Mama ke naukar se gulabi chut ki chudai sex story: मेरी ममेरी बहन की शादी थी, और उसकी बारात के लिए हम सब इकट्ठा हुए। मैं, प्रिया, 22 साल की, गोरी, गोल-मटोल गाँड वाली, जिसकी तारीफ़ गाँव में कई मर्द कर चुके थे। मेरे साथ थे सत्या, मेरी मौसी का लड़का, 24 साल का, लंबा और पतला, और मामा के लड़के बिपिन, 23 साल का, और नीतेश, 25 साल का, दोनों औसत कद-काठी के। हम सब बारात लेकर निकले, 400 किलोमीटर दूर एक गाँव में। दो बसें किराए पर ली थीं। मैं, सत्या, बिपिन और नीतेश पहली बस में थे। मामा के नौकर, कल्लू, 30 साल का, काला, मज़बूत बदन वाला, और भोला, 28 साल का, थोड़ा कम मज़बूत लेकिन ताकतवर, दूसरी बस में गाँव वालों के साथ थे।
रात को बस रवाना हुई। मैंने टाइट नीली जींस और लाल टी-शर्ट पहनी थी, जो मेरे कर्व्स को अच्छे से हाइलाइट कर रही थी। रास्ते में जंगल आया, और बस रुकी क्योंकि दूर-दूर तक कोई बाथरूम नहीं था। लड़के पेड़ों के पीछे चले गए, और हम लड़कियों ने शॉल और चादर का पर्दा बनाया। मैंने और कुछ लड़कियों ने जल्दी से अपनी ज़रूरत पूरी की, लेकिन पर्दे के पीछे से मैंने देखा कि कुछ मर्द हमारी तरफ झाँक रहे थे। शॉल का पर्दा था, फिर भी उनकी हवस भरी नज़रें मुझे बेचैन कर गईं। मेरी चूत में हल्की सी गुदगुदी होने लगी, जैसे कुछ होने वाला हो।
अगली सुबह हम ममेरे भाई की ससुराल पहुँचे। हमें दो बड़े घरों में ठहराया गया। शादी अगली रात थी, और आज रात सिर्फ़ संगीत का प्रोग्राम था। सुबह नहा-धोकर मैं फ्रेश हुई। मैंने अब एक हल्की गुलाबी सलवार-कमीज़ पहनी, जो मेरी गोल गाँड और भरे हुए मम्मों को उभार रही थी। गाँव घूमने निकलने से पहले मैंने अपनी नई दोस्त सिखा से मुलाकात की। सिखा, 23 साल की, साँवली, हरी घाघरा-चोली में, जिसके ऊपर पतली सी चुनरी थी। उसका बिंदास अंदाज़ और खुली बातें मुझे पसंद आईं। हमारे साथ गाँव की तीन और लड़कियाँ थीं।
हम गाँव की गलियों में घूमने निकले। गाँव बड़ा था, और हवा में शादी की रौनक थी। साड़ी और घाघरे में लिपटी लड़कियाँ इधर-उधर की बातें करने लगीं। सिखा अब खुलकर बोल रही थी। उसने बताया कि वो गाँव के कई मर्दों के साथ चुदाई कर चुकी थी। खासकर मामा का नौकर कल्लू, जिसने उसे कई बार चोदा था। सिखा ने कहा, “कल्लू का लंड इतना मोटा और काला है, प्रिया, कि चूत में घुसते ही आग लगा देता है। वो घंटों चोद सकता है।” गाँव की दूसरी लड़कियों ने भी हामी भरी। एक ने कहा, “कल्लू और भोला दोनों ताकतवर हैं। उनके धक्के इतने ज़ोरदार होते हैं कि चूत में स्वर्ग उतर आता है।”
मैं हँसते-हँसते सुन रही थी, लेकिन मेरी चूत गीली होने लगी। इन बातों ने मेरे जिस्म में खujली जगा दी थी। मेरी गाँड, जो गोल और सुडौल थी, गाँव में कई मर्दों की नज़रों का केंद्र थी। मैंने कई बार कल्लू को मुझे घूरते देखा था। उसकी आँखों में हवस थी, और मैं जानती थी कि वो मेरी गाँड का दीवाना था। सिखा ने बताया कि भोला भी कम नहीं। वो भी ज़ोरदार धक्के मारता था, और उसका लंड भी मोटा था, भले ही कल्लू से थोड़ा छोटा।
