अंकल ने मेरी चूत से गाजर खाया

Gajar se chudai sex story: हाय दोस्तों, मैं राधिका फिर से हाजिर हूँ, तुम्हारे लंड और चूत को झनझनाने के लिए! जैसा कि तुम्हें मालूम है, मैं दिल्ली में रहती हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, रंग भूरा, और मेरा फिगर 36-28-35 इतना कातिलाना है कि जब मैं चलती हूँ, मेरे भारी-भरकम चूतड़ जेली की तरह हिलते हैं, और मेरे चूचे 24×7 टाइट रहते हैं, जैसे बस बाहर कूद पड़ने को बेताब हों। मेरी ये कहानी बिल्कुल सच्ची है, और इसे सुनकर तुम्हारी रगों में गर्मी दौड़ जाएगी।

बात कुछ दिन पहले की है। 23 की उम्र में मेरा जिस्म ऐसा भर गया था, मानो जवानी ने सारी सीमाएँ लाँघ दी हों। मेरी टाँगों के बीच की गुलाबी चूत हर वक्त खुजली मचाती थी, जैसे कोई आग सुलग रही हो। मैं दिल्ली में जॉब करने आई थी और अपनी एक आंटी, सोनम, के घर किराए पर रह रही थी। सोनम आंटी 42 साल की थीं, लेकिन उनका फिगर 34-30-36 अभी भी इतना हॉट था कि मर्दों की नजरें उन पर ठहर जाती थीं। वो बेहद खुली सोच वाली थीं, और मैं उनके साथ हर बात खुलकर करती थी। मेरी हर शरारत, हर ख्वाहिश उनके लिए खुली किताब थी।

मुझे दिल्ली आए अभी 15 दिन ही हुए थे, लेकिन मेरी चूत की खाज मुझे रातों को सोने नहीं दे रही थी। एक रात मुझे इतनी बेचैनी हुई कि मेरी चूत में चुदाई की खुजली इतनी तेज हो गई कि मेरा बुरा हाल था। मेरा पूरा जिस्म पसीने से तर था। मेरी पतली मलमल की कुर्ती मेरे बदन से चिपक गई थी, और मेरे चूचे उसमें से साफ झलक रहे थे। मेरे निप्पल्स टाइट होकर कुर्ती में उभर आए थे, जैसे चिल्ला रहे हों कि इन्हें आजाद करो। मैंने सोचा, “राधिका, साली, बहन की लौंडी, अब तुझे इस चूत की आग बुझानी पड़ेगी, वरना ये रंडी चूत तुझे जीने नहीं देगी!”

मैं बिस्तर से उछलकर बाथरूम की तरफ भागी। वहाँ मैंने अपना पजामा टाँगों से नीचे सरकाया, पैंटी को एक तरफ खिसकाया, और अपनी चूत में मिडिल फिंगर डाल दी। लेकिन, हाय रे मेरी किस्मत! मेरी उंगली मेरी फूली हुई चूत के आधे हिस्से में भी नहीं गई। मेरी चूत इतनी गर्म और गीली थी कि उंगली से काम नहीं चल रहा था। मैंने सोचा, “ये क्या बकवास है? मेरी चूत को तो कुछ बड़ा चाहिए!”

खुजली और बढ़ती जा रही थी। मैंने पजामा और पैंटी को पूरी तरह उतार फेंका और नंगी ही किचन की तरफ दौड़ी। मेरी हवस भरी नजरें किसी ऐसी चीज की तलाश में थीं जो मेरी चूत की आग को शांत कर सके। अचानक मेरी नजर एक मोटी, 8 इंच लंबी गाजर पर पड़ी, जो किचन की टोकरी में पड़ी थी। मेरी आँखें चमक उठीं, और मेरे जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया। मैंने झट से वो गाजर उठाई, उसे अपने हाथों में सहलाया, और उसकी ठंडक को अपनी हथेलियों में महसूस किया। मैं बिना वक्त गंवाए वापस अपने रूम में भागी।

