दो कमसिन बहनों की कुंवारी बुर की चुदाई

मेरे घर पर मेरी माँ और दो बहनें रहती हैं। उन दोनों की बुर की चुदाई कैसे की मैंने…
यह उन दिनों की बात है जब मैं 12वीं में पढ़ता था, जुलाई का महीना था, मेरी क्लास शुरू होने को थी।
उन्ही दिनों मेरे घर में पेइंग गेस्ट रहने को आये, वो लोग ऊपर के माले पर रहने लगे। आंटी और उनकी दो बेटियाँ… आंटी नर्स थी और थोड़ी बदसूरत थी लेकिन उनकी दोनों बेटियाँ बहुत ही खूबसूरत थी, बड़ी वाली बहन का नाम ज्योति था, उसके चूचे बड़े और कसे हुए थे और उसकी गांड काफी उठी हुई थी, कमर पतली… जब चलती थी तो मन करता था पटक के चोद दूँ।
उसकी बहन अनुष्का उससे भी ज्यादा खूबसूरत और अपनी बहन से 3 साल छोटी थी। उसके चूचे नार्मल साइज़ के थे और गांड निकली हुई।
वो अपनी बहन से ज्यादा सेक्सी लगती थी।
एक दिन मैं मैथ्स के प्रश्न हल कर रहा था तभी डोर बेल बजी, मैं उठ कर दरवाजा खोलने गया तो बाहर आंटी खड़ी थी।
मैंने उन्हें अन्दर बुलाया और पानी के लिए पूछा.
उन्होंने थैंक्स बोलते हुए कहा- बेटा, तुम 12वीं में पढ़ते हो। ज्योति अभी 11वीं में है, शाम को तुम मैथ्स में उसकी कुछ मदद कर सकते हो?
मैंने सोचा मौका अच्छा है और झट से हाँ कह दी।
शाम को मैं उसके घर गया, दरवाजा खटखटाया तो उसकी बहन ने दरवाजा खोला.
मेरी आँखें तो उसकी आँखों से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।
उसने कहा- क्या हुआ, अन्दर नहीं आयेंगे?
मैं खुद को कंट्रोल करते हुए अन्दर घुसा और बोला- ज्योति कहाँ है?
उसने बताया- वो अन्दर कमरे में है!
मैं अन्दर उसके कमरे में चला गया।
ज्योति अपने बिस्तर पर बैठ कर फ़ोन पर कुछ कर रही थी, मुझे आते ही देखकर वो सकपका कर खड़ी हो गई।
मेरी आँखें फटी की फटी रह गई… उसने लूस टीशर्ट और हाफ पैंट पहनी थी, उसकी गोरी चिकनी जांघें देखकर मेरा गला सूख गया, मेरी नजर वहीं टिकी रही।
उसने शायद भांप लिया था कि मेरी नियत ख़राब है। उसने कहा- आइये बैठिये!
और एक कुर्सी मेरे आगे कर दी।
मैंने उस से पानी माँगा और पी कर पढ़ाना शुरू कर दिया।
वो मेरे सामने बिस्तर पर झुक कर बैठी थी और मेरे बताये हुए सवाल बड़ी नादानी से कर रही थी। मेरी नजर उसके टीशर्ट में से झाँकते हुए चूचों पर थी जो उसके झुकने से साफ़ साफ़ दिख रहे थे। मेरी हालत ख़राब हो रही थी।
मैं अभी उसके उरोजों को ही देख रहा था कि अचानक से उसकी बहन आ गई।
शायद उसने मुझे उसकी बहन की चूचियां देखते हुए देख लिया था। वो अन्दर आई और अलमारी खोल कर उसमें से टॉप और जीन्स निकाल कर ले गई।
ज्योति को कुछ देर पढ़ाने के बाद मैंने कहा- अब मुझे चलना चाहिए, आंटी को बुला दो तो मिल कर जाऊँ!
