हाय दोस्तों, मैं अलीशा। आज मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी की सबसे रसीली और गर्मागर्म कहानी सुनाने जा रही हूँ। ये कहानी मेरे जिस्म की भूख, मेरी चूत की प्यास, और मेरे दिल की बेकरारी की है। 12वीं पास करने के बाद जब मैं कॉलेज में बी.ए. के लिए पहुँची, तब मुझे चुदाई का असली मतलब समझ आया। दिन-रात बस यही ख्याल रहता था कि कैसे लंड का मज़ा लूँ, कैसे अपनी चूत की आग बुझाऊँ। मेरी सहेलियाँ मुझे कई लड़कों से मिलवाती थीं, पर मेरा दिल रोहन पर अटक गया। वो गोरा, लंबा, और मस्त जवान था। उसकी एक मुस्कान ही मेरी चूत को गीला कर देती थी। जल्दी ही वो मेरा बॉयफ्रेंड बन गया। हम डेट पर जाते, कॉफी शॉप में घंटों बतियाते, और धीरे-धीरे मुझे उससे प्यार हो गया। लेकिन प्यार के साथ-साथ मेरे जिस्म में एक तूफान उठ रहा था। मैं चाहती थी कि वो मेरी जवानी को लूट ले, मुझे कसकर चोदे।
एक दिन रोहन ने मुझे कॉलेज की छत पर बुलाया। हमारा कॉलेज बहुत बड़ा था, और छत इतनी विशाल कि दूर-दूर तक नज़र जाती थी। वहाँ जाना सख्त मना था, क्योंकि हमारा प्रिंसिपल डी.पी. सिंह बड़ा खडूस था। उसे लड़के-लड़कियों का बात करना भी बर्दाश्त नहीं था। वो हमेशा शक करता था कि कॉलेज में चक्कर चल रहे हैं, चुदाई हो रही है। पर प्रेमी जोड़े चोरी-छिपे छत पर आ ही जाते थे। उस दिन जब मैं रोहन के साथ छत पर पहुँची, तो कोने-कोने में जोड़े मज़े ले रहे थे। कोई चूत चाट रहा था, कोई लंड चूस रहा था, कोई चुपके से चुदाई कर रहा था। ये सब देखकर मेरी चूत में आग लग गई। मैंने सोचा, आज तो मेरी चूत की खैर नहीं।
रोहन ने मेरा दुपट्टा ज़मीन पर बिछाया और हम बैठ गए। चारों तरफ सिसकारियों की हल्की-हल्की आवाज़ें गूँज रही थीं। रोहन ने मुझे देखा और गंदी सी मुस्कान के साथ पूछा, “अलीशा, तूने कभी लंड चूसा है, मेरी रंडी?”
मैं शरमाकर हँस पड़ी, “नहीं, जानू। पर तू सिखा दे ना!”
वो बोला, “आज मैं तुझे लंड का स्वाद चखाऊँगा। और तेरी इस गुलाबी चूत की सील तोड़कर तुझे अपनी रंडी बना दूँगा। बोल, तैयार है?”
मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “रोहन, आज मेरी चूत तेरी है। इसे फाड़ दे, मेरी जवानी लूट ले। चोद दे मुझे कसकर!”
बस, फिर क्या था। हम कोने में छिप गए। रोहन ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। मैं 20 साल की जवान लड़की थी, जिस्म में आग भरी थी। उसने मेरे गुलाबी होंठों को चूसना शुरू किया। उसके होंठ मेरे होंठों पर रगड़ रहे थे, जैसे वो मेरी सारी मिठास चुरा लेना चाहता हो। मैंने भी उसके होंठ चूसने शुरू किए। हमारी जीभें आपस में लड़ रही थीं, और मेरे जिस्म में नशा चढ़ रहा था। वो बोला, “अलीशा, तेरे होंठ तो रसभरी जैसे हैं। इन्हें चूसकर मज़ा आ गया।” मैं शरमाकर और गर्म हो गई।
रोहन ने मुझे दुपट्टे पर लिटा दिया। मैंने कॉलेज का सिलेटी सूट पहना था। उसने धीरे-धीरे मेरा कुर्ता उतारा, फिर सलवार का नाड़ा खींचा। मेरी सफ़ेद ब्रा और पैंटी में मैं उसके सामने थी। मेरे 34 इंच के बूब्स ब्रा में कैद थे। रोहन की आँखों में वासना देखकर मेरी चूत और गीली हो गई। उसने मेरी ब्रा खोली, और मेरे गोरे, गोल, रसीले बूब्स आज़ाद हो गए। वो बोला, “अलीशा, तेरे ये मम्मे तो कयामत हैं। आज इन्हें चूस-चूसकर लाल कर दूँगा।” वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरे बूब्स को दोनों हाथों से मसलने लगा। “आह… रोहन… धीरे… उह्ह!” मैं सिसकारियाँ लेने लगी।
