मोमबत्ती से चुदने वाली आंटी को असली लंड मिला

Bank manager sex story – Talak shuda bhabhi sex story: हैलो दोस्तों, मेरा नाम हर्ष है, मैं 21 साल का एक जवान लड़का हूँ और आज मैं आपको अपनी ज़िन्दगी की सबसे गर्म और सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। यह बात भोपाल की है, जहाँ मैं छुट्टियों में अपने घर आया था। तीन साल बाद घर लौटा तो सब कुछ बदल चुका था, नए-नए लोग, नए घर। रात को देर से पहुँचा तो थक कर सो गया।

सुबह पार्क में टहलने गया तो नज़र एक ऐसी औरत पर पड़ी जो देखते ही लंड खड़ा कर दे। उम्र करीब 38 साल, कद 5 फीट 2 इंच, फिगर 38-35-40, भरे-भरे बूब्स जो ब्लाउज़ फाड़कर बाहर आने को बेताब थे, गोल-गोल भारी गांड, गोरा रंग, लंबे बाल। वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा 7 इंच का लंड तुरंत सलामी देने लगा। मैं हिम्मत करके पास गया।

“हैलो आंटी, आप रोज़ यहाँ आती हैं?” वो थकी हुई बेंच पर बैठी थीं, साँसें तेज़ चल रही थीं, जिससे उनके बड़े-बड़े बूब्स ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैं बेशर्मी से घूर रहा था। “हाँ बेटा, रोज़ सुबह आती हूँ।” बातें शुरू हुईं, पता चला वो मेरे सामने वाले मकान में रहती हैं, नाम बबिता, प्राइवेट बैंक की मैनेजर हैं। तलाकशुदा, अकेली, कोई सहारा नहीं। मैंने भी अपनी दुखभरी कहानी सुनाई, गर्लफ्रेंड की मौत की। हम दोनों अकेले थे, दिल मिल गए।

उसी दिन बैंक गया तो हैरान रह गया, वो वहीं की मैनेजर थीं। केबिन में बुलाया, बातें हुईं, आँखों में आँसू आ गए उनके। मैंने कहा, “प्रिन्सेस, आज से आप आंटी नहीं, मेरी खास दोस्त हो।” वो मुस्कुराईं। शाम को बाइक पर घर छोड़ा, पीछे से उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं।

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अगले दिन से रोज़ सुबह पार्क साथ गए, बाइक पर बैंक छोड़ा, रात को उनके घर खाना खाने लगा। एक महीना ऐसे ही बीता, दोस्ती प्यार में बदल गई। एक रात टीवी देखते-देखते वो अचानक उठकर बेडरूम में चली गईं। मैं खिड़की से झाँका तो जो देखा, लंड फट पड़ा। बबिता सिर्फ़ ब्लाउज़-पेटीकोट में थीं, चूत में मोटी मोमबत्ती डालकर धीरे-धीरे चोद रही थीं खुद को, आँखें बंद, मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… हाय… कोई तो चोदो मुझे…”। मैंने सब देख लिया और रात भर उनके बारे में सोचता रहा।

अगली सुबह पार्क में मैंने उनका हाथ पकड़ा, “बबिता, मैं तुमसे प्यार करता हूँ, हम दोनों को एक-दूसरे की ज़रूरत है।” वो शर्मा गईं, फिर हाँ कह दिया। उस रात हम बाहर डिनर करने गए, फिर मूवी, अंधेरे में हाथ पकड़े, फिर गली में मैंने उनके रसीले होंठ चूस लिए। वो पूरी गरम हो गईं। घर लौटते वक्त बोलीं, “आज मेरे घर ही रुक जाओ हर्ष।”

मैं मेडिकल से कंडोम लिया और उनके घर पहुँचा। दरवाज़ा खोला तो बबिता लाल रंग के गाउन में, अंदर काली ब्रा-पैंटी साफ़ दिख रही थी, हाथ में सिगरेट, धुआँ उड़ा रही थीं। मैंने तारीफ़ की तो वो मुझे खींचकर लिपट गईं, सिगरेट का धुआँ मेरे मुँह में डालते हुए लंबा फ्रेंच किस किया। हम दोनों की साँसें गरम हो गईं। वो मेरी गोद में बैठ गईं, मेरे खड़े लंड को गांड से रगड़ते हुए फिर किस करने लगीं। पाँच मिनट बाद वो उठीं और बाथरूम में झड़ गईं। फिर मैंने भी अपना लंड धोया और बेड पर लेट गया। वो सिगरेट पीते हुए मेरे बगल में लेटीं और सो गईं।