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हम बाज़ार से गुज़रे। कुछ लड़कियाँ चूड़ियाँ खरीदने रुक गईं, लेकिन मैं और सिखा आगे बढ़ गए। बाज़ार खत्म हुआ, और सामने एक छोटा सा जंगल था, जिसमें एक तालाब था। सिखा ने कहा, “चल, प्रिया, तालाब देखते हैं।” मैंने हिचकते हुए कहा, “जंगल में जंगली जानवर होंगे। कुछ हो गया तो?” सिखा ने हँसकर जवाब दिया, “कुछ नहीं होगा। कल्लू साथ होगा।” मैंने पूछा, “कल्लू यहाँ कहाँ है?” उसने कहा कि उसने कल्लू से तालाब देखने की बात की थी, और वो ज़रूर मिलेगा।
हम जंगल की पगडंडी पर बढ़े। घनी झाड़ियों के बीच सन्नाटा था। अचानक, कल्लू सामने आ गया, जैसे हमारा इंतज़ार कर रहा हो। उसने सफेद धोती और कुर्ता पहना था। उसका काला, मज़बूत बदन धोती में और आकर्षक लग रहा था। सिखा को देखते ही वो बिंदास बात करने लगा। हम पगडंडी पर आगे बढ़े, और चारों तरफ कोई नहीं था। अचानक, कल्लू ने सिखा की गाँड पर हाथ रखा और उसके चूतड़ों को दबाने लगा। सिखा मुस्कुराकर जवाब दे रही थी, जैसे उसे मज़ा आ रहा हो।
मैं चोरी-छिपे ये सब देख रही थी, लेकिन मेरी चूत में आग लग चुकी थी। मैं सोच रही थी कि काश कल्लू का मोटा लंड मेरी चूत को फाड़ दे। मेरी गुलाबी चूत गीली होकर चिपचिपी होने लगी थी। मेरी निपल्स सलवार के अंदर ब्रा में कड़क हो रही थीं। कल्लू और सिखा एक घने पेड़ के पास रुक गए। कल्लू ने सिखा को कसकर पकड़ा और उसके होंठों पर चूमने लगा। उसने सिखा की हरी चोली के ऊपर से उसके मम्मों को मसलना शुरू किया। सिखा की चुनरी ज़मीन पर गिर गई, और उसकी चोली अब उसके भरे हुए मम्मों को मुश्किल से संभाल रही थी।
कल्लू ने सिखा की चोली का हुक खोला। उसकी साँवली चमड़ी पर गहरे भूरे निपल्स चमक रहे थे। कल्लू ने एक निपल को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरा मम्मा वो ज़ोर से मसल रहा था। सिखा की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “उम्म… कल्लू, धीरे… आह…” उसने सिखा का घाघरा ऊपर उठाया, और उसकी काली पैंटी दिखने लगी। कल्लू ने पैंटी को एक झटके में नीचे खींचा, और सिखा की साँवली, बालों वाली चूत नज़र आई। उसकी चूत गीली थी, और होंठ हल्के गुलाबी दिख रहे थे।
मैं पास खड़ी सब देख रही थी। मेरी सलवार के अंदर पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। कल्लू ने सिखा को ज़मीन पर घास के ऊपर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। उसने अपनी धोती खोल दी। उसका लंड बाहर आया—काला, मोटा, करीब 8 इंच लंबा, जिसका सुपारा गहरे गुलाबी रंग का था। उसकी नसें उभरी हुई थीं, और टट्टे बड़े और लटक रहे थे। मैंने कभी इतना मोटा लंड नहीं देखा था। सिखा ने तुरंत उसका लंड पकड़ा और हिलाने लगी। उसने सुपारे की चमड़ी पीछे खींची और उसे चाटने लगी। “कल्लू, तेरा लंड तो लोहे जैसा है,” सिखा ने कहा, और उसका सुपारा अपने मुँह में ले लिया।
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मेरी चूत में आग लग रही थी। मेरी निपल्स अब ब्रा के अंदर दुखने लगी थीं। कल्लू ने मुझे देखा और मुस्कुराया। “प्रिया मालकिन, आप भी आ जाओ,” उसने कहा और मेरी गाँड पर हाथ फेरने लगा। मेरी सलवार टाइट थी, और मेरी गाँड उसके हाथों में मज़ा दे रही थी। मैं हिचक रही थी, लेकिन मेरी चूत की खujली मुझे बेचैन कर रही थी। सिखा ने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे खींच दिया। मेरी गुलाबी पैंटी गीली थी, और उसने वो भी उतार दी। कल्लू ने मेरी कमीज़ और ब्रा उतारी। मेरे गोरे मम्मे, जिनके निपल्स हल्के भूरे थे, अब खुली हवा में थे।