बेड पर लेटते ही मैंने अपनी टाँगें चौड़ी कीं और गाजर को अपनी गीली चूत पर रगड़ा। “आह्ह्ह!” मेरी सिसकारी निकल पड़ी। फिर मैंने गाजर को एक झटके में अपनी चूत में ठूँस दिया। “उफ्फ्फ… हाय!” गाजर मेरी चूत के अंदर तक चली गई, और मैंने उसे जोर-जोर से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। मेरी साँसें तेज हो गईं, मेरी छाती ऊपर-नीचे हो रही थी, और मेरी आँखें मस्ती में डूब रही थीं। कमरे में मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थीं, “आह्ह्ह… उह्ह्ह… स्स्स्स…”

गाजर मेरी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रही थी, और हर धक्के के साथ मेरी चूत को थोड़ा सुकून मिल रहा था। मैंने अपनी कुर्ती को ऊपर उठाया और अपने चूचों को जोर-जोर से मसलना शुरू किया। मेरे निप्पल्स सख्त हो चुके थे, और मैं उन्हें चुटकी में लेकर मरोड़ रही थी। मैं 20 मिनट तक गाजर से अपनी चूत की खुजली मिटाती रही, लेकिन वो शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी। आखिरकार, मैंने अपनी कुर्ती और ब्रा को फेंक दिया और पूरी नंगी होकर बेड पर लेट गई। एक हाथ से मैं अपने चूचों को दबा रही थी, और दूसरा हाथ गाजर को चला रहा था। मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह्ह… हाय… मेरी चूत… उफ्फ्फ… और तेज!”

15 मिनट बाद, मेरा जिस्म अकड़ने लगा। मेरी साँसें रुक गईं, और अचानक मेरी चूत से पानी का फव्वारा सा निकल पड़ा। बेड की चादर गीली हो गई, और गाजर पूरी तरह मेरे पानी से लथपथ थी। मैं हाँफते हुए बेड पर पड़ी रही, मेरी आँखें बंद थीं, और मेरा जिस्म सुकून में डूबा हुआ था। मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि गाजर को अपनी चूत में ही छोड़ दिया और उसी हाल में सो गई।

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अगली सुबह करीब 11 बजे मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि मैं अभी भी नंगी पड़ी हूँ, और मेरी चूत में वही गाजर फँसी हुई है। मैंने उसे धीरे से निकाला, उसकी गीलापन और गर्मी को महसूस किया, और फिर बाथरूम में जाकर नहाया। नहाते वक्त मैंने अपनी चूत को अच्छे से साफ किया, लेकिन उसकी खुजली अभी भी पूरी तरह शांत नहीं हुई थी। मैंने एक टाइट जींस और एक फिटिंग वाला टॉप पहना, जिसमें मेरे चूचे और गोल-मटोल गाँड साफ उभर रहे थे। मेरी गाँड जींस में इतनी टाइट थी कि हर कदम पर हिल रही थी। फिर मैंने खाना खाया और ऑफिस के लिए तैयार होने लगी।

मेरा ऑफिस का टाइम 12 बजे था। लेकिन जैसे ही मैं निकलने लगी, मेरी चूत में फिर से वही चुदक्कड़ खुजली शुरू हो गई। मैंने मन में सोचा, “साली, ये रंडी चूत को अभी मचलना था? अब क्या करूँ?” मेरे दिमाग में फिर से वही गाजर आ गई। मैं जल्दी से बाथरूम गई, अपनी जींस और पैंटी नीचे की, और गाजर को फिर से अपनी चूत में डाल लिया। इस बार मैंने उसे पूरी तरह अंदर ठूँस दिया, ताकि वो बाहर न निकले। मैंने ऊपर से पैंटी और जींस पहन ली और ऑफिस चली गई। सारा दिन मेरी चूत शांत रही, और गाजर ने मुझे सुकून दिया।

शाम को जब मैं ऑफिस से लौटी, मैंने कपड़े बदले। मैंने एक टाइट सफेद शॉर्ट्स और ग्रे टी-शर्ट पहनी, जिसमें मेरे चूचे और गाँड और भी ज्यादा उभर रहे थे। मेरी टी-शर्ट इतनी फिट थी कि मेरे निप्पल्स हल्के-हल्के नजर आ रहे थे, और शॉर्ट्स में मेरी गाँड फँसी हुई थी, जैसे बस फटने को तैयार हो। मैं सोनम आंटी के पास गई और उनके साथ बैठकर बातें करने लगी। तभी शशि अंकल आ गए।

