मैंने बेटे से सिनेमा हॉल में चुदवाया-1

मैं करिश्मा हूँ। अब मेरी उम्र साठ साल की है, लेकिन जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रही हूँ, वो बीस-इक्कीस साल पुरानी है, जब मैं इकतालीस की थी और मेरी जवानी पूरे शबाब पर थी। मेरी गोरी त्वचा, पतली कमर, और 36C की भरी हुई चूचियाँ देखकर कोई नहीं कह सकता था कि मैं एक जवान बेटे की माँ हूँ। कोलकाता की गलियों में, पार्क स्ट्रीट के चमचमाते सिनेमा हॉल के बाहर, लोग मुझे “मस्त माल” कहकर टिप्पणियाँ करते थे। उनकी नजरें मेरी साड़ी के पल्लू से झाँकती चूचियों पर अटक जाती थीं, और मुझे ये सुनकर एक अजीब सा रोमांच महसूस होता था।

मेरी चूत की सील शादी से पहले ही टूट चुकी थी। मेरा पहला प्रेमी, कुंदन, जिसके साथ मैंने कॉलेज के हॉस्टल की छत पर, बारिश की रातों में, बारह बार चुदाई की थी। उसकी मोटी लंड की गर्मी, उसकी जीभ मेरी चूत पर रेंगती हुई, और उसकी उंगलियाँ मेरी चूचियों को मसलती हुई—ये सब आज भी मेरे जिस्म में सिहरन पैदा करते हैं। शादी के बाद मेरे पति, रमेश, को जरूर पता था कि मैं कुँवारी नहीं थी। लेकिन सुहागरात को उन्होंने मुझे इतने प्यार से दो बार चोदा कि मैं उनकी वफादारी में बंध गई। फिर भी, कुंदन जैसा मज़ा मुझे रमेश के साथ कभी नहीं मिला। उनकी लंड की ताकत कम थी, और उनका प्यार मेरी जवानी की प्यास को पूरी तरह बुझा नहीं पाता था।

शादी के बाद मैंने बाइस साल तक सिर्फ रमेश के साथ ही सेक्स किया। लेकिन एक दिन सब बदल गया। एक घंटे के अंदर मैंने तीन मर्दों की लंड को मुठियाकर ठंडा किया। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत में घुसीं, उनके हाथों ने मेरी चूचियों को मसला, और उनकी भूखी नजरों ने मेरी जवानी को नंगा कर दिया। आज, साठ की उम्र में भी, मेरी चूत और जवानी की डिमांड बाजार में बरकरार है।

हमारा एक ही बेटा है, विनोद। जिस दिन की ये कहानी है, वो इक्कीस साल का था—लंबा, गोरा, और अपने बाप की तरह हैंडसम। उसकी मांसपेशियाँ उसकी टाइट शर्ट में उभरती थीं, और उसकी मुस्कान में एक शरारती चमक थी। मेरे पति रमेश को मेरी जवानी पर गर्व था। वो विनोद के सामने भी मुझे “मस्त माल” कहते थे। उनके खास दोस्त और उनकी पत्नियाँ मुझे “मस्त भाभी” का खिताब दे चुके थे। लेकिन पिछले कुछ सालों में रमेश का व्यवहार बदल गया। वो मेरे लिए छोटी-छोटी ड्रेस लाने लगे—टाइट स्कर्ट, डीप-नेक ब्लाउज, और फ्रॉक—जो मेरी चूचियों और जांघों को उजागर करते थे। वो पार्टियों में मुझे ऐसी ड्रेस पहनने को कहते और विनोद से भी बोलते, “बेटा, अपनी माँ से कहो कि अपनी जवानी को छुपाए नहीं। दुनिया को दिखाए, साड़ी छोड़कर स्कर्ट पहने।”

इसे भी पढ़ें   भाभी को चलती ट्रेन में चोद दिया | Xxx Train Hindi Sex Stories

एक दिन विनोद ने जवाब दिया, “बाबा, अगर मेरी बीवी माँ जैसी खूबसूरत होगी, तो मैं उसे घर में नंगी ही रखूँगा।” मैंने हँसते हुए ताना मारा, “तू अपनी बीवी को नंगी रखेगा, और तेरा बाप उसे मेरे और तेरे सामने चोदेगा।” लेकिन विनोद का जवाब सुनकर मैं स्तब्ध रह गई। उसने कहा, “सिर्फ बाबा ही क्यों? अगर मेरी बीवी दूसरों से चुदवाना चाहेगी, तो मैं उसे रोकूँगा नहीं।” उस बातचीत को तीन साल बीत गए, और मैं उसे भूल चुकी थी। मैंने अपनी साड़ियाँ नहीं बदलीं, हमेशा साड़ी और ब्लाउज में ही रही।

विनोद ने ग्रेजुएशन के फाइनल एग्जाम दे दिए थे और घर पर रिजल्ट का इंतज़ार कर रहा था। वो बुधवार था, जुलाई की उमस भरी दोपहर। मैं अपने कमरे में टीवी देख रही थी, साड़ी का पल्लू मेरी गोरी कमर पर लटक रहा था। विनोद अचानक कमरे में आया, उसकी आँखों में बोरियत थी। “माँ, घर में बैठे-बैठे पक गया हूँ। चलो, मार्केट चलते हैं। कुछ खरीदेंगे, घूमेंगे।”

