Collage student teacher romance fuck sex story: दोस्तों, मैं सरीना आप सभी का स्वागत करती हूँ। मैं सरीना पिछले कई सालों से अपने मैथ्स के कुलदीप सर से फंसी हुई थी। मुझे आज भी वो दिन याद है जब मैं बीएससी फर्स्ट इयर में गई थी। मैं उस समय उन्नीस साल की थी, कॉलेज की नई नई लड़की, थोड़ी शर्मीली लेकिन अंदर से बहुत उत्साहित। कुलदीप सर कॉलेज में मैथ्स के लेक्चरर थे, उम्र करीब पैंतीस साल, लंबे कद के, चौड़ी छाती वाले, जिम में घंटों पसीना बहाने वाले। कॉलेज में सर को मैंने पहली बार क्लास में ही देखा। कुलदीप सर बिलकुल सलमान खान जैसे लगते थे, पेशे से तो टीचर थे लेकिन क्या खूब बॉडी बना रखी थी, कंधे चौड़े, बाजू मसल्स से भरे, कमीज के नीचे से भी उनकी फिटनेस झलकती थी। बस तभी से वो मुझे पसंद आने लगे। उन दिनों कॉलेज की कितनी लड़कियां सर पर मरती थीं, कोई उनसे प्यार करना चाहती थी, कोई उनसे चुदवाना चाहती थी, कोई उनके लौड़े को मुंह में लेकर चूसना चाहती थी। लेकिन सब शर्मीली थीं, कोई आगे नहीं बढ़ पाती। कहीं कुलदीप सर को कोई लड़की पटा न ले, इससे बचने के लिए मैंने गहरे गले के चार सूट सिलवाए और उनके सामने की सीट पर बैठने लगी। हर क्लास में मैं आगे की बेंच पर, सर की नजरें सीधे मेरे गले पर पड़तीं। Sir ne choda college mein
धीरे धीरे सर जब भी क्लास में होते, मेरी मस्त मस्त गोल गोल छातियां देखते रहते। मेरे सूट के गले से मेरे मम्मे साफ साफ झलकते, कभी झुककर नोट्स लिखते वक्त और गहराई दिख जाती। धीरे धीरे कुलदीप सर मेरी ओर आकर्षित हो गए। मैंने देखा कि सर की नजरें मेरे सीने पर टिकतीं, फिर जल्दी हटा लेते लेकिन फिर लौट आतीं। फिर मैंने बीएससी के ट्यूशन लेने उनके घर पर जाने लगी। घर पर अकेले, सर की पत्नी बाहर गई रहती थीं जॉब के लिए। मैंने सर को आई लव यू भी बोल दिया, एक दिन ट्यूशन के बाद। फिर दोस्तों क्लास खत्म होने के बाद सर ने मुझे रोक लिया। क्लासरूम खाली हो चुका था, सिर्फ हम दोनों। Math teacher fuck – hot college sex kahani
‘सरीना! तुम पूरे समय मुझे ही क्यों देखा करती हो?’ उन्होंने बड़े प्यार से पूछा, उनकी आवाज में थोड़ी उत्सुकता थी, आंखें मेरी आंखों में झांक रही थीं।
‘सर!! मैं आपसे बहुत बहुत प्यार करती हूँ। आप इतने हैंडसम और खूबसूरत हैं कि मेरी नजरें आपसे हटती ही नहीं हैं’ मैंने कहा, मेरी आवाज थोड़ी कांप रही थी, दिल जोर जोर धड़क रहा था।
कुलदीप सर हंसने लगे, उनकी हंसी में मर्दानगी थी। फिर उन्होंने मेरा हाथ पकड़ के चूम लिया, गर्म होंठ मेरी उंगलियों पर। मुझे गले लगा लिया, उनकी मजबूत बाहें मेरी कमर पर कस गईं। ‘सरीना!! तुम भी बड़ी गजब की माल हो। आई लव यू’ सर ने बोला। उसके बाद दोस्तों, हम दोनों बड़ी देर गले लगे रहे। शुरू शुरू में सर मुझे हल्की हल्की चुम्मी मेरे गाल पर ले रहे थे, उनकी दाढ़ी की रगड़ मेरी त्वचा पर महसूस हो रही थी, पर धीरे धीरे उनकी और मेरी झिझक खत्म हो गई। सर मुझे अपने घर में अंदर ले गए, सीधे बेडरूम में। मैंने पीले रंग की सलवार और गुलाबी रंग का सूट और दुपट्टा पहना हुआ था। रोज रोज मैं सर को अपने मम्मे दिखाती थी और मन ही मन कहती थी कि प्लीज मुझे चोद दो! प्लीज मुझे चोद दो। लेकिन आज दोस्तों मेरी मुराद पूरी होने जा रही थी। सर ने मेरा दुपट्टा हाथ से खींच दिया और हटाकर किनारे रख दिया। मेरे सूट के गले से मेरी बेहद कीमती संपत्ति, मेरे दो बेहद खूबसूरत मम्मे दिखने लगे। सर ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया, बेड की चादर ठंडी थी मेरी पीठ पर।
