Papa beti sex story – Virgin Gand sex story – Baap beti hardcore sex story: हेलो दोस्तों, मैं वेयर वुल्फ एक बार फिर आपकी खिदमत में हाज़िर हूँ। जैसा कि नाम से साफ़ है, ये बाप और सगी बेटी के बीच की बेहद गरम और सच्ची कहानी है। इस कहानी के हीरो मेहमूद साहब से मेरी मुलाकात बिजनेस के सिलसिले में हुई थी, उम्र में हम दोनों में काफी फर्क था लेकिन दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि अब वो मुझसे बिल्कुल दिल खोल कर बात करते हैं। यही कहानी उन्होंने खुद मुझे सुनाई थी, अब आप इसे मेहमूद साहब की ज़ुबानी सुनिए।
मेरा नाम मेहमूद है, उस वक्त मेरी उम्र 52 साल थी। आज से करीब दस साल पहले की बात है। मेरी इकलौती बेटी शाजिया उस दिन अठारह साल की हो चुकी थी। उसकी माँ की मौत उसे सिर्फ तीन साल की उम्र में हो गई थी, उसके बाद मैंने कभी दूसरी शादी नहीं की क्योंकि मुझे डर था कि कोई और औरत मेरी बेटी को वो माँ का प्यार नहीं दे पाएगी। मैंने शाजिया को माँ और बाप दोनों बनकर पाला, और वो मुझसे इतना प्यार करती थी कि अपनी हर छोटी-बड़ी बात मुझसे शेयर करती थी। उसने अभी-अभी बी.कॉम पूरा किया था और मेरी इजाज़त से नौकरी शुरू कर दी थी।
उस दिन शाजिया की तबीयत थोड़ी नासाज़ थी, इसलिए उसने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। मैं सुबह अपने ऑफिस चला गया था, लेकिन दोपहर में किसी ज़रूरी काम से मुझे अचानक घर लौटना पड़ा। मेरे पास मेन गेट की चाबी थी, इसलिए मैंने बेल नहीं बजाई, चुपचाप दरवाज़ा खोला और अंदर आ गया। गर्मी ज़ोरों पर थी, घर में शाजिया कहीं दिखाई नहीं दी तो मैं सीधा उसके बेडरूम की तरफ बढ़ा। दरवाज़ा हल्का सा खुला हुआ था। अंदर झाँका तो शाजिया गहरी नींद में थी। उसने हल्की गुलाबी नाइटी पहनी थी जो सोते वक्त ऊपर तक खिसक गई थी, उसकी गोरी-चमकदार जाँघें पूरी नंगी थीं, नाइटी के नीचे से काली ब्रा और काली पैंटी साफ़ झलक रही थीं। काले रंग का कंट्रास्ट उसके दूधिया बदन पर ऐसा लग रहा था मानो कोई सेक्स की मूर्ति बेड पर लेटी हो।
बीवी की मौत के बाद पंद्रह सालों में मैंने कभी किसी औरत की तरफ नज़र उठाकर भी नहीं देखा था, अपनी सारी सेक्सुअल भूख को मैंने बेटी की परवरिश के लिए दबा रखा था। आज अचानक अपनी ही बेटी का इतना नंगा और मदमस्त बदन देखकर मेरे पूरे जिस्म में बिजली सी दौड़ गई, पसीना छूटने लगा, और पंद्रह साल से सोया हुआ मेरा लंड एक झटके में अकड़ कर पैंट फाड़ने को हो गया। मैं चाहकर भी नज़रें नहीं हटा पा रहा था। दिल में एक ज़ोरदार ख्वाहिश उठी कि आज अपनी ही बेटी को चोद डालूँ। दो कदम आगे बढ़ा ही था कि दिमाग ने झटका दिया – ये मेरी बेटी है। मैं वहाँ से हटा, अपने कमरे में गया और लंबी-लंबी साँसें लेकर खुद को समझाने की कोशिश की, लेकिन लंड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। बार-बार शाजिया का नंगा बदन आँखों के सामने घूम रहा था। आखिरकार हार मानकर मैं बाथरूम में घुसा और पहली बार अपनी बेटी के नाम की मुठ मारी।
मुठ मारकर बाहर निकला तो फिर वही हुआ, शाजिया का गोरा-चमकदार बदन याद आते ही लंड फिर खड़ा हो गया। दिल और दिमाग में घमासान लड़ाई हुई, लेकिन आखिर में दिल जीत गया। मैं फिर उसके कमरे में पहुँचा। शाजिया अभी भी बेखबर सो रही थी, उसका नंगा बदन मुझे खुल्लम-खुल्ला न्योता दे रहा था। मैं धीरे से बेड पर उसके पास बैठ गया, कुछ पल उसकी जवानी को निहारता रहा, फिर झुककर अपने होंठ उसके नरम-गुलाबी होंठों से सटा दिए और ब्रा के ऊपर से ही उसके भरे-पूरे मम्मों को मसलने लगा। मम्मों के दबाव से शाजिया नींद में ही मचल उठी, हल्की-हल्की सिसकियाँ लेते हुए बड़बड़ाने लगी, “नहीं ज़ोहेब… कोई आ जाएगा…”