शशि अंकल, सोनम आंटी के पति, 45 साल के थे। वो जॉब करते थे और दिखने में काफी स्मार्ट थे। उनका फिगर फिट था, चेहरा साफ, और आँखों में हमेशा एक शरारती चमक रहती थी। मैं उनसे ज्यादा बात नहीं करती थी, लेकिन आज वो हमारे पास आकर बैठ गए। हम तीनों बातें करने लगे।

शशि अंकल: “राधिका, ऑफिस कैसा चल रहा है?” मैं: “अच्छा चल रहा है, अंकल जी।” सोनम आंटी: “राधिका बहुत मेहनत करती है।” अंकल: “हाँ, राधिका तो ऐसी ही है।” सोनम आंटी: “सुनो जी, आज खाने में क्या खाओगे?” अंकल (मेरी तरफ तिरछी नजरों से देखते हुए): “आज तो गाजर खाने का मन है।” सोनम आंटी: “अरे, घर में गाजर तो नहीं है।” अंकल (फिर मेरी चूत की तरफ देखते हुए): “देखो ना, कहीं पड़ी होगी।”

मैं चौंक गई। मुझे लगा, शायद अंकल को मेरी चूत में फँसी गाजर का पता चल गया है। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? सोनम आंटी: “नहीं, कहीं नहीं है।” अंकल: “राधिका, तुम्हारे पास तो होगी?” मैं (हिचकिचाते हुए): “नहीं… मेरे पास भी नहीं है।”

सोनम आंटी उठकर किचन में खाना बनाने चली गईं। अब मैं और अंकल अकेले थे। अंकल: “राधिका, तुम आजकल बहुत टेंशन में लग रही हो। सुबह जब तुम ऑफिस जा रही थीं, तो तुम्हारे चेहरे पर पसीना था।” मैं: “वो… गर्मी बहुत है ना, अंकल।” अंकल (अपने लंड पर हाथ फेरते हुए): “हाँ, गर्मी तो बहुत है, लेकिन क्या करें? ठंडी चीजें भी तो मिलनी बंद हो गई हैं।” मैं: “कौन सी चीज, अंकल?” अंकल (मेरी चूत की तरफ देखते हुए): “गाजर… गाजर नहीं मिल रही।”

अब मुझे पक्का यकीन हो गया था कि अंकल को सब पता है। वो मेरी चूत में फँसी गाजर की बात कर रहे थे। मेरे दिमाग में ख्याल आया, “अगर अंकल से चुदवा लिया जाए, तो मेरी चूत की खुजली भी मिट जाएगी।” मैंने भी अब उनके साथ मस्ती शुरू कर दी।

मैं: “अंकल, गाजर तो बहुत गर्म होती है। आपको गर्मी करेगी।” अंकल: “राधिका, गर्मी को गर्मी ही काटती है।” मैं: “लेकिन गाजर को काटने वाला भी तो चाहिए।” अंकल: “उसकी चिंता मत करो, राधिका। गाजर कट जाएगी।” मैं: “वैसे इस गाजर में क्या खास बात है?” अंकल: “राधिका, इस गाजर में वो नशा है जो कहीं और नहीं।” मैं (हँसते हुए): “अच्छा जी, नशा तो सोनम आंटी में भी होगा।” अंकल: “उसे तो मैं झेल रहा हूँ।” मैं: “अच्छा, तो आपको कैसे पता कि मेरे पास गाजर है?” अंकल: “तुम्हारे अंकल को सब पता होता है कि कौन सी चीज कहाँ है।” मैं: “अच्छा जी, उम्र 45 की और दिल 25 का?” अंकल: “दिल भी 25 का और वो भी 25 का।” मैं: “हाय, आप तो बड़े नॉटी हो, अंकल!” अंकल: “अंकल नहीं, शशि बोलो। अच्छा लगता है।” मैं: “ओके, शशि।”

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तभी सोनम आंटी ने आवाज लगाई, “खाना तैयार है, आकर खा लो।” मैं शशि के पास गई, उनके सामने जानबूझकर झुकी ताकि मेरे चूचे उनकी आँखों के सामने आएं। मैंने उनके कान में धीरे से फुसफुसाया, “गर्मागर्म गाजर रात को निकलेगी। अगर खानी है, तो रात 1 बजे मेरे रूम में आ जाना।” शशि: “जरूर, राधिका। मैं जरूर आऊँगा।” मैं: “मैं इंतजार करूँगी।”

मैं अपने रूम में चली गई। मैंने खाना खाया, लेकिन मेरी चूत में गाजर अभी भी फँसी थी। मैं खुश थी कि आज मेरी इस चुदक्कड़ चूत की प्यास बुझने वाली है। रात के 1 बज गए। अचानक मेरे दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई। शशि की आवाज आई, “राधिका, सो रही हो क्या?”