मेरे गर्म तपते होंठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से मुंह चलाकर पीने लगे। मैं तो कितने दिनों से कुलदीप सर को पसंद करती थी, कितने दिनों से सर को पसंद करती थी, अपनी जान उनपर छिड़कती थी। कितने दिनों से मैं उनसे चुदवाना चाहती थी। लेकिन आज वो सपना हकीकत में बदलने जा रहा था। कुलदीप सर मेरे होंठ पी रहे थे, मेरी सांसों को अपनी सांसों में भर रहे थे। मैं उनसे बहुत बहुत ज्यादा प्यार करती थी। आज वो अपने कीमती होंठों से मेरे होंठ पी रहे थे। मैंने सबकुछ उनके नाम कर दिया था। मैंने उनसे शादी करना चाहती थी, मैं उनसे कसके चुदवाना चाहती थी। सर बहुत जोर जोर से मेरे होंठ पी रहे थे, उनकी जीभ मेरे मुंह में घुसकर मेरी जीभ से खेल रही थी, लार का आदान प्रदान हो रहा था। फिर उनके हाथ मेरे गेंद जैसे गोल गोल मम्मों पर जाने लगे। वो मेरे मम्मों पर सब जगह हाथ फेरने लगा, उंगलियां मेरे सूट के ऊपर से घूम रही थीं। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा, बड़ा आनंद मिलने लगा, मेरी सांसें तेज हो गईं। फिर सर मेरे गुलाबी सूट के ऊपर से ही मेरे गोल गोल गेंद जैसे मम्मे दबाने लगे। धीरे धीरे उनका हाथ भारी और भारी होता गया, दबाव बढ़ता गया। और फिर एक समय आया जब सर मुझे अपना पर्सनल माल समझ के बड़ी जोर जोर से मेरे कबूतर दबाने लगे, मेरे मम्मे उनके हाथों में मसल रहे थे।
‘सरीना!! यू आर सो ब्यूटीफुल! तुम्हारे जैसी गजब की लड़की मैंने आज तक नहीं देखी! तुम्हारे जैसी माल मैंने आज तक नहीं देखी। तुम्हारी चूत बड़ी गुलाबी और मस्त होगी’ कुलदीप सर बोले, उनकी आंखें कामुकता से चमक रही थीं।
‘चोद लीजिये सर आज मुझे। आप मुझे जी भरके चोद लीजिये। आज से मेरी चूत को अपनी चूत की समझिये’ मैंने कहा, मेरी आवाज में बेताबी थी, मैंने उनकी कमीज पकड़ ली।
उसके बाद सर खुलकर मेरे मम्मे जोर जोर से दबाने लगे। मेरे मम्मे किसी तराशे हुए नगीने से कम नहीं थे, बिलकुल ३६ साइज के गोल, बेहद चिकने और रुई जैसे मुलायम। कुलदीप सर बहुत गर्म और चुदासे हो गए थे। उनसे रहा ना गया। वो सूट के ऊपर से नहीं बल्कि अंदर से मेरे मम्मे दबाना और पीना चाहते थे। इसलिए दोस्तों उन्होंने मेरा गुलाबी रंग का सूट ऊपर से खींचकर निकाल दिया, मेरी ब्रा खोल दी। सर को जो माल चाहिए था वो उनके सामने थे। मेरे बला के खूबसूरत गुब्बारे उनके सामने थे, गुलाबी निप्पल्स खड़े होकर टनटना रहे थे। कुलदीप सर मेरी दूधभरी छातियों को देखकर बावरे हो गए। हाथ से जोर जोर से मेरी गेंदों को दबाने लगे, उंगलियां निप्पल्स पर चुटकी ले रही थीं, और फिर पीने लगे। आज मैंने बड़ी दिनों के बाद अपने दूध देखे, सच में बहुत खूबसूरत कबूतर थे मेरे, सॉफ्ट और भरे हुए। कुलदीप सर जोर जोर से मेरे दूध दबाने लगे। ‘सरीना इतने सुंदर मम्मे मैं आज तक नहीं देखे। मैंने अपने क्लास की कितनी ही लौड़ियां चोदी हैं, पर उन सबमें तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत हो’ सर बोले, उनकी सांसें गर्म मेरे सीने पर पड़ रही थीं।
