नशे में धुत पापा ने गोरी बेटी को रातभर पेला

Papa ki randi sex story – Sharabi Papa sex story – Father daughter sex story: मेरा नाम बर्खा है, उम्र अभी-अभी 19 साल पूरी हुई थी, मैं दुबई से लौटकर दिल्ली में बीए फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था। कॉलेज की सारी लड़कियाँ मुझे देखकर जलती थीं क्योंकि मैं सच में बहुत गोरी हूँ, लंबे सिल्क जैसे बाल, बड़ी-बड़ी काली आँखें, गुलाबी होंठ, 34-26-36 का फिगर और ऊपर से यूरोपियन स्टाइल के कपड़े। घरवाले प्यार से मुझे “गोरी परी” बुलाते थे।

उस दिन मम्मी को बहुत तेज बुखार था, डॉक्टर ने दो नींद की गोलियाँ दी थीं, वो रात को नौ बजे ही बेहोश होकर सो गईं। बाकी सब लोग मेरी मौसी की लड़की की शादी में लखनऊ गए हुए थे, घर में सिर्फ मैं और पापा थे। पापा को शराब की बुरी लत थी, रोज रात को 11-12 बजे तक दारू पीकर आते थे।

मैं उस रात काले रंग का स्लीवलेस नाइट सूट पहने हुए थी, नीचे छोटी-सी काली पैंटी और ब्रा, ऊपर से पतला सा साटन का गाउन। दस बज रहे थे जब पापा की कार की आवाज आई। मैंने पानी का ग्लास लेकर उनके कमरे में जाने की हिम्मत की। दरवाजा खुला था, पापा बेड पर लेटे हुए थे, सिर्फ काले रंग का अंडरवियर पहने हुए, उसमें उनका लंड पूरी तरह तना हुआ था, कपड़ा फटने को था। 9 इंच लंबा और इतना मोटा कि मेरी आँखें फटी रह गईं।

पापा ने मुझे देखते ही शराबी आवाज में बुलाया, “आजा बेटा… पानी दे… और हाँ, मेरे पैर दबा दे आज बहुत थक गया हूँ।” मैं डरते-डरते अंदर गई, पानी पिलाया, फिर उनके पैरों के पास बैठ गई। जैसे ही मैंने पैर दबाना शुरू किया, पापा बोले, “ऊपर… और ऊपर… जांघों तक दबा।” मेरे हाथ काँप रहे थे, लेकिन मैं दबाती रही।

पापा ने अचानक मेरा हाथ पकड़ा और एक झटके में मुझे अपनी गोद में खींच लिया। मेरे होंठ उनके होंठों से टकरा गए। उन्होंने मेरे होंठों को अपने मोटे होंठों में लेकर इतना जोर से चूसा कि “चुप्प… चुप्प… चुप्प…” की आवाज आने लगी। उनकी जीभ मेरे मुँह में घुस आई, मेरे मुँह का सारा रस चूसने लगे। मैं हक्की-बक्की रह गई, हाथ-पैर ठंडे पड़ गए।

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पापा ने मुझे अपनी छाती से चिपकाते हुए पूरे चेहरे पर, गालों पर, कान के पीछे, गर्दन पर किस की बरसात कर दी। उनकी दाढ़ी मेरे गालों को चुभ रही थी। वो फुसफुसाए, “बर्खा… कितनी गोरी है तू रे… बिल्कुल विदेशी माल… आज पापा तुझे अपना बना लेंगे।” मैं मन ही मन रोने लगी, लेकिन आवाज नहीं निकल रही थी।

पापा ने मेरे गाउन का नाड़ा खींचा, गाउन नीचे सरक गया। अब मैं सिर्फ काले रंग की ब्रा-पैंटी में थी। पापा की आँखें लाल हो गईं, वो गुर्राए, “काली ब्रा-पैंटी में तो तू रंडी लग रही है बेटी… आज तेरी जबरदस्त चुदाई होगी।” मैंने काँपती आवाज में कहा, “पापा… नहीं… मैं आपकी बेटी हूँ…” वो हँसे, “हाँ बेटी ही तो है… इसलिए तो आज तुझे असली मर्द का लंड चखाऊंगा।”

उन्होंने मुझे बेड पर लिटाया, मेरे ऊपर चढ़ गए, दोनों हाथों से मेरी ब्रा को ऊपर खींच दिया, मेरी गोरी-गोरी चुचियाँ बाहर आ गईं। निप्पल्स गुलाबी और सख्त हो चुके थे। पापा ने पहले एक चुची को मुँह में लिया, “चक चक चक चक” जोर-जोर से चूसने लगे, दूसरी चुची को हाथ से मसल रहे थे, निप्पल को उंगलियों से मरोड़ रहे थे। मैं दर्द और मजें दोनों में तड़प रही थी, “आह्ह… पापा… धीरे… आह्ह्ह…”

फिर उन्होंने दूसरी चुची भी मुँह में लेकर चूसी, दोनों चुचियों को लाल कर दिया। मेरी साँसें तेज हो गईं, चूत में गर्मी बढ़ने लगी। पापा ने मेरी पैंटी पर हाथ फेरा, वो पहले से ही गीली हो चुकी थी। पापा हँसे, “देख बेटी… तेरी बुर तो पहले से रस छोड़ रही है… बोल ना… पापा का लंड चाहिए ना?” मैं शर्मा कर चुप रही, लेकिन मेरी सिसकियाँ बता रही थीं कि हाँ चाहिए।

