sexy maid pussy – टीचर नौकरानी सेक्स: मेरा नाम राजीव है। मैं 32 साल का हूँ, तलाकशुदा, और एक मिडिल स्कूल में साइंस टीचर हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 11 इंच है, रंग गोरा, और जिम जाने की वजह से बॉडी फिट और मस्कुलर है। मेरा लंड 6.5 इंच लंबा और काफ़ी मोटा है, जिसका सुपारा गुलाबी और चिकना है। तलाक के बाद मैं अकेला रहता हूँ, और पिछले कुछ सालों से मेरी ज़िंदगी में कोई औरत नहीं थी। हमारा स्कूल मिडिल क्लास इलाके में है, जहाँ पिछले कुछ सालों में कई नौकरानियाँ काम करती थीं। लॉकडाउन की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई थी, जिसमें कुछ नौकरानियाँ भी थीं। जब सब कुछ सामान्य हुआ, तो स्कूल ने चार नई नौकरानियाँ भर्ती कीं, और यहीं से मेरी कहानी शुरू होती है।
पिछले महीने जब स्कूल बंद हुए, तो बच्चों को छुट्टी दे दी गई, लेकिन टीचर्स को स्कूल आकर ऑनलाइन क्लासेस लेनी थीं। हर टीचर को एक अलग कमरा दिया गया था, जहाँ हम दिनभर बैठकर पढ़ाते थे। मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था, एक कोने में, जहाँ शोर-शराबा कम होता था। मैं सुबह 8 बजे स्कूल पहुँच जाता और शाम 5 बजे तक वहीं रहता। कमरे में एक टेबल, कुर्सी, और एक पुराना सोफा था, जो दीवार के पास रखा था। खिड़की से बाहर का नज़ारा दिखता, लेकिन ज्यादातर समय मैं अपने लैपटॉप पर क्लासेस लेने में बिजी रहता।
एक दिन दोपहर के वक़्त, जब मैं क्लास ख़त्म करके कॉफी पी रहा था, मेरी नज़र एक नौकरानी पर पड़ी। उसका नाम मालती था, उम्र करीब 28 साल, साँवला रंग, लेकिन फिगर ऐसा कि किसी का भी दिल धड़क जाए। उसका साइज 36-33-38 था। उसने उस दिन टाइट हरे रंग का सलवार-सूट पहना था, जिसका दुपट्टा पतला और पारदर्शी था। उसकी कमर से सूट चिपका हुआ था, और जब वो झुककर पोंछा लगा रही थी, तो उसकी गांड का उभार साफ़ दिख रहा था। उसकी गांड गोल-मटोल और भारी थी, जैसे दो बड़े तरबूज एक साथ। उसका सलवार थोड़ा ऊपर खिसक गया था, जिससे उसकी कमर की साँवली चमकती त्वचा दिख रही थी। मैं उसे देखता रहा, और तभी उसने मुझे देख लिया। उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी, जैसे वो जानबूझकर मुझे ललचा रही हो। मैंने जल्दी से नज़र हटा ली, लेकिन मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
उस दिन से मैं मालती को नोटिस करने लगा। वो हर दिन मेरे कमरे के आसपास सफ़ाई करती, और जानबूझकर मेरे सामने झुकती, जिससे उसके भारी स्तन सूट के गले से झाँकते। उसका दुपट्टा अक्सर कंधे से सरक जाता, और वो उसे धीरे-धीरे ठीक करती, जैसे मुझे और तड़पाना चाहती हो। उसकी चाल में एक अजीब सा नशा था, और वो बार-बार मुझे देखकर मुस्कुराती। एक दिन जब मैं स्टाफ रूम में अपने दोस्तों से बात कर रहा था, तो मैंने मालती का ज़िक्र किया। मेरे दोस्त रमेश ने हँसकर कहा, “अरे, वो तो सबको ऐसे ही घूरती है। लगता है उसकी आँखों में ही आग है।” ये सुनकर मुझे यक़ीन हो गया कि मालती की नीयत साफ़ नहीं है, और शायद मैं उसकी आग को अपनी प्यास से बुझा सकता हूँ।
अगले दिन से मैंने भी उसका खेल खेलना शुरू कर दिया। जब वो मेरे कमरे में आती, तो मैं उसे गौर से देखता, कभी उसके स्तनों पर, कभी उसकी गांड पर। वो भी समझ गई थी कि मैं उसकी हरकतों का जवाब दे रहा हूँ। एक दिन वो मेरे कमरे में पोंछा लगाने आई, जबकि सुबह टीचर्स के आने से पहले ही सारे कमरे साफ़ हो जाते थे। मैं समझ गया कि वो जानबूझकर आई है। उसने नीले रंग का सलवार-सूट पहना था, और उसका दुपट्टा एक तरफ़ लटक रहा था। मैं कुर्सी पर बैठा था, और वो मेरे पास आकर पोंछा लगाने लगी। उसका सूट गीला होने की वजह से उसकी जाँघों से चिपक गया था, और उसकी पैंटी की आउटलाइन साफ़ दिख रही थी। मैंने मौका देखकर बात शुरू की।
मैं: मालती। मालती: जी सर। मैं: कुछ देगी? मालती: (मुस्कुराते हुए) क्या सर? मैं: वही जो तू अपनी आँखों से ऑफर कर रही है। मालती: (शरमाते हुए, लेकिन शरारत से) अरे सर, ऐसा कुछ नहीं है। मैं: अब भोली मत बन। बोल, देगी?
