रात भर दीदी को चोदकर उसकी प्यास बुझाई

Didi ki chudai sex story – 8 inch lund sex story – Didi ki pelai sex story: ये कहानी मेरी पिछली कहानी “मेरे सामने दीदी की पहली चुदाई” का दूसरा भाग है। जैसा कि आपने पढ़ा होगा कि मैंने अपनी दीदी के लिए एक लड़का बुलाया था और उसने दीदी को दो बार जोरदार चोदा।

दीदी बाथरूम से बाहर आईं, उनके बाल अभी भी गीले थे, चेहरे पर हल्की लाली और आँखों में एक अजीब सी चमक। मैं रूम में गया, वो लड़का जा चुका था। मैंने मुस्कुराते हुए दीदी से पूछा, “कैसा लगा दीदी, चूत मरवाने का मजा?”

दीदी ने शरमाते हुए हँसते कहा, “मजा तो बहुत आया रे, लेकिन सच में जान निकल गई। उसका लंड इतना बड़ा था, चूत अभी भी दुख रही है।”

मैंने कहा, “कल के लिए कोई और लड़का ढूंढूं?” दीदी ने आँखें मारते हुए बोला, “जैसा तू ठीक समझे, लेकिन इस बार थोड़ा संभाल के।”

रात हुई। दीदी छत पर खड़ी इधर-उधर देखती रहीं, जैसे कुछ ढूंढ रही हों। शाम को खाना खाया। रात नौ बजे दीदी के घर से कॉल आया, वो काफी देर तक बातें करती रहीं। मैं रूम में था, फोन पर सेक्स वीडियो देख रहा था। वीडियो देखते-देखते दीदी को चोदने का मन करने लगा।

मेरा लंड 8 इंच का है, उस लड़के का सिर्फ 6 इंच था। दीदी उसके छोटे लंड से ही रोने लगी थीं, अगर मेरा मोटा-लंबा लंड उनकी चूत में गया तो क्या हाल होगा? ये सोचते-सोचते मैंने लंड निकाला और मुठ मारने लगा। जोर-जोर से हिलाते हुए माल निकला, इतना जोर से कि बेड पर भी गिर गया। माल निकलते ही नींद आ गई, लंड बाहर ही रह गया, लोअर में डालना भी भूल गया।

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कुछ देर बाद दीदी रूम में आईं। मुझे ऐसे देख हँस पड़ीं, “कमीने, अपना सामान तो अंदर डाल लेता।” वो मेरे पास आईं, मेरे खड़े लंड को हाथ में लिया, सहलाया और धीरे से लोअर में डाल दिया। फिर पास लेट गईं।

रात करीब बारह बजे दीदी की चूत में फिर खुजली हुई। (ये सब दीदी ने अगले दिन मुझे बताया।) दीदी उठीं, लोअर उतारी और अपनी चूत में उंगली करने लगीं। गीली चूत की चप-चप आवाज़ कमरे में गूंजी। कुछ ही देर में पानी निकला, दीदी फिर सो गईं।

लेकिन दस मिनट बाद फिर खुजली। दीदी उठीं, मेरी तरफ देखा। मैं गहरी नींद में था। दीदी की नीयत खराब हो गई। उन्होंने मेरी लोअर नीचे की, अंडरवियर नहीं था तो मेरा लंड सीधा बाहर आ गया। दीदी ने उसे हाथ में पकड़ा और धीरे-धीरे हिलाने लगीं।

कुछ ही पलों में मेरा लंड पूरा तन गया। दीदी के होश उड़ गए, इतना मोटा-लंबा, नसें उभरी हुईं। दीदी ने झुककर लंड मुंह में लिया और चूसने लगीं। ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… उनकी जीभ लंड के सुपारे पर घूम रही थी।

लंड पर गीला-गर्म अहसास हुआ तो मैं अचानक उठ गया। देखा तो दीदी मजे से चूस रही थीं। मैंने कहा, “क्या हुआ दीदी, दिन में चुदाई के बाद भी मन नहीं भरा?”