मैंने दरवाजा खोला और बोली, “तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी।” मैंने उन्हें अंदर बुलाया, दरवाजा बंद किया, और पर्दे डाल दिए। रूम में हल्की सी लाइट थी, जो मेरे नंगे जिस्म पर हल्की-हल्की छाया डाल रही थी। मैंने सिर्फ एक पतली सी टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी थी, बिना ब्रा और पैंटी के। मेरे निप्पल्स टी-शर्ट में साफ उभर रहे थे।

शशि मेरे पास आए और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उनकी साँसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं। वो बोले, “उफ्फ, राधिका, तू कितनी सेक्सी है! मैं तेरी इस चूत को पहले दिन से चोदना चाहता था। आज तू मेरी रंडी बन जा, मेरी चिनाल बन जा, और अपनी चूत का नशा मेरे लंड को चखने दे।”

वो मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी उनके होंठों को चूस रही थी। मैंने उनके लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए कहा, “ओह मेरे शशि, मेरे रंडवे आशिक, आज मुझे अपनी रंडी बना ले और मेरी इस चुदक्कड़ जवानी को निचोड़ दे। बहन के लौड़े, क्या मस्त लौड़ा है तेरा!”

मैं उनके लंड को जोर-जोर से सहलाने लगी। वो सख्त हो चुका था, और पैंट के ऊपर से उसकी मोटाई साफ महसूस हो रही थी। शशि ने मेरी टी-शर्ट को एक झटके में उतार दिया और मुझे उल्टा करके मेरे बालों को खोल दिया। वो पीछे से मेरे चूचों को अपने हाथों में भरने लगे और मेरी गर्दन पर चूमने लगे। उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं, और मैं उनके हाथों को पकड़कर अपने चूचों को और जोर से दबवा रही थी।

मैं: “आह्ह्ह… शशि, बहुत दिनों बाद कोई मेरे चूचों को दबा रहा है। जोर से दबा, इनका दूध निकाल दे। ये बहुत दिनों से मचल रहे हैं।”

शशि ने मेरे चूचों को जोर-जोर से मसलना शुरू कर दिया। उनके हाथ मेरे निप्पल्स को चुटकी में लेकर मरोड़ रहे थे, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… शशि… और जोर से!” वो मेरे सामने आए, मुझे उठाकर बेड पर लिटा दिया, और मेरे चूचों को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर लपलप कर रही थी, और वो हल्के से उन्हें काट लेते थे। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह्ह… हाय… शशि… उफ्फ्फ!”

15 मिनट तक वो मेरे चूचों को चूसते रहे, उन्हें मसलते रहे, और मेरे निप्पल्स को अपनी जीभ से चाटते रहे। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और गाजर अभी भी उसमें फँसी थी। फिर शशि मेरे पेट पर किस करते हुए नीचे आए। उन्होंने मेरी शॉर्ट्स को खींचकर उतार दिया और मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सूँघने लगे। वो बोले, “क्या मस्त स्मेल है तेरी चूत की, मेरी रंडी! आज मैं तेरी चूत में फँसी गाजर को खा जाऊँगा। तेरा ये रंडी जिस्म पाकर मेरा लंड बहुत खुश है।”

उन्होंने मेरी पैंटी को भी नीचे खींच दिया। मेरी चूत गीली थी, और गाजर पूरी तरह अंदर थी, सिर्फ उसका छोटा सा हिस्सा बाहर दिख रहा था। शशि ने कहा, “राधिका, साली, बहन की लौंडी, निकाल अपनी चूत से वो गाजर, जिसे मैं खाने के लिए बेताब हूँ।”

मैंने अपनी चूत पर थोड़ा जोर लगाया, और गाजर का पिछला हिस्सा थोड़ा और बाहर आ गया। शशि ने उसे पकड़ लिया और धीरे-धीरे मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगे। मैं चिल्ला उठी, “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… साले शशि, हरामखोर, ये क्या कर रहा है? मैं तो मर गई!”

