Bhabhi devar sex story – Horny bhabhi hardcore sex story: हैलो दोस्तों, मेरा नाम शाहिद है, लंबाई 5 फुट 10 इंच और मेरा लंड पूरा 7 इंच का तगड़ा और मोटा है, दोस्तों आज मैं आपको अपनी ही पड़ोस में रहने वाली गर्म भाभी ऋतु की चुदाई की पूरी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिनको मैं बचपन से हवस भरी नजरों से देखता था और उनकी चूत चोदने के सपने में हर रात मुठ मारता था, आखिरकार एक दिन वो सपना सच हो गया और मैंने उनकी चूत को अच्छे से चोदा, उनकी चीखें सुनी और उनका रस पिया, ये मेरी पहली कहानी है इसलिए पूरा विस्तार से लिख रहा हूँ ताकि आप सब भी मेरा लंड खड़ा कर लो।
मेरी भाभी का नाम ऋतु है, उम्र मेरे से सिर्फ 8 साल बड़ी यानी अभी 30 के करीब, फिगर कमाल का है, बूब्स 34 के भारी-भरकम और गोल, कमर पतली 24 और गांड 36 की उभरी हुई, गोरी चिट्टी स्किन, लंबे काले बाल, हर वक्त हल्की सी स्माइल और आँखों में हवस, जब भी वो साड़ी या नाइटी में घूमती तो उनका भरा हुआ जिस्म देखकर मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को होता था, मैं शुरू से ही चूत का दीवाना हूँ, अपनी उम्र की कई लड़कियों को चोद चुका हूँ, कईयों की सील तोड़ी, पर भाभी जैसा माल कभी नहीं मिला।
मैं हमेशा मौका ढूंढता था कि कब उनकी चूत में अपना लंड पेल दूँ, उनके घर आता-जाता रहता था, एक दिन सब रिश्तेदार उनके घर आए हुए थे, मैं इधर-उधर घूम रहा था, तभी देखा छत पर कपड़े सूख रहे थे, उनमें भाभी की सेक्सी जालीदार ब्रा और पेंटी भी थीं, नीले और काले रंग की, एकदम पारदर्शी, मैंने इधर-उधर देखा कोई नहीं था, चुपके से उनकी पेंटी उठाई और सूंघने लगा, चूत की हल्की सी खुशबू आ रही थी, मैंने जीभ से चाटना शुरू किया, ग्ग्ग्ग… गी.. गी.. ऐसा लगा जैसे सचमुच उनकी चूत चाट रहा हूँ, फिर उनकी जालीदार ब्रा उठाई, उसे मुँह से दबाया और निप्पल वाली जगह चूसने लगा, लंड इतना सख्त हो गया कि दर्द करने लगा।
अचानक पीछे मुड़कर देखा तो भाभी खड़ी थीं, मुझे शरारती मुस्कान दे रही थीं, आँखों में हवस साफ दिख रही थी, मैं डर गया पर वो पास आईं, मेरे कानों में फूँक मारते हुए बोलीं, “क्यों शाहिद, बहुत गर्मी लग रही है ना आजकल”, फिर मेरी पैंट पर हाथ फेरते हुए मेरा खड़ा लंड पकड़ लिया और धीरे से दबाया, मैं तो सन्न रह गया, वो मेरे होंठ चूसने लगीं, हम दोनों वहाँ छत पर ही एक-दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे, मैंने उनकी गांड दबाई, बूब्स मसलने लगा, वो सिसकारियाँ ले रही थीं, आह्ह.. ह्ह.. शाहिद.. कोई आ जाएगा, पर रुकने का नाम नहीं ले रही थीं, आखिर बोलीं, “बाद में पूरा मजा लेंगे, अभी सब घर पर हैं”, मैं बाथरूम में गया और उनकी ब्रा-पेंटी के नाम की जोरदार मुठ मारकर लंड शांत किया।
उस दिन के बाद हम दोनों की नजरें मिलतीं तो आग लग जाती थी, जब भी मौका मिलता मैं उन्हें बाथरूम में खींच लेता, घंटों स्मूच करते, उनकी जीभ चूसता, वो मेरी भी, मैं उनकी निप्पल चूसता तो वो मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलातीं, कई बार मैंने उनकी पेंटी में हाथ डाला, चूत गीली मिलती, उँगलियाँ अंदर-बाहर करने लगता, वो काँपतीं, आह इह्ह.. शाहिद धीरे.. ओह्ह, फिर वो घुटनों पर बैठ जातीं, मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगतीं, ग्ग्ग्ग.. गों.. गों.. गोग.. पूरा लंड गले तक ले जातीं, मैं उनके मुँह को चोदता, जोर-जोर से धक्के देता, वीर्य निकलता तो वो एक बूंद नहीं गिरने देतीं, सब पी जातीं और जीभ से लंड साफ कर देतीं, मुझे लगता था भैया ने तो सचमुच कोई रंडी ही घर ला रखी है।
