भाभी के साथ अफेयर-6

Raw sex story – Bhabhi sex story: मुझे घर आए पाँच दिन हो चुके थे और आज मेरा आखिरी दिन था। कल दोपहर की ट्रेन से मुझे फिर मुंबई लौटना था। सुबह से ही भाभी उदास-उदास सी लग रही थीं। भैया ऑफिस चले गए, बच्चा स्कूल बस में बैठकर चला गया। जैसे ही भाभी ऊपर आईं, वो सीधे बेडरूम में घुसीं और मुझसे लिपटकर रोने लगीं। मैं घबरा गया, उनके गाल पकड़े, आँसू पोंछे और धीरे से पूछा, “क्या हुआ भाभी? भैया ने कुछ कहा?”

कहानी का पिछला भाग: भाभी के साथ अफेयर-5

वो सिसकते हुए बोलीं, “कल तुम चले जाओगे ना, सुबह से मन नहीं लग रहा। लगा था अब तुम कॉलेज की लड़कियों में व्यस्त हो जाओगे, मुझे भूल जाओगे।” मैंने उन्हें कसके गले लगाया, उनके भारी बूब्स मेरी छाती से दब गए, गांड पर ज़ोरदार थप्पड़ मारा और कहा, “कॉलेज की लड़कियों के पास ऐसी मुलायम, गोल-मटोल गांड कहाँ जो मैं पागल हो जाऊँ? मैं तो तुम्हारे लिए बार-बार आता रहूँगा।”

ये सुनकर भाभी की आँखें चमक उठीं, वो हँस पड़ीं और मेरी जीन्स के ऊपर से ही लण्ड सहलाने लगीं। मैंने फिर से उनकी गांड पर थप्पड़ जड़ा, कसके मसलते हुए लंबा स्मूच किया। हम खड़े-खड़े एक-दूसरे के बदन से खेल रहे थे, फिर मैंने उनकी गांड को दोनों हाथों से दबाकर उठाया और बेड पर लिटा दिया। खुद ऊपर चढ़कर किस करने लगा। थोड़ी देर बाद मैं लेट गया और भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं, मेरी छाती, गर्दन, कान हर जगह गर्म होंठ और जीभ फेर रही थीं।

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अचानक वो रुकीं, खड़ी हो गईं और नाइटी का पायजामा खोलकर फेंक दिया। फिर पैंटी उतारी और मेरे मुँह पर दे मारी। मैंने उस गीली पैंटी को नाक पर रखकर गहरी साँसें ली – भाभी की चूत की तेज़, मीठी खुशबू ने दिमाग घुमा दिया। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। भाभी फिर मुझसे लिपट गईं और कान में फुसफुसाईं, “कंडोम कहाँ है?” मैंने कहा, “खत्म हो गए।”

वो शरमाते हुए मुस्कुराईं और बोलीं, “चलो अच्छा है… आज अगर तुम चाहो तो बिना कंडोम के भी कर सकते हैं।” मेरी तो साँसें ही रुक गईं। मैंने चिल्लाकर कहा, “फक! भाभी आज तुम मुझे असली मज़ा देने वाली हो। आज तुम्हारी चूत की गर्मी, नमी, फिसलन सब सीधे मेरे लण्ड को महसूस होगी।”

मैंने उन्हें 69 में लिटाया। भाभी ने मेरा लण्ड मुँह में लिया और ग्ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग्ग… की आवाज़ें करते हुए चूसने लगीं। मैंने उनकी चूत पर जीभ फिराई तो वो काँप उठीं, ऊउईई… निखिल… क्या कर रहा है… पूरा रस निकाल लेगा… मैं जीभ अंदर-बाहर करने लगा, क्लिटोरिस को चूसने लगा। दस मिनट में भाभी की कमर ऊपर उठी और मेरे मुँह पर पहली बार बिना कंडोम की चुदाई से पहले ही झड़ गईं।

मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया, बोला, “बस भाभी अब नहीं रुक सकता, पलट जाओ।” वो हँसते हुए घोड़ी बन गईं और बोलीं, “आज मैं भी तेरे लण्ड की गर्मी अंदर महसूस करना चाहती हूँ।” मैंने लण्ड को उनकी चूत पर रगड़ा, दो-तीन बार फिसलाया ताकि पूरा गीला हो जाए, फिर कमर पकड़ी और धीरे-धीरे अंदर धकेला। बिना कंडोम के लण्ड पहली बार नंगी चूत में घुस रहा था – गर्माहट, चिकनाहट, फिसलन सब कुछ अलग था। भाभी सिसकियाँ लेने लगीं, मेरी छाती पर मुँह दबाकर काटने लगीं।

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जब पूरा लण्ड अंदर तक गया तो मैंने उनकी गांड पर ज़ोरदार थप्पड़ मारा और ठोकना शुरू कर दिया। पहले धीरे-धीरे, फिर स्पीड बढ़ाते गया। फच-फच-फच की आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं। भाभी की चूत इतनी गर्म और गीली थी कि हर धक्के में लण्ड और अंदर खिंचता जा रहा था। मैंने उन्हें पलटा, मिशनरी में लाया और ऊपर चढ़ गया। वो तांगे फैलाकर मुझे कसके जकड़ रही थीं, गर्दन पर किस कर रही थीं, काट रही थीं।

बीस मिनट हो चुके थे, भाभी दो बार झड़ चुकी थीं। अब मैं भी झड़ने वाला था। मैंने कहा, “भाभी मैं झड़ने वाला हूँ।” वो मुझे हाथ-पैरों से लॉक करके, सिसकियाँ लेते हुए कान में बोलीं, “आज मेरे अंदर ही झड़ जा प्लीज़… बहुत दिन हो गए किसी ने मेरे अंदर गर्म वीर्य नहीं डाला… प्लीज़ मेरी जान… भर दे मुझे…”

ये सुनते ही मैंने आखिरी चार-पाँच ज़ोरदार झटके मारे और भाभी की चूत की सबसे गहराई में अपना पूरा माल उड़ेल दिया। भाभी चीख पड़ीं, मेरे निप्पल्स पर काटा, पीठ पर नाखून गड़ा दिए। मैंने भी उनकी गर्दन पर काटकर लाल निशान बना दिया। हम दोनों चिल्लाते हुए, काँपते हुए एक साथ झड़े। मैं कुछ सेकंड तक उनके ऊपर ही पड़ा रहा, लण्ड अभी भी उनकी चूत में धड़क रहा था।

फिर मैं बगल में लेट गया। भाभी मुझसे लिपटकर पसीने से तर बदन को मेरे बदन से रगड़ रही थीं, मेरे होंठ चूम रही थीं और बार-बार कह रही थीं, “आज फिर से पूरा महसूस हुआ कि मैं औरत हूँ… तूने मुझे फिर से जीना सिखा दिया।” हम दोनों नंगे ही लिपटकर लेटे रहे, मेरे वीर्य की गर्माहट अभी भी उनकी चूत से बाहर टपक रही थी।

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अगली कहानी अगले पार्ट में।

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