पड़ोसन भाभी की प्यासी चूत को दो रात तक लगातार चोदा

Padosan bhabhi chudai sex story – Raat bhar pelai sex story: हेलो दोस्तों, मैं आगरा का 28 साल का जवान हूँ। ठीक सामने वाली बिल्डिंग में रहती हैं आरती भाभी — 36-28-34 का ऐसा कातिलाना जिस्म कि देखते ही लंड खड़ा हो जाता है। गोरा रंग, गुलाबी होंठ, लंबे काले बाल जो पीठ को छूते हैं, गहरी नेक वाली साड़ी में उनकी छाती का उभार और जब चलती हैं तो मटकती हुई गोल-गोल गाँड से कामुकता की खुशबू हवा में फैल जाती है। पूरी सोसाइटी के लड़के उनकी एक झलक के लिए तरसते हैं और मैं तो रोज़ रात उनके नाम की मुठ मारकर सोता था, सपने में उन्हें चोदता रहता था।

एक दोपहर उनके घर से पति से जोरदार झगड़े की आवाजें आईं, चीखें-चिल्लाहट इतनी तेज़ थी कि मुझे सब सुनाई दे रहा था। शाम को पार्क में वो उदास बैठी थीं, आँखें सूजी हुई थीं। मैंने जानबूझकर अंजान बनते हुए पास जाकर पूछा, “भाभी आज कुछ परेशान सी लग रही हो?” पहले तो टालने की कोशिश की, पर जब मैंने फिर प्यार से दबाव डाला तो उनकी आँखें भर आईं और बिना कुछ बोले घर चली गईं।

उसी शाम मेरे घरवाले दिल्ली किसी रिश्तेदार की शादी में चले गए, मैं घर में बिल्कुल अकेला था। रात ग्यारह बजे अचानक घंटी बजी। दरवाज़ा खोला तो आरती भाभी नाइटी में खड़ी थीं, बाल बिखरे हुए, होंठ काँप रहे थे, आँखें लाल। बोलीं, “सिर में बहुत तेज़ दर्द है, दवाई है क्या?” उनकी आवाज़ में दर्द के साथ-साथ कुछ और भी था। मैंने धीरे से कहा, “चिंता मत करो भाभी, मेरे पास है, अंदर आ जाओ ना, इतनी रात गए बाहर मत खड़ी रहो।” जैसे ही वो अंदर कदम रखीं, उनकी गर्म साँसें, चूड़ियों की छनक और बॉडी की मीठी खुशबू पूरे कमरे में फैल गई। मैंने दवाई निकालकर दी, पानी पिलाया। पानी पीते वक्त उनकी नज़र मेरी पैंट के उभार पर टिक गई, होंठों पर हल्की सी मुस्कान आई और वो चली गईं। उस रात उनकी खुशबू मेरे तकिए में बसी रही, मैं देर तक उनके बारे में सोचता रहा।

सुबह सात-साढ़े सात बजे दूध वाला आया तो देखा भाभी अपने दरवाज़े पर खड़ी मुझे ही घूर रही थीं, मुस्कुराते हुए बोलीं, “आज नाश्ता मेरे यहाँ करोगे?” मैं फटाफट नहा-धोकर तैयार होकर उनके घर पहुँचा। घंटी बजाई तो अंदर से आवाज़ आई, “आ जाओ… दरवाज़ा बंद कर लो।” अंदर गया तो पता चला वो नहा रही हैं और घर पर बिल्कुल अकेली हैं। कुछ देर बाद बाथरूम का दरवाज़ा खुला और वो निकलीं तो मेरा दिल धड़क गया — गीले बाल, पानी की बूँदें गले से होते हुए गहरी क्लीवेज में लुढ़क रही थीं, पतला सा गाउन, अंदर कुछ नहीं पहना था, कड़े निप्पल साफ़ दिख रहे थे, मेरा लंड पैंट फाड़ने को हो गया।

