दामाद से प्रेगनेंट हो गई हूँ, बोली मैं भी चुदुँगी और मेरी बेटी भी

मेरा नाम राधिका है, और मैं 38 साल की हूँ। मेरी बेटी की शादी को अभी आठ महीने ही हुए हैं। मेरी एकमात्र संतान मेरी बेटी अवनी है। पिछले साल मेरे पति का एक हादसे में देहांत हो गया था, जिसके बाद मैंने अपनी बेटी की शादी महज अठारह साल की उम्र में कर दी। मेरे पास और कोई सहारा नहीं था, इसलिए मैंने अपने दामाद, राहुल, को अपने पास ही बुला लिया। अब हम सब गाजियाबाद में एक साथ रहते हैं। शादी के तीन महीने बाद ही अवनी को पुणे में एक सरकारी नौकरी मिल गई। वह वहाँ एक लॉज में रहती है और जल्द ही अपना ट्रांसफर दिल्ली या गाजियाबाद करवाने की कोशिश कर रही है। लेकिन उसकी नौकरी की वजह से उसे बार-बार अलग-अलग शहरों में ट्रेनिंग के लिए जाना पड़ता है, इसलिए मैं उसके साथ पुणे नहीं जा सकी। अब मैं यहाँ राहुल के साथ अकेली रहती हूँ।

आज मैं आपको अपनी जिंदगी का वो सच बताने जा रही हूँ, जिसने मेरी दुनिया बदल दी। कैसे मैंने अपने दामाद राहुल के साथ शारीरिक संबंध बनाए, कैसे ये रिश्ता इतना गहरा हो गया कि मैं प्रेगनेंट हो गई, और कैसे अब मैं इस उलझन में हूँ कि इस बच्चे को जन्म दूँ या नहीं। मेरी बेटी अवनी क्या सोचेगी? ये सवाल मेरे मन को बार-बार कुरेदता है। लेकिन उससे पहले, मैं आपको पूरी कहानी विस्तार से सुनाती हूँ, कि आखिर ये सब शुरू कैसे हुआ और कहाँ तक पहुँच गया।

बात उस दिन की है जब राहुल की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई थी। उसका चेहरा पीला पड़ गया था, और वह बार-बार पसीने से तर-बतर हो रहा था। मैं घबरा गई और उसे तुरंत पास के अस्पताल ले गई। डॉक्टर ने कुछ टेस्ट किए और करीब एक घंटे बाद हमें छुट्टी दे दी। राहुल को कमजोरी थी, और डॉक्टर ने कुछ दवाइयाँ और आराम करने की सलाह दी थी। घर लौटते वक्त मैं चुप थी, क्योंकि मेरे मन में अपने पति की मौत का दृश्य बार-बार घूम रहा था। मैंने सोचा, अब राहुल ही मेरा सहारा है। अगर उसे कुछ हो गया, तो मेरी जिंदगी का क्या होगा?

घर पहुँचकर मैं नहाने चली गई। गर्म पानी से नहाने के बाद मैंने एक हल्का सा गाउन पहना, जो मेरे शरीर पर ढीला-ढाला था। फिर मैं राहुल के कमरे में गई, यह देखने कि वह ठीक है या नहीं। कमरे में घुसते ही मैंने देखा कि राहुल बिस्तर पर लेटा हुआ था, और उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। वह फूट-फूटकर रो रहा था और बार-बार कह रहा था, “मम्मी जी, मुझे मरना नहीं है… मुझे मरना नहीं है।” मैं हैरान हो गई। मैंने पूछा, “राहुल, तुम ऐसा क्यों बोल रहे हो? तुम्हें कुछ नहीं होगा। डॉक्टर ने कहा है कि ये बस कमजोरी है, दवाइयाँ ले लो, सब ठीक हो जाएगा।”

लेकिन वह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसका चेहरा डर से सफेद पड़ गया था, और वह बार-बार वही बात दोहरा रहा था। दोस्तो, सच बताऊँ, मैं उस पल बहुत डर गई थी। मेरे पति की मौत को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ था, और उस दर्द को मैं अभी तक भूल नहीं पाई थी। राहुल को इस हाल में देखकर मेरा दिल बैठने लगा। मैंने सोचा, अगर इसे कुछ हो गया, तो मैं और अवनी का क्या होगा? मैं तुरंत उसके पास बैठ गई और उसे अपने गले से लगा लिया। मेरी बाहों में उसे चिपकाकर मैंने उसे चुप कराने की कोशिश की, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को सांत्वना देती है।

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राहुल मेरे सीने से चिपक गया, और मैं उसे धीरे-धीरे सहलाने लगी। उसका सिर मेरी छाती पर था, और मैं उसे प्यार से थपथपाकर कह रही थी, “कुछ नहीं होगा, बेटा। मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।” लेकिन उस पल में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सब कुछ बदल दिया। मैं इतनी भावुक थी कि मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मेरा गाउन का बेल्ट ढीला था। अचानक वह खुल गया, और मेरा गाउन थोड़ा खिसक गया। राहुल का चेहरा मेरी दोनों चूचियों के बीच आ गया। मैं झट से शरमा गई और गाउन को ठीक करने लगी। मैं उठने ही वाली थी कि राहुल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला, “मम्मी जी, आप मेरे से क्यों शरमा रही हैं? प्लीज, मेरे पास ही रहो। मुझे डर लग रहा है।”