मैं भी ऊब रही थी। मैंने तुरंत हामी भर दी। रोज की तरह मैंने काली प्रिंटेड साड़ी पहनी, उसके साथ गुलाबी स्लीवलेस ब्लाउज और अंदर 36C की सफेद ब्रा। मेरी पतली कमर, गोरा रंग, और टाइट चूचियाँ देखकर कोई नहीं कह सकता था कि मैं इकतालीस की हूँ। मार्केट में, सिनेमा हॉल के बाहर, या क्लब में लोग मेरी कमर, चूचियों, और जांघों पर कमेंट करते—“क्या मस्त माल है, उफ्फ, कितनी चिकनी कमर, वाह, क्या टाइट चूचियाँ!”—और मुझे ये सुनकर गुदगुदी होती थी।

हम तैयार होकर निकले। कई दिनों बाद विनोद ने मेरी तारीफ की। “माँ, तुम पूछती हो ना कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड क्यों नहीं है? तो सुनो, तुम्हारी जैसी हसीना मुझे अभी तक मिली ही नहीं। तुम मेरे लिए तुम्हारी जैसी लड़की ढूँढ दो, जिससे मैं प्यार कर सकूँ।”

इसे भी पढ़ें   पापा ने पनिशमेंट के नाम पर चुदाई कर दिया

उसकी बात सुनकर मेरी छाती गर्व से फूल गई। मैंने मज़ाक में कहा, “बेटा, जब तक तू अपनी गर्लफ्रेंड नहीं ढूँढ लेता, तब तक मेरी जवानी को जी भरकर देख ले। मुझे अपनी गर्लफ्रेंड समझ। लेकिन ये मत भूल कि मैं तेरी माँ हूँ, कोई कॉलेज की लड़की नहीं।”

विनोद ने हँसते हुए कहा, “तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत के साथ चलते वक्त मैं खुद को राजेश खन्ना और तुम्हें हेमा मालिनी समझता हूँ।”

आप यह Maa-beta sex kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

“फालतू तारीफ मत कर,” मैंने झिड़कते हुए कहा। “ज़्यादा तारीफ करेगा, तो मैं भी खुद को कोई हसीना समझने लगूँगी। फिर किसी हीरो का हाथ पकड़कर भाग जाऊँगी। फिर कहाँ ढूँढेगा ऐसी मस्त माल? चल, गर्मी बहुत है, आइसक्रीम खाते हैं।”

हम ऑटो में बैठकर पार्क स्ट्रीट के सिटी सेंटर पहुँचे। एक शानदार आइसक्रीम पार्लर में आमने-सामने बैठ गए। वहाँ सभी की नजरें हम पर थीं। “क्या मस्त औरत है,” “क्या जवान लड़का है,” जैसे कमेंट्स तो आम थे, लेकिन एक औरत की आवाज़ में कुछ अलग सुना: “कितनी खूबसूरत औरत और कितना हैंडसम मर्द। क्या शानदार जोड़ी है!”

उस कमेंट ने मेरे दिल में कुछ हलचल मचा दी। मैंने पहली बार विनोद को माँ की नजर से नहीं, एक प्रेमिका की नजर से देखा। उसकी चौड़ी छाती, उसकी गहरी आँखें, और उसकी शरारती मुस्कान ने मेरे जिस्म में आग लगा दी। मुझे कुंदन की याद आई। उसकी लंड की गर्मी, उसकी जीभ मेरी चूत को चाटती हुई, और उसकी उंगलियाँ मेरी चूचियों को मसलती हुई। मेरी चूचियाँ टाइट हो गईं, मेरी चूत गीली हो गई। मैं हर पंद्रह दिन में अपनी झांटें साफ करती थी, और पिछले ही दिन मैंने चूत को चिकना किया था। कुंदन की याद ने मेरे मन में एक तूफान उठा दिया। मैं चाहती थी कि विनोद भी मेरी चूत को वैसे ही चाटे, वैसे ही चूसे, जैसे कुंदन करता था।

इसे भी पढ़ें   आंटी की 40 इंच की गाँड

मैं सोच रही थी कि कैसे विनोद के साथ नजदीकी बढ़ाऊँ, कैसे उसे मेरी जवानी की तरफ खींचूँ। लेकिन विनोद ने अचानक कुछ ऐसा पूछा कि मैं सन्न रह गई। “माँ, मुझे अपने पहले प्रेमी के बारे में बताओ।”

मैं हक्की-बक्की रह गई। मैंने झूठ बोला, “मेरा कोई प्रेमी नहीं था। तुम्हारे बाबा ही मेरे प्रेमी हैं और मेरे पति भी। और अब दूसरा प्रेमी तू है।” मैंने एक मादक मुस्कान के साथ कहा, मेरी आँखें उसकी आँखों में गड़ी थीं।

विनोद ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “अपनी कसम, चाहे जो कसम ले लो, मैं बाबा से कुछ नहीं कहूँगा। तुम अपने पहले प्रेमी कुंदन के साथ सेक्स करती थीं ना?”

मुझे झटका लगा। मेरे बेटे को मेरे एकमात्र प्रेमी का नाम पता था। अब उससे कुछ छुपाने का कोई फायदा नहीं था। और सच कहूँ, मैं खुद कुंदन की बातें करना चाहती थी। बाइस साल बाद किसी ने उसका नाम लिया था। मेरे होंठ काँपने लगे, मेरी चूत में फिर से सिहरन हुई।

फिर मैंने क्या कहा, और आगे क्या हुआ, वो आपको अगले हिस्से में पता चलेगा।

कहानी का अगला भाग: मैंने बेटे से सिनेमा हॉल में चुदवाया-2

Related Posts

Report this post

Leave a Comment