कल्लू ने मुझे घास पर लिटाया और मेरी टाँगें चौड़ी कीं। सिखा मेरे बगल में बैठ गई और मेरे मम्मों को चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे निपल्स पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… सिखा… उफ्फ…” कल्लू ने मेरी चूत पर मुँह रखा। उसकी गर्म साँसें मेरी चूत पर लग रही थीं। उसने पहले मेरी चूत के होंठों को चाटा, फिर अपनी दो उंगलियों से मेरी चूत को खोला। मेरी गुलाबी चूत पूरी गीली थी, और मेरी भगनासा उभरकर लाल हो रही थी।
कल्लू ने मेरी भगनासा को जीभ से चाटा। “आह… कल्लू… और चाट, साले,” मैं चिल्लाई। उसने मेरी चूत के छेद को चूसा, और मेरी चूत से रस टपकने लगा। “प्रिया मालकिन, तुम्हारी चूत का रस तो अमृत है,” उसने कहा और मेरी चूत में जीभ डाल दी। मैं मछली की तरह तड़प रही थी। मेरी गाँड अपने आप ऊपर-नीचे होने लगी। सिखा अब मेरे मम्मों को मसल रही थी और मेरी चूत में एक उंगली डालकर अंदर-बाहर कर रही थी।
कल्लू ने मेरी चूत को और ज़ोर से चाटा। उसने मेरी भगनासा को होंठों में दबाकर चूसा। “आह… उफ्फ… कल्लू, साले, और चाट… मेरी चूत फाड़ दे,” मैं चिल्लाई और उसके सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी। मैंने उसके गाल पर एक थप्पड़ मारा, और वो और उत्तेजित हो गया। सिखा अब नीचे झुकी और कल्लू का लंड चूसने लगी। उसका मुँह थूक से भर गया, और वो कल्लू के सुपारे को चाट रही थी।
कल्लू ने मेरी चूत के अंदरूनी होंठों को चूसा, फिर अपनी जीभ को मेरी चूत के छेद में डालकर चोदने लगा। मैं जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… ओह… कल्लू, कुतिया बना दे मुझे…” मैं कई बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत का रस कल्लू की जीभ पर गिर रहा था। सिखा ने कल्लू का लंड छोड़ा और मेरे पास आई। उसने मेरी चूत को फिर से चाटना शुरू किया।
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कल्लू ने कहा, “सिखा, तू नीचे लेट। प्रिया मालकिन, तुम 69 में इसके ऊपर।” सिखा घास पर लेट गई। मैं उसकी चूत के ऊपर 69 की पोज़िशन में लेट गई। मेरी चूत सिखा के मुँह पर थी, और मैं उसकी साँवली, बालों वाली चूत को चाट रही थी। सिखा की चूत का स्वाद नमकीन था, और उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था। कल्लू ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। सिखा ने नीचे से उसके सुपारे को चाटा।
मैंने सिखा की भगनासा को चूसा, और वो सिसकारियाँ लेने लगी, “प्रिया, और चाट… आह…” कल्लू ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आह… मार गई…” मैं चिल्लाई। उसका मोटा लंड मेरी गीली चूत में आधा घुस गया। सिखा नीचे से उसके टट्टों को चाट रही थी। कल्लू ने मेरी गाँड पर थूक लगाया और एक उंगली मेरी गाँड के छेद में डाल दी।
उसने फिर एक और धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मेरी चूत की दीवारें उसके लंड को जकड़ रही थीं। “आह… कल्लू, फाड़ दे मेरी चूत… साले, और ज़ोर से…” मैं चिल्ला रही थी। कल्लू ने अपने कूल्हों को गोल-गोल घुमाया, और उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और सिखा उसे चाट रही थी।
