थी जहाँ सिर्फ मस्ती और सुख था। मेरी वो प्यास, जो कई महीनों से तड़प रही थी, आखिरकार बुझ रही थी।
रोहन अगले दस दिन तक हवेली में रहा। हर रात हम एक-दूसरे के बदन से लिपटकर चुदाई करते। दिन में हम भाई-बहन की तरह बात करते, पर रात होते ही एक-दूसरे के जism के दीवाने बन जाते। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में हूँ। मेरी चूत को आखिरकार वो मर्द मिला था जो उसकी हर ख्वाहिश पूरी कर सकता था।
कुछ हफ्तों बाद मुझे अपनी माहवारी नहीं आई। मैं डॉक्टर के पास गई, और उसने पुष्टि की कि मैं गर्भवती हूँ। मैं खुशी से झूम उठी। मैंने ये खबर अपनी सास को बताई। वो इतनी खुश हुईं कि उन्होंने मुझे गले लगा लिया और बोलीं, “बेटी, तूने इस हवेली का नाम रोशन कर दिया।” मैं मुस्कुराई, पर मेरे दिल में एक राज था। ये बच्चा मेरे पति का नहीं, बल्कि मेरे सगे भाई रोहन का था। और सबसे बड़ी बात, मैं इस राज से खुश थी। मैंने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी चाल चल दी थी, और अब मैं इस हवेली की रानी बनकर राज करने वाली थी।
Bahut achhi story hai ..mai bhi jaipur se hu. Milna chahogi?
Sahi kia
Saccha pyar ho to hai ye jab ek doosre ki pareshani door ho jaaye