Brother sister sex story – Virgin didi ki seal todi sex story: मेरा नाम रोबिन है, उम्र अभी 19 साल की हुई है, मैं दिल्ली में कॉलेज करता हूँ और शाम को एक छोटी सी जॉब भी, घर में चार लोग हैं – मम्मी, पापा, मैं और मेरी बड़ी दीदी। दीदी का नाम प्रिया है, उम्र 22 साल, वो घर पर ही रहती हैं, ऑनलाइन कोर्सिंग करती हैं और घर का सारा काम संभालती हैं। दीदी दिखने में बला की खूबसूरत हैं, गोरा रंग, लंबे काले बाल, कमर पतली और चूचियाँ इतनी बड़ी कि कोई भी टी-शर्ट पहनें तो उछल-उछल के बाहर आने को होती हैं। उनकी गांड भी कमाल की है, बिल्कुल गोल, भारी और जब चलती हैं तो लहराती हुई चलती है। मैं बचपन से ही दीदी को नहाते हुए देखता आया हूँ, बाथरूम का दरवाजा नीचे से थोड़ा सा गैप छोड़ता है, वहाँ से उनकी नंगी चूचियाँ, गुलाबी निप्पल्स और चूत का पूरा नजारा साफ दिखता है। कई बार मैं घंटों बैठकर देखता रहता था, लंड पकड़कर हिलाता रहता था।
फिर एक दिन मौका आया। गाँव में किसी रिश्तेदार की शादी थी, मम्मी-पापा दोनों चले गए, चार-पाँच दिन का प्लान था। मेरे एग्जाम नजदीक थे इसलिए मैंने मना कर दिया, और दीदी भी बोलीं कि वो भी नहीं जाएंगी, घर पर ही रहेंगी। मम्मी-पापा को लगा दोनों भाई-बहन साथ हैं तो कोई दिक्कत नहीं। वो चले गए और पूरा घर हमारे पास था। पहले दो दिन तो सब नॉर्मल रहा, खाना बनाते, साथ में टीवी देखते, हँसते-बोलते। लेकिन तीसरे दिन रात को हम हॉल में लेटकर टीवी देख रहे थे, दीदी ने ब्लैक कलर की टाइट लेगिंग और ढीला सा सफेद टॉप पहना था, ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि घर पर कोई था नहीं, चूचियाँ हरकत के साथ हिल रही थीं। अचानक एक इंग्लिश मूवी लगी, उसमें बहुत हॉट किसिंग सीन आया, लड़का लड़की को दीवार से सटाकर जीभ अंदर डाल रहा था। मैंने मजाक में दीदी का हाथ पकड़ लिया और बोला, “दीदी, किस करने में कितना मजा आता होगा ना? आपके होंठ तो ऐसे हैं जैसे रस भरे हों।” दीदी ने हँसते हुए हाथ छुड़ाया, “चुप हरामी, गंदी मूवी देखकर तेरे दिमाग में कीड़े पड़ गए हैं क्या?” पर उनकी साँसें तेज थीं, गाल लाल हो गए थे।
उस रात मुझे बिल्कुल नींद नहीं आई। लंड बार-बार खड़ा हो रहा था, दिमाग में बस एक ही सीन – दीदी की चूत में अपना 6.5 इंच का मोटा लंड पेलते हुए। रात के सवा बारह बज चुके थे, मैं चुपके से बेड से उठा, हॉर्ट्स और बनियान में ही था, लंड पहले से ही टाइट हो रहा था। दीदी का कमरा बगल में था, दरवाजा अंदर से बंद नहीं था। मैंने धीरे से दरवाजा खोला, दीदी गहरी नींद में थीं, बेड लाइट जल रही थी, उन्होंने वही ब्लैक लेगिंग और टॉप पहना हुआ था। मैं बेड के पास गया, दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि लग रहा था दीदी सुन लेंगी। पहले मैंने उनके चेहरे को देखा, रसीले होंठ थोड़े खुले हुए थे, फिर नजर नीचे गई, टॉप ऊपर सरका हुआ था, नाभि दिख रही थी। मैंने धीरे से उनके होंठों पर उंगली फेरी, फिर अपना अंगूठा उनके होंठों के बीच में डाल दिया, दीदी ने नींद में चूसा भी। मेरा लंड फटने को हो रहा था।
