Didi ki bur chudai sex story: मेरा नाम संदीप है, मैं आन्ध्र प्रदेश का रहने वाला हूँ, उम्र 22 साल, दुबला-पतला लेकिन लंड मोटा और लम्बा, हमेशा टाइट जीन्स और टी-शर्ट में रहता हूँ, मूड हमेशा मस्ती भरा। घर में पिताजी, माताजी, मेरी बड़ी बहन सुनन्दा और मैं रहते हैं, सुनन्दा 24 साल की है, गोरी-चिट्टी, भरी हुई बॉडी, बड़े-बड़े बूब्स और गोल गाँड, घर में ज्यादातर सलवार-कमीज बिना बाह की पहनती है, मूड हमेशा चुलबुला और छेड़खानी वाला। बचपन से हम दोनों एक-दूसरे के बहुत करीब हैं, कभी सेक्स नहीं हुआ था, लेकिन चिपकना, मस्ती करना, गले लगना, हमारी आदत थी। कॉलेज से घर लौटते ही हम साथ बैठते, बातें करते, अलग-अलग सिर्फ नहाने और क्लास के टाइम ही होते थे।
सुनन्दा को मेरे सारे राज़ पता थे, मुझे उसके सारे राज़, दोस्तों की ज़रूरत ही नहीं पड़ी कभी, हमेशा एक-दूसरे के साथ। वो मेरे साथ ज्यादातर बिना बाह की कमीज़ और सलवार में रहती, हम चिपककर बातें करते, मुझे उसके बदन की गर्मी, उसकी साँसों की महक, काँधों से हाथ तक छूना बहुत अच्छा लगता।
अब उस किस्से पर आता हूँ जहाँ से हमारी ज़िंदगी बदली, शारीरिक सुख लेना शुरू किया। पिछले महीने की बात है, घर पर सिर्फ सुनन्दा और मैं थे, माता-पिता दो दिन की शादी में बाहर गए थे। हमें शादी में जाना पसंद नहीं, वहाँ बोरियत लगती, इसलिए घर पर रहने का फैसला लिया। पहले खाना खाया, फिर गेम खेलने बैठ गए, गेम के बीच सुनन्दा मुझे बार-बार छेड़ती, कभी हाथ पर चिकोटी काटती, कभी गाल खींचती, कभी कान पकड़ती। मुझे भी शरारत सूझी, उसके पीछे चुपके से गया, दोनों हाथों की उँगलियाँ उसके पेट पर दबाई, वो झट से उछली, इस तरह गुदगुदी का खेल शुरू हुआ।
हम एक-दूसरे को गुदगुदी करते-करते बाहों में भर लिया, मैं उसके बदन को कपड़ों के ऊपर से पकड़कर महसूस कर रहा था, उसका बदन मेरे बदन से पूरी तरह चिपका, उसकी गर्मी मुझे पूरी तरह महसूस हो रही थी, हम अपनी मस्ती में खो गए। बाहों में मस्ती करते-करते रूम में पहुँचे, बेड पर गिर पड़े, अब कपड़ों के अंदर हाथ डालकर गुदगुदी करने लगे। उसने मेरी पैंट के अंदर हाथ डाला, मेरे लंड पर गुदगुदी की, मुझे भी शरारत सूझी, उसका टॉप कमर से ऊपर चढ़ा दिया, देखा काली ब्रा पहनी थी, उसकी नेवल चौड़ी और गहरी, मैंने नेवल फैलाई, बीच में जीभ से किस किया, वो मेरे बालों से खेलने लगी।
फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर पूरी उतार दी, अब वो सिर्फ ब्रा और पजामी में बेड पर लेटी थी। मैंने कहा, “मम्मी-पापा जो करते हैं, वो हम भी करें?” उसने पूछा, “वो क्या करते हैं?” मैंने कहा, “जो मैं कर रहा हूँ, बस साथ देना, मज़ा आएगा।” उसने खुशी से हाँ कर दी। मैंने उसे आराम से लेटाया, दोनों हाथ फैलाए, कंधे पकड़कर अपना पैर उसके फैले पैरों के बीच डाला, कंधों और छाती पर किस करने लगा, बीच-बीच में बदन को चूमता गया। होंठों पर किस किया, उसका मुँह थोड़ा खुलवाया, जीभ उसके मुँह में डाली, अंदर से चूसा, हमें दोनों को मज़ा आने लगा।