उसकी आवाज में इतनी मासूमियत थी कि मैं रुक गई। मैंने सोचा, शायद उसे सचमुच मेरी जरूरत है। मैं फिर से उसके पास लेट गई और उसे अपने सीने से लगाया। लेकिन इस बार राहुल की हरकतें बदलने लगीं। वह धीरे-धीरे मेरी चूचियों को सहलाने लगा। पहले तो मुझे लगा कि शायद यह अनजाने में हो रहा है, लेकिन जब उसका हाथ मेरे गाउन के ऊपर से मेरी चूचियों को बार-बार छूने लगा, तो मुझे अजीब सा महसूस हुआ। मेरे मन में दो विचार चल रहे थे—एक तरफ मुझे लग रहा था कि ये गलत है, वह मेरा दामाद है। लेकिन दूसरी तरफ, मैं यह भी नहीं चाहती थी कि वह मुझसे नाराज हो या उसे बुरा लगे। मैं चुप रही और कुछ नहीं बोली।

राहुल की हिम्मत बढ़ती गई। उसने मेरे गाउन का बेल्ट पूरी तरह खोल दिया, और मेरा गाउन खुलकर मेरे कंधों से नीचे सरक गया। अब मेरी चूचियाँ पूरी तरह नंगी थीं, और राहुल की नजरें उन पर टिक गईं। उसने धीरे से मेरी एक चूची को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। उसकी गर्म साँसें मेरी त्वचा पर महसूस हो रही थीं, और उसका जीभ मेरे निप्पल को चाट रहा था। मैं सिहर उठी। मेरे शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी। मैंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरे मुँह से सिर्फ एक हल्की सी सिसकारी निकली, “राहुल… ये ठीक नहीं है…”

लेकिन राहुल रुका नहीं। उसने मेरी दूसरी चूची को भी अपने मुँह में लिया और उसे जोर-जोर से चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरे पेट पर फिसलता हुआ मेरी जाँघों तक पहुँच गया। मैं अब पूरी तरह नर्वस थी, लेकिन साथ ही मेरे शरीर में एक आग सी जल रही थी। इतने महीनों से मैंने कोई पुरुष का स्पर्श नहीं महसूस किया था। मेरे पति के जाने के बाद मेरी वासना दबी हुई थी, और अब राहुल का ये स्पर्श मेरे अंदर की उस आग को भड़का रहा था। मैंने अपने बालों को सहलाते हुए उसे और करीब खींच लिया।

राहुल ने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। उसका चुंबन इतना गहरा और जोशीला था कि मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैंने भी उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। उसने मेरे लंबे, घने बालों को खोल दिया, और मेरे बाल मेरी पीठ पर बिखर गए। वह मेरे गले को चूमते हुए मेरी चूचियों तक आया, फिर मेरे पेट को, मेरी नाभि को, और धीरे-धीरे मेरी जाँघों तक पहुँच गया। उसकी जीभ मेरी त्वचा पर रेंग रही थी, और हर स्पर्श के साथ मेरी साँसें तेज होती जा रही थीं। जब उसने मेरी चूत को चूमा, तो मैं तड़प उठी। मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी, और उसकी गर्मी अब बेकाबू हो रही थी।

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राहुल ने मेरी पैंटी को धीरे से उतारा और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मेरी चूत की दरार में गहराई तक जा रही थी, और वह मेरे भगनासा को हल्के-हल्के चूस रहा था। मेरी सिसकारियाँ अब तेज हो गई थीं— “आह… राहुल… उफ्फ… क्या कर रहे हो…” मैं अपने कूल्हों को हिलाने लगी, और मेरी चूत से पानी रिसने लगा। राहुल ने मेरी चूत का सारा रस चाट लिया, और उसकी जीभ अब और तेजी से मेरी चूत को चाट रही थी। मैंने उसका सिर अपनी चूत पर दबा दिया, और मेरे मुँह से बस सिसकारियाँ निकल रही थीं— “आह… और… और जोर से…”

मैं अब पूरी तरह बेकाबू हो चुकी थी। मैंने राहुल के पैंट को खींचकर उतार दिया और उसके लंड को अपने हाथ में लिया। उसका लंड लोहे की तरह सख्त और गर्म था। मैंने उसे अपने मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। राहुल ने मेरे बालों को पकड़ लिया और अपने लंड को मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मुझे उसका स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी गोटियों को भी सहलाया, और वह सिसकारियाँ लेने लगा— “मम्मी जी… आह… कितना मजा आ रहा है…”

