राव सर ने मेरी चूत पर मत्था टेक दिया

18 saal ki virgin sex story – Teacher fucks student sex story: हेलो दोस्तों, मैं आरोही आपको अपनी सेक्सी कहानी सुना रही हूँ। मेरी सेक्सी चुदाई कहानी सुनकर मुजको यकीन है की सभी लड़कों के लंड खड़े हो जाएँगे। तो कहानी शुरू करती हूँ। मैंने उनदिनो लखनऊ यूनिवर्सिटी में नया नया दाखिला लिया था। मैंने बीए में नाम लिखवाया था। सब्जेक्ट्स में मैंने इंग्लिश, भूगोल और समाजशास्त्र लिया था। पर इंग्लिश मुजको बड़ी कठिन लगती थी। मुझको राव सर इंग्लिश पढाते थे। वो बहुत ही अच्छा पढाते थे। वो साउथ इंडियन थे और तमिल नाडू के रहने वाले थे, करीब ५२ साल के, लम्बे चौड़े कद के, भारी भरकम शरीर वाले, सीने पर घने काले सफेद मिले गुन्घ्राले बाल, मोटी मूंछें, गहरी आँखें, मोटी उँगलियाँ, बड़े बड़े पंजे। मेरे घर वालों ने कहा की मैं उनसे tuition पढ़ लूँ। मैं उनके पास गयी। Guru ne shishya ki kunwari choot faadi

मैं उस समय सिर्फ १८ साल की कमसिन कली थी। मैं निहायत ही जवान और खूबसूरत थी, गोरी चिट्टी, लम्बे काले बाल, पतली कमर, लेकिन मेरे मम्मे कुछ दिन पहले ही बढ गये थे और अब मैं हर आदमी की नजर में आने लगी थी। मेरे मम्मे अब बढ़कर पुस्ट हो गये थे, गोल गोल, भारी भारी, निप्पल हल्के गुलाबी रंग के, ब्रा में फंसे हुए। मेरी गल्ली का हर लड़का कहीं न कहीं मुझको पसंद करता था। या साफ साफ करू मुझको चोदना चाहता था। सर ने भी मुझको एक बार निचे से उपर तक देखा। राव सर के बारे में लोग अलग अलग बात करते थे। कुछ तो कहते थे की वो बहुत अच्छे आदमी है। बहुत अच्छा पढाते है। जो उनसे पढता है वो फर्स्ट क्लास पास हो जाता है। जबकि कुछ लोग कहते थे की वो अपनी चेलियों का यौन शोषण करते है। एक बार पुलिस उनको इसी सब मामले में पकड़ भी चुकी थी। पर जादातर लोग कहते थे की अगर कोई लड़का राव सर से पढ़ ले तो उसको अच्छे नम्बरों से पास होना पक्का है। यही सब सोच के मैं उनसे tuition पढ़ना चाहती थी। मैं उस दिन एक गुलाबी रंग की कुर्ती पहन रखी थी। और पैरों में मैंने एक लेगी पहन रखी थी। मेरी गुलाबी रंग की कुर्ती काफी चुस्त थी, जिसमे मेरे मम्मे साफ साफ झलक रहे थे, निप्पल की शक्ल तक दिख रही थी। मैंने एक झीना दुपट्टा भी डाल रखा था। पर मेरे मस्त मस्त गोल गोल मम्मे साफ साफ झलक रहे थे। Kunwari seal tootna, Blood virgin sex

मेरी छातियों का उभर सारे ज़माने को चीख चीख के बता रहा था की मैं अब जवान हो गयी हूँ और चुदने लायक हो गयी हूँ। ३ साल पहले तक मुझको कोई लड़का नहीं घूर कर देखता था, पर पिछले ३ सालों में मुझको पता ही नहीं चला, कब मेरे मम्मे इतने बड़े हो गए। राव सर ने भी मुझको उपर से निचे तक घूर कर देखा। उनकी नजर मेरे मम्मों पर रुक गई, फिर कमर पर, फिर जांघों पर।

