बॉय फ्रेंड के साथ सुहागदिन

दोस्तो, मेरा नाम सिया जैन है, और मैं पहली बार अपनी कहानी हिंदी में लिख रही हूँ। अगर कोई गलती हो जाए, तो अपनी प्यारी दोस्त समझकर माफ कर देना। आज मैं तुम्हें वो रसीला अनुभव सुनाने जा रही हूँ, जब मैंने अपने बॉयफ्रेंड माणिक के साथ अपने जन्मदिन पर दिन में सुहागरात… ओह, सुहागदिन मनाया। वो पल इतने गर्म और प्यारे थे कि आज भी सोचकर मेरी रूह काँप उठती है।

मैं और माणिक अलग-अलग शहरों में रहते हैं। वो मुम्बई में, और मैं दिल्ली में। माणिक को देखकर तो कोई भी लड़की पागल हो जाए। लंबा कद, गेहुंआ रंग, होंठों पर शरारती मुस्कान, और वो नशीली आँखें, जिनमें डूबने का मन करता है। उसका गठीला बदन और मजबूत बाहें ऐसी कि बस उनमें समा जाऊँ और सारी दुनिया भूल जाऊँ। जब मैं अपनी सहेलियों को उनके बॉयफ्रेंड्स के साथ हँसते-घूमते देखती, तो माणिक की याद दिल जलाकर राख कर देती। उसका स्पर्श, उसकी गर्म साँसें, सब कुछ मेरे बदन को तड़पाने लगता। पर क्या कर सकती थी? हम दोनों अपनी पढ़ाई में व्यस्त थे, मिलना आसान कहाँ था? कभी-कभी मैं उससे नाराज़ हो जाती, कहती, “सब अपने यारों के साथ मजे लेते हैं, और हम बस फोन पर बातें!” तब उसने एक दिन वादा किया कि वो मुझसे मिलने आएगा। मेरे दिल में जैसे लड्डू फूटने लगे।

एक दिन मैंने उससे कहा कि मेरे जन्मदिन पर वो मुझसे मिले, क्योंकि मैं अपना खास दिन उसके बिना नहीं मनाना चाहती थी। उसने कहा कि वो सोचकर बताएगा। मैंने जिद पकड़ ली, “नहीं, तुझे आना ही पड़ेगा! हर बार सहेलियों के साथ केक काटा, इस बार तुझसे प्यार चाहिए!” आखिर मेरी जिद के आगे वो पिघल गया और बोला, “ठीक है, आ जाऊँगा।” मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैं दिन-रात बस उसी पल का इंतज़ार करने लगी जब मेरा माणिक मेरे सामने होगा।

एक रात मैं टीवी पर “मर्डर” फिल्म देख रही थी। इमरान हाश्मी और मल्लिका शेरावत के गर्म सीन देखकर मेरे बदन में आग सी लग गई। मैंने खुद को और माणिक को उनकी जगह सोच लिया। वो सीन, वो चुम्बन, वो छुअन… मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी, और अचानक गीला सा महसूस हुआ। मैंने देखा तो मेरी पैंटी में सफ़ेद, नमकीन सा पानी था। मैंने उंगली से चखा, और मन में ठान लिया कि माणिक के साथ मैं ये सब करके रहूँगी। उसकी बाहों में नंगी होकर, उसका लंड अपनी चूत में लेकर, मैं अपने जन्मदिन को यादगार बनाऊँगी। पर मैंने उसे ये बात नहीं बताई, बस मन ही मन शरारत भरी मुस्कान लिए सपने देखती रही।