फिर वो चुप हो गए और मेरे दूध को मुंह में भरके पीने लगे। वो हपर हपर करके मेरे दूध पी रहे थे, जीभ निप्पल्स पर घुमा रही थी, दांत हल्के से काट रहे थे। हाथों से जोर जोर से दबा भी रहे थे। दोस्तों जहां सर को बड़ी मौज मिल रही थी, वही मुझे भी बड़ा आनंद मिल रहा था। मैं अपने टीचर से ही चुदने वाली थी। ‘पी लीजिये सर!! आप आज मेरा सारा दूध पी लीजिये!! आपके लिए सब छूट है’ मैंने कहा, मेरी आवाज में सिसकारी थी। सर हपर हपर करके आवाज करते हुए मेरी चुचियां पीने लगे। उनके स्पर्श से मेरी काली काली बला की खूबसूरत निप्पल्स खड़ी होकर टनटना गईं। वही दोस्तों नीचे तो बुरा हाल था। मेरी चूत गीली होकर बहने लगी थी, मेरी चूत से मेरा चिकना चिकना चिपचिपा माल बहने लगा था, पैंटी गीली हो चुकी थी। कुलदीप सर हपर हपर करके मेरी दोनों छातियों को अच्छे से पी रहे थे, कभी बायीं तो कभी दायीं, जीभ से गोल गोल चाट रहे थे। अब तो बड़ी देर हो चुकी थी, मेरे मम्मे लाल हो गए थे उनके दांतों के निशानों से।
अपने मैथ्स के सर को अपनी छातियां पिलाने से मेरी गोल छातियां और भी ज्यादा उभर आई थीं और बड़ी हो गई थीं। मैं इस समय बहुत ही ज्यादा गर्म और चुदासी हो गई थी। ये बात सच है कि मैं इस समय कसके चुदवाना चाहती थी। सर के दांत मेरी मुलायम चूचियों और उनके कड़े कड़े निप्पल्स पर गड़ रहे थे। मैं उनसे धीरे धीरे पीने को कह रही थी, ‘आह्ह सर धीरे… आह्ह्ह’ लेकिन वो नहीं मान रहे थे। जोर जोर से मेरे आम पी भी रहे थे और दबा भी रहे थे। ‘सर अब मुझे चोदिये! क्या सारा दिन दूध ही पियेंगे???’ मैंने कहा, मेरी चूत में खुजली हो रही थी। लेकिन सर तो अभी भी मेरी छातियों के दीवाने थे। मेरी छातियां छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। फिर बड़ी मुश्किल से उन्होंने मेरे मम्मे छोड़े। पता नहीं उनको कौन सी सनक लगी। अपने चाकू जैसे तेज दांतों से मेरे पेट, नाभि, मेरे चिकने गठीले कंधे जोर जोर से काटने लगे। मुझे बहुत आनंद आने लगा, हर काटने पर मेरी कमर ऊपर उठ जाती, ‘ओह्ह सर… आह्ह्ह’। वो मुझसे छेड़खानी करने लगे, जीभ से चाटते फिर काटते विद्य। फिर सर मेरे पेड़ू पर आ गए और पेड़ू को काटने लगे, दांत हल्के से गड़ाते। फिर कुलदीप सर ने मेरी सलवार की नाड़ी खींची, सलवार नीचे सरका दी, पैंटी निकाल दी।
मैं बिलकुल नंगी हो गई। उनके सामने किसी किताब के पन्ने की तरह खुल गई, मेरी चिकनी टांगें, गोल गोल गांड, गुलाबी चूत साफ दिख रही थी। सर ने मुझे पलट दिया। मेरे गोल गोल पुट्ठों को अपने हाथ से सहलाने लगे, उंगलियां गांड के बीच में फिरतीं। फिर मेरे सफेद पुट्ठों को अपने तेज धार दांतों से किसी चूहे की तरह कुतरने लगे। मुझे बड़े अजीब तरह का सुख मिलने लगा, गांड पर दांतों की रगड़ से सिहरन दौड़ती। सर जोर जोर