वो हँस पड़ी और बोली, “फ्री में कुछ नहीं मिलता सर।” मैं: कितने पैसे चाहिए? मालती: 500 रुपये।
मैंने तुरंत जेब से पर्स निकाला और उसे 500 का नोट थमा दिया। वो उठी, बाहर जाकर हाथ धोकर आई, और नोट लेकर बोली, “कब करना है सर?” मैं: अभी। मालती: (हैरानी से) अभी? यहीं? मैं: हाँ, यहीं।
मैंने उसे कमरे के उस कोने में ले गया, जहाँ सीसीटीवी का कैमरा नहीं था। दीवार के पास एक पुराना सोफा था, जो धूल से भरा था। मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा किया और उसके करीब आ गया। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसकी आँखों में डर के साथ-साथ उत्साह भी था। मैंने धीरे से उसका दुपट्टा खींचा और सोफे पर फेंक दिया। उसका नीला सूट टाइट था, और उसके स्तन उभरे हुए साफ़ दिख रहे थे। मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया। उसके होंठ मुलायम थे, लेकिन थोड़ी सी सिगरेट की गंध थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी गांड पर रखे और ज़ोर से दबाए। उसकी गांड इतनी मुलायम और भारी थी कि मेरे लंड में तुरंत करंट दौड़ गया।
मैंने उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया, और वो हल्के-हल्के सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… सर…”। मैंने उसके सूट के गले में हाथ डाला और उसके स्तनों को दबाया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी, और उसके काले, सख़्त निपल्स मेरी उंगलियों में फँस गए। मैंने उससे कहा, “सूट उतार दे।” मालती: सर, सूट नहीं उतार सकती। कोई आ गया तो जल्दी नहीं पहन पाऊँगी। मैं: ठीक है, ऊपर कर दे।
वो हँसी और उसने अपना सूट गले तक उठा लिया। उसके भारी स्तन मेरे सामने थे, जिनके निपल्स गहरे काले और सख़्त थे। मैंने तुरंत एक निपल मुँह में लिया और चूसने लगा। उसका स्वाद नमकीन था, और वो “उम्म… आह्ह…” की आवाज़ें निकाल रही थी। मैंने दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन दबाया और निपल को मसलने लगा। वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी, और उसकी साँसें और तेज़ हो गईं। मैंने धीरे-धीरे उसकी सलवार का नाड़ा खोला, और वो नीचे सरक गई। उसने सफ़ेद रंग की साधारण सी पैंटी पहनी थी, जो उसकी साँवली जाँघों पर चिपकी हुई थी। मैंने उसकी पैंटी भी नीचे खींच दी, और अब उसकी चूत मेरे सामने थी। उसकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो गीली चमक रही थी। मैंने उसकी चूत पर उंगलियाँ फिराईं, और वो सिहर उठी, “आह्ह… सर… धीरे…”।
मैंने उसे दीवार के सहारे और झुकाया, ताकि उसकी गांड मेरे सामने आए। मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोली और लंड बाहर निकाला। मेरा लंड पहले से ही सख़्त था, और उसका गुलाबी सुपारा चमक रहा था। मैंने थूक लिया और अपने लंड पर लगाया। फिर मैंने उसकी चूत पर लंड सेट किया और धीरे से रगड़ा। वो सिसकारी, “उम्म… सर… डाल दो ना…”। मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी गीली चूत में पूरा घुस गया। वो चीख पड़ी, “आह्ह… धीरे सर… दर्द हो रहा है!” लेकिन मैं रुका नहीं। उसकी चूत इतनी टाइट और गर्म थी कि मेरा लंड पागल हो गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और हर धक्के के साथ उसकी गांड मेरी जाँघों से टकराती, “थप-थप” की आवाज़ गूँज रही थी।
मैंने उसके स्तनों को फिर से पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। वो “आह्ह… उम्म… सर… और ज़ोर से…” कह रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। उसकी चूत का पानी मेरे लंड पर चिपचिपा हो गया था, और “चप-चप” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैंने उसे घुमाया और सोफे पर बिठाया। उसकी सलवार और पैंटी अब भी उसके टखनों पर लटक रही थीं। मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और फिर से उसकी चूत में लंड डाला। इस बार मैंने उसे “कुत्तिया स्टाइल” में चोदना शुरू किया, ताकि उसकी गांड मेरे सामने उछलती रहे। वो “आह्ह… उह्ह… सर… कितना मज़ा आ रहा है…” चिल्ला रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे।