आखिर वो दिन आ गया जब माणिक मुझसे मिलने दिल्ली पहुँचा। मैं उसे बस-स्टैंड लेने गई। उसे देखते ही मेरे दिल ने जोर का धक्का मारा। वो काले शर्ट में, गीले बालों को हल्का सा झटकते हुए, मेरी ओर मुस्कुरा रहा था। मेरे दिमाग में रात का वो “मर्डर” वाला सीन घूम गया, और मैंने बिना सोचे सबके सामने उसे गले लगाकर चूम लिया। होंठों पर होंठ रखते ही जैसे बिजली दौड़ गई। वो सकपकाया और हँसकर बोला, “अरे, सब देख रहे हैं, जान!” मैंने आसपास देखा, लोग हमें घूर रहे थे। शर्म से मेरे गाल लाल हो गए, और मैं थोड़ा पीछे हट गई। उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “बड़ा मीठा चुम्मा था, सिया!” मैं और शरमा गई, पर मन में खुशी के लड्डू फूट रहे थे।

उसने पूछा कि उसके रहने का क्या इंतज़ाम किया। मैंने पहले से अपने दोस्त के फ्लैट में उसकी व्यवस्था की थी, पर तभी मेरे दिमाग में शरारत सूझी। मैंने झूठ बोला, “मेरा दोस्त अचानक बाहर चला गया, अब तुझे होटल में रुकना पड़ेगा।” मेरी आँखों की चमक देखकर वो शरारती अंदाज़ में मुckquote>मुस्कुराया और बोला, “चल, कोई बात नहीं, होटल में मज़ा आएगा!” मैं मन ही मन खुश हो गई। “मर्डर” जैसे सीन की उम्मीद मेरे दिल में जग रही थी, पर उसके सामने मैं भोली बनने का नाटक करती रही।

उसने पूछा, “होटल में मेरे साथ चल पाएगी? अगर किसी ने देख लिया तो?” मैं एक पल को डरी, सोचा अगर कोई जान-पहचान वाला देख ले तो बवाल हो जाएगा। पर मेरी चूत की गर्मी और मन की तड़प इतनी थी कि मैंने कहा, “कोई बात नहीं, हम चुपके से जाएँगे।” हम एक अच्छे होटल में गए, जहाँ उसने एक कमरा बुक किया। कमरे में पहुँचते ही मेरा दिल धक-धक करने लगा। माणिक का साथ, उसकी खुशबू, उसकी मुस्कान—सब मुझे पागल कर रहे थे।

कमरे में घुसते ही माणिक ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे होंठों को चूम लिया। उसका गर्म स्पर्श मेरे बदन में आग लगा गया। मैं उसकी बाहों में सिमट गई, जैसे कोई प्यासी मछली पानी में तैरने लगे। उसने मुझे जन्मदिन की बधाई दी और एक लाल गुलाब थमाया। उसका प्यार देखकर मेरा दिल पिघल गया। फिर उसने कहा कि वो लंबे सफर से थक गया है और नहाकर दस मिनट में वापस आता है। मैंने कहा, “ठीक है, मैं तब तक टीवी देखती हूँ।”

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वो बाथरूम चला गया, पर उसने दरवाजा पूरा बंद नहीं किया। शॉवर की आवाज़ सुनकर मेरे मन में शैतानी जागी। मैं चुपके से दरवाजे के पास गई और झाँकने लगी। बाथरूम के शीशे में माणिक नंगा नहा रहा था। उसका गठीला बदन, चौड़ी छाती, और वो लंबा, मोटा लंड देखकर मेरी चूत में आग सी लग गई। पहली बार उसका लंड देखा, इतना बड़ा और सख्त कि मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। मैं उसे छूने को तड़प उठी, पर सोचा कि वो क्या सोचेगा कि कैसी लड़की हूँ। मैं चुपके से बिस्तर पर लौट आई और टीवी ऑन कर लिया, पर मेरा ध्यान कहाँ था? मन कर रहा था कि दौड़कर उसके नंगे बदन से लिपट जाऊँ, उसका लंड अपने मुँह में लूँ और उसकी गर्मी को अपने अंदर समा लूँ। मेरी पैंटी फिर से गीली हो गई।