मैं धीरे से उनके बगल में लेट गया, पहले उनके गाल पर किस किया, फिर गर्दन पर, दीदी ने हल्का सा करवट बदली, अब उनकी चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने टॉप को और ऊपर किया, दोनों बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्रा के बिना बाहर आ गईं, गुलाबी निप्पल्स खड़े हो चुके थे। मैंने एक चूची को हाथ में लिया, भारी थी, मुलायम थी, निप्पल को उंगलियों से दबाया, फिर मुँह में ले लिया, चूसने लगा। दीदी की साँसें तेज हो गईं, लेकिन नींद में थीं। मैंने दूसरी चूची भी चूसी, दांतों से निप्पल काटा। अब मैं और रुक नहीं पाया, मैंने अपना हॉर्ट्स नीचे किया, लंड बाहर निकाल लिया, उसको दीदी की चूची पर रगड़ने लगा। फिर मैंने धीरे से दीदी की लेगिंग नीचे की, पैंटी सफेद थी और बीच में गीली हो चुकी थी। मैंने पैंटी भी नीचे सरका दी, दीदी की चूत बिल्कुल साफ, गुलाबी और एकदम टाइट थी, एक भी बाल नहीं।
मैंने सबसे पहले दीदी की गांड की तरफ मुँह किया, दोनों पैर थोड़े उठाए और गांड के छेद पर जीभ रख दी। दीदी की नींद में ही “उम्म्म्म… आह्ह…” निकला। मैंने जीभ अंदर डाल दी, गांड चाटने लगा, दीदी की गांड से हल्की सी खुशबू आ रही थी, मैं पागल हो गया। फिर मैंने पैर और चौड़े किए, चूत का मुँह खोला, जीभ अंदर तक डालकर चूसने लगा। दीदी की चूत से रस टपकने लगा। अब दीदी की नींद खुल चुकी थी, वो चौंक कर उठीं, “रोबिन! तू यहाँ क्या कर रहा है? ये क्या पागलपन है?” मैं डर गया, लेकिन लंड इतना जोश में था कि मैंने हिम्मत की और बोला, “दीदी नींद नहीं आ रही थी, वो मूवी का सीन दिमाग में घूम रहा था, बस देखते-देखते…”
दीदी ने मेरी आँखों में देखा, फिर मेरे खड़े लंड पर नजर पड़ी, उनकी आँखों में पहले गुस्सा था, फिर कुछ और, वो मुस्कुराईं और बोलीं, “हरामी कहीं का, अपनी दीदी के साथ ऐसा कर रहा है?” फिर खुद मेरे हॉर्ट्स को पूरी तरह नीचे कर दिया और मेरा मोटा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगीं, “कितना बड़ा हो गया है रे तेरा, पहले तो इतना नहीं था।” मैंने दीदी को खींचकर अपने ऊपर लिटा लिया, उनकी चूचियाँ मेरे मुँह पर लग रही थीं, मैंने दोनों चूचियों को जोर-जोर से चूसने लगा। दीदी की साँसें तेज हो गईं, “आह्ह… धीरे पागल… दांत लगा रहा है… आह्ह्ह…”
फिर दीदी ने खुद अपना टॉप उतार फेंका, अब सिर्फ लेगिंग और पैंटी लटक रही थी पैरों में। मैंने दीदी को बेड पर लिटाया, उनके पैर फैलाए और फिर से चूत चाटने लगा। दीदी ने मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा लिया, “चाट साले… अपनी दीदी की चूत फाड़ के रख दे… आह्ह्ह… कितने दिन से देखता था ना मुझे नहाते हुए… आज चाट ले पूरा… ओह्ह्ह…” मैं जीभ अंदर-बाहर करने लगा, दीदी का रस मेरे मुँह में भर गया। फिर दीदी ने मुझे ऊपर खींचा और मेरा लंड मुँह में ले लिया, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… पूरा गले तक ले जा रही थीं, आँखें लाल हो गई थीं उनकी। मैंने कहा, “दीदी तू तो प्रो है… कितना अच्छा चूस रही है…” दीदी हँसकर बोलीं, “तेरे लिए ही सीखा है हरामी… आह्ह चूस मेरी चूचियाँ फिर…”