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नाश्ते के दौरान मैंने फिर कल वाली बात छेड़ी तो वो अचानक मेरे गले लगकर फूट-फूटकर रोने लगीं। उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं, भारी बूब्स मेरी छाती से दब रहे थे। बताया कि पति ने सबके साथ शादी में चले गए, मुझे अकेला छोड़कर। मैंने धीरे से कहा, “चिंता मत करो, आज रात मैं तुम्हारे यहाँ रुक जाता हूँ, डर नहीं लगेगा।” वो मेरे सीने पर मुँह छुपाकर बोलीं, “प्लीज़ आ जाना, सच में बहुत डर लग रहा है, नींद भी नहीं आती।”

रात को उनके घर पहुँचा तो बोलीं सिर में फिर दर्द है। मैंने दवाई दी और कहा, “लेट जाओ, मैं मालिश कर देता हूँ।” वो बेड पर लेट गईं, मैं सिरहाने खड़ा होकर मालिश करने लगा। जैसे ही उँगलियाँ उनके माथे पर फेरीं, वो सिहर उठीं, गहरी साँस ली। धीरे-धीरे गर्दन, कंधे, फिर पीठ पर हाथ फेरने लगा। उनकी गर्म मुलायम त्वचा पर मेरे हाथ फिसल रहे थे, पसीने की हल्की चमक थी, खुशबू नाक में चढ़ रही थी। मेरा लंड उनकी गाँड से सटा हुआ था, वो भी महसूस कर चुकी थीं। अचानक बोलीं, “पीठ भी दबा दो ना, वहाँ भी दर्द है।”

मैं उनके पीछे बैठ गया, दोनों हाथ कमर पर रखे और धीरे-धीरे मसलने लगा। उनकी साँसें तेज़ हो गईं, कमर अपने आप पीछे को खिसकने लगी, मेरे लंड से रगड़ खा रही थी। मैंने हिम्मत करके गाँड पर हाथ रख दिया, वो सिसक पड़ीं, अचानक पलटीं और मुझे इस तरह जकड़ लिया जैसे सालों से भूखी हों। आँखों में आग थी, होंठ काँपते हुए फुसफुसाईं, “बस करो अब… मुझे चोद डालो… सालों से कोई ऐसा मर्द नहीं मिला… आज अपनी सस्ती रंडी बना लो मुझे।”

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मैंने एक झटके में ब्लाउज़ के सारे हुक तोड़ दिए, ब्रा ऊपर सरकाई, दोनों भारी बूब्स बाहर आ गए, गुलाबी निप्पल कड़े होकर खड़े थे। मैंने उन्हें मसलना शुरू किया, चूसना शुरू किया, वो मेरी पैंट खोलकर मेरा 7 इंच का मोटा लंड बाहर निकाल चुकी थीं, सहलाते हुए बोलीं, “वाह कितना मोटा-लंबा है… आज ये मेरी चूत और गाँड दोनों फाड़ देगा।” वो घुटनों पर बैठ गईं, लंड को प्यार से चूमा, जीभ से चाटा, फिर पूरा मुँह में ले लिया — ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गों… गों… गोग… गला तक ले जा रही थीं, लार टपक रही थी, आँखें ऊपर देखकर चूस रही थीं। मैं उनके बाल पकड़कर मुँह चोदने लगा। दस मिनट बाद बोला, “भाभी निकल रहा है,” वो और तेज़ चूसने लगीं, “मुँह में डाल साले… अपनी रंडी को पूरा माल पिला दे…” मैंने ज़ोरदार झटके दिए और गाढ़ा-गाढ़ा वीर्य उनके गले में उड़ेल दिया। वो एक बूँद भी नहीं गिरने दी, चूस-चूसकर साफ कर गईं।

अब मेरी बारी थी। मैंने उन्हें पूरा नंगा कर दिया, पैर फैलाए, उनकी चूत पूरी गीली चमक रही थी, रस की मीठी-मीठी खुशबू कमरे में फैल गई। मैंने जीभ से एक लंबा चाटा मारा, वो चीख पड़ीं, “आह्ह्ह्ह स्साले… चूत फाड़ दी… और ज़ोर से चाट रे मादरचोद…” मैंने जीभ अंदर तक डालकर चूसने लगा, वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाए जा रही थीं, कमर उछाल रही थीं, “हाँ कुत्ते… चाट अपनी रंडी की चूत… आह्ह्ह्ह्ह हराामी… और अंदर… स्साले आज मुझे पागल कर दे…” दस मिनट में झड़ गईं, पूरा रस मेरे मुँह में छोड़ दिया।