ज़ोहेब का नाम सुनते ही मैं चौंक गया, लगा ये उसका बॉयफ्रेंड है। मैंने फिर किस किया, मम्मे ज़ोर से दबाए। इस बार शाजिया की आँखें खुलीं, मुस्कुराती हुई बोली, “ज़ोहेब तुमसे एक दिन की जुदाई भी बर्दाश्त नहीं हुई जो घर चले आए?” मेरी आवाज़ सुनकर वो एकदम हड़बड़ा कर उठी, मुझे देखकर घबरा गई, “पापा… आप?” मैंने शांत स्वर में पूछा, “हाँ मैं हूँ, लेकिन ये ज़ोहेब कौन है?” वो हकलाने लगी, “पापा वो मेरे साथ ऑफिस में काम करता है…” मैंने कुछ नहीं कहा, बस फिर से उसके मम्मे ज़ोर से दबा दिए।
शाजिया कसमसाई, “पापा ये आप क्या कर रहे हैं, नहीं कीजिए, ये गलत है…” मैंने उसके होंठों पर फिर अपना मुँह रखते हुए कहा, “सही क्या है गलत क्या है मुझे नहीं पता, बस जो कर रहा हूँ वो इस वक्त बिल्कुल सही लग रहा है।” इतना कहते हुए मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और एक झटके में ब्रा निकाल दी। उसने अपने नंगे मम्मों को छिपाने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसके हाथ कसकर पकड़ लिए और दोनों मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा, फिर एक मम्मे को मुँह में लेकर चूसने लगा। पहले तो शाजिया ने हल्का-सा विरोध किया, लेकिन जल्दी ही उसकी साँसें तेज़ हो गईं, विरोध बंद हो गया और वो सिसकने लगी, आह्ह्ह… इह्ह्ह… ओह्ह्ह…
उसकी सिसकियाँ सुनकर मैंने उसके हाथ छोड़ दिए। फिर उसे उठाया, नाइटी पूरी उतार दी और बेड पर लिटा दिया। अब मेरे सामने सिर्फ काली पैंटी में मेरी जवान बेटी थी। मैंने उसके जिस्म को नज़र भर कर निहारा, वो शरमाकर मुस्कुराई। मैंने कहा, “शाजिया तुम्हारा बदन सच में बहुत खूबसूरत और सेक्सी है।” वो मुझे अपनी तरफ खींचते हुए बोली, “पापा अब ये सेक्सी बदन आपका है, जो चाहें कीजिए।” उसकी बात ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया। मैं उसके ऊपर टूट पड़ा, दोनों मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से मसलते हुए बारी-बारी चूसने लगा। पंद्रह साल से प्यासा था, आज मौका मिला तो सारी प्यास एक साथ बुझाना चाहता था।
शाजिया को भी मेरी बेताबी से बेहद मज़ा आ रहा था, वो मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबाते हुए सिसकियाँ ले रही थी, उफ्फ्फ्फ्फ्फ़ पापा जानी… खा जाइए इन दूध से भरे मम्मों को… ये सिर्फ आपके लिए हैं… आह्ह्ह्ह्ह… इह्ह्ह्ह… और ज़ोर से चूसिए ना… मुझे बहुत मज़ा आ रहा है… उसकी बेताबी देखकर मैं और पागल हो गया, दोनों मम्मों को दबा-दबा कर इतना चूसा कि जब मुँह हटाया तो वो लाल-लाल हो चुके थे। अब मैंने उसकी चूत पर पैंटी के ऊपर से हाथ फेरना शुरू किया, पैंटी पूरी गीली थी, साफ़ था वो पहले ही झड़ चुकी थी। मैं मुस्कुराया, “बेटी तुम तो झड़ गई हो।” वो मुझे गहरा किस करते हुए बोली, “हाँ पापा, आपने मुझे इतना गरम कर दिया था कि मैं वैसे ही झड़ गई।”
फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। मेरी बेटी की गुलाबी, बिल्कुल साफ-सुथरी और तंग चूत मेरे सामने थी, इतनी खूबसूरत गुलाबी चूत तो उसकी माँ की भी नहीं थी। मैंने उस पर हाथ फेरा तो शाजिया की लंबी सिसकारी निकली, आआआह्ह्ह्ह… मैंने कहा, “शाजिया तुम्हारी चूत भी तुम्हारे जिस्म जितनी प्यारी और गुलाबी है।” वो सिसकते हुए बोली, “पापा… मम्मी के अलावा आपने किसी और की चूत मारी है?” मैंने मुस्कुरा कर कहा, “नहीं बेटी, मेरी ज़िंदगी में सिर्फ तेरी माँ आई थी, उसके बाद मैंने किसी को छुआ तक नहीं, सिर्फ तेरी परवरिश के लिए।” वो हैरान हुई, “यानी आपने पूरे पंद्रह साल से सेक्स नहीं किया?” मैंने कहा, “हाँ, बिल्कुल नहीं।”