कुछ देर बाद राहुल ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे दोनों पैरों को फैला दिया। उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत पर रखा और धीरे-धीरे रगड़ने लगा। मेरी चूत इतनी गीली थी कि उसका लंड आसानी से फिसल रहा था। मैंने कहा, “राहुल… अब और मत तड़पाओ… डाल दो…” उसने मेरी बात सुनते ही एक जोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं चीख उठी— “आह… उफ्फ…” दर्द और मजा दोनों एक साथ मेरे शरीर में दौड़ रहे थे। राहुल ने मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ तेज होती जा रही थीं— “आह… राहुल… और जोर से… उफ्फ… चोद दो मुझे…”

वह मेरे होंठों को चूमते हुए मेरी चूत में धक्के मार रहा था। उसका एक हाथ मेरी चूचियों को मसल रहा था, और दूसरा हाथ मेरी गांड को सहला रहा था। मैंने अपने कूल्हों को उठाकर उसका साथ देना शुरू किया। हम दोनों के शरीर एक-दूसरे से चिपक गए थे, और हमारा पसीना एक-दूसरे में मिल रहा था। राहुल ने मेरी एक चूची को अपने मुँह में लिया और उसे चूसते हुए और तेजी से धक्के मारने लगा। मेरी चूत अब इतनी गीली हो चुकी थी कि हर धक्के के साथ पच-पच की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मैं चिल्ला रही थी— “आह… राहुल… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… उफ्फ…”

करीब दस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद राहुल ने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं तुरंत घुटनों के बल झुक गई, और उसने मेरी गांड को सहलाते हुए अपने लंड को मेरी चूत में पीछे से डाल दिया। इस पोजीशन में उसका लंड और गहराई तक जा रहा था, और मैं दर्द और मजा दोनों में डूब गई थी। वह मेरी कमर को पकड़कर जोर-जोर से धक्के मार रहा था, और उसका एक हाथ मेरी चूचियों को मसल रहा था। मैं चिल्ला रही थी— “आह… राहुल… मेरी चूत को और चोदो… उफ्फ… कितना मजा आ रहा है…”

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फिर उसने मेरी गांड पर हल्के-हल्के थप्पड़ मारना शुरू किया, जिससे मेरी वासना और बढ़ गई। उसने मेरी गांड की दरार में अपनी उंगली डाली और उसे धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। मैं सिहर उठी और बोली, “राहुल… मेरी गांड भी मार लो… प्लीज…” उसने मेरी गांड पर थोड़ा तेल लगाया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छेद पर रखा। धीरे-धीरे उसने लंड को अंदर डाला, और मैं दर्द से कराह उठी— “आह… धीरे… उफ्फ…” लेकिन कुछ ही पलों में दर्द मजा में बदल गया। राहुल ने मेरी गांड में धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और मैं उसका साथ देने लगी।

करीब पंद्रह मिनट तक वह मेरी चूत और गांड को बारी-बारी से चोदता रहा। मैं दो बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत से रस टपक रहा था। आखिरकार राहुल ने कहा, “मम्मी जी… मेरा होने वाला है…” मैंने कहा, “मेरे अंदर ही निकाल दो… मैं बाद में गोली ले लूँगी…” उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, और एक तेज धक्के के साथ उसने अपने लंड का सारा माल मेरी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े, और मैंने उसे अपने गले से लगा लिया।

उस रात के बाद हमारा रिश्ता पूरी तरह बदल गया। राहुल और मैं हर रात एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने लगे। वह मेरे साथ कभी प्यार से चुदाई करता, तो कभी जंगली सांड की तरह मेरी चूत और गांड को चोदता। मैंने उसे कहा, “राहुल, अब मुझे कभी मत छोड़ना। मैं भी चुदूँगी, और अवनी भी। हम दोनों तुम्हारी पत्नियाँ बनेंगी।” राहुल ने हँसते हुए कहा, “मम्मी जी, आप चाहे मेरी माँ बनो, बहन बनो, या बीवी, आपकी चूत, चूचियाँ, और गांड किसी जवान लड़की से कम नहीं हैं। अब मैं आपको रोज चोदूँगा।”

और यही सिलसिला चलता रहा। हर रात मैं राहुल के साथ एक नई जन्नत में खो जाती थी। वह मेरी चूचियों को चूसता, मेरी चूत को चाटता, और मेरी गांड को चोदता। कभी वह मुझे अपनी गोद में बिठाकर चोदता, तो कभी मुझे दीवार से सटाकर मेरी चूत में लंड पेलता। मेरी जिंदगी में फिर से बहार आ गई थी। लेकिन इस महीने मेरा पीरियड मिस हो गया। मैंने किट से चेक किया, और पता चला कि मैं प्रेगनेंट हूँ। अब मैं उलझन में हूँ कि इस बच्चे को जन्म दूँ या नहीं। अवनी को अगर पता चला, तो वह क्या सोचेगी? लेकिन एक बात तो पक्की है—मेरी जिंदगी में अब खुशियाँ लौट आई हैं, और मैं बहुत खुश हूँ।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताएँ।

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