कल्लू अब ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ मेरी चूत में बिजली सी दौड़ रही थी। “PUCK… PUCK… KHATAAA… KHAT…” चुदाई की आवाज़ें जंगल में गूँज रही थीं। मैं अपनी गाँड उठा-उठाकर उसके लंड को और अंदर ले रही थी। सिखा मेरी चूत और कल्लू के टट्टों को बारी-बारी चाट रही थी। मैंने सिखा की चूत में तीन उंगलियाँ डाल दीं और उसे चोदने लगी।
तभी भोला आ गया। वो पहले से नंगा था, और उसका लंड खड़ा था—काला, मोटा, करीब 7 इंच लंबा, सुपारा गुलाबी। उसने मेरे मुँह के सामने अपना लंड रखा और कहा, “प्रिया मेमसाब, इसे भी चूसो।” मैंने एक हाथ से सिखा की चूत को चोदना जारी रखा और दूसरे हाथ से भोला का लंड हिलाने लगी। मैंने उसका सुपारा मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। उसके टट्टे सिखा की चूत पर थप्पड़ मार रहे थे।
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कल्लू पीछे से मेरी चूत को ड्रिल कर रहा था। मेरी चूत से रस और थूक का मिश्रण टपक रहा था, जो सिखा के मुँह में जा रहा था। भोला ने मेरे मुँह से लंड निकाला और सिखा की चूत में एक ही झटके में घुसा दिया। “आह… भोला, साले…” सिखा चिल्लाई। उसकी चूत से रस का फव्वारा निकला। मैंने सिखा की भगनासा को दबाया और भोला के लंड को चाटने लगी।
कल्लू ने कहा, “प्रिया मालकिन, तुम्हारी चूत तो लंड को चूस लेती है।” मैं और गर्म हो गई। वो मेरी गाँड को पकड़कर अपने लंड पर खींच रहा था। हर धक्के के साथ उसका लंड मेरी बच्चेदानी को चूम रहा था। मैं सिखा की चूत के होंठ खोलकर चाट रही थी। भोला सिखा को चोद रहा था, और उसकी चूत से रस मेरे मुँह में आ रहा था।
मैं कई बार झड़ चुकी थी। अचानक, कल्लू ने मेरी चूत में गर्म-गर्म वीर्य की पिचकारी छोड़ी। “आह… ओह…” मैं सिसकारी। उसका वीर्य मेरी चूत में भर गया, और कुछ बाहर टपकने लगा। कल्लू ने झड़ने के बाद भी धक्के मारे, और उसके टट्टे खाली हो गए। वो बगल में लेट गया। सिखा ने उसका लंड साफ किया।
भोला ने मेरी खाली चूत देखी और सिखा की चूत से लंड निकालकर मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी चूत कल्लू के वीर्य से चिकनी थी, और भोला का लंड आसानी से घुस गया। “PUCK… PUCK… KHATAAA… KHAT…” भोला ने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। मैं उछल-उछलकर चुदवा रही थी। मैंने सिखा की चूत में तीन उंगलियाँ डालकर उसे चोदा। सिखा मेरी चूत से टपकता वीर्य और रस चाट रही थी।
मैं सिखा की बालों वाली चूत को चाट रही थी। भोला ने मेरी चूत को और ज़ोर से चोदा। “आह… भोला, फाड़ दे मेरी फुद्दी…” मैं चिल्लाई। मेरी चूत फिर झड़ गई, और भोला ने भी मेरी चूत में वीर्य की पिचकारी मारी। उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में भर गया। सिखा ने मेरी चूत को चाटकर साफ किया।
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हम सब थककर लेट गए। सिखा ने बताया कि ये कल्लू और भोला का प्लान था। हम तालाब में नहाए और फ्रेश होकर गाँव लौट आए। लंच का समय हो चुका था। माँ ने पूछा, “प्रिया, कहाँ थी? आजकल ज़्यादा बाहर घूमती है। कहीं किसी का बिस्तर तो गर्म नहीं कर रही?” मैंने हँसकर कहा, “माँ, तुम भी ना, बेकार की बातें करती हो।”
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