माणिक नहाकर बाहर आया। उसने सिर्फ तौलिया लपेटा था, और उसके गीले बालों से पानी की बूँदें मेरे चेहरे पर गिरीं। उसकी गीली छाती और मजबूत बाजुओं को देखकर मेरा बदन जलने लगा। उसने पैंट पहनी और बिस्तर पर मेरे पास आ गया। उसने मुझे अपनी ओर खींचा, मेरे माथे को चूमा और पूछा, “कैसी है मेरी जान?” मैंने शरमाते हुए कहा, “अब तू आ गया, तो मैं दुनिया की सबसे खुश लड़की हूँ। इस बार मेरा जन्मदिन तुझसे खास होगा।” उसने मेरी आँखों में देखा, मेरे गालों को सहलाया, और मेरे गुलाबी होंठों को चूम लिया। उसका चुम्बन इतना गहरा था कि मैं शर्म से पिघल गई।

मैंने कहा, “क्या हुआ? इतना प्यार?” वो हँसा और बोला, “बाथरूम में मुझे नंगा देखकर तुझे शर्म नहीं आई?” मैं चौंक गई, मेरे गाल लाल हो गए। मैंने कुछ बोलने की कोशिश की, पर शब्द गले में अटक गए। वो मुझे अपनी ओर खींचकर फिर से चूमने लगा। मैंने उसके सामने भोली बनने का नाटक किया, पर मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे। उसने मेरे होंठों को चूसा, मेरे कानों को सहलाया, मेरी गर्दन पर चुम्बन बरसाए। उसका हर स्पर्श मेरे बदन में करंट दौड़ा रहा था। मैंने उसे हल्का सा धक्का देकर दूर किया, ताकि उसे और तड़पाऊँ।

वो बोला, “क्या बात है, सिया? ये सब तो तू चाहती थी, अब क्यों भाग रही है?” उसने मेरे गालों को थपथपाया और कहा, “आज तेरा जन्मदिन है, आज मैं तुझे इतना प्यार दूँगा कि तू कभी नहीं भूलेगी।” मैंने नखरे दिखाए, “क्या, कोई ज़बरदस्ती है?” वो हँसकर बोला, “तेरे दिल की बात मुझे पता है, मेरी रानी।” मैं मन ही मन सोच रही थी, “आजा मेरे राजा, मुझे तो बस यही चाहिए।” पर बाहर से शरमाने का ढोंग करती रही।

वो मुझे पकड़ने की कोशिश करता, और मैं हँसकर उससे भागती। उसने कहा, “चुपके से मेरे पास आ जा, वरना मैं तुझे नंगी कर दूँगा!” ये सुनकर मेरी आँखें चमक उठीं, और मैंने उसे और छेड़ा। आखिर उसने मुझे पकड़ लिया और मेरे होंठों को बेतहाशा चूमने लगा। मैं भी उसकी मस्ती में डूब गई। उसने कहा, “जब तूने मुझे बस-स्टैंड पर चूमा, तभी मैं समझ गया था कि मेरी सिया क्या चाहती है। और बाथरूम में तुझे झाँकते देखकर तो पक्का हो गया।” मैंने शरमाते हुए कहा, “बस, आज तुझसे ढेर सारा प्यार चाहिए। जब दूसरी लड़कियों को उनके यारों के साथ देखती हूँ, तो मेरा भी मन करता है कि मैं तुझसे लिपटूँ, तुझे चूमूँ, और…” मैं चुप हो गई। वो बोला, “और क्या, बोल ना!” मैंने उसकी छाती पर मुक्का मारा और कहा, “बस, तू समझ गया ना!”

उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और बोला, “तेरी हर ख्वाहिश पूरी करूँगा, सिया। आज के बाद तुझे कभी अकेलापन नहीं लगेगा।” मैं उससे लिपट गई, मेरे होंठ उसके होंठों से जा मिले। उसने मेरे बालों को कान के पीछे किया और मेरे कानों को चूमने लगा। उसकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर पड़ रही थीं, और मेरे बदन में एक मादक खुमारी छाने लगी। वो मेरे कानों को चूसता रहा, और मैं जैसे जन्नत में खो गई। मन कर रहा था कि वो बस यूं ही चूमता रहे, और मैं उसकी बाहों में पिघल जाऊँ।