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अगले दिन शाम को जैसे ही पहुँचा, दरवाज़ा खोलते ही बबिता सिर्फ़ काली ब्रा-पैंटी में, सिगरेट मुँह में दबी, आँखें शराबी। “आज तैयार हो ना प्रिन्सेस?” “हाँ मेरी जान, आज से मैं सिर्फ़ तेरी हूँ, मुझे जी भर के चोद।”

हम बेडरूम में गए, लैपटॉप पर ब्लू फिल्म चालू की। मैंने उन्हें दीवार से सटा दिया, गाउन उतारा, ब्रा खोली तो भारी-भारी गोरे बूब्स बाहर आए, गुलाबी निप्पल एकदम टाइट। मैंने एक बूब को मुँह में लिया, ज़ोर-ज़ोर से चूसा, “आह्ह हर्ष… चूसो… दबाओ मेरे बूब्स को…” वो सिसक रही थीं। दूसरा बूब हाथ से मसलता रहा। फिर मैं नीचे झुका, पैंटी उतारी तो घनी काली झाड़ देखकर लंड और फूल गया। उनकी चूत पूरी गीली थी, रस टपक रहा था। मैंने घुटनों के बल बैठकर चूत चाटनी शुरू की, जीभ अंदर तक डाली, “आह्ह्ह… हाय… हर्ष… चाटो… ज़ोर से… ओह्ह्ह्ह…” वो मेरे सिर को चूत पर दबा रही थीं। दस मिनट बाद वो ज़ोर से झड़ीं, सारा रस मेरे मुँह में।

फिर बबिता ने मेरा अंडरवियर फाड़कर निकाला, 7 इंच का मोटा लंड देखकर पागल हो गईं, “वाह मेरे राजा, ये तो घोड़ा है!” वो घुटनों पर बैठीं और लंड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… गोग… गहरा-गहरा लेते हुए चूसने लगीं। मैं उनका सिर पकड़कर मुँह चोदने लगा। पाँच मिनट बाद मैं झड़ा, सारा माल उनके गले में उतार दिया, वो एक बूंद नहीं छोड़ी।

अब मैंने उन्हें बेड पर लिटाया, टाँगें चौड़ी कीं, लंड चूत के मुँह पर रखा और एक झटके में पूरा अंदर घुसा दिया। “आअह्ह्ह्ह… मार डाला… हाय… कितना मोटा है… आह्ह्ह…” वो चीखीं, लेकिन मैं रुका नहीं, ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। बेड हिल रहा था, चुदाई की चाप-चाप आवाज़ें गूँज रही थीं। दस मिनट बाद वो फिर झड़ीं, “आह्ह्ह… मैं मर गई… हर्ष… चोदो मुझे… रोज़ चोदना…” मैंने उन्हें घोड़ी बनाया, पीछे से गांड पकड़कर फिर पेलना शुरू किया। गांड पर थप्पड़ मारते हुए, “ले रंडी… ले बैंक मैनेजर… आज तेरी चूत फाड़ दूँगा…” वो मचल रही थीं, “हाँ चोद… फाड़ दे… मैं तेरी रंडी हूँ…” पंद्रह मिनट बाद मैं भी झड़ा, सारा माल चूत के अंदर छोड़ दिया।

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फिर हम नहाए, सिगरेट पी, गले लगकर सोए। उसके बाद से हम रोज़ सुहागरात मनाते हैं। कभी किचन में, कभी सोफे पर, कभी बाइक पर ही चूत में उंगली डालकर ले जाता हूँ। बबिता अब मेरी निजी रखैल है, दिन में बैंक मैनेजर, रात में मेरी चुदक्कड़ रंडी। उनकी प्यासी चूत को मैंने अपना लंड का गुलाम बना दिया है।

धन्यवाद दोस्तों।

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