कुंवारी चुत से खून आने लगा

Virgin Girl Sex story: घटना करीब 5 साल पहले की है। इस कहानी में चार मुख्य किरदार हैं – राघव, चिंकी, रजनी (चिंकी की बहन), और सरला देवी (चिंकी की मां)। राघव की नजर से शुरू होने वाली इस कहानी में मथुरा के एक होटल की जॉब और बस्ती के कमरे तक की घटनाएं शामिल हैं।

राघव को मथुरा के एक होटल में जॉब मिला था। होटल में ड्यूटी के दौरान खाने की सुविधा तो थी, लेकिन रहने की नहीं। इसलिए उसने नजदीक की बस्ती में एक कमरा किराए पर लिया, जो सरला देवी का था। सरला देवी उम्र में लगभग 50 साल की थीं, लेकिन उनका किरदार राघव की कहानी में अलग ही महत्व रखता था।

चिंकी, जो करीब 20-21 साल की थी, रोज सुबह राघव के कमरे में चाय देने आती थी। पतली-दुबली, इकहरे बदन वाली, और 26-28 साइज की चूचियों के साथ, उसकी मासूमियत और आकर्षण ने राघव को तुरंत अपनी ओर खींच लिया था।

चिंकी का रोजाना सुबह 6 बजे चाय देने का सिलसिला शुरू हो गया। कुछ दिनों तक यह रूटीन सामान्य रूप से चलता रहा। लेकिन रात में ड्यूटी से लौटने के बाद राघव केवल लुंगी पहन कर सोता था। उसके ख्यालों में अक्सर चिंकी आती, जिससे उसका 6 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड खड़ा हो जाता था।

जब भी चिंकी चाय रखने आती, तो वह राघव के खड़े लंड को देखकर हल्की मुस्कान देती। पर कुछ कर नहीं पाती क्योंकि घर में सब जागे होते थे।

एक रात राघव ड्यूटी से रात 2 बजे घर लौटा। जैसे ही उसने कपड़े उतार कर लुंगी पहनी और बिस्तर पर लेटा, दरवाजे पर दस्तक हुई। दरवाजा खोलने पर उसने देखा कि चिंकी बाहर खड़ी थी। वह चुपचाप कमरे में अंदर आ गई और दरवाजा बंद कर दिया।

चिंकी बिना कुछ कहे राघव के सीने से लिपट गई। उसके लिपटते ही राघव का लंड सांप की तरह खड़ा हो गया। राघव ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा। लेकिन तभी खट-खट की आवाज हुई। शायद बुढ़िया जाग गई थी और पेशाब करने आई थी। चिंकी डर कर दबे पांव दरवाजा खोल कर भाग गई।

अगली रात जब राघव ड्यूटी से लौटा, तो चिंकी जाग रही थी। वह फिर से राघव के कमरे में आ गई। इस बार उसने राघव के कपड़े उतारने का इंतजार भी नहीं किया। उसने तुरंत राघव की पैंट खोल कर नीचे गिरा दी और उसके खड़े लंड को पकड़ लिया।

राघव भी अपने हाथ से चिंकी की कुर्ती के ऊपर से उसके छोटे-छोटे नींबू जैसे चूचों को दबाने लगा। चिंकी सिहर उठी।

राघव ने चिंकी को धीरे से बिस्तर पर लिटा दिया और अपना एक हाथ कुर्ती के अंदर डालकर उसके चूचों को सहलाने लगा। दूसरे हाथ से उसने उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। चिंकी सिसकारियां भरने लगी।

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राघव ने धीरे-धीरे चिंकी की कुर्ती उतार दी और सलवार का नाड़ा खोल दिया। अब चिंकी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। राघव पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फेर रहा था, जबकि चिंकी ने राघव का 6 इंच का लंड कसकर पकड़ रखा था।

राघव ने उसकी ब्रा खोल दी। क्या गजब के गोरे-गोरे चूचे थे, और उनके भूरे-भूरे निप्पल राघव को दीवाना कर रहे थे। वह अपने मुंह में चूचों को लेकर चूसने लगा।

चिंकी आह-आह करने लगी।

इसके बाद राघव ने धीरे-धीरे उसकी पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत पर छोटे-छोटे रेशमी बाल थे। राघव उसके नाभि को चूमते हुए नीचे की ओर सरका। उसके हाथ अब चिंकी की चिकनी जांघों को सहला रहे थे।