उसने धीरे से अपने हाथ मेरे दूधों पर रखे और उन्हें हल्के से दबाया। “आह्ह…” मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई। उसका स्पर्श ऐसा था जैसे मेरे बदन में बिजली दौड़ गई। उसने फिर ज़ोर से दबाया, और मैं पागल सी हो गई। उसने मेरे दूसरे दूध को भी सहलाया, और मेरी साँसें तेज हो गईं। मैंने उसकी आँखों में देखा, वो बोला, “सिया, तेरी आँखें इतनी सेक्सी क्यों लग रही हैं?” मैंने शरमाते हुए कहा, “तेरे प्यार का नशा चढ़ गया है, राजा।” उसने मेरे होंठों को फिर चूमा और दोनों दूधों को ज़ोर से मसला। “उईई… माणिक!” मैं सिसकारी लेते हुए बोली। ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे अपने प्यार में डुबो देगा। मैंने कहा, “आजा, मेरे राजा, आज मुझे मार दे अपने प्यार से। यही तो मैं तुझसे माँग रही थी।”

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वो मेरे ऊपर झुक गया, मेरे चेहरे को अपने हाथों में थामा, और मेरे होंठों को चूसने लगा। उसका चुम्बन इतना गहरा था कि मेरी साँसें थम सी गईं। वो मेरी गर्दन पर चूमा, मेरे कंधों को सहलाया, और धीरे-धीरे नीचे बढ़ा। उसने मेरा कुरता ऊपर उठाया और मेरे पेट पर एक गहरा चुम्बन जड़ दिया। मेरे पूरे बदन में 440 वोल्ट का करंट दौड़ गया। “हाय… माणिक, ये क्या कर रहा है?” मैं सिसकारी लेते हुए बोली। उसने मेरे नाभि को चूमा, अपनी जीभ से उसे सहलाया, और मैं जैसे रंगीन सपनों में खो गई। उसने मेरा कुरता उतार फेंका, और मेरी ब्रा के हुक खोल दिए। मेरे गोरे, गोल दूध आजाद हो गए, और वो उन्हें एकटक देखने लगा।

मैंने शर्म से अपनी बाहें सीने पर रख ली और बोली, “ऐसे मत देख, माणिक! शर्म आ रही है।” वो हँसा और बोला, “मेरी जान, आज शर्म छोड़ दे। तू मेरी है, और मैं तेरा।” उसने मेरे हाथ हटाए और मेरे दूधों को ज़ोर से दबाया। “हाय, कितने मस्त हैं ये, सिया! गोरे-गोरे, रसीले… मन कर रहा है इन्हें खा जाऊँ!” मैंने हँसकर कहा, “खाने की क्या ज़रूरत? ये तो तेरे लिए ही एक महीने से मालिश करके सजाए हैं!” वो बोला, “हाय, मेरी रानी, तूने तो दिल जीत लिया।” मैंने कहा, “अब तू मेरा उपहार दे, मुझे खुश कर दे, माणिक!”

बस, फिर क्या था? खेल शुरू हो गया। उसने मेरे पजामे का नाड़ा खींचा और उसे उतार फेंका। मेरी गुलाबी पैंटी भी एक झटके में गायब हो गई। मैं अब पूरी नंगी थी उसके सामने। शर्म से मेरे गाल लाल हो गए। मैंने अपने दूधों को हाथों से ढक लिया और टाँगें क्रॉस कर लीं। माणिक ने मेरे हाथ पकड़े, मेरे ऊपर चढ़ गया, और मेरी टाँगों को अपने पैरों से फैला दिया। “अब क्यों शरमा रही है, मेरी जान?” उसने कहा और मेरे दूधों को चूसना शुरू कर दिया। उसने मेरे निप्पलों को मुँह में लिया, उन्हें जीभ से सहलाया, और हल्के से काटा। “आह्ह… माणिक!” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। उसने मेरे दूधों को इतना चूसा और मसला कि वो लाल हो गए। बीच-बीच में उसने मेरे निप्पलों को दाँतों से खींचा, और हर काट में दर्द के साथ एक मीठा सा मज़ा था। मैं सोच रही थी, “बस, यूं ही मुझे चूसता रह, मेरे राजा। ये पल कभी खत्म न हों।”