तो उसने कहा- मम्मी इस टाइम मार्केट जाती हैं और 2 घंटे बाद ही आती हैं।
मैंने उसको एक सवाल और बता कर कहा- तुम इसे करो, मैं चलता हूँ।
उसने बिना कुछ बोले सवाल करना शुरू कर दिया।
मैं कमरे से बाहर निकला तो उसने बोला- दरवाजा बंद कर दीजिये।
मैंने दरवाजा बंद करते हुए बोला- तुम मुझे राहुल बुलाया करो।
दरवाजा बंद करके मैं हाल से होता हुआ मेन गेट की तरफ बढ़ा ही था कि मेरे कदम रुक गए। मुझे अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था, हॉल के बगल वाला कमरा हल्का सा खुला था और अन्दर देख कर मेरी हालत ख़राब हो गई।
अन्दर अनुष्का अपने बेडरूम में कपड़े चेंज कर रही थी। उसने अपना टॉप उतार दिया था और अब अपना पजामा उतार रही थी। उसकी गांड देख कर मुझे पसीना आने लगा। शायद उसको कहीं जाना था।
तभी वो अलमारी से कपड़े लेने गई, अब उसने अपनी ब्रा उतार दी।
मेरा लंड खड़ा हो गया, मैं अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा।
अब उसने अपनी पैंटी भी उतार दी। उसकी गांड को देख कर मैं और भी पागल हो गया। जब वो पैंटी उतारने को नीचे झुकी तो उसकी बुर की फांक दिख गई। मैं अब अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाला था और 2 मिनट के लिए मेरे आँखों के आगे अँधेरा छा गया।
जब आँखें खोली तो खुली ही रह गई… मेरे सामने अनुष्का और ज्योति खड़ी थी।
मेरी सिट्ठी पिट्टी गुम हो गई… मैं उनके पैरों पर गिर कर माफ़ी मांगने लगा।
ज्योति बोली- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई इतनी गन्दी हरकत करने की? मम्मी को आने दो, फिर बताती हूँ।
मेरी फट गई, मैं गिड़गिड़ाने लगा और बोला- अनुष्का को नंगी देख कर मैं होश खो गया था, ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। मैं आगे से इस घर में कदम भी नहीं रखूँगा। बस एक मौका दे दो।
मेरी बात सुन कर अनुष्का हंसने लगी।
ज्योति बोली- ठीक है, एक मौका… लेकिन तुमको पढ़ाने आना होगा, नहीं तो माँ को लगेगा कि मैंने कोई बदमाशी की है इसलिए तुम नहीं पढ़ा रहे।
मैंने हां कर दी और अपने घर चला गया।
अगले दिन 1 बजे दोपहर ही ज्योति आई और बोली- अभी पढ़ाने आओ, माँ मासी के घर गई है और शाम तक आएँगी। फिर मुझे उनके साथ शॉपिंग जाना है।
मैंने हां बोला और 10 मिनट बाद जाकर दरवाजा खटखटाया।
ज्योति ने दरवाजा खोला। उसने स्लीवलेस टॉप और एक नीकर पहना था जो कच्छी की साइज़ का था।
कल की वारदात को याद करते हुए मैंने कदम अन्दर बढ़ाये और उसके रूम में गया लेकिन वहाँ अनुष्का पहले से ही पढ़ रही थी, उसने एक मिनी स्कर्ट और एक टॉप पहना था जो उसकी कमर को नहीं ढक पा रहा था, उसकी नाभि साफ़ साफ़ दिख रही थी.
तभी ज्योति आ गई और बोली- आज ये भी तुमसे पढ़ेगी।
मैं शान्ति से अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
आज दोनों ही बहुत ही हॉट लग रही थी लेकिन मैं ज्यादा देख नहीं रहा था।
मैंने बुक मांगी तो ज्योति ने इंग्लिश की बुक दे दी।
मैंने बताया कि मेरी इंग्लिश कमजोर है तो उसने कहा- जो हम लोग बोलेंगी, वही पढ़ाना पड़ेगा।
मैं चुपचाप बुक खोल के बैठ गया और टूटी फूटी इंग्लिश समझाने लगा।
अब अनुष्का की बारी थी तो मैंने बुक मांगी तो उसने बायो की बुक पकड़ा दी और दोनों बहनें हंसने लगी।
मैं गुस्से में आ गया क्योंकि मैं मैथ का स्टूडेंट था, फिर भी बुक खोल कर शुरू से पढ़ाने लगा।
मैं पढ़ा रहा था तो ज्योति ने सवाल किया- ये दिल बायीं तरफ क्यों होता है?
मैं बोला- मुझे नहीं पता!
तो ज्योति ने बोला- दिल की धड़कन कैसे सुनते हैं?
मैं बोला- स्टेथोस्कोप से!
फिर अनुष्का बोली- दीदी मुझे अपने दिल की धड़कन सुनना है!