शाजिया की आँखों में शरारत और प्यार दोनों चमके, “तो आज आपकी बेटी आपकी सारी प्यास बुझा देगी पापा… मसल डालिए मुझे… मेरे जिस्म को नोच डालिए…” मैंने उसकी चूत में उंगली डाली तो वो ज़ोर से सिसकी, आह्ह्ह्ह पापा… फिर पूछा, “बेटी बेखुदी में जिस लड़के का नाम ले रही थी, क्या तुमने उसके साथ सेक्स किया है?” पहले तो वो घबराई, लेकिन मैंने प्यार से यकीन दिलाया तो सच बोल दिया, “हाँ पापा, मैं ज़ोहेब के साथ पाँच बार सेक्स कर चुकी हूँ।” मैं मुस्कुराया, “तो मेरा लंड तेरी चूत आसानी से ले लेगी।” वो शरमाई, “पापा आपने तो अपना लंड अभी दिखाया ही नहीं।”
मैंने सारे कपड़े उतार फेंके। मेरा नौ इंच लंबा, तीन इंच मोटा लंड एकदम तना हुआ खड़ा था। शाजिया की आँखें फटी की फटी रह गईं, उफ्फ्फ्फ्फ्फ़ पापा जानी… आपका लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है… मैंने पूछा, “ज़ोहेब का कितना बड़ा है?” वो बोली, “उसका आठ इंच लंबा और ढाई इंच मोटा है, मैं तो उसी को बहुत बड़ा समझती थी, लेकिन आपका तो उससे भी बड़ा है।” मैंने कहा, “ये तेरे आशिक का नहीं, तेरे बाप का लंड है।” वो मुस्कुराई, “हाँ, और मुझे पूरा यकीन है आप मुझे मेरे आशिक से कहीं ज़्यादा मज़ा देंगे।”
मैंने कहा, “चलो तुम मेरे लंड से प्यार करो, मैं तुम्हारी चूत चाटता हूँ।” हम दोनों 69 पोजीशन में लेट गए। उसकी गुलाबी चूत मेरे मुँह के ठीक सामने थी और मेरा लंड उसके होंठों से टकरा रहा था। शाजिया ने फटाक से मुँह खोलकर मेरा लंड अंदर ले लिया और चूसने लगी, ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… गोग… उसकी डीपथ्रोट आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं। मैंने भी जीभ निकाल कर उसकी चूत लपलपाने लगा। कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ा, मैंने सारा रस पी लिया, और मेरा भी झड़ गया, शाजिया ने सारा माल मज़े से निगल लिया।
थोड़ी देर और एक-दूसरे को चाटते रहे, फिर मेरा लंड फिर तन गया तो शाजिया बेताब होकर बोली, “बस पापा जानी… अब मुझे चोदिए… मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा।” मैंने उसकी दोनों टाँगें चौड़ी कीं, उसके चूतड़ के नीचे तकिया रखा ताकि चूत अच्छे से ऊपर उठ जाए, फिर उसके ऊपर लेटकर अपना नौ इंची लंड उसकी चूत के सुराख़ पर टिकाया और दोनों मम्मों को मसलते हुए कहा, “शाजिया बेटी तैयार हो… मैं अंदर करने वाला हूँ।” वो सिसकियाँ लेते हुए बोली, उफ्फ्फ्फ्फ्फ़ पापा जानी जल्दी अंदर कर दीजिए… आपकी बेटी अपने बाप से चुदवाने को बेकरार है।
उसकी बात ने मेरे अंदर आग लगा दी। मैंने ज़ोरदार झटका मारा और एक ही धक्के में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया। शाजिया के मुँह से ज़ोर की चीख निकली, आआआआआह्ह्ह्ह्ह… मेरा लंड उसके लिए बहुत मोटा था इसलिए दर्द हुआ। मैं रुक गया, “बेटी दर्द हुआ?” वो मुस्कुराई, “हाँ पापा जानी… ज़ोहेब के लंड से बहुत बड़ा और मोटा है तो दर्द तो होगा ही… लेकिन मज़ा उससे हज़ार गुना ज़्यादा है… आप दर्द की परवाह मत कीजिए… मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदिए।”