“क्या दोगी?” वो बोले, आवाज में हल्की सी भारीपन।

“क्या??” मैं कुछ समझ नहीं पायी, “सर??” मैंने कहा।

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“मेरा मतलब है कितना पैसा दोगी??” सर बोले।

“सर मैं आपको १ हजार तो आराम से दे दूंगी” मैंने कहा।

“शाम को घर आ जाओ आरोही!!” सर बोले।

मैं बहुत ही खुश हो गयी। अब मेरी भी फर्स्ट क्लास पक्की हो गयी है। सर वही लखनऊ यूनिवर्सिटी के कैम्पस में रहते थे। मैं शाम ६ बजे उनके घर पर पहुच गयी। मैंने घंटी बजायी। सर मुझे कोई और है, वे इकदम से निकल आये। उन्होंने सिर्फ एक रूपा वाला अंडरवीअर पहन रखा था, पतला सा, ग्रे कलर का। सर कोई ५२ साल के थे। वो अचानक से बाहर निकल आये। मैंने उनका नंगा सीना देख लिया, सीने पर उनके सफ़ेद काले मिले गुन्घ्राले बाल, पेट पर हल्की चर्बी, और तिकोनी अंडरवीअर में उनका पोता साफ उभरा हुआ। लंड और उनका पोता उनके अंडरवीअर के अंदर था और खूब फूला फूला था। लंड का सुपारा तक अंडरवीअर से बाहर झांक रहा था, गहरा बैंगनी रंग का। मुझको समझते देर न लगी की सर का लंड बहुत बड़ा होगा, मोटा होगा, करीब ८ इंच लम्बा, मोटी नसें, और गोलियाँ भी खूब बड़ी बड़ी होगी, भारी भारी।

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“एक सेकंड बेटी !!” सर ने कहा। मैं बाहर ही रुक गयी। वो अंदर चले गए और जल्दी से सफेद शर्ट और ग्रे पैंट पहन ली। “आरोही!” सर ने आवाज दी। मैं अंदर गयी। सर पढाने लगे। जब उस रात मैं अपने कमरे में सोने गयी तो बार बार मुझको सर का वो बड़ा सा लंड और पोता याद आ रहा था। सर की बीवी तमिलनाडु में ही रहती थी। मैं सोचने लगी की सर किसको चोदते होंगे। आखिर कैसे अपने लंड की गर्मी शांत करते होंगे। सर भी मर्द है। उनका भी किसी को चोदने का मन तो जरुर करता होगा। यही सब सोच सोच के मैं राव सर को याद करके मुठ मारने लगी। मैंने उनको याद कर कर के उस दिन अपनी चूत में खूब ऊँगली की, क्लिट रगड़ी, फिर झड गयी। तो इस तरह दोस्तों हम गुरु चेली की पढाई शुरू हो गयी। सर मुझको मेहनत से पढाने लगे। एक दिन उनका चाय पीने का मन हुआ तो बोले “आरोही बेटी! मुझको तुम बस एक प्याला चाय बनाकर दे दिया करो, मैं तुमसे कोई फ़ीस नही लूँगा।” मैं तो गरीब घर की बेटी पहले से थी, मैं सर को अब चाय बनाकर देने लगी। मैं अपने लिए भी चाय बना लेती। पढाई के बाद हम गुरु चेली साथ में चाय पीते, बातें करते।

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एक दिन मैं सर के घर पर उनका इन्तजार कर रही थी। उनका लैपटॉप ऑन था। सर टोइलेट चले गए थे। मैंने लैपटॉप को छुआ तो पता चला की सर ब्लू फिल्म देख रहे थे। स्क्रीन पर एक लड़की चूत चटवा रही थी। मैं भी देखने लगी क्यूंकि वहां पर और कोई नहीं था। मैंने सोचा की सर तो टोइलेट गये है, क्यूंकि न थोडा मुठ मर लूँ। मैंने अपनी नीली स्कर्ट ऊपर की, लाल सूती पैंटी साइड की, उंगली चूत में डालकर रगड़ने लगी। क्लिट पर घुमाती, सांस तेज। पता नही कहाँ से सर आकर कबसे मुझको देख रहे थे। मेरी करतूत को वो कबसे देख रहे थे। मैंने सर को देख लिया तो मेरा होश उड़ गया। सर मेरे पास आगये और मुझको गले से लगा लिया।