मैंने दीदी की चूत में पहले एक उंगली डाली, फिर दो, फिर तीन। दीदी चिल्ला रही थीं, “आह्ह्ह… फाड़ दे… उंगलियों से ही चोद मुझे… ओह्ह्ह…” मैंने तेजी से उंगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा। दीदी का बदन काँपने लगा, वो झड़ गईं, चूत से पानी की फव्वारा सा निकला। अब मैंने लंड उनकी चूत पर रखा, दीदी ने खुद पैर और चौड़े कर लिए, “डाल दे साले… अपनी दीदी की चूत फाड़ दे आज… कितने दिन से तड़प रही हूँ मैं भी…” मैंने सुपारा अंदर किया, सिर्फ टॉप ही गया था कि दीदी चीख पड़ीं, “आअह्ह्ह्ह… मर गई… बहुत मोटा है तेरा… धीरे…” लेकिन मैंने एक जोर का धक्का मारा, पूरा लंड अंदर चला गया, दीदी की चूत से खून निकलने लगा, वो रोने लगीं, “बस कर… फट गई मेरी चूत… आह्ह्ह्ह…”
मैंने कहा, “दीदी आज तो तेरी चूत की सील टूटनी ही थी… मेरे लंड से… अब चुपचाप लेती रह…” और धीरे-धीरे ठोकने लगा। पहले दर्द की वजह से दीदी चीख रही थीं, फिर धीरे-धीरे मजा आने लगा, वो खुद कमर उचकाने लगीं, “हाँ साले… अब ठोक… जोर-जोर से… अपनी दीदी को रंडी बना दे… आह्ह्ह… ह्ह्ह… ओह्ह्ह…” मैंने स्पीड बढ़ाई, खचाखच… खचाखच… खचाखच… की आवाजें पूरे कमरे में गूँजने लगीं। दीदी की चूचियाँ उछल रही थीं, मैंने उन्हें पकड़कर दबाया। दीदी बार-बार झड़ रही थीं, “आह्ह्ह… ऊउइइइ… मर गई रे… तेरे लंड ने तो जान ले ली… ओह्ह्ह…”
फिर मैंने दीदी को घोड़ी बनाया, उनकी गांड ऊपर की और लंड गांड के छेद पर रखा। दीदी डर गईं, “नहीं… वहाँ नहीं… फट जाएगी…” मैंने कहा, “दीदी आज तो दोनों छेद फाड़ने हैं…” और थूक लगाकर धीरे-धीरे लंड अंदर सरकाया। दीदी चीखीं, “ओइइइइ… मर गई… फाड़ दी तूने… आह्ह्ह्ह…” लेकिन मैं नहीं रुका, पूरी गांड मारने लगा। दीदी की चीखें धीरे-धीरे “हाँ… और जोर से… फाड़ दे मेरी गांड भी…” में बदल गईं। मैंने उनकी गांड को थप्पड़ मारे, चूचियाँ पीछे से दबाईं और खूब चोदा। आखिर मैं झड़ने वाला था, मैंने लंड निकाला और फिर चूत में डालकर सारा माल अंदर छोड़ दिया। दीदी भी साथ में झड़ गईं।
हम दोनों पसीने से तर, एक-दूसरे से लिपटकर लेटे रहे। फिर दीदी बोलीं, “हरामी, इतना मजा कभी नहीं आया… अब रोज चोदना मुझे।” हम दोनों नहाने गए, शावर के नीचे खड़े होकर फिर किस किया, मैंने दीदी की चूत में साबुन लगाकर उंगली की, दीदी ने मेरा लंड धोया। रात भर हमने तीन बार और चुदाई की, कभी दीदी ऊपर, कभी मैं, कभी घोड़ी बनाकर। सुबह तक दीदी की चूत और गांड दोनों लाल हो चुकी थीं, लेकिन वो मुस्कुरा रही थीं।
अब मम्मी-पापा आ गए हैं, लेकिन जब भी मौका मिलता है, दीदी मुझे आँख मारकर बुलाती हैं और चुपके से चुदाई हो जाती है।