मेरा लंड फिर तना हुआ था। मैंने उन्हें लिटाया, पैर कंधों पर रखे, लंड उनकी चूत पर रगड़ा, चिपचिपी आवाज़ें आ रही थीं छप-छप, वो तड़प रही थीं, “अब डाल ना मादरचोद… कब से तरस रही हूँ तेरे लंड की…” मैंने पहले सुपारा अंदर किया, वो सिसक पड़ीं आह्ह्ह्ह… फिर धीरे-धीरे आधा, फिर एक ज़ोरदार झटके में जड़ तक पेल दिया। उनकी चूत की गर्माहट ने लंड को जकड़ लिया। मैं ज़ोर-ज़ोर से ठोकने लगा, बेड की चरमराहट, च्व्वाप-च्व्वाप की आवाज़ें, उनके बूब्स उछल रहे थे, मैं उन्हें मसल रहा था, वो गंदी-गंदी चीखने लगीं — “आह्ह्ह्ह साले हराामी… और तेज़ ठोक… फाड़ दे मेरी चूत… उफ्फ्फ़ मादरचोद… पूरा अंदर पेल… हाँ रे कुत्ते… ऐसे ही चोद अपनी रंडी को… आह्ह्ह्ह्ह बेटिचोद… मर गई रे… और ज़ोर से… स्साले आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दे… हाँ हिजड़े… ठोक ना… आज तुझे रंडी बना दूँगी… आह्ह्ह्ह्ह्ह रे लंड वाले… फाड़ डाल… पूरी रात चोदना… हाँ साले… और गहराई तक… आह्ह्ह्ह्ह रंडी की चूत फाड़ दे… मादरचोद… हराामी… कुत्ते के बच्चे… और तेज़…”

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आधे घंटे तक लगातार पेलता रहा, वो चार-पाँच बार झड़ीं। आखिर में बोला, “निकल रहा है,” वो बोलीं, “अंदर डाल स्साले… अपनी रंडी की चूत को वीर्य से भर दे…” मैंने एक ज़ोर का झटका मारा और उनकी चूत को अपने गाढ़े माल से पूरी तरह भर दिया। लंड निकाला तो वीर्य और उनका रस मिलकर मोटी धार की तरह बह रहा था।

उसके बाद दो दिनों तक हमने हर पोज़िशन में खूब चुदाई की। कभी मिशनरी, कभी घोड़ी बनाकर, कभी मैंने उनकी गाँड पर थप्पड़ मारते हुए लंड पेला। पहली बार गाँड में डाला तो वो चीखीं, “आह्ह्ह्ह्ह स्साले… गाँड फट जाएगी… धीरे…” पर मैंने नहीं माना, धीरे-धीरे पूरा घुसा दिया, फिर तेज़-तेज़ ठोकने लगा। वो भी मज़े लेने लगीं और खुद गंदी गालियाँ देने लगीं — “हाँ मादरचोद… गाँड मार… फाड़ दे आज… आह्ह्ह्ह्ह कुत्ते के बच्चे… पूरा अंदर पेल… रंडी की गाँड मार रे… आज से दोनों छेद तेरे… स्साले हराामी… और तेज़… गाँड का भोसड़ा बना दे… हाँ रे लंड वाले… फाड़ डाल मेरी गाँड को…”

दोनों छेदों में मैंने उनका रस निकाला, कई बार वीर्य भरा। जब घरवाले आने वाले थे, वो मेरा लंड चूमकर बोलीं, “तूने मुझे अपनी सस्ती रंडी बना लिया… जब जी चाहे आकर चोदना, मैं तेरी गुलाम हूँ अब।” आज भी जब मौका मिलता है, चुपके से खूब गंदी चुदाई करते हैं और वो लंड चूसते वक्त भी गंदी-गंदी गालियाँ देती रहती हैं। ये थी मेरी प्यासी पड़ोसन आरती भाभी की पूरी चुदाई की सच्ची कहानी।

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