जब उसने चूत को दो उंगलियों से फैलाकर देखा, तो बालों के बीच गुलाबी होंठ नजर आए। राघव ने धीरे से अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी।

चिंकी उई-उई करने लगी। उसकी चूत से पानी रिसने लगा था।

राघव खुद को रोक नहीं पाया। उसने अपनी जीभ चिंकी की चूत की फांकों के बीच घुसा दी और अंदर-बाहर करने लगा। यह अहसास चिंकी के लिए बिल्कुल नया था। वह पागल हो गई और राघव के सिर को अपनी चूत पर दबा दिया।

उसकी चूत से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी। कुछ ही देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा, और उसकी चूत से पानी निकलने लगा। उसका शरीर एकदम ठंडा पड़ गया।

थोड़ी देर शांत रहने के बाद, चिंकी उठी और उसने राघव का लंड अपने मुंह में भर लिया। वह इसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी। उसके नर्म-नर्म होंठ राघव के लंड के सुपारे को चाट रहे थे।

राघव की हालत खराब हो रही थी। वह अपने हाथों से चिंकी के सिर को पकड़कर दबाने लगा, और उसका लंड गले तक पहुंच गया। राघव ने तेजी से अपने लंड को उसके मुंह में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।

कुछ ही झटकों के बाद, राघव का लंड पिचकारी छोड़ने लगा। चिंकी ने इसे गटागट पी लिया और लंड को चाटकर साफ कर दिया। राघव थक कर बिस्तर पर पसर गया।

चिंकी ने कपड़े पहने और दबे पांव सुबह 3 बजे वहां से चली गई।

अगले दिन, चिंकी की चाची उसके घर आई। गांव में एक रिश्तेदार की शादी थी, और चाची उसकी मां और बहन रजनी को ले जाने आई थी। लेकिन चिंकी ने तबीयत खराब होने का बहाना बनाकर जाने से मना कर दिया।

सरला देवी को चिंता होने लगी कि चिंकी अकेली घर में कैसे रहेगी। वह राघव के पास आईं और बोलीं, “बेटा, चिंकी घर पर अकेली है। हमें शादी में जाना है। इसकी तबीयत ठीक नहीं है, तुम इसका ध्यान रखना। हम दो-तीन दिन में वापस आ जाएंगे।”

राघव ने जवाब दिया, “चिंता मत कीजिए, मैं हूं न।”

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शाम को सरला देवी और रजनी शादी में चली गईं।

रात को 12 बजे जब राघव अपनी ड्यूटी से लौटा, तो चिंकी जाग रही थी। उसने राघव से कहा, “आ गए… मैं आपका इंतजार कर रही थी।”

राघव मुस्कुराया और अपने कमरे में चला गया। लेकिन चिंकी भी उसके पीछे-पीछे कमरे में आ गई।

राघव को इस घड़ी का सुबह से इंतजार था। उसने तुरंत चिंकी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।

चिंकी ने राघव को कहा, “आराम से… अब कोई डर नहीं है। सारी रात तुम्हारी हूं। दो-तीन दिन तक खुली छूट है।”

राघव ने अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया। चिंकी ने भी अपनी कुर्ती उतार दी। अब वह सिर्फ सलवार और ब्रा में थी।

राघव ने कहा, “सलवार भी उतारो।”

चिंकी मुस्कुराई और बोली, “सारे काम मैं ही करूंगी तो तुम क्या करोगे?”

यह सुनकर राघव उस पर टूट पड़ा। उसने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया, और झट से सलवार नीचे सरक गई। अब चिंकी सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। वह स्वर्ग से उतरी परी की तरह लग रही थी।

राघव ने तुरंत चिंकी को बिस्तर पर लिटा दिया। उसने उसके होंठों को चूसते-चूसते उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया। फिर उसकी ब्रा को खोल दिया और नींबू जैसे तने हुए चूचों को दबाने और चूसने लगा।

चिंकी के चूचों पर रोंगटे खड़े हो गए थे। राघव उसकी नाभि और चिकने पेट को जीभ से चाटते हुए उसकी पैंटी तक आ गया। जैसे ही उसने चिंकी की पैंटी उतार कर उसकी चूत पर जीभ लगाई, उसके पूरे शरीर में सिरहन दौड़ गई।

