लॉकडाउन में विवाह में मिली चूत- 1

मुझे एक शादी में चुदाई का मजा मिला. मेरी बुआ के घर विवाह में शामिल हुआ. वहां मुझे बुआ की एक रिश्तेदार जवान भाभी पसंद आ गयी. उसे कैसे चोदा मैंने? Sister Sex Story

नमस्कार दोस्तो, हिन्दी सैक्स कहानी साईट पर आपका स्वागत करता हूं।
कुछ महीने पहले मेरी एक कहानी प्रकाशित हुई थी.
लॉकडाउन की शादी में मिला चूत का तोहफा

उसी से मिलती जुलती यह आज की कहानी है जिसमें एक शादी में चुदाई का मजा मिला मुझे!
ये कहानी मेरी असली कहानी है। बात लॉकडाउन के टाइम की है।

मेरी बुआ के घर में शादी थी। कोरोना के कारण शादी में कम ही लोगों को शामिल होना था तो मैं बुआ के घर गया।

वहां शादी में मैंने एक जबरदस्त कमसिन गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, और भरी गांड वाली एक जवान औरत को देखा।
उसकी उम्र 25-27 साल थी। उसे देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे।

दिन में मैंने एक दो बार उससे किसी न किसी बहाने से बात की।

फिर मैंने बुआ से उसके बारे में पूछा कि वो कौन है.
बुआ ने बताया कि उनकी जेठानी के भाई की बहू है जो रिश्ते में मेरी भाभी हुई।

अब मैं मन ही मन में बहुत खुश था।
और अब उसको (राखी भाभी) को चोदने के बारे में सोचने लगा।

धीरे धीरे शाम हो गई और खाना के लिए भाभी बुलाने आ गई।

फिर मैंने खाना खाया और उनको इशारों में अपनी दिल की बात कह दी।
वो मुस्कुरा कर खाना परोस रही थी।

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लेकिन उन्होंने कुछ बोला नहीं मैं खाना खाकर ऊपर छत पर टहलने लगा।

फिर राखी भाभी के बारे में सोचने लगा और अपने बिस्तर पर आ गया।

कहावत है ना:
जहां चाह वहां राह
और शायद अब क़िस्मत भी मुझ पर मेहरबान होने वाली थी।

मैं पलंग पर लेटा सो रहा था तभी बुआ और राखी भाभी रूम में आ गई।
डबलबैड था तो बुआ फिर भाभी भी आकर लेट गई।

अब मेरी नींद जा चुकी थी। अब मेरे सामने रसमलाई थी लेकिन मैं उसे खा नहीं सकता था।

तभी दरवाजे से कोई बुआ को बुलाने आ गई।
कोई औरत थी, वो बोल रही थी- शादी का घर है और तुम यहां लेटी हो।
बुआ ने एक बार रूम के अंदर देखा और बाहर से गेट बंद करके वो दोनों नीचे आ गई।

अब मैं बहुत खुश था। राखी भाभी मेरे साथ थी।

मैं धीरे से नींद के बहाने करवट बदलकर भाभी के पास आ गया।

अब मेरे शरीर में करंट दौड़ने लगा और मैंने अपना हाथ भाभी के क़मर में रख दिया।

तभी भाभी ने नींद में करवट बदल लिया और अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख दी।

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अब धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मैंने धीरे धीरे भाभी की साड़ी निकाल दी।
अब राखी भाभी मेरे सामने ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी।

तभी भाभी ने करवट बदल ली और पेटीकोट उसकी टांगों पर ऊपर आ गया।

मैं धीरे से बिस्तर से उतरकर गया और रूम अंदर से बंद कर दिया। फिर मैं वापस बिस्तर पर लेट गया और अपना हाथ उसके बूब्स पर रख दिया जैसे मैं नींद में हूँ।

धीरे धीरे मैं ऊपर से उसके बूब्स सहलाने लगा, वो चुपचाप सो रही थी।

अब मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने उसके ब्लाउज के हुक खोल दिए. अब गुलाबी ब्रा में कैद भरे हुए बूब्स मेरे हाथों में थे।

मेरा लौड़ा अब तक पूरा खड़ा हो गया था और बाहर निकलने को मचल उठा था।
मैंने लोवर और अंडरवियर उतार दी और लन्ड बाहर निकाल लिया।

अब मैंने धीरे धीरे भाभी का पेटीकोट ऊपर कर दिया उसकी चिकनी जांघों को सहलाने लगा।
क्या मस्त लग रही थी जैसे ही उंगली लगाई तो लगा मलाई में डूब गई हो जैसे!

