नामर्द पति कॉफी पीता रहा, मैंने उसकी बीवी को पेला

Cuckold husband sex story – Virgin Hotwife sex story – Mangalsutra kink sex story: हैलो दोस्तों, मेरा नाम राकेश है और आज मैं आपको वो दिन याद दिलाने जा रहा हूँ जब मेरे लंड ने एक नामर्द पति की खूबसूरत बीवी को सचमुच औरत बनाया।

उस दिन मेरा फोन बजा था, दूसरी तरफ कोई शख्स हिचकिचाते हुए बोला और बिना कुछ कहे फोन काट दिया। अगले दिन फिर कॉल आया। मैंने मुस्कुराते हुए पूछा, “अनिल जी, खुल के बोलिए, क्या बात है?” वो रुआँसे स्वर में बोला, “राकेश भाई… मैं नामर्द हूँ, बिल्कुल नामर्द। मेरी बीवी मीरा साल भर से प्यासी मर रही है। वो वॉचमैन को, दूधवाले को, लिफ्टमैन को घूरती रहती है। मुझे डर लगता है कि कहीं गलत कदम न उठा ले। मैं उससे बेइंतहा प्यार करता हूँ, इसलिए तुमसे कह रहा हूँ… मेरी बीवी की आग बुझा दो।”

मैंने कहा, “पहले मीरा से बात कराओ।” अगले दिन अनिल ने फोन उसकी तरफ बढ़ाया। उसकी काँपती, पर भूखी आवाज ने मेरे लंड में सिहरन दौड़ा दी। मैं उनके घर पहुँचा। अनिल ने मुझे देखकर हल्के से मुस्कुराया और बोला, “दो-तीन घंटे तो लग ही जाएँगे ना?” मैंने सिर हिलाया और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

घर के अंदर हल्की गुलाबी रोशनी थी, अगरबत्ती की खुशबू हवा में घुली हुई थी और सामने खड़ी थी मीरा – हल्की सांवली रंगत, मंगलसूत्र गले में लहराता हुआ, सलवार-कमीज में कैद बड़े-बड़े भरे हुए बूब्स, पतली कमर, चौड़ी उभरी हुई गांड और वो कातिल आँखें जो सीधे मेरे लंड में चुभ रही थीं। उसकी साँसें तेज थीं, होंठ हल्के काँप रहे थे, जैसे साल भर से बंद कोई बाँध टूटने को बेकरार हो।

मैंने अनिल से कहा, “दो मिनट प्राइवेट में बात करनी है।” अनिल समझ गया और बाहर चला गया। मैंने मीरा से पूछा, “तुम्हें कोई जबरदस्ती तो नहीं?” वो एकदम मेरे सीने से लिपट गई, उसकी गर्म साँसें मेरे गले पर लग रही थीं, “नहीं राकेश… सच कहूँ तो मैं गार्ड से, ड्राइवर से, किसी से भी चुदवाने को तैयार थी। पर अब तुम आ गए हो… आज मुझे औरत बना दो।”

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मैंने उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रखे, वो भूखी शेरनी की तरह मेरे होंठ काटने लगी। किस करते-करते उसका मंगलसूत्र मेरे मुँह में आ गया। मैंने उसे जीभ से चाटते हुए फुसफुसाया, “ये मंगलसूत्र आज से मेरे नाम का हो गया।” वो सिहर कर बोली, “हाँ… ले लो मुझे… आज से मैं तेरी रंडी हूँ, तेरी रखैल हूँ।”

उसने मेरी शर्ट के बटन ऐसे खोले जैसे सालों से सिर्फ यही काम करने को तरस रही हो। पैंट की जिप खींची और मेरा 8 इंच का मोटा, नसों वाला लंड बाहर आया तो उसकी साँस रुक गई, आँखें चमक उठीं, “अरे बाप रे… ये तो घोड़े का है… अनिल का तो इसका आधा भी नहीं।” वो घुटनों पर बैठ गई, लंड को दोनों हाथों से सहलाने लगी, उसकी गर्म हथेलियाँ, नरम उंगलियाँ, फिर पूरा मुँह में ले लिया – ग्ग्ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग्ग… गोंग गोंग गोंग गोग गोग… उसकी गीली लार मेरे अंडों तक लटकने लगी। वो आँखें ऊपर उठाकर मुझे देखती और बोलती, “मम्म्म… कितना नमकीन, कितना गरम… अनिल का तो पेशाब जैसा टेस्ट आता है… तेरा तो पूरा मुँह भर गया… आज सारा माल पी जाऊँगी।”

