मेरा नाम राधिका राजपूत है। मेरा बदन 38-28-34 का है, जो मेरे गाँव के हर नौजवान की आँखों में चुभता है। मेरी गोरी चमड़ी, भरे हुए मम्मे और टाइट गाण्ड की वजह से लड़के मुझे घूरते रहते हैं। पर मेरा दिल सिर्फ एक शख्स पर अटका है—मेरा ब्वॉयफ्रेंड, राहुल, जो मेरे पड़ोस में रहता है। राहुल का कसरती बदन, गहरी आँखें और वो शरारती मुस्कान मुझे हर बार पागल कर देती है। हम दोनों का रिश्ता दो साल पुराना है, और इस दौरान हमने कई बार चुदाई का मज़ा लिया है। पर जो अनुभव मैं आज बताने जा रही हूँ, वो मेरे जीवन का सबसे अनोखा और यादगार पल है। ये कहानी सच्ची है, और इसे लिखते वक्त मेरी चूत फिर से गीली हो रही है।
बात उस समय की है जब मैं बारहवीं कक्षा के बोर्ड एग्जाम दे रही थी। हमारा गाँव राजस्थान के एक छोटे से कोने में बसा है, जहाँ न बिजली की सुविधा ठीक है, न सड़कें। बसें दिन में दो-चार बार ही आती हैं, और वो भी टूटी-फूटी सड़कों पर हिचकोले खाती हुई। हमारे एग्जाम पास के एक छोटे शहर में होते थे, जो गाँव से करीब 20 किलोमीटर दूर था। वहाँ तक जाने के लिए हर किसी को अपने साधन का इंतज़ाम करना पड़ता था। मेरे पापा के पास एक पुरानी हीरो होंडा मोटरसाइकिल थी, जो उनकी जान थी। हर बार वो मुझे और राहुल को एग्जाम सेंटर तक छोड़ने और लेने जाते थे। राहुल का परिवार हमारे करीब था, और पापा उसे बेटे की तरह मानते थे, इसलिए उसे साथ ले जाना आम बात थी।
उस दिन आखिरी एग्जाम था। सुबह से मेरे मन में अजीब सी बेचैनी थी। शायद इसलिए कि बोर्ड के तनाव से आजादी मिलने वाली थी, या शायद राहुल की उस दिन की शरारती नज़रों ने मेरे जिस्म में आग लगा दी थी। सुबह जब हम बाइक पर सेंटर जा रहे थे, राहुल मेरे पीछे बैठा था, और उसका हाथ बार-बार मेरी कमर पर फिसल रहा था। पापा आगे बाइक चला रहे थे, और मैं बीच में थी, राहुल की गर्म साँसें मेरे कंधे पर महसूस हो रही थीं। उसने धीरे से मेरी सलवार के ऊपर से मेरे मम्मों को छुआ, और मेरी चूत में हल्की सी सिहरन दौड़ गई। मैंने पलटकर उसे घूरा, पर उसकी आँखों में वो शरारत थी, जो मुझे हमेशा दीवानी बना देती थी।
एग्जाम खत्म होने के बाद हम चार बजे स्कूल से निकले। मन में आजादी की खुशी थी, और राहुल के साथ घर वापसी का रोमांच भी। पर जैसे ही हम बाइक पर बैठे, पापा ने स्टार्ट किया तो बाइक ने खटखट की आवाज़ के साथ धोखा दे दिया। पापा ने गुस्से में गाली दी और बाइक को चेक करने लगे। राहुल और मैं पास के एक पेड़ की छाँव में खड़े हो गए। वहाँ खड़े-खड़े राहुल ने मेरी उंगलियाँ पकड़ीं और धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया, “राधिका, आज रात तुझे चोदने का मन कर रहा है।” उसकी बात सुनकर मेरी साँसें तेज हो गईं, और मैंने शरमाते हुए कहा, “पागल, पापा यहीं हैं!” पर मेरे जिस्म ने उसकी बात को मान लिया था। मेरी चूत में गीलापन शुरू हो चुका था।
पापा को बाइक ठीक करने में पूरा ढाई घंटा लग गया। तब तक अंधेरा छाने लगा था, और आसमान पर तारे टिमटिमाने शुरू हो गए थे। साढ़े सात बजे बाइक आखिरकार स्टार्ट हुई, और पापा ने हमें जल्दी बैठने को कहा। मैं बीच में बैठी, दोनों तरफ पाँव करके, और राहुल मेरे पीछे। उसकी जाँघें मेरी जाँघों से सटी थीं, और उसकी गर्मी मेरे जिस्म में उतर रही थी। बाइक जैसे ही चली, ठंडी हवा मेरे चेहरे पर लगी, और मेरे खुले दुपट्टे को उड़ाने लगी। राहुल ने पीछे से मेरा दुपट्टा पकड़ा और धीरे से मेरी कमर पर हाथ रखा। उसका स्पर्श ऐसा था, जैसे बिजली का झटका।
कुछ ही मिनट बाद, राहुल की उंगलियाँ मेरी कमर पर रेंगने लगीं। वो धीरे-धीरे मेरी सलवार के ऊपर से मेरे पेट को सहलाने लगा। मैंने पलटकर उसे देखा, पर अंधेरे में उसकी आँखें चमक रही थीं। उसने मेरे कानों में कहा, “राधिका, तेरा बदन आज बहुत गर्म लग रहा है।” मैंने शरमाते हुए कहा, “चुप रह, पापा सुन लेंगे।” पर मेरे जिस्म ने उसकी बात को गले लगा लिया। उसने मेरे मम्मों को हल्के से दबाया, और मेरे निप्पल टाइट हो गए। मेरी सलवार के नीचे पैंटी गीली होने लगी थी।