उसने अपनी पैंट और चड्डी उतार फेंकी। उसका 8 इंच का लंड मेरे सामने तनकर खड़ा था, मोटा और सख्त, जैसे कोई लोहे का डंडा। मैंने उसे हाथ में लिया, और मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। “हाय, माणिक, ये तो बहुत बड़ा है!” मैंने शरमाते हुए कहा। उसने हँसकर कहा, “ये तो तेरे लिए ही तैयार है, जान!” मैंने उसका लंड चारों तरफ से जीभ से चाटा, जैसे कोई बच्चा आइसक्रीम चाटता है। फिर मैंने उसे मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसने लगी। उसका स्वाद इतना नशीला था कि मैं रुक ही नहीं पा रही थी। मैंने उसे गहराई तक चूसा, और वो मेरे बालों को सहलाते हुए सिसकारियाँ लेने लगा। अचानक उसका लंड और सख्त हो गया, और मैं घबरा गई। “ये इतना मोटा कैसे हो गया?” मैंने पूछा। वो बोला, “अब ये चुदाई के लिए तैयार है, सिया!”

उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी टाँगें फैला दीं। उसने मेरी चूत पर उंगली फेरी, और मेरी साँसें थम गईं। “उईई… माणिक, ये क्या कर रहा है?” मैंने सिसकारी लेते हुए कहा। उसकी उंगली मेरी चूत के होंठों को सहलाने लगी, और मेरे बदन में आग सी लग गई। उसने मेरी चूत को खोला और अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के अंदर तक गई, और मैं पागल सी हो गई। “आह्ह… माणिक, हाय… और चाट!” मैं चीख रही थी। उसने मेरे भगनासा को चूसा, और मेरे बदन में जैसे बम फट गया। मैंने उसका सिर अपनी चूत में दबा लिया, और वो मेरे रस को चाटता रहा। मेरा पानी दो बार निकला, और उसने हर बूँद पी ली।

अब वो मेरे ऊपर आया और अपने लंड को मेरी चूत के मुहाने पर रखा। उसने हल्का सा धक्का दिया, पर मेरा छेद इतना टाइट था कि लंड अंदर नहीं गया। उसने फिर कोशिश की, पर वही हाल। मैं डर गई और बोली, “माणिक, मत कर! बहुत दर्द होगा!” वो बोला, “जान, तेरा जन्मदिन बिना उपहार के कैसे मनेगा?” मैं भी यही चाहती थी, पर दर्द का डर भी था। उसने पास रखी क्रीम ली, मेरी चूत पर मली, और अपने लंड पर भी लगाई। फिर उसने एक धक्का मारा, और उसका लंड आधा अंदर चला गया। “आआह्ह… माँ!” मैं चीख पड़ी। दर्द इतना था कि मेरी आँखों में आँसू आ गए। उसने मुझे चुप कराया और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा।

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थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ, और मज़ा आने लगा। उसने एक ज़ोर का धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मेरी सील टूटी, और चूत से खून की कुछ बूँदें टपकीं। मैं रोने लगी, पर माणिक ने मुझे अपने सीने से लगाया और कहा, “बस, जान, अब मज़ा आएगा।” उसने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, और मेरे बदन में एक मादक लय छा गई। मैंने उसकी कमर पकड़ी और अपने कूल्हों को उसकी ताल में हिलाने लगी। “आह्ह… माणिक, और ज़ोर से!” मैं सिसकार रही थी। उसने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को चीरता हुआ अंदर-बाहर होने लगा। हर धक्के के साथ मेरे दूध हिल रहे थे, और मैं जन्नत में तैर रही थी।

मैंने उसे कसकर पकड़ा और कहा, “माणिक, मुझे और चोद! मेरी चूत को फाड़ दे!” उसने मुझे कुतिया की तरह घुमाया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था, और मैं चीख रही थी, “हाय… और ज़ोर से, मेरे राजा!” उसने मेरे कूल्हों को पकड़ा और धकाधक धक्के मारने लगा। मेरी चूत का रस बह रहा था, और कमरा मेरी सिसकारियों से गूँज रहा था। उसने मेरे दूधों को पीछे से मसला, मेरे निप्पलों को खींचा, और मेरी गर्दन को चूमा। मैंने एक बार फिर पानी छोड़ा, और मेरा बदन काँपने लगा।