तभी भाभी ने एकदम से करवट बदल ली और उसकी गान्ड मेरे लौड़े के सामाने आ गई।

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मैंने अपनी बनियान भी उतार दी और धीरे धीरे भाभी का पेटीकोट उतार दिया.

तभी एकदम से भाभी जाग गई और चिल्ला कर बोली- राज … यह क्या कर रहे हो तुम?
मैंने उससे कहा- भाभी, मेरी बात सुनो!
वो बोली- कोई आ गया तो? यह सब गलत है.

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मैं समझ गया कि मेरी हरकत के बारे में भाभी किसी को नहीं बताएगी।
मैंने उसको पकड़ा और किस करने लगा. वो मुझे हटाने लगी, मारने लगी और थोड़ा छटपटाने लगी।
लेकिन उसका विरोध नाम मात्र ही था, वो असल में मेरा सहयोग ही कर रही थी. नारी सुलभ लज्जा के कारण दिखावे का विरोध तो हर कोई करती ही है.

मैंने किस करते करते उसकी ब्रा उतार दी और तेज़ी से बूब्स दबाने लगा।
अब उसने धक्का मारना बंद कर दिया और मेरे लौड़े को अपने हाथों से सहलाने लगी।

तभी मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी पैंटी भी उतार कर फेंक दिया।

अब दोनों ही नंगे थे और एक दूसरे से लिपट कर किस करने लगे।

मैं भाभी के बूब्स मसलने लगा और होंठों को चूसने लगा.
वो भी साथ देने लगी थी।

उसने कहा- राज, आराम से करो … आज की रात हमारी है।
कुछ देर बाद वो बोली- राज, अंधेरा बहुत है; जीरो बल्ब जला दो.
मैंने नाईट लैंप जला दिया.

जैसे ही उसने मेरे लौड़े को देखा उसके मुंह में पानी आ गया और मेरे लौड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी.
वो ऐसे चूस रही थी जैसे बहुत दिनों बाद किसी बच्चे को लोलीपोप मिला हो।
मैं भी उसके बूब्स और उसकी गान्ड को सहला रहा था।

वो बहुत मस्त लौड़ा चूस रही थी जैसे रेखा आंटी चूसती हैं।
मुझे रेखा आंटी की याद आ गई थी।

राखी भाभी लंड को अंदर तक ले रही थी और अपनी लार से लंड को गीला कर दिया था।

मैं भी बहुत खुश था और जोश में आ गया और झटके मारने लगा.

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और तभी एकदम से मेरे लौड़े से ज्वालामुखी फूट पड़ा और वीर्य की धार राखी भाभी के गले के अन्दर तक उतर गई थी।
भाभी ने चाटकर मेरे लौड़े को साफ़ किया.

मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूचियों को चूसने लगा.
वो बिल्कुल रसमलाई थी, मैं उन्हें भरपूर चूस रहा था।

भाभी बोली- राज, आज की रात में तेरी हूं. मुझे खुश कर दे।
मैंने बूब्स को काट दिया.
वो चीख पड़ी- आहह हहहह!

अब उसने अपनी टांगें खोल दी और बोली- राज नीचे आओ!

उसकी चूत बिल्कुल चिकनी, साफ गुलाबी थी.
जैसे ही मैंने जीभ लगाई, उसकी सिसकारी निकल पड़ी- आह हहह ऊह ओहहह!

मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और जीभ से चाटने लगा.
उसकी सिसकारियां तेज़ हो गई- आह उहह आहह हह!

अब मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा; वो सिसकारियां लेने लगी छटपटाने लगी।
मैं भी अपनी जीभ को अन्दर बाहर करने लगा; उसकी सिसकारियां मुझे जोश में लाने लगी।

वो बोली- राज, तुम दिन भर से मेरे बारे में ही सोच रहे थे न?
मैंने कहा- भाभी, लेकिन आपने तो देखा ही नहीं मुझे!
वो बोली- पागल … मैं तुझे तड़पा रही थी।

मैंने कहा- अगर बुआ आपको ऊपर नहीं लाती तो हम कैसे मिलते?
भाभी जोर जोर से हंसने लगी … बोली- अच्छा बेटा … बुआ लाई?

मैंने कहा- हां … और नहीं तो क्या?
वो बोली- तभी तो वो चली गई … क्यों?

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मैंने कहा- उन्हें कोई बुला कर ले गई.
वो फिर जोर जोर से हंसने लगी, बोली- अच्छा!