राहुल ने अब हिम्मत बढ़ाई और मेरी सलवार में हाथ डालने की कोशिश की। पर मेरा नाड़ा इतना टाइट था कि उसका हाथ अंदर नहीं गया। उसकी बेचैनी मुझे महसूस हो रही थी, और मेरी चूत भी लंड के लिए तड़प रही थी। मैंने धीरे से अपनी सलवार का नाड़ा ढीला किया, और राहुल का हाथ मेरी पैंटी के अंदर फिसल गया। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत की फांकों को सहलाने लगीं। मेरी चूत इतनी गीली थी कि उसकी उंगलियाँ आसानी से अंदर-बाहर होने लगीं। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और सिसकारियाँ रोकने के लिए होंठ काट लिए। पापा बाइक चला रहे थे, और सड़क के गड्ढों से बाइक हिल रही थी, जो मेरी चूत में राहुल की उंगलियों को और गहरा धकेल रहा था।
मैंने अब अपना हाथ पीछे किया और राहुल की पैंट के ऊपर से उसके लंड को सहलाने लगी। उसका लंड पहले से ही टाइट था, और मेरे हाथ के स्पर्श से और सख्त हो गया। राहुल ने धीरे से अपनी चैन खोली और लंड बाहर निकालकर मेरे हाथ में दे दिया। उसका लंड गर्म, मोटा और नसों से भरा था। मैंने उसे धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया, और वो मेरी चूत में उंगली करते हुए सिसकारने लगा। हम दोनों का जिस्म आग में जल रहा था, और पापा को कुछ पता नहीं था।
राहुल ने अब मेरी गाण्ड के नीचे अपना लंड रगड़ना शुरू किया। उसका लंड मेरी सलवार के कपड़े को भेदकर मेरी चूत के पास दस्तक दे रहा था। मेरा मन चुदवाने के लिए बेकाबू हो गया। मैंने हल्का सा ऊपर उठकर अपनी सलवार और पैंटी को जाँघों तक नीचे सरका लिया। ठंडी हवा मेरी नंगी चूत और गाण्ड पर लगी, और मैं सिहर उठी। राहुल ने मुझे पीछे से कमर पकड़कर हल्का उठाया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत पर सेट किया। सड़क का एक गड्ढा आया, और बाइक के झटके के साथ उसका लंड मेरी चूत में आधा घुस गया। मैंने दर्द और मज़े से सिसकारी भरी, पर हवा की आवाज़ में वो दब गई।
राहुल ने धीरे-धीरे मुझे अपनी गोद में बिठाया, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मेरी चूत इतनी गीली थी कि लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। सड़क के गड्ढे और बाइक की रफ्तार हमारी चुदाई को और मज़ेदार बना रहे थे। हर झटके के साथ राहुल का लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। मैं हल्का-हल्का ऊपर-नीचे हो रही थी, ताकि पापा को शक न हो। राहुल ने मेरे मम्मों को पीछे से जोर-जोर से दबाना शुरू किया, और मेरे निप्पल्स को कुर्ती के ऊपर से मसलने लगा। मैं पागल हो रही थी। मेरी चूत राहुल के लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ मज़ा दोगुना हो रहा था।
कुछ देर बाद राहुल ने मेरी कमर पकड़कर मुझे और तेजी से अपनी गोद में उछालना शुरू किया। उसका लंड मेरी चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि मुझे लगा मैं झड़ जाऊँगी। मैंने अपनी सिसकारियाँ रोकने के लिए होंठ काटे, पर मेरे जिस्म का हर हिस्सा मज़े में डूबा था। राहुल ने मेरे कान में फुसफुसाया, “राधिका, तेरी चूत कितनी टाइट है, मज़ा आ रहा है।” उसकी बात ने मेरी आग और बढ़ा दी। मैंने पीछे हाथ करके उसकी जाँघों को दबाया और और तेजी से उछलने लगी।
हमारी चुदाई अब अपने चरम पर थी। सड़क के गड्ढों ने हमारी रफ्तार को और बढ़ा दिया था। राहुल का लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और मेरी चूत का पानी उसकी जाँघों पर बह रहा था। करीब 20 मिनट की इस अनोखी चुदाई के बाद राहुल ने मेरी कमर को जोर से पकड़ा और एक गहरा धक्का मारा। उसका गर्म माल मेरी चूत में छूट गया, और उसी वक्त मैं भी झड़ गई। मेरी चूत ने उसके लंड को जकड़ लिया, और हम दोनों की साँसें तेज हो गईं। मैंने आँखें बंद कर लीं और उस मज़े को महसूस किया, जो मैंने पहले कभी नहीं लिया था।
गाँव अभी कुछ किलोमीटर दूर था। राहुल ने धीरे से अपना लंड मेरी चूत से निकाला, और मैंने जल्दी से अपनी सलवार और पैंटी ऊपर खींच ली। हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए और सामान्य होकर बैठ गए। पापा को कुछ पता नहीं चला। बाइक की रफ्तार और हवा की सनसनाहट ने हमारी चुदाई को छुपा लिया था। जब हम गाँव पहुँचे, राहुल ने मेरे हाथ को हल्के से दबाया और मुस्कुराया। मैंने भी उसे देखकर एक शरारती स्माइल दी।
उस रात मैं अपने बिस्तर पर लेटी थी, और मेरी चूत अभी भी उस चुदाई की गर्मी महसूस कर रही थी। राहुल का लंड, बाइक के झटके, और वो खुली सड़क का रोमांच मेरे दिमाग में बार-बार घूम रहा था। ये मेरी जिंदगी की सबसे अनोखी और यादगार चुदाई थी, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती।