Blackmail sex story – didi ki chudai sex story: मैं संजय, फिर से अपनी वो आपबीती सुना रहा हूँ जो आज भी लंड खड़ा कर देती है। मोना के साथ तो मैं महीनों से रोज़ चुदाई कर रहा था, कभी मेरे घर, कभी उसके घर जब कोई न हो, कभी पार्क की झाड़ियों में भी लंड उसकी चूत में पेल चुका था। पर एक दिन वो रोते हुए मेरे घर आई।
दोपहर के दो बजे थे, मैंने दरवाज़ा खोला तो मोना अंदर घुसी और बोली, “संजय, मर गई मैं, दीदी को सब पता चल गया, वो मम्मी-पापा को बता देगी, मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी।” मैंने उसे गले लगाया, चूमते हुए कहा, “डर मत जान, मैं कुछ न कुछ कर लूँगा।” उस दिन तो मैंने उसे बेड पर लिटाकर खूब चोदा, उसकी चूत में उँगलियाँ डालकर शांत किया और घर भेज दिया, पर रात भर नींद नहीं आई। मोना की दीदी रिया को मैं अच्छे से जानता था, 21 साल की, डीयू के कॉलेज में बीए कर रही थी, गोरी जैसे दूध, लंबी-लंबी टाँगें, भरी हुई गांड और ऐसे दूध कि टॉप फटने को होता था। वो गुस्से वाली भी थी, एक बार मोहल्ले के लड़के ने छेड़ा था तो थप्पड़ मारकर उसका मुँह सूजा दिया था। सोचकर ही पसीना छूट रहा था।
अगले दिन मम्मी मोना की मम्मी के साथ बाज़ार गई थीं, मैं घर पर अकेला था। दोपहर के ढाई बजे घंटी बजी। मैंने सोचा मोना होगी, दरवाज़ा खोला तो सामने रिया खड़ी थी। काला स्लीवलेस टॉप, सफेद मिनी स्कर्ट, बाल खुल्ले, लाल लिपस्टिक, और आँखों में आग। मेरी तो घिग्घी बँध गई। वो बिना बोले अंदर आई, सोफे पर धम्म से बैठी और बोली, “बोल संजय, मेरी छोटी बहन को कितने दिन से चोद रहा है तू?” मैं ज़मीन में गड़ गया, नज़रें नीची करके खड़ा रहा। वो उठी, मेरे पास आई, मेरी ठुड्डी पकड़कर ऊपर की और बोली, “अब शरम आ रही है? मोना ने सब बता दिया, कितना लंबा है तेरा लंड, कितनी देर चोदता है, सब। अब या तो मैं सबको बता दूँगी या तू मेरे साथ भी वही करेगा जो मोना के साथ करता है।”
मैंने काँपते स्वर में कहा, “दीदी… गलती हो गई… माफ कर दो।” वो हँसी और बोली, “गलती सुधारने का एक ही तरीका है, आज मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल, वरना अभी मम्मी को फोन करती हूँ।” ये सुनते ही मेरे लंड ने सलामी दी। मैंने धीरे से उसका हाथ पाँव छुआ और बोला, “जो कहोगे करूँगा दीदी।”
वो वापस सोफे पर लेट गई, एक टाँग सोफे पर चढ़ा दी, स्कर्ट अपने आप ऊपर सरक गई। उसकी गोरी जाँघें चमक रही थीं। उसने मेरा हाथ पकड़कर अपनी जाँघ पर रख दिया और बोली, “पहले अच्छे से देख ले, मोना से अच्छी हूँ या नहीं।” उफ्फ्फ… उसकी टाँगें मखरगोश के बालों जैसी मुलायम थीं। मैंने हाथ फेरना शुरू किया, ऊपर-ऊपर जाता गया, स्कर्ट पूरी ऊपर कर दी तो उसकी सफेद लेस वाली पैंटी दिखी, बीच में गीला धब्बा साफ दिख रहा था। वो सिसकारी, “हाय्य… संजय… कितने दिन से तेरे लंड के बारे में सोच रही थी… आज चखूँगी।”
मैंने घुटनों पर बैठकर उसकी पैंटी के ऊपर से चूत चूमने लगा। वो तड़प कर बोली, “पैंटी ऊपर कर ना… सीधी चूत चाट… आह्ह्ह्ह… ह्हीईई…” मैंने पैंटी साइड की तो उसकी गुलाबी, बिल्कुल साफ चूत मेरे सामने थी, जैसे अभी-अभी शेव की हो। मैंने जीभ से क्लिट पर घुमाया तो वो चिल्लाई, “ओह्ह्ह्ह्ह मादरचोद… कितना मज़ा दे रहा है… और ज़ोर से चाट… आह्ह्ह्हीईई… हाय्य रे…” उसका रस मेरे मुँह में बह रहा था, मैं जीभ अंदर-बाहर कर रहा था, दो उँगलियाँ भी चूत में डाल दीं तो वो काँपने लगी, “आह्ह्ह्ह संजय… बस कर… झड़ने वाली हूँ… ऊउउइइइइ…” और सच में उसकी चूत से रस की फव्वारा छूट गया।
वो हाँफ रही थी, मैंने कहा, “दीदी, बेड पर चलो, आराम से करूँगा।” वो उठी नहीं, बोली, “मुझे गोद में उठा।” मैंने उसे गोद में उठाया, उसके दूध मेरे सीने से दब रहे थे। बेडरूम में ले जाकर लिटाया। वो बेड पर पीठ के बल लेटी, दोनों टाँगें मोड़कर फैला दीं। मैंने अपना टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतारा, सिर्फ अंडरवियर में था। वो मेरी तरफ देखकर बोली, “कितना तगड़ा बदन है रे… मोना ने सही पकड़ा था।”