फिर हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोला, धीरे से ब्रा उतारी, उसके बूब्स देखकर मदहोश हुआ, बड़े, भारी, भूरे निप्पल, धीरे-धीरे दबाने लगा, होंठ चूसता रहा, उसकी जीभ अपने मुँह में खींचकर रस पीने लगा। उसकी साँसें तेज़ हुईं, वो मेरे किस और छूने का जवाब देने लगी, मैं गाल, गर्दन पर किस करता, छाती तक आया, निप्पल उँगलियों में लेकर दबाया, कड़क थे, वो moan करने लगी, “उम्म्म्म… आआआह…” मैंने निप्पल चूसना शुरू किया, बारी-बारी मुँह में लेकर चूसा, वो मस्ती में डूबकर moan करती, “आआआह… संदीप… और चूस…” मुझे और जोश आया, घर खाली था, डर नहीं, बेफिक्र मस्ती कर रहे थे।
फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतारे, उसके ऊपर लेट गया, ऊपरी बदन पर चुम्मा-चाटी की, जगह-जगह काटा, वो “आआहह… उह्ह्ह…” चिल्लाई। नीचे सरका, पैर चूमने लगा, नाभि में उँगली डालकर घुमाई, वो आराम से लेटकर मज़े ले रही थी। पजामी का नाड़ा ढीला किया, धीरे से पजामी और पैंटी उतार दी, अब दोनों नंगे थे। नीचे उसके पैरों के बीच आया, चूत पर हाथ घुमाया, झांटें थीं, लेकिन चूत गीली, महकदार, आमंत्रित कर रही थी। झांटें हटाकर गुलाबी हिस्सा चाटा, छोटा दाना उँगली से सहलाया, वो पैर मारने लगी, “आआआह… संदीप… क्या कर रहा है…” हम सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था, जो अच्छा लग रहा था, कर रहे थे।
चूत फैलाई, अंदर जीभ डालकर चाटा, जड़ तक जीभ टकराई, दाने को मुँह में लेकर चूसा, वो पागलों की तरह moan कर रही थी, “अह्ह्ह… उह्ह्ह… संदीप… मत रुक…” फिर ऊपर लेट गया, हाथ नीचे ले जाकर लंड चूत के छेद पर सेट किया, दबाया, लेकिन टाइट थी, लंड इधर-उधर हो रहा था। लंड उसके मुँह के पास लाया, मुँह में डाला, “गीला कर…” उसने झट से मुँह में लिया, जीभ से चाटकर गीला किया, मज़े से चूसा, “तेरा लंड नमकीन है… मोटा है…”
फिर सही मौका देखकर कड़क लंड चूत पर रखा, पूरा दम लगाकर झटका दिया, आधा लंड चीरता हुआ घुसा, वो ज़ोर से चीखी, “आआआआह… दर्द हो रहा…” मैंने मुँह पर मुँह रखकर होंठ चूसे, बूब्स सहलाए, चीख मुँह में समा गई। थोड़ी देर बाद फिर झटका दिया, पूरा लंड घुस गया, आँसू निकल रहे थे, वो पीठ पर मुक्का मार रही थी। लंड अंदर ही रखकर हग किया, पीठ, कमर, बूब्स सहलाए, दर्द मज़े में बदला।
अब चूत में लंड ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर करने लगा, टाइट चूत लंड को रगड़ रही थी, चूस रही थी, “तेरी बुर कितनी टाइट है… चोद रहा हूँ तुझे…” वो गरम होकर नाखून पीठ पर गड़ाने लगी, निशान पड़ गए, मैं होंठ चूसता, मुँह चाटता, बदन रगड़ता। रफ्तार बढ़ाई, उसका बदन अकड़ा, “आआआह… मैं झड़ने वाली हूँ…” पानी छोड़ दिया, मुझे भी लगा, लगातार धक्के दिए, मेरा वीर्य निकला, चूत के अंदर भर दिया, दोनों का रस मिल गया, चप-चप आवाज़ें, पसीना, थरथराहट।
साँसें तेज़, बदन पसीने से भीगा, लंड सिकुड़कर बाहर निकला, पास लेट गया, थकावट से बोल नहीं पा रहे, नंगे बाहों में सो गए। नींद गज़ब की आई, उठे तो बेडशीट पर खून और वीर्य के निशान, डर गए, बाथरूम में नहाए, बेडशीट धोई, दर्द की दवाई और गर्भनिरोधक गोली लाकर दी। माता-पिता आने तक चुदाई चलती रही, रात में प्रोग्राम, हर पोज़ आज़माया, घोड़ी बनाया, पैर उठाकर पेला, लपेटकर थोका, मज़ा लिया।
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