दीदी ने लंड मुंह से निकाला, हाँफते हुए बोलीं, “उस टाइम तो भर गया था, लेकिन अब चूत में आग लगी है। कंट्रोल नहीं हो रहा, सोचा तेरे से बुझा लूँ।”

कहते ही फिर मुंह में ले लिया। अब मुझे भी मजा आने लगा। मैंने दीदी के सारे कपड़े उतार दिए। दीदी बिल्कुल नंगी मेरे सामने थीं। उनके भरे हुए बूब्स, गुलाबी निप्पल्स, चूत पर हल्के बाल और अभी भी लाल-गीली चूत।

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मैंने बूब्स चूसने शुरू किए। निप्पल्स को दांतों से काटा तो दीदी सिहर उठीं, “आह्ह… संजू… मजे से चूस…” मैं नीचे आया, दीदी की चूत पर मुंह रखा। चूत से हल्की सी मछली जैसी गंध आई, लेकिन इतनी उत्तेजक कि मेरा लंड और कड़क हो गया। जीभ अंदर डाली तो दीदी की कमर ऊपर उठ गई, “ओह्ह्ह… आह्ह… संजू… चूस मेरी चूत को… ह्ह्ह…”

कुछ देर चूसते ही दीदी बिलबिला उठीं, “संजू जल्दी लंड डाल दे… सहन नहीं हो रहा… आह्ह्ह…”

मैं खड़ा हुआ, सारे कपड़े उतारे। दीदी की टांगें फैलाईं, अपना मूसल जैसा लंड चूत पर सेट किया और एक जोरदार झटका मारा। पूरा लंड अंदर चला गया। दीदी चीख उठीं, “आअह्ह्ह्ह… स्साले… फाड़ दी मेरी चूत… इतना बड़ा कैसे डाल दिया…”

मैं रुका, दीदी की आँखों में आँसू थे लेकिन हवस भी। दीदी बोलीं, “अब तो मैं तेरी हूँ… तेरी रंडी हूँ… जितना जी करे चोद… फाड़ दे अपनी दीदी की चूत…”

मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। दीदी भी गांड उछालने लगीं, “हाँ संजू… ऐसे ही… फाड़ दे… आह्ह्ह… ओह्ह्ह… मजा आ गया… उइइइ…”

फिर मैंने दीदी की टांगें कंधे पर रखीं, जांघें पकड़ीं और फिर जोर से पेला। इस बार सिर्फ “आह्ह्ह्ह…” निकला। कमरे में फच-फच… फच-फच की आवाज़ गूंजने लगी। दीदी की चूत इतनी टाइट और गर्म थी कि लग रहा था लंड पिघल जाएगा।

बीस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद मेरा माल आने वाला था। मैंने लंड निकाला, दीदी के मुंह में पेल दिया, बाल पकड़कर मुंह चोदा। कुछ ही झटकों में माल निकला। दीदी ने सारा जूस पी लिया, लंड चाटकर साफ किया और गले लगकर बोलीं, “मुझे क्या पता था मेरा भाई का लंड इतना तगड़ा है… जो चूत फाड़ सकता है… औरत बना सकता है।”

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कुछ देर बाद दीदी ने फिर लंड सहलाना शुरू किया। हम नंगे ही थे। फिर एक बार चुदाई हुई, इस बार पूरे एक घंटे तक। दीदी थककर चूर हो गईं, मैं भी। हम नंगे ही सो गए।

सुबह मैं उठा, तौलिया लपेटकर चाय बनाई। दीदी को उठाया, चाय पिलाई। चाय पीते ही दीदी ने मुझे पकड़ा, बेड पर गिराया, ऊपर बैठ गईं। तौलिया उतारा और चूत में लंड सेट करके उछलने लगीं। उनके बूब्स ऊपर-नीचे उछल रहे थे, “आह्ह… संजू… तेरा लंड कितना अच्छा है…”

पंद्रह मिनट बाद दीदी थक गईं, बोलीं, “अब तू ऊपर आ।” मैं ऊपर आया, जोर-जोर से चोदने लगा। तभी दीदी का फोन बजा। मैंने उठाया, चाचा जी थे। बोले, “तेरी दीदी कहाँ है?” मैंने कहा, “तबीयत खराब है।” चाचा जी ने कहा, “जब ठीक हो तब आना, अच्छे डॉक्टर को दिखाना।”

फोन काटा और फिर चुदाई शुरू। बीस मिनट बाद माल दीदी के अंदर ही छोड़ दिया। हम दोनों नहाए, खाना खाया। फिर शॉपिंग की, दीदी के लिए रेड कलर की ब्रा-पैंटी खरीदी।

ये मेरी और दीदी की सच्ची सेक्स कहानी है।

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