माँ मेरी तरफ देखकर मुस्कुराईं और बोलीं, “समीर, आज तूने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी। जब से तेरे पिताजी गए, मैंने सिर्फ़ सपनों में ये सुख देखा था। आज तूने मुझे फिर से जवान कर दिया।” मैं हक्का-बक्का था, समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। माँ ने मेरी बाँह पकड़ी और बोलीं, “क्या हुआ? अब शरमाने की क्या बात है? जो हो गया, वो हो गया।”
मैंने सोचा, अगर माँ को ही कोई ऐतराज नहीं, तो मुझे क्या दिक्कत। मैंने हिम्मत जुटाई और बोला, “माँ, मैं तो बस सोच रहा था कि आप इतने साल बिना मर्द के कैसे रहीं।” माँ हँस दीं और बोलीं, “अब तू है ना, मेरी सारी कमी पूरी कर देगा। आ, अभी तो मेरी आग बुझी नहीं है।” और फिर जो हुआ, वो तो जैसे जंगली चुदाई थी। माँ ने मुझे बिस्तर पर खींच लिया। मैंने उनकी नाइटी पूरी तरह उतार दी। उनका गोरा, भरा हुआ बदन चाँदनी में चमक रहा था। उनकी चूचियाँ, वो गोल-गोल निप्पल, और उनकी चूत पर हल्की-हल्की झांटें—मैं तो पागल हो गया।
मैंने उनकी चूत पर मुँह रखा और चाटना शुरू किया। उनकी चूत से मादक खुशबू आ रही थी, और वो मेरे बाल पकड़कर अपनी चूत में मेरा मुँह दबाने लगीं। “आह्ह… समीर… चाट ले… मेरी जान…” उनकी सिसकारियाँ मुझे और जोश दिला रही थीं। मैंने उनकी चूत को जीभ से चोदा, उनके दाने को चूसा, और वो तड़पने लगीं। कुछ ही देर में वो झड़ गईं, और उनका पानी मेरे मुँह में आ गया। मैंने उसे चाट-चाटकर साफ कर दिया।
फिर मैंने अपना लंड उनके मुँह के पास ले गया। माँ ने बिना झिझक मेरे लंड को मुँह में लिया और चूसने लगीं। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो। उनकी जीभ मेरे सुपारे पर घूम रही थी, और मैं सिसकार रहा था। जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने उन्हें रोका और उनकी टांगें चौड़ी कर दीं। मैंने उनका एक पैर अपने कंधे पर रखा और लंड को उनकी चूत पर सटाया। उनकी चूत अभी भी गीली थी, और मेरा लंड एक ही धक्के में जड़ तक घुस गया।
मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, लेकिन माँ बोलीं, “जोर से, समीर… फाड़ दे मेरी चूत…” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। हर धक्के के साथ उनकी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैं उन्हें मसल रहा था। माँ की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थीं, “आह्ह… हाय… चोद दे… मेरे राजा…” मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड पेल दिया। उनकी गांड को थप्पड़ मारते हुए, मैंने उनकी कमर पकड़कर तेज-तेज धक्के मारे। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और वो बार-बार झड़ रही थीं।
फिर माँ ने कहा, “मेरी गांड भी मार, समीर…” मैंने थोड़ा तेल लिया, उनकी गांड के छेद पर लगाया, और धीरे-धीरे लंड अंदर डाला। उनकी गांड इतनी टाइट थी कि मुझे भी दर्द हुआ, लेकिन माँ मजे ले रही थीं। “आह्ह… हल्के से… फिर जोर से…” मैंने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई, और उनकी गांड में लंड को पूरा पेल दिया। माँ चीख रही थीं, लेकिन मजे से। मैं उनकी चूचियों को पीछे से मसल रहा था, और वो अपनी गांड को मेरे धक्कों के साथ हिला रही थीं।
करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया। माँ भी उसी वक्त झड़ीं, और हम दोनों पसीने से तर-बतर होकर बिस्तर पर गिर गए। मैं नशे में था, और झड़ते ही मुझे नींद आ गई। सुबह जब आँख खुली, तो माँ मेरे पास लेटी मुस्कुरा रही थीं। वो बोलीं, “समीर, तूने मुझे फिर से जवान कर दिया। अब तू मेरा मर्द है।” मैं शरमा गया, लेकिन मन ही मन खुश था।
उस दिन के बाद मेरी जिंदगी बदल गई। अब मैं कभी भाभी को चोदता, कभी माँ को। दोनों मेरे बिना रह नहीं सकती थीं। भाभी को जब पता चला, तो पहले वो नाराज हुईं, लेकिन फिर वो भी मान गई। अब हम तीनों की जिंदगी मजे से चल रही है। माँ और भाभी दोनों मेरी प्यास बुझाती हैं, और मैं उनकी। दोस्तों, ये मेरी सच्ची कहानी है। आपको कैसी लगी, जरूर बताना।
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