मैंने कहा- भाभी, आप हंस क्यो रही हो?
वो बोली- पागल … मैं ही बुआ को साथ लेकर आई थी क्योंकि अकेले आती तो प्रोब्लम हो जाती।

भाभी बोली- मुझे पता था कि बुआ को बुलाने कोई आ जायेगा क्योंकि नीचे उनकी जरूरत है।
मैं सब समझ गया कि भाभी ख़ुद मुझसे चुदाने के लिए तैयार थी।

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तभी मैंने जोर जोर से चूसना शुरु कर दिया और भाभी की सिसकारियां तेज़ हो गई.
और एकदम से भाभी ने पानी छोड़ दिया।

नमकीन पानी था मैं भी जोश में था और पानी पी गया।

अब हम दोनों बिस्तर पर ही एक-दूसरे से लिपटकर किस करने लगे।

थोड़ी देर बाद दोनों फिर गर्म हो गए, अब दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।

अब भाभी मेरे लौड़े को मस्त हो कर चूस रही थी और मैं भी उसकी गुलाबी चूत को चूस रहा था।

कुछ देर बाद भाभी बोली- राज, अब तो डाल दो अपना …

मैंने भाभी को नीचे लिटा दिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और एक झटके में पूरा लंड भाभी की गीली गर्म फुद्दी में घुसा दिया।

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भाभी की चूत एकदम टाइट थी और लन्ड जैसे ही अंदर घुसा, उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े।

वो छटपटाने लगी।
मैंने लन्ड की हरकत को रोक दिया और भाभी को किस करने लगा।

तभी वो बोली- राज, तुम रूको नहीं! चोदते रहो!

मैंने लन्ड को थोड़ा बाहर किया और जोर का धक्का लगाया.
वो तड़प उठी.

मैंने धक्कों की रफ्तार तेज कर दी।
उसकी चूत बहुत टाइट थी तो मुझे बहुत मजा आ रहा था.

लेकिन साथ ही रगड़ भी ज्यादा लग रही थी तो भाभी को चीस लग रही थी.
तो मैंने लन्ड निकाल कर उसके मुंह में डाल दिया. उसने अपनी लार से लन्ड को गीला कर दिया.

मैंने उसकी चूत में थूक गिरा दिया और लंड को सेट करके जोर जोर से धक्का लगाने लगा।
अब धीरे धीरे भाभी का दर्द कम होने लगा, अब वो भी धीरे धीरे अपनी गांड चलाने लगी थी।

मैंने कहा भाभी- आपको दर्द हो रहा है क्या?
वो बोली- राज, तुम मुझे भाभी नहीं, राखी बोलो.
फिर वो बोली- तुम्हारा लन्ड बड़ा और मोटा है इसलिए दर्द होता है.

मैं झटके पे झटके लगाने लगा। राखी आह हहह ओह हांहह हह ऊईई ईईई ईईईई करके लन्ड ले रही थी।

अब राखी की चूत का छेद ढीला हो रहा था और लंड अंदर बाहर होने लगा।
मैंने कहा- राखी, तुम्हारी चूत इतनी टाइट कैसे है?
तभी वो रोने लगी।

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मैंने लंड की गति को रोक दिया और उसके आंसू पौंछने लगा।

वो बोली- राज मेरी किस्मत खराब है। मेरे पति का लंड छोटा है और वो ड्यूटी के लिए बाहर रहते हैं. पूरे एक माह से मेरी चुदाई नहीं हुई।
मैं मौके की नजाकत को समझ गया और उसे धीरे से बिस्तर पर बैठा दिया.

फिर उसके होंठों को चूसने लगा, उसकी चूचियां मसलने लगा।
वो भी गर्म हो गई और लंड को सहलाने लगी।

उसके हाथ से मेरे लौड़े को जोश आ गया।
अब मैं खड़ा हो गया और लन्ड को राखी के मुंह के सामने कर दिया.
वो लंड को गपागप गपागप करके चूसने लगी।

अब मैंने उसे उठाकर घोड़ी बनाया; पीछे से उसकी कमर पकड़कर उसकी चूत में थूक लगाया और लंड को सेट करके धक्का लगाया.

भाभी चीखी- ऊईई ईईई ऊईई ईईई सीईई ईईई आहहह हहह आहह मर गई … बचाओ बचाओ … मर गई!
मैंने लंड को रोक दिया.

राखी बोली- राज, प्लीज तुम रोको नहीं।
मैंने फिर से लंड को चलाना शुरू कर दिया.