पाँच मिनट बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसका गर्म पानी मेरे लंड पर बह रहा था, और उसकी जाँघें भीग गई थीं। लेकिन मेरा लंड अभी भूखा था। मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। अब मैंने “मिशनरी स्टाइल” में उसकी चूत को चोदना शुरू किया। हर धक्के के साथ उसके स्तन उछल रहे थे, और वो “आह्ह… उह्ह… सर… बस करो… नहीं तो मैं मर जाऊँगी…” कह रही थी। लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उसके निपल्स को मुँह में लिया और चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। दस मिनट बाद मेरा माल निकलने वाला था। मैंने आख़िरी धक्का मारा और सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। मेरे लंड से गर्म-गर्म वीर्य निकला, और वो सिसकारी, “आह्ह… सर… कितना गर्म है…”।
हम दोनों हाँफ रहे थे। मैंने अपने कपड़े ठीक किए, और उसने अपनी पैंटी और सलवार ऊपर खींची। उसका सूट अब भी गले तक चढ़ा हुआ था, लेकिन उसने उसे नीचे किया और दुपट्टा उठाकर कंधे पर डाल लिया। वो फिर से पोंछा लगाने लगी, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। मैं बाहर जाकर पेशाब करने गया, लेकिन जब वापस आया, तो उसे देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। उसकी गांड मुझे अब और ललचा रही थी। मैंने उसे फिर से पकड़ा और कहा, “मालती, अब तेरी गांड की बारी है।”
वो घबरा गई, “नहीं सर, मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई। बहुत दर्द होगा।” मैं: अरे, 500 रुपये पूरे दिन के लिए दिए थे, एक बार के लिए नहीं। मालती: (गुस्से में) ये गलत है सर। पैसे वापस चाहिए तो लो। मैं: पैसे रख, लेकिन अब गांड दे। आज तुझे मज़ा आएगा।
मैंने उसे फिर से दीवार के सहारे झुकाया और उसकी सलवार और पैंटी नीचे खींच दी। उसकी गांड का छेद छोटा और साँवला था। मैंने थूक लिया और अपने लंड पर लगाया। फिर थोड़ा थूक उसके छेद पर लगाया। वो मना कर रही थी, “सर, प्लीज़… नहीं…” लेकिन मैंने उसकी कमर पकड़ी और लंड का सुपारा उसके छेद पर सेट किया। एक ज़ोरदार धक्के में मेरा लंड का टोपा उसकी गांड में घुस गया। वो चीख पड़ी, “आह्ह… सर… निकालो… दर्द हो रहा है!” लेकिन मैंने धीरे-धीरे लंड को और अंदर धकेला। उसकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड फँस सा गया था।
एक मिनट बाद मेरा पूरा लंड उसकी गांड में था। वो कराह रही थी, “उह्ह… सर… बहुत दर्द हो रहा है…” लेकिन मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। तीन-चार मिनट बाद उसकी गांड ढीली हो गई, और वो सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… सर… अब मज़ा आ रहा है…”। मैंने उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। “थप-थप” की आवाज़ फिर से गूँज रही थी। मैंने उसके स्तनों को मसला और उसकी कमर को नोचा। पंद्रह मिनट तक मैंने उसकी गांड मारी, और फिर मेरा माल निकलने वाला था। मैंने सारा माल उसकी गांड में छोड़ दिया। जब मैंने लंड बाहर निकाला, तो उस पर हल्का सा खून लगा था।
मालती ने अपनी सलवार और पैंटी ठीक की और बोली, “सर, अगली बार से पैसे की ज़रूरत नहीं। आप इतना मज़ा देते हो, मैं खुद आ जाऊँगी।” मैं हँस पड़ा। इसके बाद जब तक स्कूल बंद रहा, मैंने रोज़ उसकी चूत और गांड का मज़ा लिया। अब बच्चे स्कूल आने लगे हैं, तो मौका कम मिलता है। लेकिन मैं कभी-कभी बाथरूम में उससे लंड चुसवा लेता हूँ। उसकी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर जब घूमती है, तो मज़ा दोगुना हो जाता है। दोस्तों, नौकरानी से ज़्यादा मज़ा कोई औरत नहीं दे सकती। आप भी अगर कोई मौका मिले, तो ज़रूर आजमाएँ।
क्या आपने कभी ऐसी नौकरानी के साथ मज़ा लिया है? अपनी राय ज़रूर बताएँ।