चिंकी सिसकते हुए बोली, “अब नहीं रहा जाता। प्लीज, मेरी चूत की आग बुझा दो। जल्दी डाल दो।”

राघव मुस्कुराया और कहा, “चिंकी, आज तुम्हें जन्नत के मजे दूंगा।”

फिर उसने अपना लंड चिंकी के मुंह में डाल दिया और कहा, “इसे चूसकर गीला कर दो।”

चिंकी ने तुरंत लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। राघव ने तेल की शीशी उठाई और अपने लंड और उसकी चूत पर तेल लगा दिया। उसने लंड का सुपारा चूत के मुंह पर रखकर झटका दिया।

राघव का लंड थोड़ा अंदर गया था कि चिंकी दर्द से चिल्ला पड़ी, “मैं मर गई… जल्दी से बाहर निकालो।”

राघव ने उसके होंठों पर हाथ रख दिया ताकि उसकी आवाज बाहर न जाए। वह थोड़ी देर रुका, फिर धीरे-धीरे लंड अंदर डालने लगा।

जब उसका लंड आधा अंदर गया, तो उसने एक जोरदार झटका मारा। पूरा लंड उसकी चूत को फाड़ते हुए अंदर चला गया।

चिंकी दर्द से तड़प गई, और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे। राघव ने उसका ध्यान हटाने के लिए उसके चूचों को चूसना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर बाद, जब दर्द कम हुआ, तो राघव ने धीरे-धीरे चूत में लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। अब चिंकी को भी मजा आने लगा। वह कमर उठाकर राघव का साथ देने लगी और सिसकारियां भरने लगी।

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राघव अब सधी हुई गति से चोद रहा था। चिंकी ने अपनी कमर उठाकर और जोर से साथ देना शुरू कर दिया। उसने अपने नाखून राघव की पीठ में गड़ा दिए और कहा, “और जोर से चोदो मेरे राजा!”

राघव ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। चिंकी पहले झड़ने लगी, लेकिन राघव अभी तक रुका नहीं था।

जब राघव का भी झड़ने का समय आया, तो उसने पूछा, “चिंकी, कहां निकालूं?”

चिंकी ने कहा, “राजा, अंदर ही छोड़ दो।”

राघव ने चार-पांच ठोकरें और मारीं और झड़ गया। वह निढाल होकर चिंकी के ऊपर लेट गया।

उस रात राघव और चिंकी ने चार बार चुदाई की। सुबह उठकर देखा तो बिस्तर की चादर खून से लथपथ थी। यह देखकर चिंकी घबरा गई।

राघव ने उसे समझाया, “पहली बार ऐसा ही होता है। चिंता मत करो।”

चिंकी की चूत सूज गई थी, और वह चलने में असमर्थ हो गई थी। राघव ने उस दिन छुट्टी ले ली। वह बाजार से उसके लिए दवाई लेकर आया।

दोनों ने साथ में नहाने का फैसला किया। नहाते हुए राघव ने चिंकी को घोड़ी बनाया और फिर से चोदने लगा।

नहाने के बाद, राघव और चिंकी ने आराम किया। शाम को राघव बाहर से खाना लेकर आया। साथ ही उसने अपने लिए शराब की बोतल और चिंकी के लिए बीयर भी ले आई।

राघव ने शराब पी, और चिंकी ने बीयर का आनंद लिया। इसके बाद दोनों ने फिर से चुदाई शुरू कर दी। अब वे पूरी तरह एक-दूसरे के साथ खुले हुए थे।

अगले दो दिनों में, जब तक चिंकी के घरवाले वापस नहीं लौटे, दोनों ने जमकर रासलीला की। हर बार, राघव ने चिंकी को नई-नई पोजीशन में चोदा।

जब सरला देवी और रजनी शादी से लौटकर घर आए, तो सब सामान्य हो गया। लेकिन राघव और चिंकी के बीच जो रिश्ता बना, वह अब तक के जीवन का सबसे खास अनुभव बन गया।

प्रिय पाठकों, यह थी राघव की Xxx कुंवारी लड़की की चुदाई की कहानी। क्या आपको यह कहानी पसंद आई? यदि हां, तो अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें।

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