राखी उई ईई उईई ईई आहह हह आह हहह चिल्लाने लगी.
मैं जोर जोर से चोदने लगा।

अब मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और लंड चूत के अंदर-बाहर करने लगा.
राखी की चीख सिसकारियों में बदल गई।
अब लंड भी आराम से अंदर बाहर होने लगा था।

मैंने उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया और झटकों की रफ्तार बढ़ा दी.

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अब दोनों ही पसीने से भीग गए थे।
राखी बोली- राज, तुम मस्त चोदते हो. काश मैं तुम्हारी बीवी होती।
मैंने कहा- भाभी, मैं तो आपका हूं।

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तभी वो गुस्से में बोली- मैं तेरी भाभी नहीं हूं कुत्ते!
मैं भी जोश में आ गया और लन्ड को तेज़ तेज़ करके चोदने लगा, बोला- साली गाली दे रही है? ले ले …
वो बोली- राज, तुम आज मेरे पति हो; भाभी मत बोलो मुझे.

फिर वो बोली- आज मेरी सुहागरात है।
अब मैंने लंड निकाल लिया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया.

मैंने राखी की गांड के नीचे तकिया लगाया और अपना लौड़ा उसके मुंह में डाल दिया.
वो गपागप चूसने लगी.
उसने मेरा लंड गीला कर दिया.

मैंने उसकी टांगें चौड़ी करके चूत को ऊपर उठा दिया और लंड घुसा दिया.
फिर मैं तेज़ तेज़ झटके मारकर रखी को चोदने लगा।

अब राखी की सिसकारियां तेज़ हो गई और पूरे कमरे में चुदाई की आवाज तेज हो गई।

मैं उसे पूरी रफ्तार से चोदने लगा. मैं लंड गपागप गपागप चूत के अंदर बाहर करने लगा.
वो सिसकारियां ले रही थी- अहह अहम्म … आह हह उम्माह आह ऊईई ईईई उईई ईईई और तेज़ और तेज़ तेज़ तेज़ तेज!

अब राखी की चूत का छेद खुल चुका था; वो लंड को आराम से ले रही थी।

थोड़ी देर बाद राखी का शरीर अकड़ने लगा और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
वो तेज तेज आवाज करके फिर रोने लगी।

मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोली- शादी के बाद पहली बार लन्ड से साथ मेरी चूत से पानी निकला है.

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मैंने उसकी कमर को पकड़ कर फिर से झटका मारना शुरू कर दिया।
अब फच्च फच्च फच्च फच्च की आवाज आने लगी थी।
राखी की सिसकारियां अब बंद हो चुकी थी।

मैंने अपने झटकों की रफ्तार और बढ़ा दी।
राखी बोली- राज, अब जल्दी अपना पानी निकाल दो अंदर!

मैंने अपने लौड़े की रफ्तार बढ़ा दी और अंदर-बाहर करने लगा।

अब मेरे लौड़े से वीर्य की धार निकल पड़ी. राखी की चूत मेरे वीर्य से भर गई और मेरे लंड की आग भी ठंडी हो गई.
हम दोनों ही पसीने में भीग गए, वैसे ही लिपट कर एक दूसरे को चूमने लगे।

थोड़ी देर बाद राखी उठकर बाथरूम चली गई; फिर वापस आकर लंड को चूसकर साफ़ कर दिया।

मैं बनियान और अंडरवियर पहनने लगा राखी ने रोक दिया और बोली- राज, तुम मेरे पति हो, अभी कपड़े मत पहनो।
फिर हम बातें करने लगे.

20 मिनट बाद मेरा लंड खड़ा हो गया और राखी उसे चूसने लगी।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया उसकी टांगों को चौड़ा कर दिया.
फिर तेज़ झटके से लंड रखी की चूत में घुसा कर गपागप गपागप चोदने लगा और उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया।

इसके बाद हम दोनों सो गए।

सुबह 5 बजे जागे और एक बार फिर दोनों ने जमकर चुदाई का मज़ा लिया।
फिर उसने और मैंने कपड़े पहन लिए और वो नीचे आ गई।

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दिन में हम काम में रहे और रात को शादी थी।

फिर शादी के दूसरे दिन उसने मुझे रूकने के लिए कहा।

उस रात में फिर से हमने सुहागरात मनाई और अगले दिन मैं अपने घर आ गया।

कैसे दूसरे दिन हमने सुहागरात मनाई वो अगली कहानी में बताऊंगा।
शादी में चुदाई की कहानी पर कमेंट जरूर करें.
धन्यवाद.
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शादी में चुदाई की कहानी का अगला भाग: लॉकडाउन में विवाह में मिली चूत- 2

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