वो बोला, “चुप, मेरी रंडी। यहाँ सब चुपके से चुदाई कर रहे हैं। तू चिल्लाएगी तो गार्ड आ जाएगा।” मैंने अपनी आवाज़ दबाई और मज़े लेने लगी। रोहन मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था, फिर उसने मेरी काली निप्पल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। उसका मुँह मेरे बूब्स पर ऐसा चल रहा था जैसे वो सारा दूध पी जाएगा। “आह… रोहन… और चूस… मेरी चूचियाँ तेरी हैं!” मैं सिसकारी ले रही थी। वो मेरी निप्पल्स को दाँतों से हल्के-हल्के काट रहा था, और हर काटने पर मेरे जिस्म में करंट दौड़ रहा था। मेरे बूब्स पर उसके दाँतों के निशान पड़ गए, लेकिन मुझे मज़ा इतना आ रहा था कि मैं सब भूल गई।
रोहन ने मेरी सलवार और पैंटी भी उतार दी। अब मैं पूरी नंगी थी। मेरी चूत पर एक भी बाल नहीं था, क्योंकि सुबह ही मैंने शेव किया था। रोहन ने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी गुलाबी चूत को देखकर पागल हो गया। वो बोला, “अलीशा, तेरी चूत तो गुलाब की पंखुड़ी जैसी है। इसे चाटकर तेरा सारा रस पी जाऊँगा।” वो मेरी चूत पर टूट पड़ा और चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी, मेरी चूत की पंखुड़ियों को चूम रही थी। मैं मधहोश हो रही थी। “आह… रोहन… और चाट… मेरी चूत तेरी है… फाड़ दे इसे!” मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और रोहन की जीभ मेरे जिस्म में आग लगा रही थी। उसने मेरी चूत को इतना चाटा कि मेरा पानी निकल गया। उसने मेरा सारा रस पी लिया और बोला, “तेरी चूत का रस तो अमृत है, अलीशा।”
फिर उसने अपनी पैंट उतारी। उसका 7 इंच का लंड लोहे की रॉड जैसा था। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। वो बोला, “चूस दे, मेरी रंडी। तेरा मुँह इस लंड के लिए बना है।” मैंने पहली बार लंड मुँह में लिया। उसका नमकीन स्वाद मुझे अजीब लेकिन गज़ब का लगा। मैंने धीरे-धीरे उसका लंड चूसना शुरू किया। रोहन सिसकारियाँ ले रहा था, “आह… अलीशा… तू तो रंडी से भी बड़ी रंडी है… और चूस!” मैंने उसका लंड गले तक लिया, और मेरी जीभ उसके सुपारे पर घूम रही थी। उसने मेरा सिर पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से मेरा मुँह चोदने लगा। मुझे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी, लेकिन मज़ा इतना आ रहा था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी। कुछ देर बाद उसका माल मेरे मुँह में निकल गया। मैंने उसका सारा रस पी लिया।
अब रोहन ने मेरी टाँगें फैलाकर मेरी चूत पर लंड सेट किया। मैं डर रही थी, क्योंकि ये मेरा पहला मौका था। उसने धीरे से धक्का मारा, और उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मेरी सील टूट गई, और दर्द से मेरी चीख निकल गई। रोहन ने मेरे मुँह पर हाथ रखा और बोला, “चुप, मेरी जान। बस थोड़ा दर्द होगा, फिर मज़ा आएगा।” वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। पहले दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। उसका मोटा लंड मेरी चूत को चीर रहा था। “आह… रोहन… और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। वो और जोश में आ गया और मुझे कसकर पेलने लगा। मेरी कमर अपने आप नाच रही थी, और मेरे बूब्स हर धक्के के साथ उछल रहे थे। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत से चट-चट की आवाज़ आ रही थी।