“बेटी आरोही! तुम अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ?” सर बोले, आवाज में हल्की सी काँप।

मैंने अपने कपड़े ठीक किये। अपनी नीली स्कर्ट मैंने निचे की। पैंटी वापस सेट की।

“आरोही! मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ!!” राव सर बोले।

“पर सर ??” कहाँ आप इतने उम्र दराज कहाँ मैं इतनी कम उम्र की??” मैंने कहा।

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“ओह्ह, समझ गया। मैंने उम्र दराज हूँ। इसलिए तुमको पसंद नहीं??” राव सर बोले।

“नही सर, वो बात नही है !!” मेरे मुह से निकल गया।

“तो क्या तुम भी मुझको पसंद करती हो ??” सर ने पूछा।

“जी सर!!” मैंने भी कह दिया। बस दोस्तों, राव सर ने मुझको गले से लगा लिया। हम दोनों बेडरूम में आ गए। सर ने बिना एक सेकंड बताए मुझको बाहों में भर लिया। मैंने भी कोई ऐतराज नही किया। सर मेरे रसीले होंठ पीने लगे। मैंने कुछ नहीं कहा। कबसे मैं सर के सीने के बड़े बड़े घुंघराले बाल देख देख के मुठ मारती थी। आज वो बड़ा सा लंड मुझको मिलने वाला था। दोस्तों, मैं तो अपने सर से ही फस गयी थी। सर जोश से मेरे लब पीने लगे। मेरे बदन की मस्त खुसबू उनकी नाक में उतर गयी। मैंने उस वक्त सफ़ेद रंग की चुस्त शर्ट और निचे नीली स्कर्ट पहन रखी थी। सर के हाथ मेरे सफ़ेद शर्ट पर मेरे मम्मो पर दौड़ने लगे। मुझको भी मजा मिलने लगा। कबसे सोच रही थी कोई मेरे दूध की तारीफ करे। मेरे मस्त गोल गोल बड़े बड़े रसीले मम्मो पर हाथ मेरे, छुए, सहलाये, दबाए और आज मेरी इक्षा पूरी हो रही थी। सर एक ओर जहाँ मेरे रसीले होंठों को पी रहे थे, वही मेरी छातियों को छु, सहला और हल्का हल्का दबा रहें थे। आज एक मर्द की छुअन से मेरी अंदर की एक जवान होती औरत जाग चुकी थी। अब मेरा तो दिल यही कर रहा था की कापी किताब को एक तरफ रख दू। सर से बस ये कह दू की सर!! आप मुझको चोद चोद के आज एक औरत बना दीजिए। दोस्तों, बस यही मेरा दिल कह रहा था।

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मैंने शर्म से अपनी आँखें बंद कर ली। अब मैं राव सर के बेडरूम में थी। जहाँ इनकी औरत इनसे चुदती थी। मैंने सोचने लगी की मैं कितनी भाग्शाली हूँ की आज उस अंदर के बेडरूम में मैं आ गयी। सायद आज मैं भी चुद जाऊ और इनका लंड खा लूँ। अब सर की कामपिपासा बहुत प्रबल हो गयी थी। उन्होंने भूखे शेर की तरह छड भर के मेरे सफ़ेद शर्ट के बटन खोल दिए और शर्ट निकाल दी। मैं अब सफ़ेद कॉटन ब्रा में आ गयी। १० १२ साल से मेरी माँ मुझको यही सफ़ेद कॉटन ब्रा पहनाती है। सर के हाथ अब मेरे मम्मो पर आ पहुचे। मैं तो चौक गयी। सायद आज वो मेरा कौमार्य भंग कर दे। मैंने राव सर को कुछ नही कहा। उनको पूरी आजादी दे दी। सर ने मेरे दाये मम्मे को हाथ में ले लिया। जहाँ मैं पतली दुबली और ५५ किलो की थी पर राव सर भीमकाय बदन के थे, करीब १०० किलो। सर का हाथ का पंजा मैंने उस दिन पहली बार नोटिस किया।