पर भाभी मुझे अपनी चूत नहीं चोदने देती थीं, सिर्फ ओरल और बूब्स चुसवातीं, मैं बेचैन रहता, एक रात मैं घर पर मुठ मार रहा था कि भाभी का फोन आया, बोलीं, “भैया हांगकांग बिजनेस ट्रिप पर जा रहे हैं, एयरपोर्ट छोड़ने आ जाओ”, मैं समझ गया आज मौका है, भैया को छोड़ा और वापस उनके घर पहुँचा, दरवाजा खोला तो भाभी उसी नीली जालीदार ब्रा-पेंटी में बिस्तर पर लेटी थीं जो मैंने छत पर चाटी थी, देखते ही मेरा लंड फटाफट खड़ा हो गया, मैं पीछे से गया, अपना खड़ा लंड उनकी गांड पर रगड़ने लगा, वो जागीं, मुस्कुराईं और मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगीं, हम फिर पागलों की तरह चूमने लगे।
मैंने 15 मिनट तक उनके होंठ चूसे, ब्रा के ऊपर से बूब्स मसलता रहा, निप्पल काटने लगा, फिर ब्रा खोली तो सख्त गुलाबी निप्पल देखकर पागल हो गया, एक को मुँह में लेकर चूसने लगा, दूसरा उँगलियों से मसलता रहा, भाभी तड़प रही थीं, आह्ह.. शाहिद.. आज चोद ले मुझे.. बहुत दिन से तरस रही हूँ, मैंने कहा आज तो तेरी चूत फाड़ दूँगा, वो हँसकर बोलीं, हाँ इसलिए ही तो बुलाया है, जी भर के चोद अपनी रंडी भाभी को, ये सुनकर मैंने उनकी पेंटी फाड़ दी, दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, मैं उनकी चूत चाटने लगा, रस से पूरी भीग चुकी थी, मैं जीभ अंदर तक डालकर चूस रहा था, वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं, ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गोग, उनकी सिसकारियाँ गूँज रही थीं, आह्ह्ह.. ह्हीईई.. शाहिद.. चूस रे.. पूरी चूत खा जा, ओह्ह.. ऊउइइ.. मेरी हवस सातवें आसमान पर थी।
फिर मैंने उन्हें उल्टा किया, घोड़ी बनाया और अपनी 7 इंच की रॉड उनकी टाइट चूत पर रगड़ने लगा, भाभी बिल्कुल पागल हो रही थीं, बोल रही थीं, साले मादरचोद जल्दी डाल.. बहनचोद चोद मुझे, मैंने एक जोरदार झटका मारा, आधा लंड अंदर चला गया, भाभी चीख उठीं, आईईईई.. माँ.. मर गई.. धीरे शाहिद.. बहुत मोटा है तेरा, पर मैंने फिर पूरा लंड एक झटके में पेल दिया, चूत सचमुच बहुत टाइट थी, कई लंड खा चुकी फिर भी, मैं धीरे-धीरे पेलने लगा, फिर स्पीड बढ़ाई, भाभी की चीखें कमरे में गूँजने लगीं, आह्ह ह ह ह ह्हीईई.. और जोर से.. मादरचोद.. फाड़ दे चूत.. हाँ साले ऐसे ही, उनके नाखून मेरी पीठ पर निशान बना रहे थे, मैंने उन्हें लिटाया, पैर कंधों पर रखे और जोर-जोर से धक्के देने लगा, हर धक्के में लंड बच्चेदानी से टकरा रहा था, भाभी उछल-उछल कर चुद रही थीं, आआअह्ह्ह्ह.. ऊईईई.. मर गई.. और तेज.. हाँ हाँ और तेज।
आधे घंटे तक लगातार चुदाई की, अलग-अलग पोजीशन में, घोड़ी बनाकर, साइड से, ऊपर बैठकर, भाभी तीन बार झड़ीं, चूत से रस की बौछारें निकल रही थीं, आखिर मेरा भी होने वाला था, मैंने लंड निकाला, उनके बूब्स के बीच फँसाया और जोर-जोर से हिलाते हुए सारा वीर्य उनके मुँह में उड़ेल दिया, भाभी ने एक-एक बूंद पिया और होंठ चाटकर साफ किए, मैं थककर लेट गया पर भाभी अभी भी गर्म थीं, मैंने उनका वाइब्रेटर (जो बाथरूम में देखा था) लिया और उनकी चूत में डालकर चला दिया, साथ में जीभ से भोसड़ी चाटता रहा, भाभी फिर से चरम पर पहुँच गईं, आह्ह्ह्ह.. ऊउइइइ.. हाँ शाहिद.. ऐसे ही.. और तेज, पूरी तरह ठंडी होने तक मैंने उन्हें चोदा।
फिर मैंने खुद उनकी ब्रा-पेंटी पहनाई, चूमा और जाने लगा, भाभी बोलीं, “हर शनिवार को आएगा ना वरना भैया को बता दूँगी कि तूने कितनी बेरहमी से मुझे चोदा”, मैं हँसा और बोला, “साली रंडी, जब कहेगी तब चोदूंगा”, आज तक हर हफ्ते शनिवार को उनकी चूत चूसता हूँ, चोदता हूँ और वीर्य पिलाता हूँ, वो भी पूरा मजा लेती हैं।