करीब 20 मिनट तक उसने मुझे चोदा। मेरी चूत में गर्मी बढ़ रही थी, और मैं झड़ने वाली थी। रोहन ने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ाई और बोला, “अलीशा, तेरी चूत तो जन्नत है। ले, मेरा माल ले ले!” एक ज़ोरदार धक्के के साथ वो मेरी चूत में झड़ गया। उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मैं भी उसी वक्त झड़ गई। हम दोनों हाँफ रहे थे। लेकिन रोहन रुका नहीं। उसने मुझे कॉलेज की छत पर कुतिया बनाया। मैं अपने घुटनों और हाथों पर थी, मेरे चूतड़ हवा में थे। रोहन मेरे पीछे आया और मेरी चूत को पीछे से चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत और गाँड के छेद को चूम रही थी। “आह… रोहन… और चाट… मेरी गाँड भी चाट दे!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
उसने फिर अपना लंड मेरी चूत में डाला और पीछे से चोदने लगा। मेरे चूतड़ हर धक्के के साथ हिल रहे थे। वो मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए बोला, “अलीशा, तेरे चूतड़ तो रसीले आम जैसे हैं। इन्हें मसलकर मज़ा आ रहा है।” उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था। वो मेरे बाल पकड़कर मुझे और ज़ोर से चोदने लगा। करीब 15 मिनट बाद वो फिर मेरी चूत में झड़ गया। हम दोनों थक गए थे। हमने अपने कपड़े पहने और चुपके से कॉलेज से निकल गए।
इसके बाद चुदाई मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन गई। मैं रोहन से रोज़ चुदवाने लगी। कभी कॉलेज की छत पर, कभी उसके दोस्त के फ्लैट में, कभी पार्क के कोने में। मैं सेक्स की दीवानी हो गई थी। बिना लंड के मेरा दिन नहीं कटता था। लेकिन एक दिन रोहन अपने पापा के साथ शहर से बाहर चला गया। कई दिन तक उसका कोई पता नहीं था। मेरी चूत में आग लगी थी। बिना चुदाई के मैं पागल होने लगी। रात को नींद नहीं आती थी, और मैं अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर खुद को शांत करने की कोशिश करती थी। लेकिन उंगलियों से वो मज़ा कहाँ? मुझे लंड चाहिए था, और वो भी जल्दी।
तभी मेरे दिमाग में एक खुराफाती ख्याल आया। मैंने सोचा, क्यों ना अपने सगे भाई सलिल से चुदवा लूँ? सलिल मेरी ही उम्र का था, 21 साल का। वो गोरा, लंबा, और जवान था। मुझे पता था कि वो कुंवारा है, और उसका लंड मेरी चूत की प्यास बुझा सकता है। सलिल और मैं बचपन से करीब थे। वो मुझे दीदी कहता था, और मैं उसे प्यार से भाई। लेकिन अब मेरे दिमाग में सिर्फ़ उसका लंड था। मैंने सोचा, अगर मैं उसे गर्म कर दूँ, तो वो मुझे ज़रूर चोदेगा।
मैंने एक प्लान बनाया। मैंने जानबूझकर अपना फोन उसके कमरे में छोड़ दिया। फोन में ढेर सारी ब्लू फिल्में थीं, जो मैंने रोहन के साथ देखी थीं। मैंने सलिल से कहा कि मुझे गाने चाहिए, और वो मेरा फोन चेक करेगा। जैसा मैंने सोचा, वैसा ही हुआ। सलिल ने फोन खोला और ब्लू फिल्में देखने लगा। वो इतना गर्म हो गया कि उसने दरवाज़ा भी बंद नहीं किया और अपनी पैंट उतारकर लंड हिलाने लगा। उसका लंड 8 इंच लंबा और मोटा था, जैसे कोई हथियार। मैं चुपके से उसके कमरे में सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में घुस गई। सलिल मुझे देखकर डर गया, और फोन उसके हाथ से गिर गया। वो हड़बड़ाकर बोला, “दीदी, तू… ये क्या… मैं… सॉरी!”