और जिद करने लगी।
ज्योति उठी और स्टेथोस्कोप लेकर आई और बोली- ये मम्मी का है! लेकिन हम दोनों को इसे इस्तेमाल करना नहीं आता। तुम आज सिखाओ इस्तेमाल करना!
मैंने स्टेथोस्कोप लिया और उसको अनुष्का के कान में लगा के बोला- इसको अपने दिल पर लगाओ।
उसने कोशिश की लेकिन उसको धड़कन नहीं सुनाई दी।
मैंने उसको कोशिश करते रहने को बोला तो ज्योति गुस्सा हो गई और बोली- चुपचाप जो वो कहे, वो करो और उसके दिल पर लगा कर उसकी धड़कन सुनाओ!
मुझे उसके रवैये पर गुस्सा आ रहा था लेकिन मैं मजबूर था, मैंने स्टेथोस्कोप उसके हाथ से लिया और टॉप के ऊपर से ही उसके दिल पर लगाया।
टॉप की वजह से नहीं सुनाई दे रहा है ऐसा बोल कर मैंने टॉप उतारने को बोला।
यह सुन कर अनुष्का झिझक कर बोली- मैं टॉप नहीं उतारूंगी. ऐसे ही अन्दर हाथ डाल कर चेक करो।
शायद उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
मैंने हाथ अन्दर डाल दिया मेरी हालत ख़राब थी और उसकी बाईं चूची पर मैंने स्टेथोस्कोप लगाया लेकिन आवाज नहीं आई।
मेरी हालत बिगड़ रही थी, मेरे हाथ कांप रहे थे लेकिन मैंने और जोर से चूची पर दबा दिया मगर फिर भी आवाज नहीं आई।
तभी अनुष्का ने झुंझला कर अपना टॉप निकाल कर फेंक दिया और बोली- अब अच्छे से खोजो!
उसके दोनों चूचे नंगे मेरी आँखों के सामने चमक रहे थे।
मैं हक्का बक्का रह गया और उसके चूचों को देखता ही रह गया। ज्योति ने फटकार लगाते हुए कहा- जो कहा जा रहा है, वो करो नहीं तो हम मम्मी को बतायेंगी।
और वो भी अपना टॉप और ब्रा उतार कर अनुष्का के बगल में बैठ गई।
तभी अनुष्का ने मेरा हाथ पकड़ के झटके से अपनी चूची पर लगाया और झटके की वजह से हाथ से स्टेथोस्कोप छूट गया और हाथ में पूरी चूची आ गई।
अनुष्का के मुख से आह निकल गई। मेरी समझ में अब सब आने लगा था, मैंने अपना कान अनुष्का की बायीं चूची पर लगाया और धड़कन सुनने के बहाने दाहिनी चूची को मुंह में ले लिया।
अनुष्का गर्म हो चुकी थी।
अब मैं ज्योति की चूची भी दूसरे हाथ से दबाने लगा और एक हाथ से अनुष्का की स्कर्ट उतार दी।
ज्योति भी गर्म हो चुकी थी और मेरी शर्ट और पैंट को उतारने लगी.
अनुष्का की बुर पर एक भी बाल नहीं था, मैं उसकी बुर को चाटने लगा और अनुष्का मेरे बाल पकड़ कर मेरे सर को अपनी बुर में धंसाती जा रही थी।
यह बुर की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
इधर ज्योति मुझे पूरा नंगा करके मेरे लंड को चूस रही थी।
अब अनुष्का को बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैं उसकी गांड के नीचे तकिया रख कर अपना लंड उसके बुर पर रख कर धीरे-धीरे बुर में घुसाने लगा।
बुर बहुत टाइट थी तो लंड जा नहीं रहा था। तो ज्योति से नारियल का तेल मांग कर उसकी बुर पर लगाया और ज्योति से अपना लंड चुसवाया। फिर एक झटका देकर मैंने आधा लंड उसकी बुर में घुसा दिया।
वो चीख पड़ी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैंने फिर धीरे धीरे उसको झटके लगाने शुरू किये और धीरे धीरे अनुष्का को मज़ा आने लगा, वो गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी।
उस दिन मैंने दोनों बहनों की जम कर चुदाई की। जब भी मौका मिलता है मैं चुदाई करने के लिए पहुंच जाता हूँ।
आपको बुर की चुदाई कहानी कैसी लगी?

इसे भी पढ़ें  मामा ने मेरी स्कर्ट और ब्रा में हाथ डाला

Leave a Comment