मैं उसके ऊपर झुका, काले टॉप में हाथ डालकर उसके दूध दबाने लगा। सच में मोना से दोगुने बड़े थे, भारी-भारी। मैंने टॉप ऊपर किया तो काली ब्रा में उसके दूध फँसे हुए थे। ब्रा का हुक खोला तो वो उछल कर बाहर आए। गुलाबी निप्पल्स एकदम टाइट। मैंने एक चूचूक मुँह में लिया, ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा, दूसरा हाथ से मसल रहा था। वो तड़प रही थी, “हाय्य संजय… मेरे दूध दबा के लाल कर दे… आह्ह्ह्ह… चूस रे मादरचोद… कितने दिन से तरस रही थी…”
मैं नीचे सरकता गया, उसकी नाभि चाटी, फिर स्कर्ट का ज़िप खोलकर पूरी उतार दी। अब वो सिर्फ काली ब्रा और सफेद पैंटी में थी। मैंने पैंटी भी उतार दी। उसकी चूत फिर से मेरे सामने थी, रस से लबालब। मैंने उसकी टाँगें कंधों पर रखीं और चूत चाटने लगा। वो मेरे बाल पकड़कर सिर दबा रही थी, “हाय्य रे… जीभ अंदर डाल… और अंदर… आह्ह्ह्ह… ह्हीईई… संजय बस… अब लंड डाल ना… बर्दाश्त नहीं हो रहा…”
मैंने अंडरवियर उतारा, मेरा 7 इंच का लंड लहरा रहा था। वो देखकर बोली, “हाय्य… कितना मोटा है… मोना सही कहती थी… आज मेरी चूत फट जाएगी।” उसने खुद लंड पकड़ा, सहलाने लगी, फिर झुककर टोपा चाटने लगी। “ग्ग्ग्ग… गोंगों… गीगीगी…” की आवाज़ करते हुए पूरा मुँह में ले लिया। मैंने उसका सिर पकड़कर हल्के-हल्के धक्के देने शुरू किए। वो गला तक ले रही थी, आँखों में पानी आ गया था पर रुकने का नाम नहीं ले रही थी।
फिर हम 69 में आ गए। मैं उसकी चूत और गांड दोनों चाट रहा था, वो मेरा लंड चूस रही थी। थोड़ी देर में वो फिर झड़ गई, मैंने भी उसके मुँह में झड़ गया। वो सारा माल पी गई और बोली, “तेरा वीर्य भी मीठा है रे…”
दो मिनट आराम किया, फिर वो बोली, “अब असली खेल शुरू कर।” मैंने उसे लिटाया, उसकी टाँगें फैलाईं, लंड का सुपारा चूत पर रगड़ा। वो बोली, “धीरे डालना, पहली बार किसी लंड से चुद रही हूँ, पहले सिर्फ उँगली और बैंगन से ही काम चलाती थी।” मैंने धीरे-धीरे अंदर घुसाया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि तीन-चार धक्कों में ही पूरा अंदर चला गया। वो चीखी, “आह्ह्ह्ह्ह… मर गई… फट गई मेरी चूत… पर रुक मत… और अंदर तक पेल… हाय्य…” मैं धीरे-धीरे फिर तेज़-तेज़ धक्के मारने लगा। उसके दूध उछल रहे थे, मैं उन्हें दबा रहा था। वो नीचे से चूतड़ उछाल रही थी, “हाय्य संजय… और तेज़… चोद मुझे… अपनी रंडी बना ले… आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्हीईई…” दस मिनट बाद वो फिर झड़ गई, मैंने लंड निकालकर उसके मुँह में डाल दिया और अपना सारा माल उसके गले में उड़ेल दिया।
थोड़ी देर बाद उसने खुद मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं पीछे से उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए चोदने लगा। वो बोली, “गांड में उंगली डाल… हाय्य… दोनों छेद भर दे आज…” मैंने पहले एक, फिर दो उँगलियाँ उसकी गांड में डालीं। वो तड़प रही थी। फिर मैंने लंड पर थूक लगाया और धीरे से गांड में घुसाया। पहले टोपा गया तो वो चीखी, “आह्ह्ह्ह्ह… मर गई… धीरे… पर पूरा डाल…” धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी गांड में चला गया। मैंने तेज़-तेज़ धक्के देने शुरू किए। वो बोली, “हाय्य… गांड में भी इतना मज़ा… आज से दोनों छेद तेरे हैं…”
हमने तीन घंटे तक लगातार चुदाई की। मिशनरी, डॉगी, काउगर्ल, स्पूनिंग, हर पोज़िशन आज़माई। आखिरी राउंड में वो ऊपर आई और खुद लंड पर उछल-उछल कर चोदने लगी, उसके दूध मेरे मुँह पर लटक रहे थे, मैं चूस रहा था। वो बोली, “आज से मैं तेरी रखैल हूँ… जब मन करे चोद लेना… मोना को भी यही बोला है।”
जब वो जाने लगी तो लंगड़ाते हुए बोली, “मुझे नहीं पता था चुदाई में इतना मज़ा है, वरना मोना से पहले मैं तुझे फँसा लेती। अब कभी भी बुला लेना, मैं नंगी होकर आ जाऊँगी।” उसने मुझे लंबा किस किया और चली गई।
उसके बाद तो मौका मिलते ही कभी मोना, कभी रिया, कभी दोनों बहनों को एक साथ बेड पर लिटाकर दोनों की चूत और गांड मारता रहा। वो दिन आज भी याद आते हैं जब दो गर्म गर्म चूतें मेरे लंड की गुलाम थीं।
दोस्तों, ये थी मेरी असली आपबीती, मोना की दीदी रिया के साथ तीन घंटे की पूरी चुदाई।