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोली, “सलिल, डर मत, भाई। मैं तेरी दीदी हूँ, लेकिन आज तेरी रंडी बनना चाहती हूँ। मेरी चूत में आग लगी है, और तेरा लंड ही इसे बुझा सकता है।” वो कुछ बोल नहीं पाया। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगी। पहले तो उसने मुझे दूर करने की कोशिश की, लेकिन मेरे गर्म जिस्म को छूकर वो पिघल गया। उसने मुझे कसकर बाहों में भर लिया और बोला, “दीदी, ये गलत है… लेकिन तू इतनी गर्म है कि मैं रुक नहीं सकता।” वो मेरे होंठ चूसने लगा। हम दोनों भाई-बहन एक-दूसरे में खो गए।
सलिल ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे गले, कंधों, और बाजुओं को चूमने लगा। उसका हर चुंबन मेरे जिस्म में आग लगा रहा था। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… सलिल… भाई… और चूम… दीदी की जवानी लूट ले!” उसने मेरी ब्रा खोली और मेरे 34 इंच के बूब्स को देखकर पागल हो गया। वो बोला, “दीदी, तेरे ये मम्मे तो जन्नत हैं। मैं इन्हें चूस-चूसकर लाल कर दूँगा।” वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। फिर उसने मेरी निप्पल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। वो मेरी निप्पल्स को दाँतों से हल्के-हल्के काट रहा था। “आह… सलिल… और चूस… दीदी की चूचियाँ तेरे लिए हैं!” मेरे बूब्स लाल हो गए, और निप्पल्स कड़क होकर तन गईं।
सलिल मेरे बूब्स को चूसता रहा, और मैं उसके लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगी। उसका लंड पत्थर की तरह सख्त था। मैंने उसकी पैंट और अंडरवेयर उतार दिया। उसका 8 इंच का लंड मेरे सामने था। मैंने उसे हाथ में लिया और बोली, “भाई, तेरा लंड तो रोहन से भी बड़ा है। आज दीदी इसे चूसकर मज़ा लेगी।” मैंने उसका लंड मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। सलिल सिसकारियाँ ले रहा था, “आह… दीदी… तू तो कमाल है… और चूस… मेरा लंड तेरे मुँह में जन्नत में है!” मैंने उसका लंड गले तक लिया, और मेरी जीभ उसके सुपारे पर घूम रही थी। वो मेरा सिर पकड़कर मेरा मुँह चोदने लगा। कुछ देर बाद उसका माल मेरे मुँह में निकल गया। मैंने उसका सारा रस पी लिया और बोली, “भाई, तेरा माल तो शहद जैसा है।”
अब सलिल ने मेरी पैंटी उतारी और मेरी चूत को देखकर पागल हो गया। मेरी चूत गीली और गुलाबी थी। उसने मेरी टाँगें फैलाईं और बोला, “दीदी, तेरी चूत तो रसीली मलाई जैसी है। इसे चाटकर तेरा सारा रस पी जाऊँगा।” वो मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी, मेरी चूत की पंखुड़ियों को चूम रही थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… सलिल… और चाट… दीदी की चूत तेरी है… चाट ले इसे!” उसने मेरी चूत को इतना चाटा कि मेरा पानी निकल गया। वो मेरा सारा रस पी गया।
फिर उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और बोला, “दीदी, अब तुझे चोदकर तेरी चूत की आग बुझाता हूँ।” उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका मोटा लंड मेरी चूत में घुस गया। मुझे दर्द हुआ, लेकिन मज़ा भी आ रहा था। सलिल ने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया, ताकि मेरी आवाज़ ना निकले। वो बोला, “दीदी, तेरी चूत तो इतनी टाइट है, जैसे कोई कुंवारी माल हो।” वो मुझे कसकर चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत से चट-चट की आवाज़ आ रही थी। “आह… सलिल… और ज़ोर से… दीदी की चूत फाड़ दे!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। वो किसी मशीन की तरह मुझे पेल रहा था। मेरे बूब्स हर धक्के के साथ उछल रहे थे, और मेरी कमर अपने आप नाच रही थी।
करीब 25 मिनट तक उसने मुझे चोदा। उसका लंड मेरी चूत में तेज़ी से अंदर-बाहर हो रहा था। मेरी चूत में गर्मी बढ़ रही थी, और मैं झड़ने वाली थी। सलिल बोला, “दीदी, तेरी चूत तो जन्नत है। ले, मेरा माल ले ले!” उसने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ाई और एक ज़ोरदार धक्के के साथ मेरी चूत में झड़ गया। उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और मैं भी उसी वक्त झड़ गई। लेकिन सलिल रुका नहीं। उसने मुझे कुतिया बनाया और मेरी चूत को पीछे से चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत और गाँड के छेद को चूम रही थी। “आह… सलिल… और चाट… दीदी की गाँड भी चाट ले!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
उसने फिर अपना लंड मेरी चूत में डाला और पीछे से चोदने लगा। मेरे चूतड़ हर धक्के के साथ हिल रहे थे। वो मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए बोला, “दीदी, तेरे चूतड़ तो रसीले आम जैसे हैं। इन्हें मसलकर मज़ा आ रहा है।” उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों तक जा रहा था। वो मेरे बाल पकड़कर मुझे और ज़ोर से चोदने लगा। करीब 20 मिनट बाद वो फिर मेरी चूत में झड़ गया। हम दोनों थककर बेड पर लेट गए।
इसके बाद मैं रोहन और सलिल दोनों से चुदवाने लगी। रोहन से कॉलेज में, और सलिल से घर में। सलिल मुझे दीदी कहता, लेकिन बेड पर वो मुझे अपनी रंडी बनाता। हम भाई-बहन की चुदाई में कोई शर्म नहीं थी। हर रात मेरी चूत की प्यास बुझती, और मेरी ज़िंदगी मज़े से भर गई। दोस्तों, ये मेरी सच्ची कहानी थी। आपको कैसी लगी, ज़रूर बताएँ।