से मेरे नितंबों को चबाने लगे, थप्पड़ मारते, ‘चटाक… चटाक’, बड़ा सुख मिलने लगा, मेरी चूत और गीली हो गई। फिर कुलदीप सर ने मेरी लंबी चिकनी पीठ पर बड़े प्यार से हाथ सहला दिया। पीठ पर जगह जगह चूमने लगे, बड़े प्यार से चुम्मी देने लगे, जीभ से गीला करते। फिर अचानक सर ने वही करना शुरू कर दिया जिसकी उनको सनक लगी थी। अपने चूहे जैसे तेज दांतों से मेरी चिकनी चिकनी मक्खन सी मुलायम पीठ कुतरने लगे। दोस्तों एक बार फिर से मुझे बड़ी अजीब और विचित्र प्रकार का सुख मिलने लगा, मैं करवटें बदल रही थी।
कुलदीप सर कभी मेरे कंधे कुतरते कभी मेरे नितंब। इतना ही नहीं दोनों पुट्ठों के बीच का भाग भी वो कुतरने लगे, जीभ से गुदा को छूते। मैं सुख सागर में डूब गई, ‘आह्ह्ह सर… वहां… ओह्ह्ह’। फिर सर ने मुझे पलट दिया। जीभ से मेरी गोल गहरी सेक्सी चुदासी नाभि पीने लगे, जीभ अंदर घुसाकर चाटते। फिर वो मेरी चूत पर आ गए।
अरे अरे ये तो देखो सरीना!! तुम्हारी चूत तो किसी दूध के बर्तन की तरह बह रही है’ सर बोले, उनकी उंगलियां मेरी चूत पर फिर रही थीं। उन्होंने तुरंत अपने मोबाइल से मेरी चूत की फोटो खींची और मुझे दिखाई। सच में दोस्तों, मेरी चूत किसी दूध के बर्तन की तरह बह रही थी, रस से लबालब। सर ने अपना मुंह मेरे लाल भोसड़े पर रख दिया और पीने लगे। मेरी चूत से निकला सारा माल, सारा मक्खन वो मजे ले लेकर पीने लगे। एक भी बूंद उन्होंने बेकार नहीं होने दी। लपर लपर होंठ चलाकर मेरी चूत पीने लगे, जीभ क्लिट पर घुमाते, उंगलियां अंदर डालकर मसलते। मैं अभी तक एक भी बार नहीं चुदी थी, ये पहली बार था, दर्द और मजा दोनों। सर मजे से मेहनत करके मेरी चूत पी रहे थे, कभी क्लिट चूसते ‘चुप… चुप’, कभी जीभ अंदर ठूंसते। मैं तड़प रही थी, टांगें फैला कर, ‘आह्ह्ह सर… और… ओह्ह्ह येस…’। फिर उन्होंने खुद को निर्वस्त्र कर दिया, उनका मोटा लंबा और बेहद खूबसूरत लौड़ा, करीब सात इंच का, मोटा सुपाड़ा, बाहर आया। मेरी चूत पर अपना मोटा लंबा लौड़ा रख दिया और जोर का धक्का मारा। मेरी चूत की सील टूट गई, दर्द से मैं चीखी ‘आआह्ह्ह… सर धीरे…’ लेकिन सर रुके नहीं। कुलदीप सर मुझे चोदने लगे। ये पल मेरे जीवन का खास लम्हा था। क्योंकि जिस तरह मैंने सर को देखा था उसी दिन ये तय कर लिया था कि एक न एक दिन इनका लौड़ा जरूर खाऊंगी। ये बात मैंने सोच ली थी दोस्तों।
और आज वो दिन आ गया था जब मैं अपने सबसे अच्छे टीचर कुलदीप सर का लौड़ा खा रही थी। सर मुझे खटर खटर करके चोदने लगे तो मेरी आंखें खुलने और बंद होने लगीं। कभी चुदवाते चुदवाते मेरी आंखें खुल जातीं कभी बंद हो जातीं। मैंने अपनी दोनों टांगें हवा में ऊपर उठा ली और मजे से चुदवाने लगी। सर हुमक हुमक के मुझे ठोंकने लगे, लौड़ा आधा अंदर आधा बाहर, फिर पूरा अंदर ‘फचाक… फचाक’। ‘सर चोदिये सर!! आपको अपनी मां की कसम है! अगर आप मुझे अच्छे से चोद नहीं पाए तो आपकी पूरे कॉलेज में कितनी बदनामी होगी, इसलिए सर जोर जोर से हुमक हुमक कर मुझे चोदिये!! मेरी चूत में लौड़ा ठोक ठोककर मुझे चोदिये!!……अगर आप एक ही बाप से पैदा हैं तो सर मुझे किसी रंडी की तरह चोदिये!!!’
