भैया जैसे ही नाइट शिफ्ट के लिए निकले, भाभी ने सारे बर्तन साफ किए, बच्चे को सुलाया और आधे घंटे बाद लिविंग रूम की लाइट्स बंद करके मेरी गोद में आकर बैठ गईं। आज उन्होंने स्लीवलेस नाइटी पहनी थी – अंदर कुछ भी नहीं। मैंने दो मिनट में ही नाइटी ऊपर से खींचकर फेंक दी, और वो मेरी गोद में पूरी नंगी लिपट गईं। मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था। हमने वहीं सोफे पर एक-दूसरे को चाटना-चूमना शुरू कर दिया, फिर मैंने उन्हें गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया।
कहानी का पिछला भाग: भाभी के साथ अफेयर-7
बेड पर लिटाकर मैंने उनके तांगे चौड़े किए और चूत चाटने लगा। दस मिनट तक पूरा बदन चाटा – गर्दन, बूब्स, निप्पल्स, नाभि, जाँघें, फिर चूत में जीभ अंदर-बाहर करने लगा। भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। फिर वो मुझे लिटाकर मेरे पैरों के बीच आईं, अंडरवियर फेंका और लण्ड को प्यार से चूमने-चाटने लगीं। कुछ देर बाद पूरा मुँह में लेकर चूसने लगीं – ग्ग्ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग्ग्ग… गी… गी…
लण्ड पूरा गीला हो गया तो वो मेरे ऊपर चढ़ीं, लण्ड सेट किया और धीरे से बैठ गईं। फिर मेरी छाती पर गिरकर गांड हिलाने लगीं। मैंने एक हाथ से कमर पकड़ी, दूसरे से बाल खींचकर गर्दन चाटने लगा। भाभी कान में फुसफुसाईं, “आज अगर रफ़ होना चाहते हो तो कर लो… बस आखिरी राउंड प्यार से करना।”
ये सुनते ही मेरे अंदर का जानवर जाग गया। मैंने उन्हें पलटा, ऊपर चढ़ गया, एक हाथ से मुँह दबाया और दूसरे से निप्पल्स को इतना मरोड़ा कि वो बिस्तर में मुँह दबाकर चीखने लगीं। फिर निप्पल्स को मुँह में लेकर काटा, चूसा और साथ ही ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। पाँच मिनट बाद बाल पकड़कर घोड़ी बनाया, अपनी अंडरवियर उनके मुँह में ठूँस दी ताकि चीखें दब जाएँ, और पीछे से कमर पकड़कर जानवरों की तरह पेलने लगा। थप-थप-थप की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। हर धक्के पर उनकी गांड पर लाल थप्पड़ जड़ रहा था।
फिर बेड से नीचे उतारा, उन्हें बेड के किनारे झुकाया, दोनों हाथ पीछे खींचकर पकड़े और खड़े-खड़े इतना ज़ोर से ठोका कि उनके पैर काँपने लगे। दस मिनट बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया। लण्ड अभी भी अंदर था, धड़क रहा था। मैं बिना कंडोम के गर्म वीर्य उनकी दीवारों से टकरा रहा था। मैं बगल में गिर पड़ा। भाभी ने अंडरवियर मुँह से निकाली, मेरी छाती चूमते हुए बोलीं, “वाह… आज तक किसी ने ऐसा नहीं चोदा… तेरे भैया ने दस साल में भी नहीं किया जो तूने आज किया।”
मैंने हँसकर कहा, “अब कोई टेंशन नहीं, जब मन करे बुला लेना।” वो उदास होकर बोलीं, “पर तुम तो कल चले जाओगे…” मैंने उन्हें गले लगाया और कहा, “एक मैसेज या कॉल काफी है, मैं ट्रेन पकड़कर चला आऊँगा।” वो खुश हो गईं, फिर मुझे चूमने लगीं और बोलीं, “फिर तो रोज़ वीडियो कॉल करेंगे… फोन सेक्स भी करेंगे ना?” मैंने हँसकर सब समझा दिया।
दस मिनट बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया। मैंने कान में फुसफुसाया, “भाभी, एक आखिरी ख्वाहिश… बालकनी में खड़े-खड़े नंगी चुदाई करनी है।” वो पहले घबराईं, फिर मेरी मिन्नतों पर मान गईं। हम दोनों बिल्कुल नंगे बालकनी में निकले। रात के ग्यारह बज रहे थे, नीचे सड़क पर कभी-कभार गाड़ियाँ गुज़र रही थीं।
मैंने भाभी को दीवार से सटाया, एक टाँग ऊपर उठाई और लण्ड एक झटके में अंदर घुसेड़ दिया। भाभी ने मेरे कंधे पर मुँह दबा लिया ताकि चीख न निकले। मैंने उनकी गांड को दोनों हाथों से पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उछालना शुरू कर दिया। ठंडी हवा उनके नंगे बदन को सहला रही थी, बूब्स उछल-उछल कर मेरी छाती से टकरा रहे थे। वो सिसकियाँ लेते हुए फुसफुसा रही थीं, “कोई देख लेगा… आह्ह्ह… और तेज़… फाड़ दो आज…”
पंद्रह मिनट बाद मैंने उन्हें दीवार पर ही चिपकाकर आखिरी झटके मारे और फिर से उनकी चूत में गर्म वीर्य से भर दी। भाभी की टाँगें काँप रही थीं, वो मेरे गले में लिपटकर रोने सी लगीं – खुशी के मारे। हम दोनों पसीने और वीर्य से लथपथ, नंगे ही बालकनी में खड़े रहे।
फिर अंदर आकर नहाए, एक-दूसरे को साबुन लगाया, फिर बेड पर लिपटकर सो गए। सुबह पाँच बजे मेरी आँख खुली तो भाभी मेरे मेरे लण्ड को सहला रही थीं। बोलीं, “एक आखिरी बार… सिर्फ़ प्यार से।” हमने धीरे-धीरे, आँखों में आँखें डालकर, किस करते हुए चुदाई की और मैं तीसरी बार उनकी चूत में झड़ गया।
सुबह सात बजे मैं स्टेशन के लिए निकला। भाभी आँखें भरकर मुझे देख रही थीं। ट्रेन में बैठते वक्त उनका आखिरी मैसेज आया – “जल्दी लौटकर आना… तेरी रंडी भाभी इंतज़ार करेगी। ❤️”
और इस तरह मेरा वो हफ्ता खत्म हुआ – जिसने मेरी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी।
सीरीज़ यहाँ खत्म। अगर आपको पूरी सीरीज़ पसंद आई तो बताइएगा, फिर कभी नई कहानी लेकर आऊँगा।