माणिक अभी नहीं झड़ा था। उसने मुझे फिर सीधा किया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। उसने मेरी चूत में लंड डाला और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। उसका हर धक्का मेरे बदन को हिला रहा था। मैं चीख रही थी, “माणिक, मेरी चूत को अपने रस से भर दे!” उसने मेरे होंठों को चूमा और अपनी रफ्तार बढ़ा दी। थोड़ी देर बाद उसने कहा, “सिया, मेरा होने वाला है!” मैंने कहा, “मेरे अंदर ही झड़ जा, मैं बाद में गोली खा लूँगी!” उसने एक ज़ोर का धक्का मारा, और उसका गर्म रस मेरी चूत में छूट गया। उसी पल मैं भी झड़ गई, और हम दोनों एक-दूसरे से लिपटकर हाँफने लगे।

हम नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे, एक-दूसरे को चूमते हुए। माणिक ने मेरे दूधों को सहलाया और कहा, “सिया, तूने मेरा दिल जीत लिया।” मैंने हँसकर कहा, “और तूने मेरी चूत को तृप्त कर दिया, मेरे राजा!” उसने मेरे माथे को चूमा और बोला, “ये तो बस शुरुआत है।” थोड़ी देर बाद उसका लंड फिर खड़ा हो गया। उसने मेरी गांड पर उंगली फेरी और कहा, “अब इसकी बारी है।” मैं डर गई, पर उसकी आँखों में शरारत देखकर मैं भी तैयार हो गई। उसने मेरी गांड पर क्रीम लगाई, अपनी उंगली अंदर-बाहर की, और फिर अपने लंड को मेरे गांड के छेद पर सेट किया।

उसने धीरे से धक्का मारा, और उसका लंड मेरी गांड में आधा घुस गया। “आह्ह… माणिक, धीरे!” मैं चीख पड़ी। दर्द इतना था कि मेरी आँखों में आँसू आ गए। उसने मेरे दूधों को सहलाया और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद दर्द मज़े में बदल गया, और मैं अपनी गांड को उसकी ताल में हिलाने लगी। “हाय, माणिक, और ज़ोर से!” मैं सिसकारी ले रही थी। उसने मेरी गांड को 15 मिनट तक चोदा, और फिर अपने रस से उसे भर दिया। हम दोनों थककर एक-दूसरे से लिपट गए।

उस रात हमने कई बार चुदाई की। कभी मैं उसके ऊपर चढ़कर उछली, कभी उसने मुझे दीवार से सटाकर चोदा। हर बार वो मेरी चूत और गांड को अपने रस से भर देता, और मैं उसकी बाहों में सिमटकर जन्नत का मज़ा लेती। सुबह तक हमारी हालत ऐसी थी जैसे कोई जंग जीतकर आए हों। मेरा बदन दर्द कर रहा था, पर दिल खुशी से भरा था। माणिक ने मुझे गले लगाया और कहा, “हैप्पी बर्थडे, मेरी जान। ये तेरा बेस्ट गिफ्ट था ना?” मैंने हँसकर कहा, “हाँ, मेरे राजा। अब हर जन्मदिन तुझसे ऐसे ही मनाऊँगी।”

दो दिन तक हम होटल में एक-दूसरे में खोए रहे। हर पल प्यार, चुदाई, और मस्ती से भरा था। माणिक ने मुझसे फिर मिलने का वादा किया और मुम्बई लौट गया। अब मैं उसका इंतज़ार कर रही हूँ, और जानती हूँ कि जल्द ही वो मेरी बाहों में होगा।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी? मेरे पहले सुहागदिन का ये रसीला अनुभव तुम्हें कैसा लगा, ज़रूर बताना!

आपकी दोस्त,
सिया

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