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पापा ने पैंटी को एक झटका मारकर फाड़ दिया, मेरी गुलाबी चूत सामने आ गई। वो नीचे झुके, दोनों पैर फैलाए और जीभ से चूत चाटने लगे, “चट चट चट चट” की आवाजें आने लगीं। मैं तो पागल हो गई, “आह्ह्ह… पापा… ओह्ह्ह… क्या कर रहे हो… आह्ह्ह इह्ह्ह…” पापा ने क्लिट को दाँतों से काटा, दो उंगलियाँ चूत में डालकर अंदर-बाहर करने लगे। मैं कँप रही थी, पहली बार कोई मेरी चूत को छू रहा था।

पापा ने अपना अंडरवियर उतारा, उनका 9 इंच का मोटा काला लंड मेरे सामने लहरा रहा था, सुपारा चमक रहा था। वो बोले, “देख बेटी… ये तेरे पापा का असली औजार है… आज ये तेरी चूत को फाड़ देगा।” मैं डर गई, “पापा… बहुत बड़ा है… नहीं घुसेगा…” पापा हँसे, “घुस तो जाएगा… और तुझे इतना मजा आएगा कि तू रोज माँगेगी।”

उन्होंने मेरे दोनों पैर कंधों पर रखे, लंड का सुपारा मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मैं सिहर उठी, “आह्ह्ह… पापा… गर्म है…” पापा ने मेरे होंठ अपने मुँह में दबा लिए ताकि चीख न निकले और एक जोरदार झटका मारा। आधा लंड अंदर घुस गया, मुझे लगा चूत फट गई, “आअह्ह्ह्ह… मम्मीईई… निकालो पापा…” आँखों से आँसू बहने लगे।

पापा रुके नहीं, दूसरा झटका मारा, पूरा लंड जड़ तक घुस गया, खून की बूंदें निकलने लगीं। पापा धीरे-धीरे झटके मारने लगे, मेरी चुचियों को मसलते हुए, निप्पल्स चूसते हुए। दस-पंद्रह मिनट में दर्द कम हुआ, मजा बढ़ने लगा। मैं खुद गांड उछालने लगी, “आह्ह… पापा… और जोर से… आह्ह्ह… फाड़ दो मेरी चूत को…”

पापा ने स्पीड बढ़ाई, “थप थप थप थप” की आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं, मेरी चूत से “फच फच फच फच” की आवाजें आने लगीं। पापा गंदी-गंदी बातें बोल रहे थे, “ले बेटी… ले पापा का लंड… कितनी टाइट चूत है तेरी… आज से तू मेरी रंडी है… बोल ना… पापा की रंडी है तू…” मैं पागल होकर चिल्लाई, “हाँ पापा… आपकी रंडी हूँ… और जोर से चोदो… आह्ह्ह उउइईई… मर गई… आह्ह्ह…”

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पूरे एक घंटे तक पापा ने मुझे मिशनरी में चोदा, फिर मुझे घोड़ी बनाया, पीछे से लंड घुसाया, मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए चोदते रहे। आखिर में मेरे ऊपर लेटकर जोर-जोर से झटके मारे और मेरी चूत में अपना गरम वीर्य भर दिया, इतना कि चूत से बाहर बहने लगा। हम दोनों पसीने से तर थे।

उसके बाद पापा ने मुझे उठाया, बाथरूम में ले गए, शावर के नीचे दोनों नंगे खड़े होकर किस करने लगे। पापा ने फिर मेरा मुँह चोदना शुरू किया, मैं घुटनों पर बैठ गई, उनका लंड मुँह में लिया, “ग्ग्ग्ग्ग… गों गों गोग…” की आवाजें करते हुए डीपथ्रोट करने लगी। पापा ने मेरे बाल पकड़कर मुँह चोदा और सारा रस मेरे मुँह में छोड़ दिया, मैंने सब पी लिया।

उस रात पापा ने मुझे पाँच बार चोदा, अलग-अलग पोजीशन में। सुबह मैं चल भी नहीं पा रही थी, चूत सूज गई थी। पूरे महीने पापा ने दिन-रात मुझे चोदा, कभी किचन में सब्जी काटते हुए पीछे से, कभी सोफे पर, कभी कार में। मैं उनकी दूसरी बीवी बन चुकी थी।

फिर पापा को दूसरे राज्य में ट्रांसफर हो गया, लेकिन हर वीकेंड आते और दो-तीन दिन लगातार मुझे चोदते। चार महीने बाद मैं प्रेग्नेंट हो गई। पापा खुश थे, बोले, “हमारा बच्चा होगा बेटी… तू मेरी बीवी है अब।” मैं भी खुश थी, क्योंकि मुझे उनका 9 इंच का मोटा लंड मिल गया था जो मुझे दिन-रात चोदता था।

अब मैं उनके साथ ही रहने जा रही हूँ, चार साल तक कॉलेज की पढ़ाई के बहाने। बस हम दोनों और हमारा आने वाला बच्चा।

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