इस तरह सर को थोड़ा गुस्सा आ गया। मुझे किसी आवारा छिनाल की तरह ठोंकने लगे। ‘ले रंडी!! आज मन भरके अपने गुरूजी का लौड़ा खा ले! जब तक जिंदा है किसी रंडी की तरह चुदवाले!…वरना मरने के बाद पता नहीं तुझे चुदवाने का मौका मिले भी या ना मिले’ ऐसा बोलकर सर जोर जोर से मुझे कमर उठा उठाकर चोदने लगे। उनके शानदार, जोरदार और जानदार धक्कों से मेरी चूत पानी पानी हो गई। मेरी चूत की दीवारों से, उसके गोल गोल छल्ले से गर्म, गाढ़ा, चिपचिपा माल बहने लगा जिसने कुलदीप सर के लौड़े को खूब चिकना कर दिया। इससे सर का लौड़ा शानदार तरह से सट सट मेरी चूत के लंबे छेद में सरकने लगा, ‘फच फच… सट सट… फचाक फचाक’। सर मुझे किसी रंडी की तरह गचागच चोदने लगे, मेरी टांगें उनके कंधों पर, गहराई तक धक्के। फिर उन्होंने मुझे बाहों और हाथ पैरों से कसके पकड़ लिया और अपने में जकड़ लिया। और इतने ताबड़तोड़ धक्के मारने लगे कि मेरी तो मां चुद गई, मेरी मां बहन एक हो गई। सर फटाफट जोर जोर से धक्के मारते रहे, मेरी चूत में लौड़ा पिस्टन की तरह चल रहा था, ‘आह्ह्ह… ओह्ह्ह… सर… और जोर से… आआह्ह्ह… फाड़ दो मेरी चूत… उफ्फ्फ…’ मैं चिल्ला रही थी, मेरे नाखून उनकी पीठ पर गड़ रहे थे। सर की गांड की मसल्स सिकुड़ रही थीं हर धक्के में। फिर सर ने मुझे घोड़ी स्टाइल में किया, मेरी गांड ऊपर, लौड़ा पीछे से घुसाया, गांड पर थप्पड़ मारते ‘चटाक चटाक… ले रंडी… और ले…’। मैं आगे झुककर सहारा ले रही थी, मेरे मम्मे लटककर हिल रहे थे। सर ने मेरे बाल पकड़े, पीछे खींचकर चोदा, ‘आह्ह्ह… सर… बाल मत… ओह्ह्ह येस… चोदो…’। फिर १० मिनट बाद मेरी चूत में ही झड़ गए, गर्म वीर्य की पिचकारी अंदर छूटी, ‘ओह्ह्ह… सर… भर दो… आह्ह्ह’।
जब उन्होंने अपना बेहद खूबसूरत लौड़ा निकाला तो तब भी उसमें से माल की पिचकारी छूट रही थी। मैंने जल्दी से कुलदीप सर के लौड़े को मुंह में ले लिया और मजे से उनका लौड़ा पीने लगी, वीर्य और मेरे रस का मिश्रण चाटती। ये लम्हा मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत लम्हा था। फिर सर मुझसे लिपट गए। मुझे बाहों में भर लिया और चुम्मी चाटी करने लगे। ‘सरीना!! मैंने अभी तक अपनी कई स्टूडेंट्स को चोदा खाया है। पर तुम्हारे जैसी नाजनीन मैंने आज तक नहीं देखी। मैं अब तुमको रोज चोदूंगा, रोज तुम्हारी चूत में लौड़ा दूंगा’ सर बोले।
‘सर!!! मैं भी आपको बहुत पसंद करती हूँ!!….इसलिए मैं अब रोज आपसे ट्यूशन पढ़ने आऊंगी और रोज आपको चूत दूंगी!’ मैंने कहा। कुलदीप सर एक बार फिर से मेरे नर्म मासूम गुलाबी होंठ पीने लगे। कुछ देर बाद हमदोनों का फिर से मौसम बन चुका था।
‘सरीना!! मेरी जान, तूने मेरा लौड़ा तो चूसा ही नहीं!’ सर बोले, उनका लौड़ा फिर खड़ा होने लगा।
‘लाइए अपना लौड़ा, चूस देती हूँ!’ मैंने कहा, उत्साह से।