उसकी बात ने मुझे और जोश दे दिया। मैंने ज़ोर-ज़ोर के झटके मारने शुरू किए, पहले तो वो दर्द से चीखती रही, आह्ह्ह्ह… इह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… लेकिन जैसे ही उसकी चूत मेरे लंड की आदी हुई, उसके मुँह से लज़्ज़त भरी सिसकियाँ निकलने लगीं, उफ्फ्फ्फ्फ्फ़ पापा जानी… आप तो कमाल चोदते हैं… आआआह्ह्ह्ह्ह… मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया… हायyyyy… ज़ोहेब ने कभी नहीं दिया इतना मज़ा… उफ्फ्फ्फ्फ… आपने पहले क्यों नहीं चोदा… आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अब रोज़ चोदिएगा ना… मेरी चूत आपके लंड के बग़ैर नहीं रह पाएगी… और ज़ोर से पापा… आपकी बेटी को बहुत मज़ा आ रहा है…
उसकी बातें सुनकर मैं और तेज़ी से ठोकने लगा। पूरे पच्चीस मिनट तक लगातार चोदता रहा, इस बीच शाजिया दो बार झड़ चुकी थी। फिर पंद्रह मिनट और ज़ोरदार चोदाई के बाद मैं भी झड़ गया, सारा माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर पड़ा। शाजिया ने मुझे कसकर जकड़ लिया और भावुक होकर किस करने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने पूछा, “बेटी मज़ा आया?” वो मुस्कुराई, “पापा जानी इतना मज़ा आया कि ज़ोहेब पूरे दिन चोदकर भी जितना नहीं दे पाता, आपने एक बार में दे दिया।”
मैंने पूछा, “ज़ोहेब से तुम्हारा रिश्ता क्या है?” वो बोली, “हम एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं, मैं उससे शादी करना चाहती हूँ।” मैंने कहा, “तो कल उसे घर बुला लो, मैं उससे मिलना चाहता हूँ।” वो खुशी से लिपट गई। फिर मैंने पूछा, “क्या ज़ोहेब ने कभी तेरी गांड मारी है?” वो शरमाई, “नहीं पापा जानी, उसे गांड मारना पसंद नहीं, मेरी गांड अभी तक कुंवारी है।” मैं खुश हुआ, “तो क्या तू मुझे अपनी गांड मरवाएगी?” वो बोली, “पापा जानी मैं आपको कैसे मना कर सकती हूँ, आप जो चाहें करें।”
मेरा लंड फिर खड़ा हो चुका था। मैंने कहा, “चल डॉगी स्टाइल में खड़ी हो।” शाजिया कार्पेट पर घुटनों के बल हो गई। मैं उसके पीछे गया, लंड उसकी गांड के सुराख़ पर रखा और कमर पकड़कर बोला, “बेटी दर्द होगा, बर्दाश्त करना।” वो बोली, “पापा जानी फाड़ डालिए मेरी गांड को।” मैंने ज़ोरदार झटका मारा, पहले ही धक्के में चार इंच अंदर चला गया। शाजिया ज़ोर से चीखी, आआआआआह्ह्ह्ह्ह… मैंने फिर पूरा बाहर निकाला और और ज़ोर से ठोका, पूरा नौ इंची लंड उसकी गांड में घुस गया। वो फिर चीखी और आगे गिर पड़ी। मैंने फिर खड़ा किया और ज़ोर-ज़ोर से गांड मारनी शुरू की। पहले तो वो दर्द से चीखती रही, लेकिन धीरे-धीरे मज़ा लेने लगी और खुद चूतड़ पीछे हिलाने लगी।
पूरे पैंतीस मिनट तक उसकी गांड मारता रहा, फिर उसकी गांड में ही झड़ गया। लेकिन पंद्रह साल की प्यास कहाँ दो बार में बुझने वाली थी। मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया, पाँच मिनट में फिर खड़ा हो गया। फिर मैंने उसे रात तीन बजे तक नौ बार और चोदा। आखिर में वो मेरी बाहों में लिपटकर सो गई।
अगले दिन वो ज़ोहेब को साथ लेकर आई। मुझे लड़का और उसकी पसंद दोनों पसंद आए। दोनों घरों में बात चली और शाजिया-ज़ोहेब की शादी हो गई। आज शाजिया दो बच्चों की माँ है, ज़ोहेब के साथ बहुत खुश है, लेकिन मुझे कभी नहीं भूली। जब भी घर आती है, मुझसे खूब चुदवाती है और मेरी प्यास बुझाकर जाती है। हमारे इस रिश्ते का आज तक ज़ोहेब को पता नहीं चला। और हाँ, शाजिया के दो बच्चों में से एक बच्चा मेरा है।