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सर का पंजा बहुत बड़ा था, उँगलियाँ भी खूब मोटी मोटी थी। मेरा बड़ा सा दायाँ मम्मा पूरा का पूरा राव सर के पंजे में समा गया। सर को मस्ती सूझी और ये धचाक से उन्होंने मेरा मम्मा बस के होर्न की तरह दबा दिया।

“आऊ!! उछ!!” मैं चिहुक गयी। “सर धीरे करिये!! बहुत दर्द होता है!” मैंने कहा।

पता नही राव सर कितने चुदासे थे। मेरी बात का उनपर कोई असर न हुआ। जोर जोर से मेरे दोनों होर्न वो बेरहमी से दबाते रहे। मैंने चीखती चिल्लाती रही, पर उनको कोई फर्क नही पड़ा। मुझ जैसे १८ साल की लौंडिया को वो जल्द से जल्द चोद खा सके, ये सोचके उन्होंने मुझको बिस्तर पर लिटा दिया। मेरी ब्रा के हुक खोल दिए, और एक ओर रख दी। हाय, अपने गुरूजी के सामने उनकी चेली नंगी हो गयी थी। सर मेरे बाप के उम्र के थे, पर वो भी मुझको चोदना चाहते थे, वही मैं भी उनसे चुदना चाहती थी। मेरे नए कमसिन मम्मो को सर ने देखा तो उनकी लार टपक गयी। मेरे निप्पल हल्के गुलाबी, सख्त हो चुके थे। आसक्त नजरों से वो मुझ पर चढ गए और मेरे मम्मो को पीने लगे।

“ओह्ह आह!!” कितना सुख मिला मुझको। कबसे मैं सोच रही थी कास कोई मुझको चोद दे और देखो आज मेरे गुरूजी ही मुझको चोदने वाले है। कहाँ मैं नन्ही सी जान, फुल सी हल्की, और कहाँ भारी भरकम १०० किलो के मेरे राव सर। वो मस्ती से मेरे दोनों मुलायम मम्मो को दांत से चबा चबा कर पीते रहें। मैं उनके बड़े से भीम जैसे सर पर मैं अपने नाजुक हाथ फेरती रही। लग रहा था सर अपनी माँ का दूध पी रहें थे। आज के लिए मैं अपने सर की माँ बन गयी थी। दोस्तों आधे घनटे तक सर मेरे दोनों मम्मो को पीते रहें। निप्पल चूसते, काटते, जीभ घुमाते। दूसरी तरह मेरी चूत पानी पानी हो गयी। मेरी चूत के बाल हल्के हल्के, गुलाबी भोसड़ा, क्लिट उभरी हुई।

“सर अब मुझको चोदो!! वरना मैं मर जाउंगी!” आखिर मैंने कह ही दिया। हलाकि राव सर का मन अभी और मेरे दूध पीने का था। सर ने मेरी नीली स्कर्ट नही उतारी। बस ऊपर उठा दी। मैंने लाल सूती पैंटी पहन रखी थी। मेरी बुर के पानी से कबसे मेरी पैंटी पानी पानी होकर भीग गयी थी। पैंटी पर गीले धब्बे। सर ने मेरी पैंटी निकाल दी, साइड फेंकी। अपना मुंह मेरी बुर पर ऐसा रख दिया जैसे पूजा करने वाला आदमी दरगाह पर अपना मत्था टेक देता है। और उसको ही खुदा मान लेता है।