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मैंने अपने चूचों को जोर से दबाना शुरू कर दिया। शशि ने गाजर को तेजी से अंदर-बाहर किया, और मेरी चूत से पानी निकलने लगा। गाजर पूरी तरह गीली हो गई थी। शशि ने गाजर को बाहर निकाला, उसे सूँघा, और बोला, “वाह, क्या स्मेल है तेरी चूत की, राधिका!”

उन्होंने गाजर को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और मेरे पानी से लथपथ गाजर को पूरी तरह साफ कर दिया। फिर उन्होंने गाजर को खा लिया और बोला, “मजा आ गया, राधिका। तेरे पानी का स्वाद तो कमाल है!”

अब वो मेरे ऊपर आए और मुझे 69 की पोजीशन में ले आए। मैं उनके ऊपर थी, और उनका मोटा, 7 इंच का काला लंड मेरे मुँह के सामने था। मैंने उसे अपने हाथों में लिया, उसकी गर्मी को महसूस किया, और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उनकी जीभ मेरी चूत पर थी, और वो उसे चाट रहे थे। मेरी चूत में उनकी जीभ की हर हरकत मुझे पागल कर रही थी। मैं सिसकार रही थी, “आह्ह्ह… शशि… उफ्फ्फ… और चाट!”

वो मेरी चूत के दाने को चूस रहे थे, और मैं उनके लंड को अपने मुँह में गहरे तक ले रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मैं उनके लंड को चूसते हुए सिसकार रही थी, “उह्ह्ह… हाय… शशि… क्या मस्त लौड़ा है!”

15 मिनट तक हम 69 में एक-दूसरे को चूसते रहे। मेरी चूत फिर से गीली हो गई थी, और मैं उनके लंड को और जोर से चूस रही थी। फिर शशि ने मुझे नीचे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गए। उन्होंने अपना मोटा लंड मेरी चूत पर रगड़ा, और मैं तड़प उठी, “शशि, डाल दे… अब और मत तड़पा!”

उन्होंने अपना 7 इंच का लंड एक झटके में मेरी चूत में डाल दिया। मेरी चीख निकल गई, “आह्ह्ह… शशि, बहन के लौड़े, क्या लौड़ा है तेरा! लोहे जैसा! अब चोद दे मुझे, मेरी इस चूत की आग बुझा दे!”

शशि ने अपने लंड को मेरी चूत में जोर-जोर से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। मैं अपनी चूत को उठा-उठाकर उनका साथ दे रही थी। हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थीं, “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… शशि… और जोर से!” मैं चिल्ला रही थी, “चोद, शशि, साले! और जोर से चोद! सोच कि तू अपनी माँ की चूत में लंड डाल रहा है! चोद, बहनचोद!”

शशि ने अपनी स्पीड और तेज कर दी। फिर वो बोले, “कुतिया की बची, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैंने उन्हें धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और उनका लंड अपने मुँह में ले लिया। मैं जोर-जोर से चूसने लगी। शशि चिल्लाए, “आह्ह्ह… साली, रंडी, पूरा अंदर ले जा!”

अचानक उनका गर्म माल मेरे मुँह में आ गया। मैंने सारा माल पी लिया और हाँफते हुए लेट गई। मेरी जवानी शांत हो चुकी थी। मैं शशि के लंड को अपनी चूत में लिए सो गई। उस रात नींद भी बहुत अच्छी आई।

सुबह 4 बजे शशि उठे, अपने कपड़े पहने, और सोनम आंटी के पास चले गए। जब तक मैं उनके घर में रही, शशि हर रात मुझे चोदते थे, और दिन में मैं अपनी चूत में गाजर रखती थी, जिसे शशि रात को खा लेते थे।

तो दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? नीचे कमेंट्स में अपने विचार जरूर लिखें, ताकि मैं आपके लिए और भी मस्त कहानियाँ ला सकूँ।

यह कहानी दोबारा प्रकाशित की जा रही है, पिछली बार लोगो ने पढ़ कर कोई कमेंट नहीं किया था, पसंद आती है कहानी तो कमेंट जरूर करे, नहीं तो मुझे बहुत दुःख होता है 🙁

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