कुलदीप सर पीठ के बल सीधा बिस्तर पर लेट गए। मुझे एक बार चोदने के बाद उनका लौड़ा मुरझा गया था। मैंने उनकी गोरी गोरी जांघों से शुरुआत की। हाथ से उनके घुटने, जांघें सहलाने लगी, उंगलियां मसल्स पर फिरतीं। फिर उनकी काली काली गोलियां अपनी पलटी पलटी उंगलियों से छूने लगी, हल्के से मसलती। एक जवान चुदासी लड़की के स्पर्श से कुलदीप सर की गोलियां फिरसे फूलने लगीं। मैं उनकी गोलियां सहला रही थी। मेरे मस्त मस्त सफेद आम सर के पैरों पर छू रहे थे। फिर दोस्तों मैंने कुलदीप सर के मोटे सांड जैसे लौड़े को हाथ में ले लिया और फेटने लगी, ऊपर नीचे, सुपाड़े पर अंगूठा घुमाती। सर की गोलियां छोटी होतीं, फिर बड़ी होतीं, फिर धीरे धीरे फूलने लगीं। कुछ अंतराल बाद मैंने सर के लौड़े को अपने मुंह में भर लिया। मेरे होंठ बहुत ही खूबसूरत थे। होंठों पर मैंने चटक लाल रंग की लिपस्टिक लगाई थी जो सर के लौड़े पर लगने लगी क्योंकि इस वक्त मैं उनका लौड़ा मुंह में भरके चूस रही थी। फिर मैं जोर जोर से सर हिला हिलाकर सर का लौड़ा पीने लगी, ‘चुप चुप… स्लर्प स्लर्प’। उनका सुपाड़ा बहुत ही खूबसूरत था। बिलकुल लाल लाल था। मैं किसी देसी रंडी की तरह सर का लौड़ा चूसने लगी, जीभ सुपाड़े पर घुमाती, गोलियां मुंह में लेती। कुछ देर बाद मेरी मेहनत रंग लाई। सर का लौड़ा फिर से खड़ा हो गया। मैं और लगन और मेहनत से कुलदीप सर का लौड़ा चूसने लगी, हाथ से जड़ फेटती, मुंह से चूसती।
उनका लौड़ा बड़ा ही मीठा, बड़ा ही स्वादिष्ट था। मैं मजे से हपर हपर करके उनका लौड़ा पी रही थी, लार टपक रही थी। कुछ देर बाद यौन उत्तेजना और चुदासेपन से सर का लौड़ा बिलकुल पत्थर जैसा सख्त हो गया। सर ने मुझे अपने लौड़े पर बिठा दिया और एक बार फिर से मेरी चूत में लौड़ा घुसाकर मुझे चोदने लगे। मैं अपने प्यारे कुलदीप सर के मोटे मजबूत लौड़े पर डिस्को डांस करने लगी, ऊपर नीचे उछलती, मेरी गांड उनके जांघों से टकराती ‘थप थप’। सर के मुकाबले मैं बड़ी हल्की फुलकी थी। सर जैसा मन करता था, वैसा मुझे खा रहे थे। मनमर्जी से सर मुझे अपने मोटे लौड़े पर उठाने बैठाने लगे, हाथ मेरी कमर पर। एक बार फिर से मैं सर से चुदवाने लगी। मेरी लाल लाल चूत में सर मीठे मीठे धक्के मारने लगे। मेरी मुलायम बेशकीमती छातियां हवा में उछलने लगीं। क्योंकि मैं बहुत जोर जोर से सर के लौड़े पर थिरक रही थी, ‘आह्ह्ह… ओह्ह्ह… सर… गहरा… आआह्ह्ह’।
कुलदीप सर अपने बलिष्ठ हाथों से मेरी मुलायम छातियां सहलाने लगे, छूने लगे और फिर दबाने लगे, निप्पल्स चुटकी लेते। फिर वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा। उसके बाद दोस्तों मेरा जबतक बीएससी नहीं हो गया सर रोज मेरी चूत मारते रहे। फिर उनको मेरी चूत की इतनी तलब लग गई थी कि वो मेरे बिन एक सेकंड भी नहीं रह पाते थे। फिर उन्होंने मुझसे शादी कर ली।