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दोस्तों, राव सर के लिए तो आज मेरी कमसिन १८ साली की चूत किसी दरगाह से कम नही थी। राव सर मेरा बुरपान और चूतपान करने लगे। सर ने मेरी चूत पर सरेंडर कर दिया। मेरी चूत को खुदा समझने लगे। उनको पीने लगे, अपना सिर सर ने मेरी दो टांगों के बीच रख दिया था। मस्ती से मेरी चूत पी रहें थे। अपनी जीभ चला चला के मेरी बुर पी रहें थे। मेरी गुलाबी चूत बिलकुल मलाई जैसे थी। मैं बहुत गोरी थी, इस कारण मेरी चूत भी खूब गोरी थी, भोसड़ा गुलाबी, क्लिट छोटी सी उभरी हुई। सर तो बिलकुल पागल हो रहे थे। जीभ से क्लिट रगड़ते, अंदर डालते, चूसते। “आह्ह… सर… ओह्ह… कितना मजा… और अंदर…” मैं कराह रही थी। फिर उन्होंने २ उँगलियों से मेरी चूत फैला दी और मस्ती से पीने लगे। उँगलियाँ अंदर बाहर, जीभ क्लिट पर। सिर से मुझको नही चोदा। कहाँ मैं सोच रही थी, सिर मुझो जल्दी से चोदना शुरू कर देंगे पर सर तो टेस्ट मैच खेलने लगे। कम से कम ४० मिनट बाद सर ने मुझको चोदना शुरू किया।

मेरी बुर पर उन्होंने अपना हथोड़ा जैसा लंड रखा। लंड ८ इंच, मोटा, काला, सुपारा बैंगनी, नसें उभरी हुई। एक दो बार प्यार से अपने हथोडे से मेरी बुर पर थपकी दी, “थप… थप…”। फिर अपना पहलवान लंड मेरी चूत के द्वार पर रखा और जोर से धक्का दिया। उनके लंड २ इंच मेरी चूत में उतर गया।

“आआह्ह!!” मैं छटपटाने लगी, सर ने जल्दी से मेरे दोनों हाथों को अपने १ कुंतल के वजन से रोक लिया। मैं बहुत तड्प रही थी की इतने में राव सर ने एक और धक्का ढेल दिया। उनका ८ इंच का लंड मेरी चूत पर बिना कोई रहम किये अंदर घुस गया। गाढ़े रंग की खून की बुँदे मेरी चूत ने निकलने लगी। मुझको बड़ा दर्द होने लगा।

“सर! बाहर निकाल लीजिए!” मैंने सर से कहा। सर ने मुझको सुना ही नही। बस मुझको चोदने लगे। बहुत दर्द हो रहा था। मैं चिल्ला न सकू। इसलिए सिर ने अपने शेर जैसे पंजे को मेरे मुह पर रख दिया। दोस्तों, मेरी चीख घुट गयी। सर, मुझको चोदने लगे। धीरे धीरे धक्के, “धप… धप…”, फिर तेज। मैं भी अपने गुरूजी से चुदने लगी। दर्द कम हुआ, मजा आने लगा।

“आह्ह… सर… धीरे… ओह्ह… अब अच्छा लग रहा है…” मैं कराह रही थी।

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सर ने मुझे घोड़ी बनाया, पीछे से लंड डाला। गांड पर थप्पड़, “चटाक… चटाक…”, “कैसी लग रही है मेरे लंड की चुदाई बेटी?” सर बोले।

“बहुत मजा सर… और जोर से…” मैंने कहा।

फिर सर ने मुझे ऊपर चढ़ाया, मैं उनके लंड पर उछलने लगी। मम्मे हिलते, “थप थप थप”। सर नीचे से धक्के।

“आह्ह… ओह्ह… सर… मैं झड़ रही हूँ… आआह्ह!!” मैं झड़ गई।

सर ने मुझे फिर लिटाया, पैर कंधे पर, गहराई तक चोदा। २० मिनट और चुदाई, फिर सर झड़ गए। गरम वीर्य चूत में भर दिया।

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दोस्तों आधे घंटे तक राव सर ने मुझको चोदा और फिर झड गये।

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