मैंने उसके सारे कपड़े धीरे-धीरे उतारे, उसकी चूत बिल्कुल साफ-सुथरी, गुलाबी, पानी से तरबतर। उंगली डाली तो चपचप… चपचप… की आवाज आई, हल्की सी पेशाब की खुशबू और चूत के रस की मीठी महक ने मेरे दिमाग में आग लगा दी। मैंने उसकी चूत पर मुँह रखा, जीभ अंदर तक डालकर चूसने लगा। वो तड़प उठी, “आह्ह्ह्ह… राकेश… मादरचोद… कितना अच्छा चाटता है तू… आह्ह्ह इह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह… ऊईईई माँ मर गयी… चूस ले मेरी चूत को… आज तक किसी ने ऐसा नहीं चाटा…” उसकी जाँघें मेरे कंधों पर काँप रही थीं, चूत का पानी मेरे मुँह में भर रहा था।

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फिर हम 69 में लिपट गए। मैं उसकी चूत को चाट-चूस रहा था, वो मेरा लंड गले तक ले रही थी – ग्ग्ग्ग्ग… गों गों गों… करीब बीस मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। उसने एक बूंद नहीं छोड़ी, सारा गाढ़ा माल गटक गई और खुद भी झड़ गई – उसकी चूत से पानी का फव्वारा सा छूट पड़ा, मेरे चेहरे पर छिड़काव हो गया।

थोड़ी देर सुस्ताने के बाद वो फिर मेरे ऊपर चढ़ गई, मेरे निप्पल चूसते हुए बोली, “मेरे निप्पल काटो… दाँतों से… जोर से…” मैंने काटा तो वो चीखी, “आह्ह्ह्ह येस… और जोर से… आज मुझे निशान दे दो कि मैं सचमुच चुद चुकी हूँ।”

मैंने उसकी चूत पर ढेर सारी थूक लगाई, लंड का सुपारा उसकी फटी हुई, गीली चूत पर रगड़ने लगा। वो तड़प कर बोली, “बस कर पागल… अब और मत तड़पाओ… डाल दे अपना मोटा लंड…” मैंने सुपारा अंदर-बाहर करने लगा, वो कमर उछाल-उछाल कर लेने की कोशिश करती, पर मैं पूरा नहीं डाल रहा था। आखिर वो रोने लगी, “प्लीज… पूरा डालो… मर जाऊँगी…”

फिर एक जोर का धक्का मारा – फच्ह्ह्ह्ह्ह… पूरा 8 इंच जड़ तक अंदर। उसकी चूत ने लंड को इतनी जोर से जकड़ लिया कि हिलना मुश्किल था। वो चीख पड़ी, “आअअह्ह्ह्ह माँआआ… फट गयी मेरी चूत… उफ्फ्फ्फ… कितना मोटा है रे तेरा…” उसकी आँखों में आँसू थे, पर चूत और गीली हो गई।

धीरे-धीरे मैंने स्पीड बढ़ाई। अब वो भी मजे लेने लगी, अपनी गांड उछाल-उछाल कर पूरा लंड ले रही थी, “हाँ… चोद मुझे जैसे सस्ती रंडी को चोदते हैं… आज के बाद जब अनिल मुझे छुएगा, मुझे सिर्फ तेरा लंड याद आएगा…”

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फिर वो खुद घुटनों के बल हो गई, गांड ऊपर उठाकर बोली, “पीछे से फाड़ दो… जैसे कुत्ते चोदते हैं…” मैंने उसकी पतली कमर पकड़ी और जोर-जोर से ठोकने लगा – चपचप चपचप चपचप… हर धक्के से उसकी गांड की लहरें मेरे पेट से टकरातीं, पसीना हम दोनों के बदन पर चमक रहा था। वो चिल्ला रही थी, “हाँ… वैसे ही… आज मैं तेरी कुतिया हूँ… आह्ह्ह ऊईईई मर गयीीी…”

बीच में दरवाजे पर खटखटाहट हुई। अनिल की आवाज आई, “मीरा… सब ठीक तो है?” मीरा चुदते हुए जोर से चिल्लाई, “हाँ… बहुत ठीक है… आज पहली बार औरत बनी हूँ… तुम कॉफी पीते रहो…” ये सुनकर मैं और जोर-जोर से पेलने लगा।

फिर मैंने उसे दीवार से सटाकर खड़े-खड़े चोदा, उसका एक पैर मेरे कंधे पर, पूरा लंड अंदर-बाहर, उसकी चूत की चिपचिपाहट मेरे लंड पर लिपट रही थी।

आखिरी राउंड में मैं झड़ने वाला था। मीरा ने कंडोम खींच लिया और बोली, “अंदर डाल… मुझे तेरा बच्चा चाहिए… अनिल को बोल दूँगी उसका है…” मैंने कंडोम वापस चढ़ाया और मिशनरी में पूरी ताकत से पेला, सारा माल कंडोम में निकाल दिया। वो हाँफते हुए मेरे सीने पर गिरी, मंगलसूत्र मेरे मुँह में डालकर बोली, “अब ये हमेशा तेरे नाम का रहेगा… जब मन करे आ जाना… तेरी रखैल जो ठहरा।”

उस दिन हमने चार राउंड मारे। मीरा की चूत सूज गई थी, पर उसकी आँखों में वो सुकून था जो साल भर बाद मिला था।

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